अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी)मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करना/ धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व- मुद्रा अंतरण सेवा - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी)मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करना/ धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व- मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत सीमापार आवक धनप्रेषण
भारिबैंक/2010-11/532 16 मई 2011 सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंट हैं महोदया/महोदय अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी)मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करना/ धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व- मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत सीमापार आवक धनप्रेषण प्राधिकृत व्यक्ति, जो मुद्रा अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत भारतीय एजेंट हैं, का ध्यान27 नवंबर 2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.18 (ए.पी. (एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं.5)के अनुबंध - I क पैराग्राफ 5.12 (i) की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त पैराग्राफों में निहित अनुदेशों में संशोधन किया जाए । संशोधित अनुदेश अनुबंध में दिये गये हैं । 3. 27 नवंबर 2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.18 (ए.पी. (एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं.5) में निहित अन्य अनुदेश यथावत् बने रहेंगे । 4. प्राधिकृत व्यक्ति(भारतीय एजेंट)इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1), और धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 और समय-समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरुप और मूल्य (लागत) के अभिलेखों का रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियम, 2005 के तहत जारी किये गये हैं । इन दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने पर संबंधित अधिनियमों अथवा उसके तहत बनाये गये नियमों के दंडात्मक प्रावधानों को लागू किया जा सकता है । भवदीया ( मीना हेमचंद्र) अनुबंध
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