अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत दायित्व - जोखिम का मूल्यांकन तथा निगरानी - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत दायित्व - जोखिम का मूल्यांकन तथा निगरानी
आरबीआई/2011-12/327 30 दिसंबर 2011 अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/ कृपया अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दिशा-निर्देश – धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक पर दिनांक 18 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं. आरसीबी. एएमएल. बीसी.80/ 07.40.00/ 2004-05 तथा अपने ग्राहक को जानिए मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध / धनशोधन निवारण अधिनियम ( पी एल एम ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर 2 फरवरी 2011 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.केका. आरसीबी. एएमएल. बीसी.सं. 50/ 07.40.00/2010-11 देखें । 2. दिनांक 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र के साथ संलग्न "अपने ग्राहक को जानिए" मानदंड तथा धनशोधन निवारण उपायों पर दिशा-निर्देशों के पैराग्राफ 2 तथा दिनांक 2 फरवरी 2011 के परिपत्र के पैराग्राफ 2 के अनुसार राज्य और केन्द्रीय सहकारी बैंकों (एससीबी/डीसीसीबी) से अपेक्षित है कि वे प्रत्येक ग्राहक की एक जोखिम प्रोफाइल तैयार करें और उच्चतर जोखिम ग्राहकों के लिए गहन ‘उचित सावधानी’ लागू करें । उच्चतर सावधानी की आवश्यकता वाले ग्राहकों के कुछ उदाहरण भी संदर्भाधीन पैराग्राफ में दिए गए हैं । इसके अलावा दिनांक 18 फरवरी 2005 के परिपत्र के पैराग्राफ 5 के अंतर्गत एससीबी/डीसीसीबी से अपेक्षा की गई है कि वे किसी लेनदेन, खाता या बैंकिंग/व्यवसाय संबंध को ध्यान में रखते हुए जोखिम प्रबंधन के लिए नीतियां, प्रणालियां तथा क्रियाविधियां स्थापित करें । 3. भारत सरकार ने भारत में धनशोधन एवं आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों, धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध की एक राष्ट्रीय रणनीति तथा धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के संस्थागत ढांचे का मूल्यांकन करने के लिए एक राष्ट्रीय धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम मूल्यांकन समिति का गठन किया था । धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम के मूल्यांकन से सक्षम प्राधिकारियों तथा विनियमित संस्थाओं दोनों को जोखिम आधारित दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध करने के लिए आवश्यक कदम उठाने में सहायता मिलती है । इससे संसाधनों के न्याय संगत एवं दक्ष आबंटन में मदद मिलती है और धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध की व्यवस्था मजबूत होती है । उक्त समिति ने जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाने, जोखिम के मूल्यांकन तथा एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने के बारे में सिफारिशें की हैं जो इस मूल्यांकन का प्रयोग धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण का कारगर ढंग से प्रतिरोध करने में करेगी । भारत सरकार ने समिति की सिफारिशें मान ली हैं और उन्हें कार्यान्वित करने की आवश्यकता है । 4. तदनुसार, एससीबी/डीसीसीबी को उक्त पैराग्राफ 2 में उल्लिखित 18 फरवरी 2005 और 2 फरवरी 2011 के हमारे परिपत्रों में निर्धारित मदों के अतिरिक्त ग्राहकों, देशों तथा भौगोलिक क्षेत्रों और उत्पादों/ सेवाओं/ लेनदेनों / सुपुर्दगी चैनलों में भी अपने धनशोधन/ आतंकी वित्तपोषण जोखिमों की पहचान तथा उनका मूल्यांकन करने के लिए कदम उठाना चाहिए । जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, एससीबी/डीसीसीबी में जोखिम आधारित दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए कारगर ढंग से अपने जोखिम का प्रबंधन करने तथा उसे कम करने के लिए नीतियां, नियंत्रण तथा क्रियाविधियां स्थापित होनी चाहिए जो उनके बोर्ड द्वारा विधिवत् अनुमोदित हों । इसी के एक उप-सिद्धांत के रूप में एससीबी/ डीसीसीबी से अपेक्षित है कि वे मध्यम एवं उच्च जोखिम रेटिंग के साथ उत्पादों, सेवाओं तथा ग्राहकों के लिए सघन उपाय करें । 5. इस संबंध में, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बैंकिंग क्षेत्र में धनशोधन/आतंकी वित्तपोषण के जोखिमों के मूल्यांकन की दिशा में पहल की है । आईबीए ने जुलाई 2009 में अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानकों पर जारी अपने मार्गदर्शी नोट के पूरक के रूप में जोखिम आधारित लेनदेन निगरानी (आरबीटीएम) के लिए मापदंडों पर अपनी रिपोर्ट की प्रतिलिपि 18 मई 2011 को अपने सदस्य बैंकों को परिचालित की है । आईबीए मार्गदर्शी नोट में उच्च जोखिम ग्राहकों, उत्पादों तथा भौगोलिक क्षेत्रों की एक सांकेतिक सूची भी दी गई है । एससीबी/डीसीसीबी अपने जोखिम मूल्यांकन में इसका बतौर मार्गदर्शी सिद्धांत उपयोग कर सकते हैं । 6. ये दिशानिर्देश धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2005 नियम 7 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क (सहकारी सोसाटियों पर यथा लागू ) के अंतर्गत जारी किए जा रहे हैं । इसका किसी भी रूप में उल्लंघन या अनुपालन न किया जाना उक्त अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय होगा । कृपया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को परिपत्र की प्राप्ति-सूचना दें । भवदीय (सी.डी.श्रीनिवासन) |