अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) की ई-केवाईसी सेवा –धनशोधन निवारण नियमावली क - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) की ई-केवाईसी सेवा –धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ऑन-लाइन आधार प्रमाणीकरण (इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन प्रक्रिया) को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए मान्यता देना
आरबीआई / 2013-14/242 10 सितंबर 2013 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) की ई-केवाईसी सेवा –धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ऑन-लाइन आधार प्रमाणीकरण (इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन प्रक्रिया) को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए मान्यता देना कृपया 'अपने ग्राहक को जानिए - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई है' पर दिनांक 13 अक्तूबर 2011 और दिनांक 17 अक्तूबर 2011 के क्रमश: परिपत्र ग्राआऋवि. केका. आरआरबी. एएमएल. बीसी.सं. 21/ 03.05.33(ई)/2011-12 और ग्राआऋवि.केका.आरसीबी.एएमएल.बीसी.सं. 23/07.40.00/2011-12 देखें जिसमें कहा गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई हो, को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। साथ ही, दिनांक 13 दिसंबर 2012 के हमारे परिपत्र के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और राज्य तथा केन्द्रीय सहकारी बैंकों को यह सूचित किया गया है कि आधार पर आधारित खाते खोलते समय भी यदि खाताधारक द्वारा उपलब्ध कराया गया पता आधार पत्र पर दिए गए पते के समान है, तो उसे पहचान और पता, दोनों के सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। 2. पहचान संबंधी धोखाधड़ी, दस्तावेज संबंधी जालसाजी को कम करने के लिए और कागज रहित केवाईसी सत्यापन के लिए यूआईडीएआई ने अपनी ई-केवाईसी सेवा शुरू की है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रख-रखाव) नियमावली, 2005 के अंतर्गत केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में ई-केवाईसी सेवा स्वीकार की जाए। साथ ही, ई-केवाईसी प्रक्रिया के परिणाम के रूप में यूआईडीएआई से उपलब्ध कराए गए जन सांख्यिकीय विवरण और फोटोग्राफ वाली सूचना (जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है और उत्तरवर्ती संदर्भ के लिए उपयोग हेतु सुलभ है) पीएमएल नियमावली के अंतर्गत आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज माना जाए। इस संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करते समय व्यक्तिगत उपयोगकर्ता को यूआईडीएआई को स्पष्ट अनुमति देकर प्राधिकृत करना होगा कि बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से बैंक शाखा/व्यावसाय प्रतिनिधियों को उनकी पहचान/उसका पता दिया जाए। तत्पश्चात् यूआईडीएआई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बैंकों/व्यावसाय प्रतिनिधियों को किसी व्यक्ति के नाम, आयु, लिंग और फोटोग्राफ संबंधी आंकड़े अंतरित करता है, जिसे केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। आधार ई-केवाईसी सेवा पर बैंकों को जारी व्यापक परिचालनगत अनुदेश अनुबंध में दिए गए हैं। 3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और राज्य तथा केन्द्रीय सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ई-केवाईसी के लिए बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण को लागू करने के लिए समुचित मूलभूत संरचना तैयार रखें (अनुबंध में यथाविनिर्दिष्ट)। 4. डाक के माध्यम से प्राप्त यूआईडीएआई द्वारा जारी मूर्त आधार कार्ड/पत्र, जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई है, ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किये जाते रहेंगे। 5. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और राज्य तथा केन्द्रीय सहकारी बैंक उपर्युक्त अनुदेशों को ध्यान में रखते हुए अपनी केवाईसी नीति संशोधित करें और उक्त का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। भवदीय ( ए. उदगाता ) ई-केवाईसी प्रयुक्तता के लिए बैंकों द्वारा अपनाई जाने वाली परिचालनगत कार्यविधि यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा बैंकों द्वारा एक सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से विकसित की जानी है। यूआईडीएआई ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करने के इच्छुक बैंक से यह अपेक्षित है कि वह यूआईडीएआई के साथ एक करार पर हस्ताक्षर करे। अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निम्नानुसार है। 1. बैंक को विनिर्दिष्ट रूप से ई-केवाईसी सेवा तक पहुंच प्रदान करने के लिए समर्थ बनाने हेतु यूआईडीएआई से केवाईसी यूजर एजेंसी करार पर हस्ताक्षर करना। 2. विभिन्न सुपुर्दगी माध्यमों में ई-केवाईसी सेवा प्रदान करने के लिए बैंक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लगाए। ये यूआईडीएआई मानक के अनुसार बैंक शाखा/माइक्रो एटीएम/व्यावसायिक प्रतिनिधि केंद्र पर मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन संस्थान, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार से प्रमाणित बॉयोमेट्रिक स्कैनर होने चाहिए। नीचे दिए गए लिंक पर प्रमाणीकृत बॉयोमेट्रिक स्कैनर की वर्तमान सूची दी गई है। 3. यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) प्रोटोकोल के अनुसार विभिन्न ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) (बैंक शाखा, व्यावसायिक प्रतिनिधियों सहित) पर ई-केवाईसी की प्रयुक्तता संभव बनाने के लिए सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन विकसित करना। इस उद्देश्य के लिए बैंकों को यूआईडीएआई के विस्तृत दिशानिर्देशों के अंतर्गत स्वयं के सॉफ्टवेयर विकसित करने होंगे। इसलिए, एक बैंक का सॉफ्टवेयर दूसरे बैंक के सॉफ्टवेयर से भिन्न हो सकता है। 4. बैंक के साथ ई-केवाईसी डाटा साझा करने के लिए ग्राहक प्राधिकार प्राप्त करने की कार्यविधि यूआईडीएआई को स्पष्ट करें। प्राधिकार मूर्त रूप में हो सकता है (बैंक खाता खोलने के उद्देश्य से बैंक/व्यावसायक प्रतिनिधि से उसका आधार डाटा साझा करने के लिए यूआईडीएआई को प्राधिकृत करने वाली लिखित स्पष्ट अनुमति के रूप में)/यूआईडीएआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक रूप में। 5. प्रक्रिया प्रवाह का नमूना निम्नानुसार हैः
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