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अपरिचालित खातों में न्‍यूनतम शेष नहीं बनाए रखने पर दंडात्‍मक प्रभार लगाना

आरबीआई/2013-14/580
बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. सं. 109/13.03.00/2013-14

6 मई 2014

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय /महोदया

अपरिचालित खातों में न्‍यूनतम शेष नहीं बनाए रखने पर दंडात्‍मक प्रभार लगाना

कृपया 01 अप्रैल 2014 को घोषित प्रथम द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य, 2014-15 का भाग 'ख' देखें जिसमें ग्राहक सुरक्षा के लिए कतिपय उपायों का प्रस्‍ताव किया गया है, जैसे किसी अपरिचालित खाते में न्‍यूनतम शेष नहीं बनाए रखने के लिए दंडात्‍मक प्रभार नहीं लगाया जाना।

2. इस संबंध में आपका ध्‍यान 'बचत बैंक खातों में न्‍यूनतम शेष' पर 26 दिसंबर 2002 के हमारे परिपत्र बैंपविवि डीआईआर. बीसी. 53/13.10.00/2002-03 की ओर आकृष्‍ट किया जाता है जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे ग्राहकों को खाता खोलते समय ही बचत बैंक खातों में न्‍यूनतम शेष बनाए रखने की अपेक्षा तथा न्‍यूनतम शेष नहीं बनाए रखने की स्थिति में दंडात्‍मक प्रभार लगाए जाने के बारे में पारदर्शी तरीके से सूचित करें।

3. इसके अलावा, 'वित्‍तीय समावेशन –बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच – बुनियादी बचत बैंक जमा खाता' पर 10 अगस्‍त 2012 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 35/09.07.005/2012-13 के पैरा 3 के अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया था कि बुनियादी बचत बैंक जमा खातों (बीएसबीडीए) के अपरिचालन/सक्रिय करने के लिए किसी प्रकार का प्रभार नहीं लगाया जाना चाहिए।

4. यह सूचित किया जाता है कि अब से बैंकों को किसी अपरिचालित खाते में न्‍यूनतम शेष नहीं बनाए रखने के लिए किसी प्रकार का दंडात्‍मक प्रभार लगाने की अनुमति नहीं है।

भवदीय

(प्रकाश चंद्र साहू)
मुख्य महाप्रबंधक

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