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अग्रणी बैंक योजना – निगरानी सूचना प्रणाली (एमआइएस) को मजबूत बनाना

भारिबैं/2012–13/450
ग्राआऋवि.केका.एलबीएस.बीसी.सं. 68/02.01.001/2012-13

19 मार्च 2013

अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
एसएलबीसी संयोजक बैंक / अग्रणी बैंक

महोदय,

अग्रणी बैंक योजना – निगरानी सूचना प्रणाली (एमआइएस) को मजबूत बनाना

जैसाकि आपको ज्ञात है, प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र दिशा-निर्देशों को समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है जिसमें पिछला प्रमुख संशोधन वर्ष 2012 में किया गया। तथापि, राज्‍यों और जिलों के वार्षिक क्रेडिट प्‍लान, कृषि, लघु उद्योग, अन्‍य प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र तथा गैर प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के पुराने उप-क्षेत्र वर्गीकरण के आधार पर ही बनाए जा रहे हैं। क्रेडिट के क्षेत्रवार अभिनियोजन पर व्‍यापक (ग्रेन्‍यूलर) डाटा के अभाव के कारण एसएलबीसी और डीसीसी बैठक में वार्षिक क्रेडिट प्‍लान की समीक्षा अर्थपूर्ण नहीं पाई गई हैं। हाल ही में हमने प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र अग्रिम तथा क्रेडिट के क्षेत्रवार अभिनियोजन के संबंध में बैंकों के प्रधान कार्यालयों से प्राप्‍त डाटा संबंधी रिपोर्टिंग प्रणाली दिनांक 7 जनवरी 2013 के परिपत्र ग्राआऋवि.केका.प्‍लान. बीसी.56/04.09.01/2012-13 द्वारा संशोधित की है।

2. चूंकि वार्षिक क्रेडिट प्‍लान (एसीपी) पर डाटा, राज्‍य में ऋण प्रवाह की समीक्षा हेतु एक महत्‍वपूर्ण घटक है, अत: यह निर्णय लिया गया है कि लक्ष्‍य (एसीपी विवरण I) तथा उपलब्धि (एसीपी विवरण II) हेतु वर्तमान एसीपी फार्मेट की समीक्षा इस प्रकार की जाए कि वार्षिक क्रेडिट प्‍लान प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के अंतर्गत उप-क्षेत्र कृषि और संबद्ध कार्यकलापों, माइक्रो और लघु उद्यमों, शिक्षण, आवास तथा अन्‍य और गैर प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र में मध्‍यम उद्योगों, बड़े उद्योगों, शिक्षण, आवास तथा अन्‍य के साथ तैयार की जा सके। तदनुसार, एसीपी लक्ष्‍य हेतु विवरण एलबीएस-एमआइएस I होगा, संवितरण और बकाया हेतु विवरण एलबीएस-एमआइएस II होगा तथा एसीपी लक्ष्‍य की तुलना में एसीपी उपलब्धि एलबीएस-एमआइएस- III होगा। अग्रणी बैंकों/एसएलबीसी संयोजक बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे वर्ष 2013-14 से शुरू करते हुए संलग्‍न फार्मेटों के अनुसार एलबीएस-एमआइएस- I, II और III विवरण तैयार करें तथा सभी डीसीसी और एसएलबीसी बैठकों में समीक्षा हेतु इन विवरणों को प्रस्‍तुत करें। एसएलबीसी अप्रैल 2013 के अंत तक अर्थात् वर्ष समाप्ति से एक माह के भीतर एसीपी के अंतर्गत राज्‍य-वार समेकित लक्ष्‍य एलबीएस-एमआइएस–I में हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्‍तुत करें। प्रगति डाटा त्रैमासिक आधार पर एलबीएस-एमआइएस II तथा एलबीएस-एमआइएस -III के संलग्‍न फार्मेटों में प्रत्‍येक तिमाही की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्‍तुत किए जाएं।

3. साथ ही, बैंकों ने अप्रैल 2010 से मार्च 2013 तक के लिए बोर्ड अनुमोदित 3 वर्षीय वित्‍तीय समावेशन प्‍लान (एफआइपी) तैयार किए थे। चूंकि 3 वर्षीय एफआइपी अवधि मार्च 2013 में समाप्‍त हो रही है, अत: अब हमने सभी बैंकों को अप्रैल 2013 से मार्च 2016 के लिए अगले 3 वर्षीय विस्‍तृत वित्‍तीय समावेशन प्‍लान तैयार करने हेतु सूचित किया है। एसएलबीसी को सूचित किया गया है कि उनके क्षेत्राधिकार के सभी बैंकों के नियंत्रक कार्यालयों से अगले 3 वर्षों के लिए प्राप्‍त राज्‍य-वार वित्‍तीय समावेशन प्‍लान को एलबीएस-एमआइएस-IV फार्मेट में संकलित/ समेकित करें। प्रसंगवश, हमने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को पहले ही सूचित किया है कि वे यह जानकारी नियंत्रक कार्यालयों से एकत्र करें। कृपया अपने नियंत्रक प्रमुखों को सूचित करें कि वे एसएलबीसी और आरबीआई क्षेत्रीय कार्यालयों दोनों को यह जानकारी समय पर प्रस्‍तुत करना सुनिश्चित करें जोकि अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है; चूंकि नियंत्रक कार्यालय से प्राप्‍त राज्‍य-वार डाटा का मिलान बैंकों के प्रधान कार्यालयों से प्राप्‍त कुल बैंक-वार डाटा से होना चाहिए। एफआइपी के अंतर्गत प्रगति की समीक्षा जून 2013 को समाप्‍त तिमाही संबंधी बैठक से शुरूआत करते हुए संलग्‍न फार्मेट एलबीएस-एमआइएस-V के अनुसार एसएलबीसी बैठकों में की जानी चाहिए। एसएलबीसी को चाहिए कि वे एफआइपी के अंतर्गत त्रैमासिक प्रगति एलबीएस-एमआइएस V फार्मेट में जून 2013 को समाप्‍त तिमाही से शुरू करते हुए तिमाही की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्‍तुत करें।

4. उक्‍त आंकड़ों की अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के अखिल भारतीय डाटा के साथ अनुरूपता एवं सत्‍यता को बनाए रखने एवं डाटा की सार्थक समीक्षा / विश्‍लेषण करने के उद्देश्‍य से उक्‍त एसीपी तथा एफआइपी डाटा डीसीसी/एसएलबीसी बैठकों में प्रस्‍तुत करते समय और हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्‍तुत करते समय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और राज्‍य सहकारी बैंकों और डीसीसीबी आदि जैसे अन्‍य बैंकों के लिए अलग से समूहबद्ध किए जाने की जरुरत है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के डाटा को आगे सरकारी क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में और समूहबद्ध किए जाने की जरुरत है ताकि बैंक समूहवार स्थिति का पता चल सके।

5. क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा उपर्युक्‍त रिपोर्टें केवल संलग्‍न फॉर्मेटों के अनुसार ही एक्‍सेल फार्मेट में भेजी जानी चाहिए।

भवदीय

(सी.डी. श्रीनिवासन)
मुख्‍य महाप्रबंधक

अनुलग्‍नक : 8 पत्रक

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