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अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) / धनशोधन निवारण (एएमएल) / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफ़टी) संबंधी दिशानिर्देश - भारत में बैंक ग्राहकों के लिए विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी)– प्रथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

आरबीआई/2012-13/235
शबैं‍वि‍.बीपीडी (पीसीबी) परि. सं. 14 / 14.01.062/ 2012-13

9 अक्तूबर 2012

मुख्य कार्यपालक अधि‍कारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया/ महोदय

अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) / धनशोधन निवारण (एएमएल) / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफ़टी) संबंधी दिशानिर्देश - भारत में बैंक ग्राहकों के लिए विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी)– प्रथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक केवाईसी/ एएमएल/ सीएफ़टी उपायों पर समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करता रहा है। वित्तीय लेनदेनों की बढ़ती हुई जटिलता और संख्या के कारण यह आवश्यक है कि एक बैंक के भीतर, सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली के भीतर और सम्पूर्ण वित्तीय प्रणाली के भीतर ग्राहकों की एक से अधिक पहचान न हो। इस लक्ष्य को प्रत्येक ग्राहक के लिए एक विशिष्ट पहचान कोड प्रारम्भ करके प्राप्त किया जा सकता है। इस संबंध में, भारत सरकार द्वारा गठित एक कार्यदल ने एक केंद्रीकृत केवाईसी रजिस्ट्री की स्थापना के लिए विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के ग्राहकों के लिए विशिष्ट पहचान-संकेतों की शुरूआत करने का प्रस्ताव किया है। यद्यपि पूरी वित्तीय प्रणाली के लिए ऐसी व्यवस्था स्थापित करने में काफी समय लगने की संभावना है, तथापि प्राथमिक(शहरी) सहकारी बैंक अपने ग्राहकों के लिए इस तरह के पहचान कोड रखकर इस संबंध में तत्काल शुरुआत कर सकते हैं ।

2. कृपया इस संबंध में दिनांक 17 अप्रैल, 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 में भारत में बैंक ग्राहकों के लिए विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड से संबंधित पैरा 86 और 87 (उद्धरण संलग्न) देखें। यद्यपि कुछ शहरी सहकारी बैंक पहले से ही अपने ग्राहकों के लिए संबंध संख्या आदि प्रदान करके यूसीआईसी का प्रयोग कर रहे हैं, अन्य शहरी सहकारी बैंकों ने इस प्रथा को नहीं अपनाया है। अत: शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने सभी मौजूदा ग्राहकों को यूसीआईएस आवंटित करने के लिए कदम उठायेँ, और इसका आरंभ ग्राहकों के साथ किसी भी नये संबंध की शुरुआत करते समय करें। इसी तरह प्रत्येक मौजूदा ग्राहक को भी मई 2013 के अंत तक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड आवंटित किया जाए।

3. यूसीआईसी से ग्राहकों की पहचान करने, उनके द्वारा ली गई सुविधाओं का पता लगाने और समग्र रूप में वित्तीय लेनदेन की निगरानी रखने में शहरी सहकारी बैंकों को मदद मिलेगी तथा ग्राहकों का जोखिम प्रोफ़ाइल तैयार करने के लिए बैंक बेहतर दृष्टिकोण अपना सकेंगे। इससे ग्राहकों को बैंकिंग परिचालन में भी आसानी होगी।

भवदीय,

(ए.उदगाता)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13

भारत में बैंकों के ग्राहकों के लिए विशिष्ट ग्राहक पहचान (यूनिक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन) कोड

86. यूनिक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन कोड (यूसीआइसी) से किसी ग्राहक को पहचानने, उसको मिली सुविधाओं को ट्रैक करने, विभिन्न खातों में हो रहे वित्तीय लेन-देन पर निगरानी रखने, जोखिम (रिस्क) का बेहतर विवरण तैयार करने (प्रोफाइलिंग) में, ग्राहक विवरण को समग्रता में देखने और बैंकिंग काम-काज को ग्राहक के लिए सुगम बनाने में बैंकों को सहायता मिलेगी। हालांकि कुछ बैंकों ने पहले ही यूसीआइसी विकसित किया है, परंतु कई बैंकों में पूरे संगठन में ऐसा कोई विशिष्ट (यूनिक) नंबर नहीं है जिससे किसी एक (सिंगल) ग्राहक को चिह्नित (आइडेंटिफाइ) किया जा सके। इस संबंध में भारत सरकार ने पहले ही कुछ कदम उठाए हैं; उनके द्वारा गठित एक कार्यदल ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ग्राहकों के लिए विशिष्ट अभिज्ञापक (आइडेंटिफायर्स) लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इस तरह की कोई प्रणाली समूची व्यवस्था के लिए वांछनीय है, परंतु इसके पूरी तरह शुरू होने में अच्छा खासा समय लगने की संभावना है। इस दिशा में शुरुआती कदम के रूप में, बैक को कहा जाता है कि:

  • शुरुआत के तौर पर सभी वैयक्तिक ग्राहकों (इंडिविजूअल कस्टमर्स) के मामले में किसी भी नए कारोबारी संबंध की शुरुआत करते समय यूसीआइसी दिए जाने की दिशा में कार्रवाई प्रारंभ की जाए। इसी प्रकार वर्तमान वैयक्तिक ग्राहकों (इंडिविजूअल कस्टमर) को भी अप्रैल-2013 के अंत तक विशिष्ट ग्राहक पहचान (यूनिक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन) कोड दे दिए जाएं।

87. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।

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