मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा
आरबीआई सं. 93/2006-07
मुप्रवि (नोट विनिमय) सं. 732/08.07.18/2006-07
28 जुलाई 2006
अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक
सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी बैंक, विदेशी बैंक एवं राज्य सहकारी बैंक
महोदया / महोदय
मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा
कृपया नोटों तथा सिक्कों के विनिमय की सुविधा संबंधी 5 जुलाई 2002 के हमारे मास्टर परिपत्र डीसीएम (नोट विनिमय) सं. जी.2/08.07.18/2002-03 का संदर्भ लें । हम इसके साथ इस विषय में हुए परिवर्तनों को सम्मिलित करते हुए यथा अपेक्षित आवश्यक कार्रवाई करने के लिए मास्टर परिपत्र की एक प्रति प्रेषित कर रहे हैं ।
भवदीय
(यू.एस. पालीवाल)
मुख्य महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक(नोट वापसी) नियमावली -सम्पूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58(2) के साथ पठित धारा 28 के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत सरकार द्वारा जारी करेंसी नोटों या बैंकनोटों में से किसी गुम हो चुके, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण करेंसी नोट का मूल्य भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक से अधिकार के तौर पर वसूल करने का पात्र नहीं हैे। तथापि, वास्तविक मामलों में जनता को कठिनाई से बचाने के प्रयोजन से यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से भारतीय रिज़र्व बैंक उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और परिसीमाओं का निर्धारण कर सकता है, जिनके अनुसार ऐसे करेंसी नोटों या बैंक नोटों का मूल्य एक अनुग्रह के रूप में दिया जा सके ।
जनता के लाभ और हित की द्दृष्टि से यह सुविधा प्रदान करने हेतु रिज़र्व बैंक ने मुद्रा तिजोरी वाली सभी शाखाओं को प्राधिकृत किया है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अनुसार कटे-फटे/गंदे/विकृत नोटों का अधिनिर्णयन करें।
2 निम्नलिखित प्रकार के कटे हुए नोटों को निर्बाध रूप से बिना मुद्रा तिजोरी वाली बैंक शाखाओंसहित सभी बंैक शाखाओं द्वारा बदला जाए ताकि नोट बदलने की सुविधा में तेजी लाई जा सके । इन नोटों को सरकार के प्रति अपनी देनदारी चुकता करने के लिए या जनता के अपने खातों में जमा करने के लिए बैंक के काउंटरों पर प्रस्तुत किए जाने पर भी स्वीकार किया जाए।
गंदे नोट
I. एकल नंबर वाले नोट - 1 रुपया, 2 रुपये और 5 रुपये
प्रस्तुत किए गए नोट के दो से अधिक टुकड़े न हों । नोट की कोई अनिवार्य विशेषता गायब न हो और नोट-नंबर के सभी अंक अखण्डित रूप से किसी भी एक टुकड़े पर मौजूद हों ।
II. दोहरे नंबर वाले नोट - 10 रुपये, 20 रुपये,
50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये और 1000 रुपये
प्रस्तुत किए गए नोट के दो से अधिक टुकड़े न हों । नोट की कोई अनिवार्य विशेषता गायब न हो और नोट के दोनों टुकड़े एक ही नोट के हों अर्थात प्रत्येक टुकड़े के अखंडित भाग पर सम्पूर्ण नम्बर एक ह्ी हों । उपर्युक्त प्रकार के नोटों को गंदे नोटों के रूप में माना जायेगा और इन्हें गंदे नोटों के साथ रखा जाए। इस प्रकार के चलन में न लाने योग्य नोटों को किसी भी हाल में पुननिर्गमनीय नोटों के रूप में जनता को जारी न किया जाए बल्कि इन्हें करेंसी चेस्ट -प्रेषण के रूप में रिज़र्व बैंक के कार्यालयों को भेजने हेतु मुद्रा तिजोरियों में जमा कर दिया जाए ।
ऐसे नोट जो बहुत ही खस्ताहाल हों या बुरी तरह से जल गए हों, टुकड़े - टुकड़े हो गए हों अथवा आपस में बुरी तरह से चिपक गए हों, और इस वजह से वे अब सामान्यतया उठाने-रखने के लायक न रह गए हों, तो शाखाएँ ऐसे नोटों को बदलने के लिए न लें । ऐसे नोटों को बदलने के लिए लेने के बजाए धारक से कहा जाये कि वह इन नोटों को रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय में प्रस्तुत करे, जहाँ इन पर विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत अधिनिर्णयन किया जाएगा ।
3. प्रत्येक शाखा-प्रभारी अधिकारी अर्थात् शाखा प्रबंधक और प्रत्येक शाखा की लेखा अथवा नकदी विंग के प्रभारी अधिकारी, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 1975 (1980 तक यथा संशोधित) के अनुसार शाखा में बदलने के लिए प्राप्त नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए ‘निर्धारित अधिकारी’ के रूप में कार्य करेंगे । कटे-फटे नोटों के अधिनिर्णयन करने के बाद निर्धारित अधिकारी के लिए यह आवश्यक है वह नोटोंपर दिनांक वाली मुहर लगाकर अपने आद्यक्षर करते हुए "भुगतान करें"/ "भुगतान किया"/"निरस्त" का आदेश रिकॉर्ड करें । "भुगतान करें"/"निरस्त" आदेश वाली मुहरों पर बैंक और संबंधित शाखा का नाम भी होना चाहिए। ऐसे कटे-फटे नोट जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय अथवा किसी बैंक शाखा की "भुगतान करें"/"भुगतान किया"/या "निरस्त" की मुहर लगी हो तो ऐसे नोटों को दुबारा किसी भी बैंक शाखा में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) विनियमावली के नियम 5(1) के अंतर्गत भुगतान करने से मना कर दिया जाए और प्रस्तुतकर्ता को सूचित कर दिया जाए कि ऐसे विकृत नोट (नोटों) का मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही दिया जा चुका है, और भुगतान के प्रमाण-स्वरूप इन/इस पर "भुगतान करें"/"भुगतान किया" की मुहरें लगी हुई हैं। सभी बैंक शाखाओं को यह हिदायत दी गई है कि वे "भुगतान करे"/"भुगतान किया" की मुहर लगे नोटों को जनता में दुबारा भूल से भी न जाने दें। शाखाओं को चाहिए कि वे अपने ग्राहकों को सावधान कर दें कि वे किसी भी अन्य बैंक या दूसरे व्यक्ति से ऐसे नोट स्वीकार न करें ं।
4. यदि किसी नोट पर कोई नारा या राजनैतिक नारा या संदेश लिखा हो तो यह विधिमान्य मुद्रा नहीं रह जाती और भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के नियम 5(2) के अंतर्गत ऐसे नोटों को निरस्त कर दिया जाएगा । इसी प्रकार विरूपित किए गए नोट भी भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली कें नियम 5 (2) के अंतर्गत निरस्त कर दिए जाए ।
5. यदि जानबूझकर काटे गए अथवा बेईमानी से फेर- बदल किये नोटों को विनिमय मूल्य पाने के लिये प्रस्तुत किया जाता है तो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के नियम 5(2)(वव) के अंतर्गत निरस्त कर दिया जाएगा । यद्यपि जानबूझकर काटे/विरूपित नोटों की कोई ठीक-ठीक परिभाषा निर्धारित करना संभव नहीं है, तथापि ऐसे नोटों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कार्य जानबूझकर धोखा देने के उद्देश्य से किया गया है। क्यों कि ऐसे नोटों व ो जिस प्रकार से काटा/विरूपित किया जाता है उसमें नोटों के आकार/गायब हुए टुकड़ों में एकरूपता देखने को मिलती है अर्थात ये नोट किसी खास जगह पर ही विकृत होते हैं, खासकर जब यह बड़ी मात्रा में प्रस्तुत किये जाते हैं । ऐसे मामलों में प्रस्तुतकर्ता का नाम, प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या और मूल्यवर्ग आदि विवरण, भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम विभाग के उप/महाप्रबंधक, जिनके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है, को भिजवा दिये जायें । बड़ी मात्रा में ऐसे नोट प्रस्तुत किए जाने की स्थिति में मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दे दी जाये । शाखाओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नोट बदलने की यह सुविधा कहीं निजी मुद्रा परिवर्तकों/दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित न रह जाए।
6. हमारे निर्गम कार्यालयों को निर्देश दिये गए हैं कि वे मुद्रा तिजोरीवाली शाखाओं के "निर्धारित अधिकारियों" के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रशिक्षण के लिए केवल उन्ही अधिकारियों को नामित किया जाए जिन्हें "निर्धारित अधिकारी" के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। चूँकि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य दोषपूर्ण नोटों के अधिनिर्णयन की प्रक्रिया की में निर्धारित अधिकारियों को जानकारी देना तथा उनमें आत्मविश्वास पैदा करना हैं, अत:यह अनिवार्य है कि संबंधित शाखाओं के निर्धारित अधिकारी इन कार्यक्रमों में अवश्य हिस्सा लें ।
7. सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाओं के लिए अपेक्षित है कि वे अपनी शाखाओं में आसानी से दिखाई देने वाले स्थानों पर इस आशय का नोटिस बोर्ड लगाएं कि वहाँ पर नोट विनिमय सुविधा उपलब्ध है। बोर्ड पर लिखा होना चाहिए कि " यहाँ दोषपूर्ण नोटों को स्वीकार करके बदला जाता है "। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सभी निर्दिष्ट शाखाएँ नोट विनिमय का कार्य करती हैं।
8. एक हजार रुपये के बैंक नोट के चलन में आने के बाद से नोट वापसी नियमावली में जहाँ भी "पाँच सौ रुपये" शब्द लिखे हों उनके स्थान पर "एक हजार रुपये" कर दिया गया है और 500 के अंक के बाद 1000 का अंक बढ़ा दिया गया है । इस अनुदेश का प्रभाव यह होगा कि 500 रुपये तक के दोहरे नंबर वाले नोटों को बदलने हेतु जो नियम लागू होते थे वे अब 1000 रुपये के नोटों पर भी लागू होंगे।
इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अंतर्गत 1000 रु. मूल्यवर्ग के नोटों का भी अधिनिर्णय उसी प्रकार किया जायेगा, जिस प्रकार 10रु., 20रु., 50रु., 100रु. और 500रु. के नोटों का किया जाता है।
9. भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालयों के क्षेत्राधिकार में आने वाली मुद्रा तिजोरियों में अधिनिर्णीत नोटों की लेखापरीक्षा हेतु, पूर्ण मूल्य भुगतान किए गए नोट, मुद्रा तिजोरियों द्वारा पूर्व - निर्दिष्ट प्रक्रिया के आधीन्। गंदे नोटों के अगले प्रेषण के साथ निर्गम कार्यालय को भेज दिये जायें । आधा मूल्य भुगतान किए गए तथा निरस्त नोटों को, जो मुद्रा तिजोरी वाली शाखा के अपने नकदी शेष में रखे जाते हैं, आवश्यकतानुसार या तो अलग से बंद करके पूर्ण मूल्य के लिए भुगतान किए गए नोटों के प्रेषणके साथ अथवा पंजीकृत एवं बीमाकृत डाक द्वारा भेज दिये जायें । जबकि पूर्ण मूल्य भुगतान किए गए नोटों को तिजोरी-प्रेषण में सम्मिलित माना जायेगा तथा उस समय उनका लेखा-जोखा (बीजक नोट खाता) घ्हख्दवम् ब्दूोर् ींम्म्दल्हू में किया जायेगा, आधा मूल्य भुगतान किए गए तथा निरस्त नोट दावा अनुभाग में प्राप्त नोट माने जायेंगे तथा वहीं उनका लेखा-जोखा किया जायेगा और तद्नुसार उनका प्रसंस्करण किया जायेगा ।
10. देश भर में मुद्रा तिजोरी वाली सभी बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे जनसाधारण को निम्नलिखित ग्राहक सेवाएं अधिक सक्रियता और जोरदार ढग से प्रदान करें ताकि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में केवल निम्नलिखित प्रयोजनों हेतु न आना पड़े ।
(अ) नये / अच्छी हालत के सभी मूल्यवर्ग के नोटों तथा सिक्कों की मांग पूरी करना ।
(ब) गंदे नोट बदलना और (स) लेनदेनों में अथवा बदलने हेतु नोट व सिक्के स्वीकार करना ।
मुद्रा तिजोरी वाली सभी बैंक शाखाएं देशभर में क्षतिग्रस्त/विकृत नोटों के लिये विनिमय-सुविधा प्रदान करें । विकृत नोटों का अधिनिर्णयन भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 1975 (1980 तक यथासंशोधित)जो कि भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध है, के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है ।
जनसाधारण की जानकारी हेतु शाखाओं में इस प्रकार की सेवाओं की उपलब्धता का व्यापक प्रचार- प्रसार किया जाये ।
11. (अ) मुद्रा तिजोरियां /और/अथवा लघु सिक्का डिपो खोलने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक और वाणिज्य बैंकों के बीच हुए समझौते के अनुसार बैंक शाखाओं द्वारा नोटों के बदले सिक्के स्वीकार किए जाएगे, अत: बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपनी सभी शाखाओं को निम्नलिखित अनुदेश जारी करें: -
(I) वे जनसाधारण से बिना किसी बंदिश के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के प्राप्त करें और नोटों में उनका भुगतान करें ।
(II) वे भारी मात्रा में सिक्कों की प्राप्ति के लिये या तो उन्हें तौल कर स्वीकार करें या फिर सिवके गिनने वाली मशीनों का प्रयोग करें ।
(III) इस प्रकार प्राप्त रुपया सिक्के, तिजोरी-शेष (Chest Balance)के रूप में और छोटे सिक्वे , लघु सिक्का डिपो शेष (Small Coken Depot balance) के रूप में रखे जा सकते हैं ।
(IV) लघु सिक्का डिपो वाली शाखाओं द्वारा 5 पैसे, 10 पैसे, और 20 पैसे के सिक्के, समय-समय पर भारत सरकार की हैदराबाद. कोलकाता और मुंबई स्थित टकसालों को वर्तमान निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार भेज दिया जाएं ।
(ब) बैंकों से अपेक्षित है कि वे अपनी सभी शाखाओं को अनुदेश जारी करें कि वे अपनी शाखाओं में विनिमय हेतु अथवा अपने खाते में जमा करने हेतु प्रस्तुत किये गये सभी मूल्यर्ग के सिक्के स्वीकार किये जायें । इस प्रकार के सिक्के , खासकर छोटे मूल्यवर्ग के सिक्के प्राथमिकता के आधार वजन करके स्वीकार करें । चूँकि 100 सिक्कों की पाॉलिथीन की थैली स्वीकार करना कैशियरों के साथ साथ ग्राहकों के लिये भी ज्यादा सुविधाजनक है अत: बैंक अपने काउंटरों पर इस प्रकार की पाॉलिथीन की थैलियाँ रखें और ग्राहकों को उपलब्ध करवायें । आम जनता को जानकारी देने के लिये बैंक परिसर के भीतर तथा बाहर उपयुक्त जगह पर इस आशय का नोटिस लगाया जाये । इसे ध्यान में रखते हुये कि एल्युमिनियम के 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे , एल्युमिनियम-काँसे के 10 पैसे, स्टेनलेस स्टील के 10 पैसे, क्युप्रो- निकेल के 25 पैसे, 50 पैसे और एक रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के चलन से निकाल कर टकसालों को भेजे जा रहे हैं , अत: ग्राहकों से अनुरोध किया जाये, परंतु दबाव न डाला जाये, कि वे काउन्टर पर प्रस्तुत करते समय इन्हें मूल्य-वर्गवार और धातुवार अलग अलग पैक करें तथा 100 सिक्कों की थैलियों में भरकर लायें । स्टेनलेस स्टील के 25 पैसे, 50 पैसे , और एक रुपये के एवं क्युप्रो-निकेल के दो रुपये और पाँच रुपये के प्रचलित सिक्कों के लिए भी यही प्रणाली अपनायी जाये । वजन में बहुत अधिक अंतर होने पर गिनने वाली मशीनों का प्रयोग किया जायें ।
शाखाओं में सिक्कों के भंडारण की समस्या के निवारण हेतु एलम्युनियम के 5 पैसे , 10 पैसे, 20 पैसे , एलम्युनियम -कांस्य के 10 पैसे के , स्टेनलेस स्टील के 10 पैसे और क्युप्रो - निकेल के 25 पैसे, 50 पैसे और एक रुपये सिक्के पूर्व सूचना देकर अपने बैंक की मुद्रा तिजोरी और लघु सिक्का डिपो वाली शाखाओं ( अथवा अन्य बैंकों की संपर्क मुद्रा तिजोरी और लघु सिक्का डिपो वाली शाखाओं) के द्वारा प्रचलित कार्य-पध्दति के अनुसार भारत सरकार की हैदराबाद. कोलकाता तथा मुंबई स्थित टकसालों को भेज दिये जायें । स्टेनलेस स्टील के 25 पैसे, 50 पैसे और एक रुपये के सिक्के तथा क्युप्रो-निकेल के 2 रुपये और 5 रुपये के सिक्के वापिस चलन में डाल दिये जायें । यदि इन सिक्कों की मांग की कमी के कारण सिक्कों का स्टॉक मुद्रा तिजोरी और लघु सिक्का डिपो की भंडारण क्षमता से अधिक हो जाता है तो सर्किल के निर्गम कार्यालय से सिक्कों के प्रेषण हेतु संपर्क किया जाये ।
बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधक /आंचलिक प्रबंधक, बैंक शाखाओं का आकस्मिक दौरा करें और अपने प्रधान कार्यालय को इस संबंध में अनुपालन की स्थिति से अवगत करायें ताकि यथा आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई तत्काल की जा सके ।
इस संबंध में अनुपालन न किया जाना भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना/उल्लंघन माना जायेगा ।
अनुबद्ध
मास्टर परिपत्र
विषय: भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - शवितयों का प्रत्यायोजन
मास्टर परिपत्र द्वारा समेकित परिपत्रों की सूची
परिपत्र सं. |
दिनांक |
विषय-वस्तु |
जी-67/08.07.18/96-97 |
18.02.1997 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - निजी क्षेत्र व ी मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
जी-52/08.07.18/96-97 |
11.01.1997 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - कटे-फटे नोटों को बदलने के लिये सरकारी क्षेत्र के बैंको को शवितयों का प्रत्यायोजन - "अदा करें / अदा किया" मुहर लगे नोटों का प्रसंस्करण |
जी-24/08.01.01/96-97 |
03.12.1996 |
कटे-फटे नोटों को स्वीकार करना और बदलना - उदारीकरण |
जी-64/08.07.18/95-96 |
18.05.1996 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन - प्रचार |
जी-83/सी एल-1 (पी एस बी) / 91-92 |
06.05.1992 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको की मुद्रा तिजोरी वाली शाखाओं को शवितयों का प्रत्यायोजन |
जी-74/सी एल-(पीएसबी) (सामान्य) /90-91 |
05.06.1991 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
5.5/सी एल-1 (पी एस बी) / 90-91 |
25.09.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
8/सी एल-1(पीएसबी) / 90-91 |
17.08.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
जी-123/सी एल-1(पीएसबी) / 89-90 |
07.05.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन (संशोधन) |
जी-108/सी एल-(पीएसबी) (सामान्य) /89-90 |
03.04.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - रु. 500 मुल्य वर्ग का बैंकनोट - सरकारी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं पर कटे-फटे नोटों का विनिमय |
जी-8/सी एल-1(पीएसबी) / 89-90 |
12.07.1989 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली ॐ भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गम कार्यालयों के "ऊदर् ण्त्ीवस्े" मुहर लगे कटे-फटे नोट |
जी-84/सी एल-1(पीएसबी) / 88-89 |
17.03.1989 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
जी-66/सी एल-1(पीएसबी) / 88-89 |
09.02.1989 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को शवितयों का प्रत्यायोजन - प्रशिक्षण |
एस-12/सी एल-1(पीएसबी) / 88-89 |
30.09.1988 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - जानबूझ कर काटे गये नोट - अधिनिर्णयन |
जी-134/सी एल-1(पीएसबी) / 87-88 |
25.05.1988 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अंतर्गत संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
192/सी एल-1(पीएसबी) / 86-87 |
02.06.1987 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
189/सीएल.2/86-87 |
02.06.1987 |
संदेश या नारे आदि लिखकर करेंसी नोटों को विकृत करना |
185/सीएल-1(पीएसबी)/86-87 |
20.05.1987 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - कटे-फटे नोटों पर "अदा करें" और "निरस्त" मुहर लगाना |
173/सीएल-1/84-85 |
02.04.1985 |
सरकारी क्षेत्र के बैंको को कटे-फटे नोटों के विनिमय की शवितयों का प्रत्यायोजन एवं कार्यपद्धति |
सीवाई सं. 1064/सीएल-1 /76-77 |
09.08.1976 |
जनता को गंदे और कटे-फटे नोटों के विनिमय की सुविधा |
386/08.07.13 /2000-01 |
16.11.2000 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 - सरकारी एवं निजी क्षेत्र की मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को नोट विनिमय की संपूर्ण शवितयों का प्रत्यायोजन |
जी-11/08.07.18/2001-02 |
02.11.2001 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 - सरकारी एवं निजी क्षेत्र की मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को नोट विनिमय की शवितयों का प्रत्यायोजन |
मुप्रवि (ींश्श्ऊ) सं. 404/ 11.37.01/2003-04 |
09.10.2003 |
सिवकों को स्वीकार करना एवं नोटों की उपलब्धता |
मुप्रवि (ब्)िं सं. 310/ 08.07.18/2003-04 |
19.01.2004 |
जनता को नोटों, सिवकों आदि के विनिमय की सुविधा उपलब्ध कराना |
मुप्रवि (RMMT) सं. 1181/ 11.37.01/2003-04 |
05.04.2004 |
सिवकों को स्वीकार करना |