अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद केवित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) की ई-केवाईसी सेवा –धनशोधन निवारण नियमावल - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद केवित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) की ई-केवाईसी सेवा –धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ऑन-लाइन आधार प्रमाणीकरण (इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन प्रक्रिया) को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए मान्यता देना
आरबीआई/2013-14/263 17 सितंबर 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद केवित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) की ई-केवाईसी सेवा –धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ऑन-लाइन आधार प्रमाणीकरण (इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन प्रक्रिया) को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए मान्यता देना कृपया 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व से संबंधित दिनांक 1 जुलाई 2013 के मास्टर परिपत्र शबैंवि. बीपीडी. (पीसीबी). एमसी. सं.16/12.05.001/2013-14 के पैरा 2.6 (आ) देखें जिसमें यह कहा गया है कि भारतीय अद्वितीय पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई हो, को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। साथ ही, मास्टर परिपत्र के पैरा 2.5 (ix) के अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया है कि आधार पत्र पर आधारित खाते खोलते समय यदि खाताधारक द्वारा उपलब्ध कराया गया पता, आधार पत्र पर दिए गए पते के समान है, तो उसे पहचान और पता, दोनों को प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है । 2. पहचान संबंधी धोखाधड़ी, दस्तावेज संबंधी जालसाजी को कम करने के लिए और कागज रहित केवाईसी सत्यापन के लिए यूआईडीएआई ने अपनी ई-केवाईसी सेवा शुरू की है । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रख-रखाव) नियमावली, 2005 के अंतर्गत केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में ई-केवाईसी सेवा स्वीकार की जाए । साथ ही, ई-केवाईसी प्रक्रिया के परिणाम के रूप में यूआईडीएआई से उपलब्ध कराए गए जन सांख्यिकीय विवरण और फोटोग्राफ वाली सूचना (जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है और उत्तरवर्ती संदर्भ के लिए उपयोग हेतु सुलभ है) पीएमएल नियमावली के अंतर्गत आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज माना जाए । इस संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करते समय व्यक्तिगत उपयोगकर्ता को यूआईडीएआई को स्पष्ट अनुमति देकर प्राधिकृत करना होगा कि बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से बैंक शाखा/व्यावसाय प्रतिनिधियों को उनकी पहचान/उसका पता दिया जाए । तत्पश्चात् यूआईडीएआई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बैंकों/व्यावसाय प्रतिनिधियों को किसी व्यक्ति के नाम, आयु, लिंग और फोटोग्राफ संबंधी आंकड़े अंतरित करता है, जिसे केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जा सकता है । आधार ई-केवाईसी सेवा पर बैंकों को जारी व्यापक परिचालनगत अनुदेश अनुबंध में दिए गए हैं । 3. शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ई-केवाईसी के लिए बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण को लागू करने के लिए समुचित मूलभूत संरचना तैयार रखें (अनुबंध में यथाविनिर्दिष्ट) । 4. डाक के माध्यम से प्राप्त यूआईडीएआई द्वारा जारी मूर्त आधार कार्ड/पत्र, जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई है, ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किये जाते रहेंगे । 5. शहरी सहकारी बैंक उपर्युक्त अनुदेशों को ध्यान में रखते हुए अपनी केवाईसी नीति संशोधित करें और उक्त का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें । भवदीय (पी.के.अरोड़ा) ई-केवाईसी प्रयुक्तता के लिए बैंकों द्वारा अपनाई जाने वाली परिचालनगत कार्यविधि यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा शहरी सहकारी बैंकों द्वारा एक सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से विकसित की जानी है । यूआईडीएआई ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करने के इच्छुक शहरी सहकारी बैंक से यह अपेक्षित है कि वह यूआईडीएआई के साथ एक करार पर हस्ताक्षर करे । अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निम्नानुसार है: 1. शहरी सहकारी बैंकों को विनिर्दिष्ट रूप से ई-केवाईसी सेवा तक पहुंच प्रदान करने के लिए समर्थ बनाने हेतु यूआईडीएआई से केवाईसी यूजर एजेंसी करार पर हस्ताक्षर करना । 2. विभिन्न सुपुर्दगी माध्यमों में ई-केवाईसी सेवा प्रदान करने के लिए शहरी सहकारी बैंकों हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लगाए । ये यूआईडीएआई मानक के अनुसार बैंक शाखा/माइक्रो एटीएम/व्यावसायिक प्रतिनिधि केंद्र पर मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन संस्थान, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार से प्रमाणित बॉयोमेट्रिक स्कैनर होने चाहिए । नीचे दिए गए लिंक पर प्रमाणीकृत बॉयोमेट्रिक स्कैनर की वर्तमान सूची दी गई है। 3. यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) प्रोटोकोल के अनुसार विभिन्न ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) (बैंक शाखा, व्यावसायिक प्रतिनिधियों सहित) पर ई-केवाईसी की प्रयुक्तता संभव बनाने के लिए सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन विकसित करना । इस उद्देश्य के लिए बैंकों को यूआईडीएआई के विस्तृत दिशानिर्देशों के अंतर्गत स्वयं के सॉफ्टवेयर विकसित करने होंगे । इसलिए, एक शहरी सहकारी बैंक का सॉफ्टवेयर दूसरे शहरी सहकारी बैंक के सॉफ्टवेयर से भिन्न हो सकता है। 4. शहरी सहकारी बैंक के साथ ई-केवाईसी डाटा साझा करने के लिए ग्राहक प्राधिकार प्राप्त करने की कार्यविधि यूआईडीएआई को स्पष्ट करें । प्राधिकार मूर्त रूप में हो सकता है (बैंक खाता खोलने के उद्देश्य से शहरी सहकारी बैंक/व्यावसायक प्रतिनिधि से उसका आधार डाटा साझा करने के लिए यूआईडीएआई को प्राधिकृत करने वाली लिखित स्पष्ट अनुमति के रूप में)/यूआईडीएआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक रूप में। 5. प्रक्रिया प्रवाह का नमूना निम्नानुसार हैः (ए) ग्राहक अपने 12 अंक की आधार संख्या और स्पष्ट अनुमति के साथ शहरी सहकारी बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र पर जाता है और आधार आधारित ई-केवाईसी से बैंक खाता खोलने का अनुरोध करता है। (बी) ग्राहक सेवा केंद्र में कार्य करने वाला शहरी सहकारी बैंक प्रतिनिधि बैंक के ई-केवाईसी एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर में संख्या की प्रविष्टि करता है । (सी) ग्राहक यूआईडीएआई के अनुरूप बॉयोमेट्रिक रीडर के माध्यम से अपने बॉयोमेट्रिक्स की प्रविष्टि करे । (उदाहरणार्थ बॉयो मेट्रिक रीडर पर अंगुली के निशान) (डी) सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन आधार संख्या को बॉयोमेट्रिक डाटा के साथ ग्रहण करता है, इस डाटा को गोपित करता है और यूआईडीएआई के केंद्रीय पहचान डाटा रिपोसिटरी (सीआईडीआर) को भेज देता है । (ई) आधार केवाईसी सेवा ग्राहक संबंधी डाटा को प्रमाणीकृत करता है । यदि आधार संख्या बॉयोमेट्रिक्स के साथ मेल नहीं खाती है, तो यूआईडीएआई सर्वर से त्रुटि के प्रकार (यूआईडीएआई द्वारा यथानिर्धारित) के आधार पर विभिन्न कारण कोड के साथ त्रुटि की सूचना आती है । (एफ) यदि आधार संख्या बॉयोमेट्रिक्स से मेल खाती है, तो यूआईडीएआई से डिजिटल हस्ताक्षर के साथ और गोपित जनसांख्यिकीय सूचना [नाम, वर्ष/जन्म-तिथि, लिंग, पता, फोन और ई-मेल (यदि उपलब्ध हो)] और फोटोग्राफ के साथ प्रतिउत्तर आता है । यह सूचना शहरी सहकारी बैंक के ई-केवाईसी एप्लिकेशन द्वारा ग्रहण कर ली जाती है और आवश्यकतानुसार प्रक्रियाबद्ध होती है । (जी) शहरी सहकारी बैंक के सर्वर संबंधित स्थलों पर जनसांख्यिकीय डाटा और फोटोग्राफ को स्वतः भर देता है । इसमें ई-केवाईसी का संपूर्ण ऑडिट परीक्षण अर्थात् सूचना का स्रोत, डिजिटल हस्ताक्षर, संदर्भ संख्या, मूल अनुरोध जनन संख्या, अनुरोध निकालने के लिए प्रयुक्त उपकरण के लिए मशीन आईडी, संदेश अनुमार्गण के संपूर्ण परीक्षण के साथ दिनांक और तिथि मुहर, यूआईडीएआई गोपन की तिथि और समय संबंधी मुहर, शहरी सहकारी बैंक की गोपन तिथि और समय संबंधी मुहर, इत्यादि का रिकार्ड रहता है । (एच) ग्राहक के फोटोग्राफ और जनसांख्यिकी आंकड़े संदर्भ के लिए बैंक शाखाओं में कंप्यूटर की स्क्रीन पर अथवा व्यवसाय प्रतिनिधि के पास उपलब्ध उपकरण पर देखे जा सकते हैं । (आई) ग्राहक खाता खोलने संबंधी अन्य अपेक्षाओं को पूरा करने की शर्त के आधार पर बैंक खाता खोल सकता है । |