विदेशी में चिकित्सीय इलाज़ के लिए विदेशी मुद्रा देने का उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी में चिकित्सीय इलाज़ के लिए विदेशी मुद्रा देने का उदारीकरण
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर.सिरीज) परिपत्र क्र. 17 सितम्बर 12, 2002 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया / महोदय विदेशी में चिकित्सीय इलाज़ के लिए प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 के जीएसआर 38।(E ) की अनुसूची 3 की मद सं. 9 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार उन्हें किसी भी निवासी को विदेश में इलाज के लिए, भारत के डॉक्टर अथवा अस्पताल / विदेशी डॉक्टर द्वारा दिए गए अनुमान के आधार पर विदेशी मुद्रा देने का अधिकार प्राप्त है । 2. निवासी द्वारा बिना किसी असुविधा और समय गंवाए बिना इलाज़ के लिए विदेशी मुद्रा प्राप्त करने हेतु अब यह निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी इलाज़ के लिए, भारत के डॉक्टर अथवा अस्पताल / विदेशी डॉक्टर द्वारा दिए गए अनुमान प्रस्तुत करने की मांग किए बिना 50 हजार अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य विदेशी मुद्रा तक की विदेशी मुद्रा दे सकते है । 3. तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी आवेदक की घोषणा के आधार पर कि वह विदेशी मुद्रा भारत से बाहर इलाज़ करने के लिए खरीद रहा है, के आधार पर 50 हजार अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य रकम के बराबर विदेशी मुद्रा दे सकते हैं बशर्ते कि विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए भुगतान चेक अथवा आवेदक के खाते में नामे डाल कर अथवा मांग ड्राफ्ट द्वारा किया जा रहा हो । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों दे दें । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीया ग्रेस कोशी |