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चलनिधि समायोजन सुविधा - रिपो के अंतर्गत राज्य विकास ऋणों को स्वीकार करना

आरबीआई/2006-07/298
एफएमडी.एमओएजी. सं. 13/01.01.01/2006-07

30 मार्च 2007

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
और प्राथमिक व्यापारी

प्रिय महोदय,

चलनिधि समायोजन सुविधा - रिपो के अंतर्गत राज्य विकास ऋणों को स्वीकार करना

18 अप्रैल 2006 को घोषित वर्ष 2006-07 के वार्षिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के पैरा 133 के अनुसार चलनिधि समायोजन सुविधा - रिपो के अंतर्गत 3 अप्रैल 2007 से राज्य विकास ऋण पात्र प्रतिभूति के लिए योग्य होंगे। पीडीओ-एन डी एस के एल ए एफ - सब मॉड्यूल में 3 अप्रैल 2007 से निम्नलिखित परिवर्तन प्रभावी होंगे।

1.1 पीडीओ-एनडीएस के कारण अब अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) और प्राथमिक व्यापारी एलएएफ - रिपो के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को राज्य विकास ऋणों को पात्र प्रतिभूतियों के रूप में प्रस्तुत कर सकेंगे। राज्य विकास ऋणों के मामले में 10 प्रतिशत का मार्जिन लागू किया जाएगा अर्थात 100 रुपये की रिपो संबंधी बोली 110 रुपये (अंकित मूल्य) के राज्य विकास ऋणों द्वारा समर्थित होगी। यदि कोई सदस्य केद्र सरकार की प्रतिभूतियाँ/खज़ाना बिल और राज्य विकास ऋण सम्मिलित रूप से प्रस्तुत करेगा तो आरसी एसजीएल खाते में उपलब्ध केद्र सरकार की प्रतिभूतियों और खज़ाना बिलों की गणना सबसे पहले की जाएगी (पाँच प्रतिशत मार्जिन सहित) और उसके बाद शेष राशि आरसी एसजीएल खाते में उपलब्ध राज्य सरकार ऋणों से पूरी की जाएगी (10 प्रतिशत मार्जिन सहित)—

1.2. कोई सदस्य एसजीएल खाते से प्रतिभूतियों का आरसी एसजीएल खाते में अंतरण तथा आरसी एसजीएल खाते से एसजीएल खाते में अंतरण लोक लेखा विभाग (प्रतिभूति अनुभाग) का अनुमोदन प्राप्त किए बिना, एलएएफ मॉड्यूल में आर सी अंतरण या आर सी आहरण के ज़रिए (अंतरण आदेश बुकिंग पद्धति के अंतर्गत) कर सकता है। इसे दृष्टिगत रखते हुए आर सी अंतरण या आर सी आहरण संपादित करने के लिए अब सदस्यों को भौतिक एसजीएल फार्म लोक लेखा विभाग (प्रतिभूति अनुभाग) को फैक्स करने की आवश्यकता नहीं होगी। तथापि, आरसी एसजीएल खाते में उपलब्ध शेष राशि का उपयोग चलनिधि समायोजन संविधा के अलावा किसी अन्य लेनदेन के लिए नहीं किया जा सकेगा, जैसा कि अब तक होता रहा है।

1.3. रिपो संबंधी लेनदेन के तात्कालिक चरण के लिए जिन सदस्यों के पास आरसी एसजीएल खाते में अपर्याप्त प्रतिभूतियाँ उपलब्ध होंगी, उन्हें पीडीओ एनडीएस पर एक संदेश प्राप्त होगा जिसके द्वारा उन्हें कमी के बारे में सावधान किया जाएगा। उस कमी को बोली के बंद होने के पंद्रह मिनट के भीतर पूरा किया जाना होगा। ऐसा न करने पर संबंधित बोली अस्वीकृत की जा सकती है।

2. चलनिधि समायोजन सुविधा के संबंध में 27 अक्तूबर 2004 के हमारे परिपत्र आईडीएमडी. ओएमओ.सं. 7/03.75.00/2004-05, 10 फरवरी 2006 के परिपत्र एफएमडी. एमओएजी सं. 4/01.01.01/2005-06 और 2 मार्च 2007 के परिपत्र एफएमडी. एमओएजी सं. 12/ 01.01.01/ 2006-07 द्वारा अधिसूचित सभी अन्य शर्तें यथावत् जारी रहेंगी।

भवदीय,

(चंदन सिन्हा)
मुख्य महाप्रबंधक

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