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असेट प्रकाशक

79080568

सहायता संघीय व्यवस्था /बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋण देना

आरबीआई/2008-09/427
शबैंवि. पीसीबी.सं. 59/13.05.000/2008-09

9 अप्रैल 2009

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक

महोदय / महोदया

सहायता संघीय व्यवस्था /बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋण देना

कृपया उपर्युक्त विषय पर 21 जनवरी 2009 का हमारा परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.स 36/13.05.000/2008-09 देखें ।

उपर्युक्त परिपत्र के साथ संलग्न बैंक को ऋण के लिए आवेदन करते समय उधारकर्ता द्वारा बैंकों को घोषित की जानेवाली जानकारी का फार्मेट (अनुबंध I) तथा एक से अधिक बैंकों से उधार लेनेवाले ऊधारकर्ताओं के संबंध में बैंकों के बीच जानकारी आदान-प्रदान करने का फार्मेट (अनुबंध II) संशोधित किए गए है ताकि उधारकर्ता के साथ बैंकों के डेरिवेटिव लेनदेन तथा उधारकर्ता के अप्रतिरक्षित विदेशी मुद्रा ऋण से संबंधित जानकारी मिल सके ।

2. बैंकें को सूचित किया जाता हैं कि वे तत्काल प्रभाव से संशोधित फार्मेटों का उपयोग करें।

भवदीय

(ए.के.खौंड)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध -1

बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत वित्त के लिए प्रस्ताव करते समय
उधारकर्ता संस्था द्वारा बैंकों को घोषित की जानेवाली न्यूनतम जानकारी

क. अन्य बैंकों से उधार की व्यवस्था का ब्योरा (संस्था-वार तथा सुविधा-वार)

I. बैंक/संस्था का नाम और पता

 

II. लाभ उठायी गयी सुविधाएं

 

क. निधि-आधारित ऋण सुविधाएं (सुविधाओं का स्वरूप जैसे कार्यशील पूंजी/मांग ऋण/मीयादी ऋण/अल्पावधि ऋण/ विदेशी मुद्रा ऋण, कार्पोरेट ऋण/ऋण सहायता/चैनल वित्तपोषण, बिलों की भुनाई आदि और इसकी राशि तथा प्रयोजन दर्शाए)

 

ख. डेरिवेटिव के अलावा गैर निधि आधारित सुविधाएं (सुविधाओं का स्वरूप जैसे एलसी, बीजी, डीपीजी (आइ और एफ) आदि और इसकी राशि तथा प्रयोजन दर्शाए)

 

ग बैंकों के साथ किया गया डेरिवेटिव करार ( करार का स्वरूप, परिपक्वता, राशि तथा प्रयोजन दर्शाए)

 

III. स्वीकृति की तारीख

 

IV. वर्तमान बकाया

 

V. अतिदेय संबंधी स्थिति, यदि कुछ हो

 

VI. चुकौती की शर्तें (मांग ऋण, मीयादी ऋण, कार्पोरेट ऋण, परियोजना-वार वित्त के लिए)

 

VII. दी गई जमानत (प्राथमिक और संपाश्दिवक जमानत का संपूर्ण ब्योरा जिसमें परियोजना-वार वित्त/ जुटाये गये ऋण से होने वाले विनिर्दिष्ट नकदी प्रवाह तथा प्रस्तुत की जानेवाली व्यक्तिगत/कार्पोरेट गारंटी शामिल है)

 

VIII. सुविधाओं के लिए आवेदन जो प्रक्रियाधीन है

 

डवाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से घरेलू तथा विदेशी उधार हेतु दी जानेवाली जानकारी

ख. विविध ब्योरे

(करोड़ रुपये में)        
i. 

वर्ष के दौरान जुटाये गये वाणिज्यिक पेपर (सीपी) तथा वर्तमान बकाया

 

ii. 

बैंकिंग प्रणाली के बाहर से प्राप्त वित्तपोषण, उदाहरणार्थ साख-पत्रों की भुनाई

 

iii. 

अप्रतिरक्षित विदेशी मुद्रा की राशि ( कृपया नीचे दिए गए फॉर्मेट में मुद्रा वार स्थिति दे)

 

 

 

 

(i)

अल्पावधि एक्सपोज़र (एक वर्ष से कम)

 

(क)

दीर्घावधि स्थिति

 

(ख)

अल्पावधि स्थिति

 

(ग)

निवल अल्पावधि एक्सपोज़र (क-ख)

 

(ii)

दीर्घावधि एक्सपोज़र (एक वर्ष से अधिक)

 

(क)

दीर्घावधि स्थिति

 

(ख)

अल्पावधि स्थिति

 

(ग)

निवल दीर्घावधि एक्सपोज़र (क-ख)

 

(iii)

प्रत्येक मुद्रा की समग्र निवल स्थिति (I-II)
(कृपया प्रत्येक मुद्रा की समग्र निवल स्थिति की जानकारी दे)

 

(iv)

समग्र रूप से मुद्रा वार निवल स्थिति

 

III

मुख्य तथा संबद्ध कार्यकलाप तथा उनके स्थान

 

IV

बिक्री का क्षेत्र तथा बाज़ार शेयर

 

V

वित्तीय पहलू के ब्योरे जिसमें अन्य ऋणदाताओं के साथ सहमत/स्वीकृत महत्वपूर्ण वित्तीय समझौता यदि कोई हो तथा बैंक की आवश्यकता के अनुसार जहां कहीं लागू डीएससीआर अनुमान शामिल हैं ।

 

VI

वित्तपोषण करनेवाले बैंकों के भीतर/बाहर  परिचालित किये जा रहे सीआइडी खाते, यदि कोई हो

 

VII

सांविधिक प्राधिकारियों द्वारा मांग/उनकी वर्तमान स्थिति

 

VIII

अनिर्णीत मुकदमे

 

IX

वित्तपोषण करने वाले अन्य बैंकों के साथ सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए बैंक को प्राधिकृत करने वाली घोषणा ।

 


अनुबंध - II

बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत संशोधित फार्मेट
ऋण सूचना का आदान प्रदान

भाग - I
(कंपनी का बायो-डाटा)

I.उधारकर्ता पक्ष का नाम और पता  
II. संविधान  
III. निदेशकों/भागीदारों के नाम  

IV. कारोबारी गतिविधि

  • मुख्य
  • संबद्ध
 
V. वित्तपोषण करने वाले अन्य बैंकों के नाम  
VI. निदेशकों/भागीदारों की निवल मालियत  
VII. समूह संबंध, यदि कोई हो  
VIII. सहयोगी संस्थाओं के ब्योरे, यदि वे एक ही बैंक के साथ लेन-देन कर रही हों  
IX. पूर्ववर्ती रिपोर्ट की तुलना में शेयरधारिता तथा प्रबंधन में परिवर्तन, यदि कोई हो  

भाग - II
(ऋण गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक)

I. आइआरएसी वर्गीकरण

 

II. वर्णन के साथ आंतरिक क्रेडिट रेटिंग

 

III. बाहरी क्रेडिट रेटिंग, यदि कोई हो

 

IV. उधारकर्ता का अद्यतन उपलब्ध वार्षिक रिपोर्ट

दिनांक ---------- की स्थिति के अनुसार

भाग - III
(डेरिवेटिव के अलावा एक्सपोज़र ब्योरे)

(करोड़ रुपये में)

I. ऋण सुविधाओं का प्रकार, उदाहरणार्थ कार्यशील पूंजी ऋण/मांग ऋण/मीयादी ऋण/अल्पावधि ऋण/ विदेशी मुद्रा ऋण, कार्पोरेट ऋण/ऋण सहायता/ चैनेल वित्तपोषण, अनुषंगी सुविधाएं जैसे एलसी, बीजी तथा डीपीजी (आई और एफ) आदि । साख पत्र बिलों की भुनाई/ परियोजना-वार लिये गये वित्त के बारे में भी ब्योरे दें ।

 

II. ऋण का प्रयोजन

 

III. ऋण सुविधाओं की तारीख (अस्थायी सुविधाओं सहित)

 

IV. स्वीकृत राशि (सुविधा-वार)

 

V. शेष बकाया (सुविधा-वार)

 

VI. चुकौती की शर्तें

 

VII. दी गयी जमानत
    • प्राथमिक
    • संपाश्दिवक
    • व्यक्तिगत/कार्पोरेट गारंटियां
    • नकदी प्रवाह पर नियंत्रण की सीमा

 

VIII.मीयादी प्रतिबद्धताओं/पट्टा किराया/अन्य में चूक

 

IX. कोई अन्य विशेष जानकारी जैसे कि कोर्ट केस, सांविधिक देयराशियाँ, बड़ी चूक, आंतरिक/बाह्य लेखा परीक्षा की टिप्पणियां

 

भाग - IV
(एक्सपोज़र ब्योरे -डेरिवेटिव लेनदेन)

(करोड़ रुपये में)       

क्रम सं

डेरिवेटिव लेनदेन का स्वरूप

राष्ट्रीय करारों की राशि

करारें की सामान्य परिपक्वता

बैंको के लिए सकारात्मक एमटीएम की राशि

एनपीए के रूप में वर्गीकृत करारों की राशि

राष्ट्रीय करारों की बकाया राशि जिसकी पुनर्रचना की गयी

पुनर्रचना के कारण (संक्षिप्त)

प्लेन करार

 

 

 

 

 

 

1

फारेक्स फारवर्ड करार

 

 

 

 

 

 

2

स्वैप ब्याज दर

 

 

 

 

 

 

3

विदेशी मुद्रा विकल्प

 

 

 

 

 

 

4

कोई अन्य करार( विवरण दे)

 

 

 

 

 

 

मूल्य कटौती शून्य मूल्य के लिए बनाए गए विविध प्रकार के --- के साथ डेरिवेटिव करार

 

 

 

 

 

 

1

केवल ब्याज दर के डेरिवेटिव करार

 

 

 

 

 

 

2

विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव के साथ अन्य करार

 

 

 

 

 

 

3

अन्य कोई करार (स्पष्ट करे)

 

 

 

 

 

 

भाग V
उधारकर्ता के अप्रतिरक्षित विदेशी मुद्रा एक्सपोजर के  मुद्रा-वार ब्यारे

(करोड़ रुपये में)       

I

अल्पावधि एक्सपोज़र (एक वर्ष से कम)

 

दीर्घावधि स्थिति

 

अल्पावधि स्थिति

 

निवल अल्पावधि एक्सपोज़र (क-ख)

 

II

दीर्घावधि एक्सपोज़र (एक वर्ष से अधिक)

 

दीर्घावधि स्थिति

 

अल्पावधि स्थिति

 

निवल दीर्घावधि एक्सपोज़र (क-ख)

 

III

प्रत्येक मुद्रा की समग्र निवल स्थिति (I-II)
(कृपया प्रत्येक मुद्रा की समग्र निवल स्थिति की जानकारी दे)

 

IV

समग्र रूप से मुद्रा वार निवल स्थिति

 

भाग - VI
उधारकर्ता के साथ अनुभव

I. निधि सुविधाओं का परिचालन
(नकद प्रबंधन/अधिक आहरण की प्रवृत्ति पर आधारित)
 
II. अनुषंगी सुविधाओं का परिचालन
(भुगतान के पूर्ववृत्त पर आधारित)
 
III. वित्तीय समझौतों का अनुपालन  
IV. कंपनी की आंतरिक प्रणाली तथा कार्यपद्धति  
V. प्रबंधन की गुणवत्ता  
VI. समग्र मूल्यांकन  

(उपर्युक्त को अच्छा, संतोषजनक अथवा औसत से कम के रूप में ही निर्धारित किया जाए)
(*) इस शीर्ष के अंतर्गत टिप्पणियां शामिल करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश अगले पृष्ठ पर दिये गये हैं

भाग VII के अंतर्गत टिप्पणियाँ शामिल करने हेतु व्यापक दिशानिर्देश
ऋण सूचना रिपोर्ट का (अनुभव)

 

 

अच्छा

संतोषजनक

औसत से नीचे

I.

निधिक सुविधाओं का परिचालन

 

 

 

  • जमा से अधिक राशि का आहरण
(कितनी बार)

4 बार तक

5 से 6 बार

6 से अधिक बार

  • समायोजन की औसत अवधि

1 महीने के भीतर

2 महीने के भीतर

2 महीने से अधिक

  • जमा से अधिक राशि के आहरण की सीमा (ऋण सीमा का प्रतिशत)

10 प्रतिशत तक

10 से 20 प्रतिशत

20 प्रतिशत से अधिक

II.

अनुषंगी सुविधाओं का (डेरिवेटिव के अलावा)परिचालन

     
  • चूक की संख्या

2 बार तक

3 से 4 बाद

4 बार से अधिक

  • समायोजन की औसत अवधि

1 सप्ताह के भीतर

2 सप्ताह के भीतर

2 सप्ताह से अधिक

III

डेरिवेटिव लेनदेन का परिचालन

 

 

 

 

करारों की संख्या जहां बैंक को देय सकारात्मक एमटीएम मूल्य 30 दिनों से अधिक समय केलिए अतिदेय रहा।

करार की कुल संख्या के 25% से कम

करार की कुल संख्या के 25- 50%

करार की कुल संख्या के 50% से अधिक

 

करारों की संख्या जहां बैंक को देय सकारात्मक एमटीएम मूल्य 90 दिनों से अधिक समय केलिए अतिदेय रहा तथा खाते को एनपीए में वर्गीकृत करना पड़ा(बाद में नियमित करने पर सूचना देने की तारीख को एनपीए नहीं रहा)
टिप्पणी: एनपीए के रूप में वर्गीकृत तथा सूचना की तारीख तथा एनपीए रहने वाले 

करार की कुल संख्या के 1% से कम

करार की कुल संख्या के1-5%

करार की कुल संख्या के 5% से अधिक

 

संदर्भित अवधि में पुनर्रचित करारो की संख्या

करार की कुल संख्या के 25% से कम

करार की कुल संख्या के 25- 50%

करार की कुल संख्या के 50% से अधिक

IV.

वित्तीय समझौतों का अनुपालन

     
  • स्टाक विवरण / वित्तीय आंकड़े

समय पर

15 दिन तक विलंब

15 दिन से अधिक विलंब

  • ऋण भार सृजित करना

तुरंत

2 महीने तक विलंब

2 महीने से अधिक विलंब

V.

कंपनी की आंतरिक प्रणाली और कार्य प्रणाली

     
  • माल सूची प्रबंधन

पर्याप्त प्रणालियां है

पर्याप्त प्रणालियां हैं परंतु अनुपालन नहीं किया जाता है

पर्याप्त प्रणालियां नहीं हैं

  • प्राप्य राशियों का प्रबंधन 

-वही-

-वही-

वही

  • संसाधन का विनियोजन

-वही-

वही

-वही-

  • सूचना पर नियंत्रण

-वही-

वही

-वही-

VI.

प्रबंधन की गुणवत्ता

 

 

 

  • ईमानदारी

विश्वसनीय

प्रतिकूल कुछ नहीं

पिछले स्तंभों में श्रेणीबद्ध नहीं किया जा सकता

  • विशेषज्ञता क्षमता/वचनबद्धता

व्यावसायिक तथा भविष्यो मुखी

आवश्यक अनुभव है

- वही -

  • पिछला कार्यनिष्पादन रिकार्ड

समय पर

कार्यनिष्पादन

- वही-


अनुबंध III

सावधानी रिपोर्ट
प्रबंधक
--------------- (बैंक का नाम)

मैंने/हमने --------------------- को समाप्त छमाही की स्थिति के अनुसार ------------------------------- लिमिटेड, जिसका ------------------- में पंजीकृत कार्यालय है, के रजिस्टरों, अभिलेखों, बहियों और कागजातों की जांच की है, जिन्हें कंपनी अधिनियम 1956 (अधिनियम) तथा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों, कंपनी के बहिर्नियम और अंतर्नियम में उल्लिखित प्रावधानों विभिन्न कानूनों के यथाप्रयोज्य प्रावधानों तथा मान्यताप्राप्त शेयर बाजारों के साथ कंपनी ने यदि कोई सूचीबद्धता करार किया हो तो उसमें उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार रखा जाता है । मेरे/हमारे विचार में तथा मेरी/हमारी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार तथा मेरे/हमारे द्वारा की गयी जांच तथा कंपनी, उसके अधिकारियों और एजेंटों द्वारा मुझे/हमें दिये गये स्पष्टीकरण के अनुसार मैं/ंहम उपर्युक्त अवधि के संबंध में रिपोर्ट करते हैं कि

  1. (क) कंपनी का प्रबंधन निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित व्यक्ति हैं:
    (ख) समीक्षाधीन अवधि के दौरान निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं:

  2. (क) कंपनी की शेयरधारिता का स्वरूप निम्नानुसार है :
    (ख) समीक्षाधीन अवधि के दौरान निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं:

  3. कंपनी ने निम्नलिखित प्रावधानों में परिवर्तन किया:

    (i) समीक्षाधीन अवधि के दौरान संघ के ज्ञापन ं को बदला है तथा अधिनियम, के प्रावधानों का अनुपालन किया है ।
    (ii) समीक्षाधीन अवधि के दौरान संघ अनुच्छेद ं को बदला है तथा अधिनियम का अनुपालन किया है ।


  4. समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी ने नीचे दिए गए अनुसार उन व्यावसायिक संस्थाओं के साथ लेनदेन किया, जिनमें निदेशकों का हित निहित था ।

  5. समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी ने अपने निदेशकों को और/अथवा ऐसे व्यक्तियों या फर्मों या कंपनियों को ---------- रुपये का ऋण दिया है, गारंटी दी है और जमानत दी है, जिनमें निदेशकों का हित निहित था।

  6. समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी ने नीचे दिए गए अनुसार अन्य व्यावसायिक संस्थाओं को ऋण दिया है और उनमें निवेश किया है या गारंटी दी है या जमानत दी है।

  7. समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी द्वारा अपने निदेशकों, सदस्यों, वित्तीय संस्थाओं, बैंकों और अन्य से लिये गये उधार की राशि कंपनी की उधार सीमा के भीतर है । कंपनी के उधार का ब्यौरा नीचे दिए गए अनुसार हैं ।

  8. समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी ने जनता की जमाराशि या गैर-जमानती ऋणों की चुकौती में कोई चूक नहीं की है तथा कंपनी या उसके निदेशक भारतीय रिज़र्व बैंक के चूककर्ता सूची में या इसीजीसी की विशेष अनुमोदित सूची में नहीं हैं।

  9. समीक्षाधीन अवधि के दौरान कंपनी ने नीचें दिए गए अनुसार कंपनी की आस्तियों पर भार सृजित किया, संशोधित किया अथवा उनकी पूर्ति की ।

  10. कंपनी के विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र और विदेशी उधार नीचे दर्शाए गए अनुसार है ।

  11. कंपनी ने पात्र व्यक्तियों को प्रतिभूतियां जारी की हैं और आबंटित की हैं तथा संबंधित व्यक्तियों को इससे संबंधित पत्र, कूपन, वारंट और प्रमाणपत्र जारी किये हैं तथा अपने अधिमान शेयर/डिबेंचर छुड़ाये हैं (जहां लागू हो)और निर्धारित समय के भीतर अपने शेयर वापस खरीदे हैं ।

  12. कंपनी ने जमानती आस्तियों सहित अपनी सभी आस्तियों का बीमा कराया है ।

  13. कंपनी ने ऋण सुविधा लेने के समय तथा ऋण सुविधा चालू रहने के दौरान ऋण देनेवाले बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा निर्धारित निबंधन और शर्तों का अनुपालन किया है तथा बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से उधार ली गई निधि का उपयोग उन्हीं प्रयोजनों के लिए किया गया जिनके लिए उधार लिया गया था ।

  14. कंपनी ने कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के अनुसार लाभांश की घोषणा की है और अपने शेयरधारकों को उनका भुगतान किया है ।

  15. कंपनी ने अपनी सभी सांविधिक देय राशियों का भुगतान किया है तथा ऐसी देयताओं की कोई बकाया राशि नहीं है।

  16. कंपनी ने अपने अंतर-कंपनी ऋण और निवेश के संबंध में कंपनी अधिनियम की धारा 372 क में निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन किया है ।

  17. कंपनी ने भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा जारी लागू अनिवार्य लेखा मानकों का अनुपालन किया है ।

  18. कंपनी ने निर्धारित समय के भीतर निवेशक शिक्षा और सुरक्षा निधि में सभी अदत्त लाभांशों तथा ऐसी अन्य राशियों को जमा किया है, जिनके संबंध में ऐसी अपेक्षा की गयी है ।

  19. विभिन्न कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत आरोपित चूकों/अपराधों के लिए कंपनी के विरुद्ध आरंभ किये गये अभियोग या कंपनी को प्राप्त कारण बताओ नोटिसों तथा ऐसे मामलों में कंपनी पर लगाये जुर्माने और दंड अथवा कंपनी तथा/अथवा उसके निदेशकों के विरुद्ध प्रारंभ की गई कोई अन्य कार्रवाई के ब्योरे संलग्न हैं ।

  20. कंपनी ने जहां आवश्यक हो सूचीबद्धता करार के विविध प्रावधानों का अनुपालन किया है ।

  21. कंपनी ने भविष्य निधि में कर्मचारियों और नियोक्ता दोनों के अंशदान निर्धारित समय के भीतर निर्धारित प्राधिकारियों के पास जमा किये हैं ।

टिप्पणी : यदि कोई परिवर्तन सूचक, आपत्ति सूचक या प्रतिकूल टिप्पणी हो तो उसका ऊपर संबंधित पैराग्राफ के समक्ष स्पष्टत: उल्लेख किया जाए । 

स्थान :

हस्ताक्षर :

तारीख :

कंपनी सेक्रेटरी/फर्म का नाम :

 

 सी. पी. सं.

 
                   

भाग II

सनदी लेखाकारों /कंपनी
सेक्रेटरी/लागत लेखाकारों द्वारा उधार लेनेवाली कंपनियों का प्रमाणन

  1. बैंकों द्वारा स्टॉक की लेखा परीक्षा की विचारार्थ मदें स्पष्ट रूप में बतायी जानी चाहिए, ताकि सनदी लेखाकार ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

  2. यदि उधार दी गयी राशि के अंतिम उपयोग के सत्यापन को सांविधिक लेखा परीक्षक प्रमाणित करते हैं तो यह बैंकों के लिए अच्छा आश्वासन होगा।

  3. चूँकि बैंक अक्सर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के साथ कारोबार करते हैं, अत: एक विनिर्दिष्ट सीमा से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के संबंध में प्रकटीकरण अपेक्षाएँ सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू अपेक्षाओं के समान की जा सकती हैं। उदाहरण के लिए समेकित तुलनपत्र, खंड रिपोर्टिंग आदि। बड़ी शेयरधारिता के संबंध में सूचना भी उपयोगी होगी।

  4. इसके अलावा, सनदी लेखाकार या कंपनी सेक्रेटरी से निम्नलिखित अतिरिक्त प्रमाणन पर भी विचार किया जा सकता है :

    (क) चूककर्ता सूची (भा.रि.बैं/ईसीजीसी) /इरादतन चूककर्ता सूची आदि में कंपनी निदेशकों का नाम शामिल न होना।
    (ख) एक विनिर्दिष्ट उच्चतम सीमा से अधिक राशि वाले मुकदमों के ब्योरे ।
    (ग) कंपनी अधिनियम की धारा 372(क)के अनुपालन के संबंध में एक विनिर्दिष्ट प्रमाणपत्र, संभवत: कंपनी सेक्रेटरी से।
    (घ) कंपनी की आस्तियों के संबंध में ऋण भार के सृजन /परिवर्तन/संतुष्टि से संबंधित ब्यौरे, बीमा से संबंधित स्थिति, प्राप्त कारण बताओ नोटिस, लगाये गये जुर्माने और अर्थदंड के ब्यौरे।

  5. परिचालन की सुविधा की दृष्टि से यह सुझाव दिया जाता है कि लेखा परीक्षकों को प्रत्येक 3 वर्ष के बजाय प्रत्येक 5 वर्ष में बदला जाए।

  6. यदि समूह का टर्न ओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक हो तो संकेंद्रण से बचने के लिए समूह कंपनियाँ अलग-अलग सांविधिक/आंतरिक लेखा परीक्षक रख सकती हैं।

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