निवासी व्यक्तियों द्वारा घनिष्ठ अनिवासी भारतीय संबंधियों/रिश्तेदारों को रुपए में ऋण देना - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवासी व्यक्तियों द्वारा घनिष्ठ अनिवासी भारतीय संबंधियों/रिश्तेदारों को रुपए में ऋण देना
भारिबैंक/2011-12/180 16 सितंबर 2011 विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक महोदया/महोदय, निवासी व्यक्तियों द्वारा घनिष्ठ अनिवासी भारतीय संबंधियों/रिश्तेदारों को रुपए में ऋण देना प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना स. फेमा 4/2000 अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली,2000, समय समय पर यथा संशोधित की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार भारत में प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी भारतीयों को रुपए में उधार दे सकते हैं । 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत व्यक्तियों को सुलभ सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि निवासी व्यक्तियों को उनके घनिष्ठ अनिवासी भारतीय संबंधियों/रिश्तेदारों (जैसा कि कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में परिभाषित है ) को किसी निजी प्रयोजन या कृषि/प्लांटेशन या रियल इस्टेट या पुन: उधार देने संबंधी गतिविधियों से भिन्न गतिविधियों के लिए रुपए में उधार देने की आम मंजूरी प्रदान की जा सकती है । 3. मौजूदा स्थिति की समीक्षा की गयी है और यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्ति को अपने घनिष्ठ रिश्तेदार (कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित रिश्तेदार) अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति को रेखित(क्रास) चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण के मार्फत उधार देने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के तहत दी जाए:- (i) ऋण ब्याज मुक्त है तथा ऋण की न्यूनतम परिपक्वता/अदायगी अवधि एक वर्ष है; (ए) चिट फंड के कारोबार, या स्पष्टीकरण: उपर्युक्त मद सं. (सी) के प्रयोजन के लिए, रियल इस्टेट कारोबार में टाउनशिप का विकास, आवासीय/कमर्शियल परिसर, सडक तथा पुलों का निर्माण शामिल नहीं होगा । (v) ऋण राशि अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्ति के एनआरओ खाते में जमा की जाए । ऐसी ऋण राशि को एनआरओ खाते में जमा होने योग्य राशि माना जाए; 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2000 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 के संबंध में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |