सरकारी खातों का रखरखाव - विलंबित धन प्रेषणों पर ब्याज की वसूली (भारत सरकार के लेनदेन) - आरबीआई - Reserve Bank of India
सरकारी खातों का रखरखाव - विलंबित धन प्रेषणों पर ब्याज की वसूली (भारत सरकार के लेनदेन)
आरबीआई./2005-2005/431 25 अप्रैल 2005 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ प्रबंध निदेशक प्रिय महोदय, सरकारी खातों का रखरखाव - विलंबित धन प्रेषणों पर ब्याज की वसूली (भारत सरकार के लेनदेन) सरकारी प्राप्तियों /राजस्व की वसूली की धनराशि को सीएएस, भारिबैं, नागपुर में सरकारी खाते में जमा करने हेतु भेजने की वर्तमान प्रक्रिया की भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति द्वारा समीक्षा की गई है। समिति में सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा कुछ चुनिंदा सरकारी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं। समिति की सिफारिशों के आधार पर निम्नलिखित निर्णय लिए गए हैं: 1) सरकारी राजस्व भेजने के लिए स्वीकार्य अवधि ए) स्थानीय लेनदेन – जहां कहीं भी वसूलीकर्ता शाखा और फोकल प्वाइंट शाखा एक ही शहर/संकुल में हो तो सीएएस, भारिबैं., नागपुर के साथ लेनदेन का निपटान टी+3 कार्य दिवस में किया जाएगा। (टी का अर्थ उस दिन से है जिस दिन शाखा में धन उपलब्ध हो)। कार्य दिवस की गणना के लिए भारिबैं कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाएगा। बी) बाहरी लेनदेन – जहां कहीं भी वसूलीकर्ता शाखा और फोकल प्वाइंट शाखा एक ही शहर/संकुल में नहीं है, वहाँ सीएएस, भारिबैं, नागपुर के साथ लेनदेन का निपटान टी +5 कार्यदिवस में किया जाएगा। (टी का अर्थ उस दिन से है जिस दिन शाखा में धन उपलब्ध हो)। कार्य दिवस की गणना के लिए भारिबैं कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाएगा। 2) विलंबित धन-प्रेषण पर ब्याज – “विलंबित अवधि ब्याज“ ए) कुल राशि, जो समय पर प्रेषित नहीं की गई तथा उसपर जुर्माना देय है, की सूचना संबंधित मंत्रालय/विभाग द्वारा प्रत्येक मामले के ब्यौरे के साथ संबंधित बैंक के प्रधान कार्यालय को तिमाही आधार पर तिमाही के बाद अगले महीने की 15 तारीख तक दी जाएगी। इस प्रयोजन से विलंब अवधि की गणना प्राप्तकर्ता शाखा में संग्रहण की प्राप्ति तारीख से (बैंक में धन की वास्तविक वसूली) भारिबैं., सीएएस, नागपुर में सरकार के खाते में जमा करने हेतु रिपोर्ट की जाने वाली तारीख तक की जाएगी। बी) जुर्माना लगाए जाने वाले प्रभार की बैंक दर +2% की प्रणाली जारी रहेगी। अबसे इस प्रकार को “विलंबित अवधि ब्याज” कहा जाएगा। सी) वित्त मंत्रालय की विभिन्न जमा योजनाओं के लिए अनुमत धन-प्रेषण अवधि अथवा जुर्माना प्रभार में कोई परिवर्तन नहीं होगा। डी) विलंबित अवधि का ब्याज बैंकों से वसूला जाएगा, भले ही राशि कितनी भी हो। 3. दूभर क्षेत्रों के संबंध में अथवा ऐसे मामले जो बैंकों के नियंत्रण से बाहर थे, की अनुमत आवधि में छूट दिए जाने हेतु प्रत्येक मामले को संबंधित मंत्रालय/ विभाग के माध्यम से लेखा नियंत्रक कार्यालय को भेजे जाएं जैसाकि अब तक किया जाता रहा है। 4. इसमें दिए गए अनुदेश हमारे पूर्व सभी अनुदेशों को अधिक्रमित करते हैं। 5. संशोधित अनुदेश 01.05.2005 से प्रभावी होंगे। ये अनुदेश निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू नहीं हैं। 6. उपर्युक्त अनुदेश ओलटास के अंतर्गत किए गए लेनदेन पर लागू नहीं होंगे। इस संबंध में 1 अप्रैल, 2005 को हमारे परिपत्र सं. भारिबैं./2005/411 द्वारा पहले ही जारी किए जा चुके हैं । 7. कृपया प्राप्ति सूचना दें। भवदीय ह/- (एम.टी.वर्गीस) |