भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) - आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) - आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखना
आरबीआइ/2006-07/339
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी सं. 75/07.02.01/2006-07
24 अप्रैल 2007
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक
महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) - आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाए रखना
कृपया उपर्युक्त विषय पर 2 मार्च 2007 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2006-2007/276 ग्राआऋवि. आरएफ.बीसी.54/07.02.01/2006-07 तथा 4 अप्रैल 2007 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2006-07/307 ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं. 64/07.02.01/2006-07 देखें । भारत सरकार ने 9 मार्च 2007 की अपनी असाधारण राजपत्र अधिसूचना सं. एस. ओ. 337 (ई) में 1 अप्रैल 2007 को भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 3 के प्रावधान लागू होने की तारीख के रूप में अधिसूचित किया है । भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 3 के प्रावधान लागू होने के परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) में किया गया संशोधन 1 अप्रैल 2007 से लागू हो गया है । तदनुसार, कुल मांग तथा मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत की सांविधिक न्यूनतम सीआरआर अपेक्षा उपर्युक्त अधिसूचित तारीख से समाप्त हो गयी है । भारतीय रिज़र्व बैंक देश में मौद्रिक स्थिरता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों के लिए किसी न्यूनतम दर अथवा उच्चतर दर के बिना ही सीआरआर निर्धारित कर सकता है।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय किया गया है कि अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों द्वारा बनाए रखी जानेवाली सीआरआर की दर तथा वर्तमान छूटों के संबंध में यथास्थिति जारी रखी जाए जो भावी परिवर्तन की अधिसूचना तक लागू रहेगी । तदनुसार अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक 24 अप्रैल 2007 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरएफ.बीसी.सं. 77/07.02.01/2006-07 में दर्शाई गई छूट के अधीन नीचे दिए गए पखवाड़ों से अपनी कुल मांग तथा मीयादी देयताओं पर सीआरआर बनाए रखना जारी रखेंगे :
लागू होने की तारीख |
निवल मांग तथा |
14 अप्रैल 2007 |
6.25 |
28 अप्रैल 2007 |
6.50 |
3. इसके साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 3 के लागू होने के परिप्रेक्ष्य में, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1ख) 1 अप्रैल 2007 से निकाल दी गई है । उक्त संशोधन के अनुरूप तथा हमारे 2 मार्च 2007 के परिपत्र आरबीआइ/2006-2007/276 ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.54/07.02.01/ 2006-07 और 4 अप्रैल 2007 के परिपत्र आरबीआइ/2006-07/307 ग्राआऋवि. केंका.आरएफ.बीसी.सं.64/07.02.01/2006-07 का आंशिक संशोधन करते हुए यह निर्णय किया गया है कि 31 मार्च 2007 से आरंभ होनेवाले पखवाड़े से भारतीय रिज़र्व बैंक अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों द्वारा बनाए रखे जानेवाले सीआरआर शेषों पर कोई ब्याज भुगतान नहीं करेगा ।
4. 24 अप्रैल 2007 की संबंधित अधिसूचना ग्राआऋवि. केंका.आरएफ.बीसी.सं.74/ 07.02.01/2006-07 की प्रतिलिपि संलग्न है ।
कृपया प्राप्ति-सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें ।
भवदीय
(के. भट्टाचार्य)
महाप्रबंधक
अनु 1
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी सं. 74/07.02.01/2006-07 24 अप्रैल 2007
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा (3) की अधिसूचना के फलस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 42 की उप धारा (1) में किए गए संशोधन 1 अप्रैल 2007 से लागू हो गये हैं । तदनुसार, अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों के संबंध में कुल मांग तथा मीयादी देयताओं के 3 प्रतिशत की न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात की अपेक्षा 1 अप्रैल 2007 से समाप्त हो गई है । यह निर्णय किया गया है कि 4 अप्रैल 2007 की अधिसूचना ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं. 65/07.02.01/2006-07 के परिचालन में तदनुसार संशोधन किया जाए । इसके अलावा, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की संशोधित उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा यह अधिसूचित करता है कि 24 अप्रैल 2007 की अधिसूचना सं. ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.76/07.02.01/2006-2007 में दी गई छूटों के अधीन प्रत्येक अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक 14 अप्रैल 2007 से आरंभ होनेवाले पखवाड़े से 6.25 प्रतिशत तथा 28 अप्रैल 2007 से आरंभ होनेवाले पखवाड़े से 6.50 प्रतिशत आरक्षित नकदी निधि अनुपात बनाये रखना जारी रखें ।
(वी.एस.दास)
कार्यपालक निदेशक