निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना - रिपोर्टिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना - रिपोर्टिंग
भारिबैंक/2012-13/504 23 मई 2013 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना - रिपोर्टिंग प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 4 अप्रैल 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.36 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों द्वारा उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत प्राप्त आवेदन पत्रों की संख्या तथा विप्रेषित कुल राशि से सबंधित जानकारी, मासिक आधार पर, विनिर्दिष्ट फार्मेट में (हार्ड प्रति और एक्सेल फार्मेट में साफ्ट प्रति) प्रस्तुत करनी आवश्यक थी। सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि उक्त मासिक विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुवर्ती माह की 5 तारीख से पहले प्रस्तुत किए जाएं। 2. अक्तूबर 2008 से, प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को उदारीकृत विप्रेषण योजना संबंधी डाटा (LRS data) रिज़र्व बैंक को हार्ड प्रति में प्रस्तुत करने के अतिरिक्त, आनलाइन रिटर्न्स फाइलिंग सिस्टम (ORFS) के जरिये भी प्रस्तुत करना आवश्यक था। 3. अब यह निर्णय लिया गया है कि डाटा केवल साफ्ट फार्म में प्राप्त किया जाए और प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा मासिक विवरण के रूप में हार्ड प्रतियों की प्रस्तुति समाप्त कर दी जाए। तदनुसार, 01 जुलाई 2013 से, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को आगामी माह की 5 तारीख तक अथवा उससे पहले आनलाइन रिटर्नस् फाइलिंग सिस्टम (ORFS) में डाटा (जून 2013 का एलआरएस डाटा) अपलोड करना आवश्यक है। प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि जब प्रस्तुत करने के लिए कोई डाटा न हो तो आनलाइन रिटर्नस् फाइलिंग सिस्टम (ORFS) में 'कुछ नहीं' आंकड़े अपलोड किये जाएं। 4. प्राधिकृत व्यापारी बैंक एलआरएस डाटा पहले की भांति यूआरएल https://secweb.rbi.org.in/ORFSMainWeb के जरिये आनलाइन रिटर्न्स फाइलिंग सिस्टम (ORFS) से अपलोड कर सकते हैं। 5. यदि किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपने प्रश्न e-mail के जरिये अथवा फोन नंबर 22601000, एक्स्टेंशन: 2676 अथवा 22701232 (सीधी लाइन) पर संपर्क कर सकते हैं। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |