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‘अपने ग्राहक को जानिए मानदंड’ / ‘धनशोधन निवारण मानक’/ ‘आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध’ / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – बैंक द्वारा ग्राहकों से मांगी जानी वाली सूचना – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)

आरबीआई/2013-14/228
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं 11 /14.01.062/2013-14

05 सितंबर 2013

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया/ महोदय,

‘अपने ग्राहक को जानिए मानदंड’ / ‘धनशोधन निवारण मानक’/ ‘आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध’ / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – बैंक द्वारा ग्राहकों से मांगी जानी वाली सूचना – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)

कृपया ‘अपने ग्राहक को जानिए मानदंड’ / ‘धनशोधन निवारण मानक’ / ‘आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध’ / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व से संबंधित 1 जुलाई 2013 का मास्टर परिपत्र सं. शबैंवि. (बीपीडी). एमसी.सं.16/ 12.05.001/2013-14 देखें । इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य धन शोधन अथवा आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित गतिविधियों के लिए अपराधी तत्वों द्वारा, जानबूझकर या अनजाने ही, बैंकों का इस्तेमाल किए जाने से रोकना है । “अपने ग्राहक जानिए” क्रियाविधि से बैंकों को अपने ग्राहकों तथा उनके वित्तीय लेन–देन को जानने / समझने का बेहतर अवसर मिलता है जिससे बैंकों को अपने जोखिमों का प्रबंधन विवेकपूर्ण तरीके से करने में मदद मिलती है । किंतु, भारतीय रिज़र्व बैंक के ध्यान में आया है कि केवाईसी/एएमएल के अनुपालन के लिए खाता खोलते समय या आवधिक अद्यतन के दौरान ग्राहकों से वैयक्तिक सूचना जैसे आश्रितों की संख्या, पुत्रों एवं पुत्रियों के नाम, जीवन-शैली, गत तीन वर्षों के दौरान की गई विदेश यात्राओं की संख्या, परिजनों के विवरण/ विदेश बसे रिश्तेदारों के विवरण, आस्ति-देयता विवरण, जीवन साथी (पति/पत्नि) की जन्म–तारीख, निवेश आदि विवरण पूछे जा रहे हैं जो अनिवार्य नहीं है और संभाव्य ग्राहक के कथित जोखिम के लिए भी यह उपयुक्त नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, ग्राहक यह शिकायत करने लगे हैं कि बैंक केवाईसी अनुपालन करने के लिए ग्राहकों के निजी मामले में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

2. इस संबंध में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों का ध्यान मास्टर परिपत्र के पैरा 2.1 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार, ग्राहकों से ऐसी सूचना मांगी जाए जो संभावित जोखिम से संबद्ध हों, जिससे अनावश्यक दखलंदाजी न हो और इस संबंध में जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुरूप हों । ग्राहक से अन्य कोई सूचना उसकी सहमति से तथा खाता खोलने के बाद मांगी जानी चाहिए।

3. अत: यह दुहराया जाता है कि केवाईसी अनुपालन के लिए केवल ‘अनिवार्य’ सूचना मांगी जाए जो ग्राहक द्वारा खाता खोलते समय / आवधिक अद्यतन के दौरान दिया जाना अपेक्षित है।

4. आवश्यकता पड़ने पर ग्राहक के अन्य ‘वैकल्पिक’ विवरण/ अतिरिक्त सूचना, खाता खोलने के बाद ग्राहक की सहमति से प्राप्त की जा सकती है । ग्राहक को यह जानने का अधिकार है कि खाता खोलते समय केवाईसी के लिए दी जाने वाली सूचना क्या है और बैंक द्वारा मांगी जाने वाली कौन सी अतिरिक्त सूचना वैकल्पिक है।

5. साथ ही यह दुहराया जाता है कि बैंक यह ध्यान रखें कि ग्राहक से एकत्रित की गई दोनों सूचनाओं और संबंधित विवरण (जो ‘अनिवार्य’ हैं - खाता खोलने से पहले प्राप्त और ‘वैकल्पिक’ – खाता खोलने के बाद ग्राहक की सहमति से प्राप्त) को गोपनीय समझा जाए और उन्हें प्रतिविक्रय या किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रकट न किया जाए।

6. शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त का सख्त पालन करें।

भवदीय,

(ए.के.बेरा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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