पूंजी बाजार में बैंकों का एक्सपोज़र - अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) का निर्गम - आरबीआई - Reserve Bank of India
पूंजी बाजार में बैंकों का एक्सपोज़र - अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) का निर्गम
आरबीआइ/2010-11/249 28 अक्तूबर 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय/महोदया पूंजी बाजार में बैंकों का एक्सपोज़र - कृपया 30 सितंबर 2010 का हमारा परिपत्र सं. बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 46/13.03.00/2010-11 देखें जिसके अनुसार ऐसे बैंकों के संदर्भ में 31 अक्तूबर 2011 तक एक संक्रमणकालीन व्यवस्था के रूप में जोखिम कम करने वाले कतिपय उपाय निर्धारित किए गए थे जो म्यूच्युअल फंडों तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से विभिन्न शेयर बाजारों को अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं जारी करते हैं । 2. अभिरक्षक बैंकों ने अपने ग्राहकों के साथ किए जाने वाले करार में एक ऐसा खण्ड शामिल करने की अपेक्षा का अनुपालन करने में परिचालनात्मक कठिनाई महसूस की है जो उन्हें 1 नवंबर 2010 से पहले किसी निपटान में भुगतान के रूप में प्राप्त होने वाली प्रतिभूतियों पर अहस्तांतरणीय अधिकार प्रदान करता हो । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि इस अपेक्षा को पूरा करने के लिए अभिरक्षक बैंकों को दो महीने की अतिरिक्त समयावधि प्रदान की जाए अर्थात् संक्रमणकालीन व्यवस्था 31 दिसंबर 2010 तक बढ़ा दी जाए । 3. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि जिन मामलों में लेनदेन से पहले निधि उपलब्ध रही है अर्थात् ग्राहक के खाते में स्पष्ट रूप से भारतीय रुपये में निधियां उपलब्ध रही हैं और विदेशी मुद्रा सौदों के मामले में बैंक के नोस्ट्रो खाते को अभिरक्षक बैंकों द्वारा अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं जारी करने से पहले क्रेडिट कर दिया गया है, उन मामलों में ग्राहकों के साथ किए जाने वाले करार में भुगतान के रूप में प्राप्त होने वाली प्रतिभूति पर अहस्तांतरणीय अधिकार संबंधी खण्ड की अपेक्षा के अनुपालन का आग्रह नहीं किया जाएगा । भवदीय (पी. आर रवि मोहन) |