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79030069

विदेशी करेन्सी में सामान्य बीमा पालिसियों को जारी करना

भारतीय रिज़र्व बैंक
(विदेशी मुद्रा विभाग)
केद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 36

2 अप्रैल 2002

प्रति

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

प्रिय महोदय, /महोदया

विदेशी करेन्सी में सामान्य बीमा पालिसियों को जारी करना

सामान्य बीमा ज्ञापन के पैराग्राफ बा.2 के अनुसार सामान्य बीमा ज्ञापन के उपबंधों द्वारा समाविष्ट उन्हें छोड़कर विदेशी करेन्सी में सामान्य बीमा पालिसियों को जारी करने के लिए अनुरोधों के लिए रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन अपेक्षित है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन मामले की गुणवत्ता पर प्रदान होता है ओर बीमा कंपनियों को विदेशी करेन्सी के मूल्य वर्ग में पॉलिसियों को जारी करने ओर विदेशी करेन्सी में प्रीमियम प्राप्त करने की अनुमति दी गई है। समीक्षा करनेपर अब यह निर्णय लिया गया है कि बीमा कंपनियों जो आइआरडीए के पास पंजीकृत है वि रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना निम्नलिखित प्रकार के मालों में विदेशी करेन्सी के मूल्य वर्ग में सामान्य बीमा पालिसियाँ जारी और विदेशी करेन्सी में प्रीमियम प्राप्त कर सकते है।

i) विदेशी जहाज कंपनियों द्वारा मालिकाना और पार्टियों द्वारा भाडे पर लिये गये जहाजों के लिए समुद्री बीमा ;

ii) विदेशी जहाज कंपनियों द्वारा स्वमित्ववाले जहाजों किंतु तकनिकी परिचालकों के रुप में जहाजों के लिए भारतीय पार्टीयों द्वारा व्यवस्था की जाती है के संबंध में समुद्री बीमा पालिसियॉ ;

iii) विदेशी वित्तदाताओं / बैंक के पास ऋण करारनामा तहत गिरवी रखे जहाजें और विदेशी वित्तदाताओं / बैंक के हि में उक्त का समनुदेशन के संबंध में समुद्री बीमा पालिसियॉ / हवाई टैक्सी चलाने के उद्देश्य हेतु पट्टा / किराया आधार पर ;

iv) भारत के बाहर से आयाति िएअरक्राफटों के लिए विमानन बीमा ;

v) उपकरण की आपूर्ति हेतु विदेशी कंपनियों के सहयोग से भारत में निर्माण किये जानेवाले किसी परियोजना के संबंध में भारतीय कंपनियों को समुद्री एवं सी जोखिम उत्थापन पॉलिसियाँ ;

vi) विदेशी करेन्सी में बीमा आवश्यक ग्लोबल निविदा के अंतर्गत किये जानेवाले बाह्य वाणिज्यिक उधारों अथवा स्थानीयकंपनियों को इनाम के रुप में भारत में परियोजनाओं के निष्पादन हेतु भारतीय कंपनियों के हि में समुद्री एवं सभी जोखिम उत्थापन पॉलिसियॉ ;

2. प्राधिकृत व्यापारी उक्त मामलों में दावों के निपटान की ओर विप्रेषण कर सकते है बशर्ते कि 13 अक्तूबर 2001 के ए पी (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.8 में निर्धारित शर्तो का अनुपालन किया गया हो।

3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये।

4. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है।

भवदीय

ग्रेस कोशी
मुख्य महाप्रबंधक

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