छूट प्राप्त श्रेणियों के संबंध में आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
छूट प्राप्त श्रेणियों के संबंध में आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना
आरबीआइ / 2006-07/332
संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी. 84/12.01.001/2006-07
20 अप्रैल 2007
30 चैत्र 1929 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
छूट प्राप्त श्रेणियों के संबंध में आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना
कृपया उपर्युक्त विषय पर 1 मार्च 2007 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2006-2007/270 बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 64/12.01.001/2006-2007 देखें । भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम की धारा 3 के 1 अप्रैल 2007 से लागू होने से संबंधित अधिसूचना के फलस्वरूप कुल मांग और मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत की सांविधिक न्यूनतम सीआरआर अपेक्षा समाप्त हो गयी है । यह निर्णय लिया गया है कि 1 अप्रैल 2007 से उपर्युक्त परिपत्र में तदनुसार संशोधन किया जाए । अत:, 1 अप्रैल 2007 से प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्य बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) के अंतर्गत की गयी गणना के अनुसार निम्नलिखित देयताओं पर औसत सीआरआर बनाए रखने से छूट दी जाएगी ।
(i) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) के अंतर्गत की गयी गणना के अनुसार भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं;
(ii) एसीयू (अमरीकी डालर) खातों में जमा शेष;
(iii) भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआइएल) के साथ संपार्श्विकृत उधार लेने और ऋण देने के दायित्व (सीबीएलओ) संबंधी लेनदेन; और
(iv) उनकी अपतटीय बैंकिंग इकाइयों (ओबीयू) के संबंध में मांग और मीयादी देयताएं
2. 20 अप्रैल 2007 की संबंधित अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 85/12.01.001/ 2006-07 की प्रति संलग्न है ।
कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीया
(मालविका सिन्हा)
महाप्रबंधक
बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 85/12.01.001/2006-07
20 अप्रैल 2007
30 चैत्र 1929 (शक)
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 3 के 1 अप्रैल 2007 से लागू होने से संबंधित अधिसूचना के फलस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 की उप धारा (1) में किए गए संशोधन लागू हो गये हैं । तदनुसार, अनुसूचित वाणिज्य बैंक के संबंध में कुल मांग तथा मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत की सांविधिक न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात अपेक्षा 1 अप्रैल 2007 से समाप्त हो गयी है । अत: यह निर्णय लिया गया है कि 1 मार्च 2007 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. बीसी. 63/12.01.001/2006-07 के परिचालन में 1 अप्रैल 2007 से तदनुसार संशोधन किया जाए । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 42 की उप-धारा (7) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्य बैंक को 1 अप्रैल 2007 से निम्नलिखित देयताओं पर आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखने से छूट देता है :
i. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप धारा (1) के स्पष्टीकरण के खंड (घ) के अंतर्गत की गयी गणना के अनुसार भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं;ii. एसीयू (अमरीकी डालर) खातों में जमा शेष;
iii. भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआइएल) के साथ संपार्श्विकृत उधार लेने और ऋण देने के दायित्व (सीबीएलओ) संबंधी लेनदेन; और
iv. उनकी अपतटीय बैंकिंग इकाइयों (ओबीयू) के संबंध में मांग और मीयादी देयताएं
(आनन्द सिन्हा)
कार्यपालक निदेशक