विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) द्वारा नकदी खंड में लेनदेन के लिए संपार्श्विक (कोलेट्रल) बनाये रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) द्वारा नकदी खंड में लेनदेन के लिए संपार्श्विक (कोलेट्रल) बनाये रखना
भारिबैंक/2009-10/393 12 अप्रैल 2010 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदय/महोदया विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) द्वारा नकदी खंड में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली, 2004 और 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर से किसी निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली, 2000 और 28 जुलाई 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.4 की ओर आकर्षित किया जाता है । 2. वर्तमान में, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) को डेरिवेटिव खंड में उनके लेनदेनों के लिए नकद और भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर संपार्श्विक के रूप में ' एएए ' रेटिंग वाली विदेशी सरकारी प्रतिभूतियों के प्रस्ताव के लिए अनुमति दी गयी है । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मौजूदा मानदंडों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) को बाजार के नकदी खंड में उनके लेनदेनों के लिए संपार्श्विक रखना आवश्यक है । भारत सरकार और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ परामर्श करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) को देशी सरकारी प्रतिभूतियों का प्रस्ताव देने की अनुमति दी जाए (समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी की सारणी 5 के प्रावधानों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा अधिगृहीत और समय समय पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनिर्दिष्ट समग्र सीमाओं की शर्त पर; 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वर्तमान सीमा के कारण), और बाजार के नकदी खंड में उनके लेनदेनों के लिए नकद के अतिरिक्त, भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर संपार्श्विक के रूप में ' एएए ' रेटिंग वाली विदेशी सरकारी प्रतिभूतियों के प्रस्ताव के लिए अनुमति दी जाए । तथापि, बाजार के नकदी और डेरिवेटिव खंडों के बीच सरकारी प्रतिभूतियों की क्रॉस मार्जिनिंग ( विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बाजार के नकदी खंड में उनके लेनदेनों के लिए मार्जिन के रूप में रखा गया ) की अनुमति नहीं दी जाएगी । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा इस संबंध में परिचालनात्मक दिशा-निर्देश अलग से जारी किये जाएंगे । 3. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइएस) के लिए डेरिवेटिव खंड में लेनदेनों के लिए संपार्श्विक पर मौजूदा दिशा-निर्देश यथावत् रहेंगे । 4. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर से किसी निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जाएंगे । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |