| भारिबैं /2009-10/6गैबैंपवि(नीति प्रभा)कंपरि.सं.148  /03.02.004/2009-10
 1 जुलाई  2009 (i) सचिव,  वित्त मंत्रालय        (ii)       अध्यक्ष,  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
 (iii)       अध्यक्ष,  भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान
 (iv)       अध्यक्ष,  भारतीय कंपनी सचिव संस्थान
 (v) गैर  बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संघ(असोसिएशन)
     प्रिय महोदय,
 मास्टर परिपत्र- "भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों  से छूट"  आपको ज्ञात होगा कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश  एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने मास्टर  परिपत्र सं.120 जारी किया था, उसे अब 30 जून 2009 तक अद्यतन कर  दिया गया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में दी गई अधिसूचनाओं  में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे विषय से संबंधित हैं, को  मास्टर परिपत्र में समेकित एवं अद्यतन कर दिये गये हैं। मास्टर परिपत्र  बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। संशोधित  मास्टर परिपत्र की एक प्रति संलग्न है। भवन्निष्ठ (पी. कृष्णमूर्ति)प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
 
 1. प्रारंभ भारतीय  रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III- बीया उसके किसी भाग से  क जछ कंपनियों / संस्थाओं को छूट देने के लिए समय-समय पर  अधिसूचनाएं जारी की हैं। 30 जून 2006 तक जारी अधिसूचनाओं के  आधार पर एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है । जहाँ मास्टर परिपत्र प्रयोगकर्ताओं को समेकित  परिपत्र के लाभ देगा, वहीं परिचालन के प्रयोजनार्थ वे संबंधित  अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट अनुदेशों/निदेशों को देखने का कष्ट  करें। मास्टर परिपत्र(उसके अंत  में) अनुबंध में अंकित अधिसूचनाओं पर आधारित है। 2(i)  भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III- बी से ट छूट- आवास वित्त संस्थाएं
 रिज़र्व बैंक ने उस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी  को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी1 के प्रावधानों से छूट दी है जो राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम,  1987 की धारा 2डी की परिभाषा  के अनुसार एक आवास वित्त संस्था है। 2(ii) मर्चेंट बैंकिंग कंपनी 
 मर्चेंट बैंकिंग कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक  अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA (पंजीकरण और निवल स्वाधिकृत निधि संबंधी  अपेक्षा), धारा 45-IB (चल परिसंपत्तियॉं रखना), धारा 45-IC (प्रारक्षित  निधि का निर्माण), गैर बैंकिंग वित्तीय  कंपनियों द्वारा जनता से जमाराशियां स्वीकार करने संबंधी(रिज़र्व  बैंक) निदेश, 1998 और गैर  बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड(रिज़र्व बैंक) निदेश,  1998 के प्रावधानों से छूट दी गई है बशर्ते वह निम्नलिखित शर्तों का  अनुपालन/ को पूरा करती हो:
 
 i)           वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के  पास भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 की धारा  12 के अंतर्गत मर्चेंट बैंकर के रूप में पंजीकृत हो और भारतीय  प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकर (नियमावली), 1992 तथा  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट  बैंकर (विनियमावली), 1992 के अनुसार मर्चेंट बैंकर का काम कर  रही हो
 
 ii)           केवल मर्चेंट  बैंकिंग के कारोबार के भाग के रूप में प्रतिभूतियों को अधिग्रहीत  करती हो;
 
 iii)           भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा  45-I(c) में यथावर्णित कोई अन्य वित्तीय कार्य न करती  हो; और
 
 iv) 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)-98 के  पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां न  तो स्वीकार करती हो और न रखती हो।
   2 (iii) माइक्रो फायनांस कंपनियाँ / परस्पर लाभ  कंपनियाँ (MBC)
 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का  2) की धारा 45-IA, 45-IB तथा 45-IC किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू  नहीं होंगीं
           जोकिi) माइक्रो फायनांस  कारोबार में लगी हो और किसी गरीब व्यत्ति को अपनी आय  बढ़ाने और अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कारोबारी उद्यम हेतु  रु. 50,000/- एवं आवासीय इकाई की लागत को पूरा करने के लिए  रु. 1,25,000/- से अधिक का ऋण उपलब्ध न करा रही हो; और
 ii)           कंपनी  अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त हो; और
 iii)           31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)-98 के  पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां न  स्वीकार करती हो।
31 जनवरी  1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98 में अंतर्विष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपिनियों  द्वारा जनता से जमाराशियों को स्वीकार करने संबंधी (रिज़र्व बैंक)  निदेश, 1998 के पैराग्राफ 2(1)(ixa) में परिभाषित एक परस्पर लाभ कंपनी (MBC)है। परस्पर  लाभ कंपनी (MBC) का अर्थ ऐसी कंपनी से है जिसे कंपनी अधिनियम,  1956(1956 का 1) की धारा 620A के अतर्गत अधिसूचित नहीं किया गया है और  जो गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कार्य  -a)          9 जनवरी 1997 को कर रही हे; और
 b)जसकी सकल निवल स्वाधिकृत निधियाँ और अधिमानी शेयरपूंजी दस लाख  रुपए से कम नहीं है; और
 c)जिसने 9 जुलाई 1997 को या उससे पूर्व पंजीकरण  प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन किया है  ; और
 d)          जो केंद्र  सरकार द्वारा निधि कंपनियें को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा  637A के अंतर्गत जारी निदेशों के संबंधित प्रावधानों  में अंतर्विष्ट अपेक्षाओं का अनुपालन करती है।
 2(iv) सरकारी कंपनियाँ
 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का  2) की धारा 45- IB व धारा 45- IC, गैर बैंकिंग  वित्तीय कंपनियों द्वारा जनता से जमाराशियों को स्वीकार करने से  संबंधित (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 4 से 7 और गैर बैंकिंग  वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड(रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के  पैराग्राफ 13A को छोड़कर जो कंपनी  के पते, निदशकों, लेखापरीक्षकों, आदि में परिवर्तन से संबंधित  जानकारी रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने से संबंधित है, किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी  पर लागू नहीं होंगे जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934  का 2) की धारा 45 I(f) में सरकारी कंपनियों के रूप में परिभाषित किया गया है व जैसाकि  कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 617 में परिभाषित है। एक सरकारी कंपनी  वह कंपनी है जिसकी प्रदत्त पूंजी के 51% से अन्यून केंद्र सरकार या  किसी राज्य सरकार या सरकारों या अंशत: केंद्र सरकार द्वारा और अंशत:  एक या अधिक राज्य सरकार/रों के पास है, और जिसमें वह कंपनी  भी शामिल है जो किसी सरकारी कंपनी की अनुषंगी कंपनी हैं जैसाकि  इस संबंध में परिभाषित है।
 2(v) वेंचर कैपिटल फंड कंपनियां 
 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का  2) की धारा 45- IA और 45- IC, 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98, 31 जनवरी  1998 की अधिसूचना सं.DFC. 119/DG(SPT)/98 उस गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं  होंगी जो एक वेंचर कैपिटल फंड कंपनी है व जिसने भारतीय प्रतिभूति  और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992(1992 का 15) की धारा 12 के अंतर्गत  पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किया है तथा जो 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.अ्इण्. 118/DG(SPT)/98 के  पैरा 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां नहीं  स्वीकार कर रही है और उनकी गैर धारक है।
 2(vi) बीमा  / स्टाक एक्सचेंज / स्टाक ब्रोकर / सब ब्रोकर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का  2) की धारा 45- IA, 45 -IB , 45- IC, 45 -MB तथा 45- MC  के प्रावधान  और 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98 में अंतर्विष्ट  गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जनता से जमाराशियां स्वीकार  करने संबंधी (रिज़र्व बैंक) निदेश, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ  विवेकपूर्ण मानदण्ड(रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधान किसी  ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनीं पर लागू नहीं होंगे जिनके पास  31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. DFC. 118/DG(SPT)/98 के  पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता की जमाराशियाँ नहीं  हैं या जो उन्हें स्वीकार नहीं करती हैं; और
 i)        उसके पास बीमा अधिनियम, 1938 (1938 का IV) की धारा  3 के अंतर्गत जारी वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र है और वह बीमा करोबार  कर रही है ;
 ii)        प्रतिभूति  संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 4 के अंतर्गत  मान्यता प्राप्त स्टाक एक्स्चेंज है; और
 iii)        भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम,  1992(1992 का 15) की धारा 12 के अंतर्गत स्टाक ब्रोकर या सब ब्रोकर  का कारोबार वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र लेकर कर रहा/रही है।
 2(vii) निधि  कंपनियाँ 
 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम,  1934(1934 का 2) की धाराएं 45- IA, 45- IB व 45- IC निम्नलिखित स्वरूप की किसी गेर बैंकिंग वित्तीय  कंपनी लागू नहीं होगी:-
 
 i)           जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा  620A के अंतर्गत अधिसूचित हो और जिसे निधि  कंपनी के नाम से जाना जाता हो; और चिट कंपनियाँ
 ii) चिट फंड  अधिनियम, 1982(1982 का 40 नं.) की धारा 2 के खंड(ं) में यथा  परिभाषित चिट का कारोबार कर रही हो।
 प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना  कंपनियाँ (SC/RC) (ग)  वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना  तथा प्रतिभूति ब्याज(हित) प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के  अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत प्रतिभूतिकरण एवं  पुनर्संरचनाकंपनी। बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी (घ)  बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ जो  भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-झ(च)(iii) के अंतर्गत, केंद्र सरकार की पूर्वानुमति  से, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में यथा अधिसूचित एवं एक  कंपनी जो इस संबंध में बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी के रूप में  पंजीकरण योजना के अंतर्गत बैंक के पास पंजीकृत है।   
 अनुबंध                     | क्र.  | अधिसूचना संख्या | दिनांक |              | 1 | अधिसूचना सं.DFC(COC) सं. 112/ED(SG)/97 सपठित परिपत्र    सं. DFC(COC)4438/02.04/96-97    | 18 जून 1997  |              | 2 | अधिसूचना सं.DFC    123/ED(G)/98   | 3 फरवरी 1998  |              |  3 | अधिसूचना सं. 134, 135, 138/CGM(VSNM)/2000 सपठित परिपत्र  सं. DNBS(PD) CC  12/02.01/99-2000    | 13 जनवरी 2000  |              | 4 | अधिसूचना सं.DNBS 163/CGM(CSM)-2002 सपठित परिपत्र    सं. DNBS(PD)CC. 22/02.59/2002-03  | 28 नवंबर 2002   |              | 5 | अधिसूचना सं.DNBS 164/CGM(CSM)-2003 सपठित परिपत्र सं. DNBS(PD)CC.    23/01.18/2002-03  | 8 जनवरी 2003  |              | 6 | अधिसूचना सं.DNBS 3/CGM(OP)-2003   | 28 अगस्त 2003  |              | 7 | अधिसूचना सं.DNBS(PD)(MGC) 2/CGM(PK)-2008 सपठित  परिपत्र सं. DNBS(PD)(MGC)CC No. 111/03.11.001/2007-08 | 15 जनवरी  2008  |  |