प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋणों के संबंध में बैंकों द्वारा सेवा शुल्क और निरीक्षण शुल्क लगाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋणों के संबंध में बैंकों द्वारा सेवा शुल्क और निरीक्षण शुल्क लगाना
आरपीसीडी.योजना.बीसी.सं.53/04.09.01/2002-03 2002 20 दिसंबर 2002 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर) प्रिय महोदय/महोदया, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋणों के संबंध में बैंकों द्वारा सेवा शुल्क और निरीक्षण शुल्क लगाना बैंकों को जारी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण देने संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुसार (जैसा कि 11 नवंबर 2002 को प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण देने संबंधी मास्टर परिपत्र में पुन: प्रस्तुत किया गया है), स्वयं द्वारा किए गए उचित खर्च की प्रतिपूर्ति के अलावा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋणों पर कोई सेवा शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए। हालांकि, बैंक अपने द्वारा जारी ऋण संबंधी दिशा-निर्देशों में निर्दिष्ट तरीके से निरीक्षण शुल्क की वसूली कर सकते हैं। 2. प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों के संबंध में सेवा शुल्क और निरीक्षण शुल्क लगाने संबंधी मामले की हमने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के परामर्श से समीक्षा की है। यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों द्वारा रुपये 25,000/- तक के प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों पर कोई सेवा शुल्क अथवा निरीक्षण शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए। हालांकि, इस सीमा से अधिक के ऋणों के मामले में, बैंक अपने बोर्ड की पूर्व स्वीकृति के साथ परिपत्र सं. डीबीओडी. डीआईआर. बीसी. 86/03.01.00/99-2000 दिनांक 7 सितंबर 1999 के अनुसार सेवा शुल्क की राशि तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। 3. उपर्युक्त के मद्देनज़र, प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण देने पर दिनांक 11 नवंबर 2002 को जारी मास्टर परिपत्र (आरपीसीडी. संख्या योजना.बीसी. 42ए/04.09.01/2002-03) के पैराग्राफ IV.7 और IV.9 को तदनुसार संशोधित किया गया है। 4. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति सूचना दें। भवदीय |