एकल / सामूहिक उधारकर्ताओं को ऋण आदि जोखिम संबंधी सीमाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
एकल / सामूहिक उधारकर्ताओं को ऋण आदि जोखिम संबंधी सीमाएं
एकल / सामूहिक उधारकर्ताओं को ऋण आदि जोखिम संबंधी सीमाएं
संदर्भ : बैंपविवि. सं. बीसी. 47 /21.03.54 /2001-02
22 नवंबर 2001
01 अग्रहायण 1923 (शक)
सभी वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
एकल / सामूहिक उधारकर्ताओं को ऋण आदि जोखिम संबंधी सीमाएं
कृपया आप ऋण आदि जोखिम संबंधी मानदंडों पर 17 जुलाई 2000 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 4/134.03.00/2000-2001 का पैरा 2.3.1 देखें, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि ऋण आदि जोखिम (एक्सपोज़र) की उच्चतम सीमा निर्धारित करने के लिए पूंजीगत निधियों में पिछले वर्ष की 31 मार्च की स्थिति के प्रकाशित लेखों के अनुसार प्रदत्त पूंजी और मुक्त प्रारक्षित निधियां शामिल होंगी । ऋण आदि जोखिम संबंधी मानदंडों पर 2 मई 2001 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 116/ 21.04.048/ 2000-2001 के पैरा 2(क) के अनुसार पूंजीगत निधियों की संकल्पना को व्यापक बनाया गया है, ताकि 31 मार्च 2002 से लागू पूंजी पर्याप्तता मानकों (स्तर 1 और 2 की पूंजी) के अंतर्गत परिभाषित कुल पूंजी को शामिल किया जा सके ।
2. बैंकों से हमें इस बात के अभिवेदन प्राप्त हो रहे हैं कि पिछले वर्ष के अंत की स्थिति के अनुसार पूंजीगत निधियों की गणना करने से ऋण आदि जोखिम संबंधी उच्चतम सीमा निर्धारित करने के लिए तुलन-पत्र की तारीख के बाद जुटायी गयी पूंजी / दीर्घावधि संसाधनों के लाभ उन्हें नहीं मिल पाते ।
3. इस संबंध में स्थिति की जांच की गयी है और यह निर्णय किया गया है कि तुलन-पत्र के प्रकाशन की तारीख के बाद देशी निर्गम या विदेश में निर्गम के माध्यम से पूंजी की वृद्धि को ऋण आदि जोखिम संबंधी उच्चतम सीमायें निर्धारित करने के लिए हिसाब में लिया जायेगा । बैंकों को ऊपर किये गये उल्लेख के अनुसार की गयी बढ़ोतरी की गणना करने के पहले पूंजी की अभिवृद्धि को पूरा करने के संबंध में हमें एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा । बैंकों को सूचित किया जाता है कि तिमाही लाभों आदि के रूप में पूंजीगत निधियों में होने वाली अन्य अनुवृद्धि ऋण आदि जोखिम संबंधी उच्चतम सीमा निर्धारित करने के लिए गणना हेतु पात्र नहीं होगी । बैंकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी भावी तारीख को पूंजी की वृद्धि की प्रत्याशा में निर्धारित उच्चतम सीमा से अधिक ऋण आदि जोखिम नहीं लेते ।
भवदीय
(एम. आर. श्रीनिवासन)
प्रभारी मुख्य महा प्रबंधक