निवासी व्यक्तियों के लिए 25,000 अमरीकी डॉलर की उदारीकृत प्रेषण योजना - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवासी व्यक्तियों के लिए 25,000 अमरीकी डॉलर की उदारीकृत प्रेषण योजना
भारिबैंक/2004/39 एपी(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 64 4 फरवरी 2004 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, निवासी व्यक्तियों के लिए 25,000 अमरीकी डॉलर की जैसा कि आप जानते हैं, हम देश की समष्टि आर्थिक विकास का बहुत ही सूक्ष्म रूप से अनुप्रवर्तन करते रहे हैं और इस बदलते परिदृष्य के परिप्रेक्ष्य में उपयुक्त नीति की शुरूवात करते रहे हैं। निवासियों को उपलब्ध विदेशी मुद्रा की सुविधाओं को और अधिक सरल और उदारीकृत बनाने के अगले चरण के रूप में निर्णय किया गया है कि निवासी व्यक्ति प्रति कैलेंडर वर्ष किसी भी प्रयोजन के लिए 25,000 अमरीकी डॉलर स्वतंत्रतापूर्वक प्रेषित कर सकते हैं जिसके लिए निम्नलिखित योजना बनाई गई है : 1. पात्रता सभी निवासी व्यक्ति इस योजना के अंतर्गत सुविधा लेने के पात्र हैं। यह सुविधा कंपनियों, साझेदारी फर्मों, हिंदू अविभाजित परिवारों, न्यासों आदि के लिए उपलब्ध नहीं होगी। 3. प्रयोजन 3.1 यह सुविधा कैलेंडर वर्ष के दौरान चालू अथवा पूंजी खाता लेनदेन अथवा दोनों के मिश्रण कार्यों के लिए 25,000 अमरीकी डॉलर तक के प्रेषण के लिए उपलब्ध रहेगी। 3.2 इस सुविधा के अंतर्गत, निवासी व्यक्ति रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना भारत से बाहर अचल संपत्ति अथवा शेयर अथवा कोई अन्य परिसंपत्ति अभिगृहीत और धारित करने के लिए स्वतंत्र रहेगा। व्यक्ति इस योजना के अंतर्गत रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना प्रेषण भेजने के लिए भारत से बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोल सकेगा, अनुरक्षित कर सकेगा और धारित कर सकेगा। विदेशी मुद्रा खाते का उपयोग इस योजना के अंतर्गत पात्र प्रेषणों से संबंधित सभी किस्म के लेनदेन को अंजाम देने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। 3.3 यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इस योजना के अंतर्गत यह सुविधा निजी यात्रा, कारोबार यात्रा, उपहार प्रेषणों, दान, अध्ययन, चिकिकत्सीय इलाज, आदि के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 (परिशिष्ट आ) की अनुसूची III में वर्णित उपलब्ध सुविधाओं के अलावा है। (i) अनुसूची I के अंतर्गत विशेष रूप से निषिद्ध किसी भी प्रयोजन के लिए प्रेषण (जैसे लॉटरी टिकट की खरीद/ जुए में दांव लगाने, निषिद्ध पत्रिकाओं की खरीद, आदि) अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 (परिशिष्ट आ) की अनुसूची II के अंतर्गत प्रतिबंधित कोई भी मद। (ii) भूटान, नेपाल, मॉरिशियस आविा पाकिस्तान को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया प्रेषण। (iii) वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा "गैर सहकारी देश और क्षेत्र" अभिनिर्धारित देश जैसे कूक द्वीप, इजिप्त, गुवातेमाला, इंडोनेशिया, म्यानमार, नौरू, नैजेया, फिलिप्पाइन्स और युक्रेन को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया प्रेषण। (iv) आतंकवादी गतिविधियों के लिए विशिष्ट रूप से जोखिम उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों और सत्ताओं को जैसा कि अलग से रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को सूचित, को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया प्रेषण। 4. प्रेषण प्रक्रिया प्रेषक से अपेक्षित अनुपालन 4.1 इस सुविधा का उपयोग करने के लिए व्यक्ति को किसी प्राधिकृत व्यापारी की शाखा को नामित करना होगा जिसके माध्यम से इस योजना के अंतर्गत सभी प्रेषण किए जाएंगे। 4.2 प्रेषण भेजने का इच्छुक निवासी व्यक्ति परिशिष्ट-अ में दिए गए आवेदन पत्र व घोषणा पत्र के प्ररूप में, प्रेषण के प्रयोजन के संबंध में और यह घोषणा कि निधि प्रेषक की ही है और इनका उपयोग ऊपर वर्णित प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा। प्राधिकृत व्यापारियों से अपेक्षित अनुपालन 4.3 निवासी व्यक्तियों को सुविधा की अनुमति देते समय प्राधिकृत व्यापारी से अपेक्षित है कि वे यह सुनिश्चित करें कि इन खातों के संबंध में "नो युआ कस्टमर" दिशानिदेशों का कार्यान्वयन किया गया है। इस सुविधा की अनुमति देने से पहले वे मनी ऑण्डरिडग प्रतिरोधी नियमों का अनुपालन करेंगे। 4.4 आवेदक प्रेषण भेजने से पहले कम से कम एक साल तक बैंक खाता अनुरक्षित करेंगे। यदि प्रेषण करने का इच्छुक आवेदक बैंक का नया ग्राहक है तो प्राधिकृत व्यापारी खाता खोलने, परिचालन और उनके अनुरक्षण के बारे में अपेक्षित सावधानी बरतें। इसके अतिरिक्त प्राधिकृत व्यापारी आवेदक से पिछले वर्ष का बैंक विवरण प्राप्त करें ताकि वे निधियों के ॉााटत के बारे में अपने आप को संतुष्ट कर सकें। यदि इस प्रकार का बैंक विवरण उपलब्ध न हो तो अंतिम आयकर निर्धारण आदेश अथवा उसके लिए दाखिल विवरणी की प्रतिलिपि प्राप्त की जाए। 4.5 प्राधिकृत व्यापारी सुनिश्चित करें कि प्रेषण करने का इच्ठुक व्यक्ति से संबंधित निधि आवेदक के बैंक खाते पर आहरित चेक क्षरा अथवा उसके खाते में नामे द्वारा अथवा मांग ड्राफट/ भुगतान आदेश द्वारा प्राप्त किया जाए। 4.6 प्राधिकृत व्यापारी प्रमाणित करें कि प्रेषण प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपात्र सत्ता द्वारा / या का नहीं किया जा रहा है और यह कि इस में दिए गए अनुदेशों के अनुसार किया गया है। 5. लेनदेन की सूचना देना इस योजना के अतर्गत किए गए प्रेषणों की सूचना सामान्य तरीके से आर-विविरणी में दी जाए। प्राधिकृत व्यापारी 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक के प्रेषणों के संबंध में डमी फार्म ए2 में अभिलेख तैयार करें और रखें, प्राधिकृत व्यापारी निमही आधार पर आवेदकों की संख्या और उनके द्वारा भेजी गई कुल राशि की जानकारी मुख्य महाप्रबंधक, बाह्य भुगतान प्रभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को भेजने की व्यवस्ता करें। 6. संगत विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन और फेमा, 1999 के बंतर्गत जारी संगत अधिसूचनाएं अलग से जारी किए जा रहे हैं। 7. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें। 8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय ग्रेस कोशी संलग्नक : यथोक्त |