बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाये रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाये रखना
आरबीआइ/2009-10/150 8 सितंबर 2009 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय/महोदया बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 - कृपया उपर्युक्त विषय पर 13 फरवरी 2008 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 61/12.02.001/2007-08 को अग्रेषित करने वाला हमारा 13 फरवरी 2008 का परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 62/ 12.02.001/2007-08 देखें । 2. हमने 13 फरवरी 2008 की उपर्युक्त अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 61/ 12.02.001/2007-08 को अंशत: संशोधित करते हुए 8 सितंबर 2009 की अधिसूचना संदर्भ बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-10 (संलग्न) जारी की है, जिसमें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 के प्रयोजन के लिए अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा रखी जाने वाली आस्तियों के स्वरूप और पद्धति का विवरण दिया गया है। सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) के लिए 8 सितंबर 2009 तक जारी पात्र प्रतिभूतियों (13 फरवरी 2008 की अधिसूचना के अनुबंध में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों सहित) की एक अद्यतन सूची संलग्न अधिसूचना के अनुबंध में दी गयी है। 3. अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के लिए सांविधिक चलनिधि अनुपात 24 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है, जैसा कि 3 नवंबर 2008 की अधिसूचना बैंपविवि सं. आरईटी. बीसी. 72/ 12.02.001/ 2008-09 द्वारा निर्धारित किया गया था। 4. किसी सरकारी प्रतिभूति की एसएलआर स्थिति के संबंध में सूचना देने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि : (i) भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों की एसएलआर स्थिति प्रतिभूतियों को जारी करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रेस प्रकाशनी में दी जाएगी ; तथा 5. यदि किसी प्रतिभूति की एसएलआर स्थिति के संबंध में किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, विवरणी प्रभाग, विश्व व्यापार केंद्र 1, कफ परेड, मुंबई - 400005 को लिखें। भवदीय (विनय बैजल) संलग्न : यथोक्त संदर्भ : बैंपविवि. सं.आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-10 8 सितंबर 2009 अधिसूचना बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 24 की उप धारा (2क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा 13 फरवरी 2008 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 61/ 12.02.001/2007-08 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा यह निर्दिष्ट करता है कि प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्य बैंक भारत में नीचे दिये गये विवरण के अनुसार आस्तियां रखना जारी रखेगा जिनका मूल्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट की गयी मूल्यांकन विधि के अनुसार किसी भी दिन कारोबार की समाप्ति पर दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को भारत में कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 24 प्रतिशत से कम नहीं होगा जैसा कि 3 नवंबर 2008 की अधिसूचना बैंपविवि. सं.आरईटी. बीसी. 72/12.02.001/2008-09 द्वारा निर्धारित किया गया है : (क) नकदी, अथवा
स्पष्टीकरण : क. किसी बैंकिंग कंपनी के "भार रहित निवेश" में अग्रिम अथवा किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए किसी अन्य संस्था के पास रखी गयी उपर्युक्त प्रतिभूतियों में निवेश उस सीमा तक शामिल होगा जिस सीमा तक उन प्रतिभूतियों के बदले कोई आहरण न किया गया हो । ख. ‘बाज़ार उधार कार्यक्रम’ का अर्थ भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जनता से लिए जाने वाले देशी रुपया ऋण हैं, जिनका प्रबंध भारतीय रिज़र्व बैंक नीलामी के माध्यम से अथवा इस संबंध में जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट किसी अन्य विधि से ऐसी विपणनयोग्य प्रतिभूतियों को जारी करके करता है, जो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 तथा उसके अंतर्गत बने विनियमों से नियंत्रित होती हैं। ग. उपर्युक्त प्रयोजन के लिए राशि की गणना हेतु निम्नलिखित को भारत में रखी गयी नकदी के रूप में माना जाएगा : (i) भारत से बाहर निगमित किसी बैंकिंग कंपनी द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के पास बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 11 की उप धारा (2) के अंतर्गत रखे जाने के लिए अपेक्षित जमाराशियां; (ii) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत किसी अनुसूचित बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से रखा गया अधिक शेष; (iii) भारत में अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के पास चालू खातों में निवल शेष । (एच. आर. खान) |