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79106394

मास्टर परिपत्र – नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा

आरबीआई/2011-12/76
डीसीएम(नोटविनिमय)सं. जी -1/08.07.18/2011-12

1 जुलाई  2011

अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक
सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी बैंक, विदेशी बैंक एवं राज्य सहकारी बैंक

महोदया / महोदय

मास्टर परिपत्र – नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा

कृपया नोटों तथा सिक्कों के विनिमय की सुविधा संबंधी 1 जुलाई 2010 का हमारा मास्टर परिपत्र डीसीएम (नोट विनिमय)सं.जी-43/08.07.18/2010-11देखें । आपकी सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए मास्टर परिपत्र की प्रतिलिपि हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है ।

भवदीय

( डॉ.एन.कृष्ण मोहन  )
मुख्य महाप्रबंधक


1. शाखाओं में नोट / सिक्कों के विनिमय की सुविधा

(क)पूरे देश में सभी बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे जनसाधारण को निम्नलिखित ग्राहक सेवाएं अधिक तत्परता और कारगर ढंग से प्रदान करें ताकि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में केवल निम्नलिखित प्रयोजनों हेतु न आना पड़े ।

I. नए / अच्छी हालत के सभी मूल्यवर्ग के नोटों तथा सिक्कों के लिए ।

II. गंदे नोट बदलने के लिए और ।

III. लेनदेन अथवा नोट बदलने व सिक्के लेने के लिए।

(ख) सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाएं क्षतिग्रस्त /विकृत नोटों के विनिमय की सुविधा प्रदान करें । ऐसी सभी बैंक शाखाओं के नाम और उनके पतें संबंधित बैंकों के पास उपलब्ध हैं । शाखाओं के स्तर पर उपलब्ध ऐसी से सेवाओं का , आम  आदमी के जानकारी के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये  ।

(ग) अधिसूचित वाणिज्यिक बैक़ों की मुद्रा तिजोरी वाली शाखाओं से यह अपेक्षित हैं कि वे कारोबार के सभी दिनों पर किसी पक्षपात के बिना आम जनता को कटे/ फटे गंदे/ नोटों की विनिमय सुविधा प्रदान करें और सिक्कों को जारी कर दें । इसके अतिरिक्त , तथापि , एक माह में किसी रविवार के दिन कतिपय चयनित मुद्रा तिजोरी वाली शाखाओं द्वारा विनिमय सुविधा प्रदान करने की योजना यथावत बनी रहेगी ।

(घ) कोई भी बैंक शाखा/स्टाफ काउन्टरों पर प्रस्तुत किए गए छोटे मूल्यवर्ग के नोट और /या सिक्के लेने से मना न करे ।

2. रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 सम्पूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन
Reserve Bank of India (Note Refund) Rules, 2009

(क) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58(2) के साथ पठित धारा 28 के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत सरकार द्वारा जारी करेंसी नोटों या बैंकनोटों में से किसी गुम हो चुके, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण करेंसी नोट का मूल्य भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक से अधिकार के तौर पर वसूल करने का पात्र नहीं हे। तथापि , वास्तविक मामलों में जनता को कठिनाई से बचाने के प्रयोजन से यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से भारतीय रिज़र्व बैंक उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और परिसीमाओं का निर्धारण कर सकता है,जिन के अनुसार ऐसे करेंसी नोटोंया बैंक नोटों का मूल्य एक अनुग्रह के रूप में दिया जा सके।

(ख) जनता के लाभ और हित की दृष्टि से यह सुविधा प्रदान करने हेतु बैंकों की निर्दिष्ट शाखाओं को कटे-फटे /गंदे /विकृत नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के अनुसार प्राधिकृत किया गया हैं । वर्तमान में मुद्रा तिजोरिवाली  शाखाओं को इस उद्देश्य के लिए निर्दिष्ट किया गया है ।

3. कटे नोटों की सरल परिभाषा

निम्नलिखित प्रकार के गंदे और कटे-फटे नोटों को मुक्त रूप से सभी बैंक शाखाओं द्वारा बदला जाए ताकि नोट बदलने की सुविधा प्रदान करने में तेजी आ सके । सरकारी देनदारी चुकता करने के लिए या बैंक के काउन्टरों पर अपने खातों में जमा करने के लिए जनता द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर भी ये नोट स्वीकार किए जाएं ।

I. एकल नंबर वाले नोट - 1, 2 और 5 रुपये

प्रस्तुत किए गए नोट के दो से अधिक टुकड़े नहों। नोट की कोई अनिवार्य विशेषता गायब नहो और नोट के नंबरों के सभी अंक किसी एक टुकड़े के अखण्डित हिस्सेपर मौजूद हों।

II. दोहरे नंबर वाले नोट - 10, 20 , 50 , 100 , 500  और 1000

प्रस्तुत किए गए नोट दो से अधिक टुकड़े में न हों । नोट की कोई अनिवार्य विशेषता गायब न हो । नोट के दोनों टुकड़े एक ही नोट के हों । उपयुक्दत प्रकार के नोटों को गंदे नोटों के रूप में माना जायेगा और इन्हें गंदे नोटों के साथ रखा जाए। इस प्रकार के चलन में न लाने योग्य नोटों को किसी भी हाल में पुन: जारी करने योग्य नोटों के रूप में जनता को फिर से जारी न किया जाए बल्कि इन्हें करेंसी चेस्ट - प्रेषण के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों को भेजने ह्तु मुद्रा तिजोरियों में जमा कर दिया जाए ।

4.विरूपित नोट - प्रस्तुत एवं पास किया जाना

‘विरूपित नोट’ का अभिप्राय ऐसे नोट से है जिसका कि एक हिस्सा गायब हो अथवा  जिसे दो टुकडों से अधिक टुकडे व्यवसायिक बैंकों की नामित शाखाओं में प्रस्तुत किए जा सकते हैं । ’विरूपित नोट’ भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009  के तहत बनाए गये उल्लिखित नियमों  के  अनुसार पारित किए जा सकते हैं ।

5. अत्यधिक खस्ताहाल, जले, टुकड़े-टुकड़े, चिपके हुए नोट.

ऐसे नोट जो बहुत ही खस्ताहाल हों या बुरी तरह से जल गए हों, टुकड़े - टुकड़े हो गए हों अथवा आपस में बुरी तरह से चिपक गए हों, और इस वजह से वे अब सामान्यतया उठाने-रखने लायक न रह गए हों तो बैंक शाखाएँ ऐसे नोटों को बदलने के लिए न लें । ऐसे नोटों को बदलने के लिए लेने के बजाए धारक  को सलाह दी जाये कि वह इन नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय में  प्रस्तुत करे, जहाँ पर इनका अधिनिर्णयन एक विशेष  प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाएगा ।

6.  भुगतान करें/भुगतान किया/निरस्त ’की मुहरें लगे नोट

प्रत्येक शाखा के प्रभारी अधिकारी अर्थात् शाखा प्रबंधक और प्रत्येक शाखा की लेखा अथवा नकदी विंग के प्रभारी अधिकारी, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के अनुसार बदलने के लिए निर्दिष्ट शाखा में प्राप्त नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए ‘निर्धारित अधिकारी’ के रूप में कार्य करेंगे । कटे-फटे नोटों के अधिनिर्णयन करने के बाद निर्धारित अधिकारी के लिए यह आवश्यक है वह नोटों पर दिनांक वाली मुहर लगाकर अपने आद्यक्षर करते हुए "भुगतान करें"/ "भुगतान किया"/"निरस्त"  का आदेश रिकॉर्ड करें । "भुगतान करें "/"निरस्त" आदेश वाली मुहरों पर बैंक और संबंधित शाखा का नाम भी होना चाहिए। ऐसे कटे-फटे नोट जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय अथवा किसी बैंक शाखा की "भुगतान करें"/"भुगतान किया"/या "निरस्त" की मुहर लगी हो तो ऐसे नोटों को दुबारा किसी भी बैंक शाखा में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6(2) के अंतर्गत भुगतान करने से मना कर दिया जाए और प्रस्तुतकर्ता को सूचित कर दिया जाए कि ऐसे विकृत नोट (नोटों) का मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही दिया जा चुका है, और भुगतान के प्रमाण-स्वरूप इन / इस पर "भुगतान करें"/"भुगतान किया" की मुहरें लगी हुई हैं। सभी बैंक शाखाओं को यह हिदायत दी गई है कि वे "भुगतान करे"/"भुगतान किया" की मुहर लगे नोटों को जनता में दुबारा भूल से भी न जाने दें। शाखाएं अपने ग्राहकों को सावधान कर दें कि वे किसी भी अन्य बैंक या व्यक्ति से ऐसे नोट न लें ।

7. राजनैतिक नारा या संदेश आदि लिखे हुए नोट

यदि किसी नोट के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कोई नारा अथवा राजनीतिक प्रकृति का संदेश लिखा हो तो यह विधिमान्य मुद्रा नहीं रह जाती और भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 1975 (1980 तक यथा संशोधित) के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत ऐसे नोटों को निरस्त कर दिया जाएगा । इसी प्रकार विरूपित किए गए नोट भी  भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत निरस्त कर दिए जाए ।

8. जानबूझकर काटे गए नोट

यदि जानबूझकर काटे गए अथवा बेईमानी से फेर-बदल किये नोटों को विनिमय मूल्य पाने के लिये प्रस्तुत किया जाता है तो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली  2009 के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत निरस्त कर दिया जाएगा ।  यद्यपि जानबूझकर काटे नोटों की कोई ठीक-ठीक  परिभाषा निर्धारित करना संभव नहीं है, तथापि ऐसे नोटों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कार्य जानबूझकर धोखा देने के उद्देश्य से किया गया है, क्यों कि ऐसे नोटों को जिस प्रकार से काटा/विरूपित किया जाता है उसमें नोटों के आकार/गायब हुए टुकड़ों में एकरूपता देखने को मिलती है अर्थात ये नोट किसी खास जगह पर ही विकृत होते हैं, खासकर जब नोट बड़ी मात्रा में प्रस्तुत किये जाते हैं । ऐसे मामलों में प्रस्तुतकर्ता का नाम, प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या और मूल्यवर्ग आदि विवरण, भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम विभाग के उप महाप्रबंधक /महाप्रबंधक, जिनके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है, को रिपोर्ट किये जायें । बड़ी मात्रा में ऐसे नोट प्रस्तुत किए जाने की स्थिति में मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दे दी जाये । शाखाओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नोट बदलने की यह सुविधा कहीं निजी मुद्रा परिवर्तकें /दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित न रह जाए।

9. प्रशिक्षण

हमारे निर्गम कार्यालय,; निर्दिष्ट बैंक शाखाओं के "निर्धारित अधिकारियों" के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं । चूँकि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य निर्धारित अधिकारियों को दोषपूर्ण नोटों के अधिनिर्णयन की प्रक्रिया की जानकारी देना तथा उनमें आत्मविश्वास पैदा करना हैं, अत:यह अनिवार्य है कि संबंधितशाखाओं के निर्धारित अधिकारियोंको ऐसे कार्यक्रम में नामित किया जाए।

10. नोटिस बोर्ड लगाना

सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे अपनी शाखाओं में आसानी से दिखाई देने वाले स्थान पर वहाँ पर नोट विनिमय सुविधा उपलब्ध है आशय का नोटिस बोर्ड लगाएं जिस पर लिखा होना चाहिए कि " यहाँ पर दोषपूर्ण नोट बदले एवं स्वीकार किये जाते हैं "। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सभी निर्दिष्ट शाखाएँ नोट एवं सिक्कों के विनिमय की सेवाएं प्रदान कर रही है और निर्दिष्ट शाखाओं की जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जा रही हैं । शाखओंध की यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नोट बदलने की यह सुविधा कहीं निजी मुद्रा परिवर्तकें / दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित न रह जाए ।

11. निर्दिष्ट शाखाओं के स्तर पर अधिनिर्णीत नोटों का निपटान

निर्दिष्ट बैंक शाखाओं द्वारा अधिनिर्णीत नोटों की लेखा परीक्षा के सम्बन्ध में पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को गंदे नोटों के अगले प्रेषण के साथ पूर्व - निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार निर्गम कार्यालय को भेज दिया जाए । आधा मूल्य भुगतान किए गए तथा निरस्त नोट जो कि निर्दिष्ट बैंक वाली शाखा के अपने नकदी शेष में रखे हैं , जब भी आवश्यक  या तो पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों के प्रेषण के साथ अलग से पैकिंग करके या फिर पंजीकृत एवं बीमाकृत डाक द्वारा भेज दिये जायें । पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को निर्गम कार्यालय द्वारा तिजोरी प्रेषण माना जायेगा जबकि आधा मूल्य प्रदत्त तथा निरस्त नोट, अधिनिर्णयन हेतु प्रस्तुत किए गये नोट माने जायेंगे तथा तद्नुसार उनका प्रसंस्करण किया जायेगा । सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाओं द्वारा अधिनिर्णीत किए गए नोट की मासिक विवरणी,रिजर्व बैंक के निर्गम विभाग को भेजी जाएगी।

12. भारतीय रिजर्व बैंक और वाणिज्य बैंकों के बीच करार

(i) बैंक शाखाओं को नोटों के बदले सिक्कों को स्वीकृत करना होगा  ।

(ii) वे जनसाधारण से बिना किसी रूकावट के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करें और उनके मूल्य का नो टों में भुगतान करें ।

(iii) सिक्कों की भारी मात्रा में प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए वे या तो उन्हें तौल कर लें या फिर सिकके गिनने वाली मशीनों का प्रयोग करें ।

13. आहरित सिक्के

(क) भारत सरकार ने, अपनी  20 दिसंबर 2010 की राजपत्रित अधिसूचना सं.2529 के अनुसरण में, समय - समय पर जारी किये गये 25 पैसे और उससे निम्न मूल्यवर्ग के सिक्कों को , संचलन से वापस लेने का निर्णय लिया  है  । अत: 30 जून 2011 के प्रभाव से ये सिक्के भुगतान के साथ – साथ लेखा के लिए वैध मुद्रा नहीं रहेंगे

(ख) यह ध्यान रखते हुए कि क्युप्रो- निकेल के 50 पैसे और एक रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के चलन से निकाल कर टकसालों को भेजे जा रहे हैं , अत: ग्राहकों से अनुरोध किया जाये, परंतु दबाव न डाला जाये, कि वे काउन्टर पर प्रस्तुत करते समय इन्हें मूल्य-वर्गवार अलग-अलग थैलियों में तथा 100 -100 सिक्कों की थैलियों में भरकर लायें । प्रचलन में चल रहे स्टेनलेस स्टील के 50 पैसे, और एक रुपये के एवं क्युप्रो-निकेल के दो रुपये और पाँ च रुपये के सिक्कों के लिए भी यही प्रणाली अपनायी जाये वजन में बहुत अधिक अंतर होने पर गिनने वाली मशीनों का प्रयोग किया जायें ।

(ग) शाखाओं में अप्रचलित और संचलन से निकाले गये सिक्कों को रखने की समस्या के निराकरण हेतु 50 पैसे और एक रुपये सिक्के संबंधित बैंक की निर्दिष्ट शाखाओं (अथवा अन्य बैंकों की संपर्क शाखाओं ) के माध्यम से प्रचलित कार्य-पध्दति के अनुसार पूर्व सूचना के साथ भारत सरकार की हैदराबाद. कोलकाता तथा मुंबई स्थित टकसालों को भेज दिये जायें । स्टेनलेस स्टील के 50 पैसे और एक रुपये के सिक्के तथा क्युप्रो-निकेल के 2 और  5 के सिक्के वापिस चलन में डाल दिये जायें । यदि इन सिक्कों की मांग में कमी के कारण सिक्कों का स्टॉक धारण क्षमता से अधिक हो जाए तो सर्किल के निर्गम कार्यालय से सिक्कों के प्रेषण हेतु संपर्क किया जाये । क्युप्रो - निकेल के  2 के सिक्कों को आम जनता को जारी न किया जाएं बल्कि उन्हें अगले अनुदेशों तक निर्दिष्ट शाखाओं में रखा जाएं ।

14. निगरानी और नियंत्रण

(बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधक /आंचलिक  प्रबंधक, बैंक शाखाओं का आकस्मिक दौरा करें और इस संबंध में अपने प्रधान कार्यालय को अनुपालन की स्थिति से अवगत करायें जो कि इन रिपोर्ट्स की समीक्षा करेंगे तथा जहाँ जरूरी होगा ,तत्परता से सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे।

(ख) इस संबंध में किसी अनुदेश का अनुपालन न करना भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों की अवहेलना/उल्लंघन माना जायेगा ।


अनुबंध

मास्टर परिपत्र
विषय: भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - शक्तियों का प्रत्यायोजन
मास्टर परिपत्र द्वारा समेकित परिपत्रों की सूची

क्र.

परिपत्रसं.

दिनांक

विषय-वस्तु

(1)

(2)

(3)

(4)

1.

जी-67/08.07.18/96-97

18.02.1997

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - निजी क्षेत्र के मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन

2.

जी-52/08.07.18/96-97

11.01.1997

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - निजी क्षेत्र के मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को सपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन -"अदा करें /अदा किया " मुहर लगे नोटों का प्रसंस्करण

3.

जी-24/08.01.01/96-97

03.12.1996

कटे-फटे नोटों को स्वीकार करना और बदलना - उदारीकरण

4.

जी-64/08.07.18/95-96

18.05.1996

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन - प्रचार

5.

जी-71/08.07.18/95-96

22.06.1993

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन - प्रचार

6.

जी-83/सी एल-1 (पी एस बी) / 91-92

06.05.1992

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको की मुद्रा तिजोरी वाली  वाली शाखाओं को शक्तियों का प्रत्यायोजन

7.

जी-74/सी एल-(पीएसबी) (सामान्य) /90-91

05.06.1991

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन

8.

5.5 सी एल -1(पी एस बी)/90-91

25.09.1990

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन

9.

8 सी एल -1(पी एस बी)/90-91

17.08.1990

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन

10.

जी-123/सीएल-1/ पी एस बी)(जन)/89-90

07.05.1990

सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण  शक्तियों का प्रत्यायोजन – (संशोधन)

11.

जी-108/सीएल-1/ पी एस बी)(जन)/89-90

03.04.1990

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली ,1989 – 500 ` मूल्यवर्ग के बैंकनोट - सरकारी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं के स्तर पर दोषपूर्ण नोटों का विनिमय 

12.

जी-8/सीएल-1/ पी एस बी)(जन)/89-90

12.07.1989

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली – भारतीय रिजर्व बैंक, निर्गम कार्यालय की मोहर ''  दावे के लिए '' लगायी  गये दोषपूर्ण नोट -

13.

जी-84/सीएल-1/ पी एस बी)(जन)/88-89

17.03.1989

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को  पूरे नोट के विनिमय के लिए शक्तियों का प्रत्यायोजन

14.

जी-66/सीएल-1/ पी एस बी)(जन)/88-89

09.02.1989

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को शक्तियों का प्रत्यायोजन – प्रशिक्षण 

15.

एस - 12 /सीएल-1/ पी एस बी)/88-89

30.09.1988

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली – जानबूझकर कटे-फटे बनाये गये नोट – न्यायनिर्णयन

16.

जी.134 /सीएल-1/ पी एस बी)/87/89

23.05.1988

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अंतर्गत शक्तियों का प्रत्यायोजन की कार्य योजना का कार्यान्वयन

17.

192 /सीएल-1/ पी एस बी)/86/87

02.06.1987

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली – सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन –योजना

18.

189 /सीएल-2/86/87

02.06.1987

नोटों पर लिखने , संदेश नारे लिखकर नोटों को विरुपित बनाना

19.

185 /सीएल-1/ पी एस बी)- 86/87

20.05.1987

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली – दोषपूर्ण नोटों पर '' भुगतान '' और '' रद्द् '' मुहर लगाना 

20.

173 /सीएल-1/ पी एस बी)- 84/85

04.04.1985

दोषपूर्ण नोटों के विनिमय के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन – उक्त की प्रक्रिया

21.

सीवाई सं. 1064 सीएल-1 /76-77

09.08.1976

जनता को गंदे और कटे-फटे नोटों के विनिमय की सुविधा

22.

सीवाई सं. 386/08.07.13/2000-01

16.11.2000

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 - सरकारी एवं निजी क्षेत्र की मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को नोट विनिमय की संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन

23.

जी-11/08.07.18/2001- 02

02.11.2001

भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 - सरकारी एवं निजी क्षेत्र की मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को नोट विनिमय की शक्तियों का प्रत्यायोजन

24.

डीसीएम (आरएमएमटी)सं.404/ 11.37.01/2003-04

09.10.2003

सिककों को स्वीकार करना एवं नोटों की उपलब्धता

25.

डीसीएम (एनइ) सं.310/ 08.07.18/2003-04

19-01-2004

आम जनता को नोटों, सिक्के आदि के विनिमय के लिए सुविधाएं प्रदान करना ।

26.

डीसीएम (आरएमएमटी)  सं.1181/11.37.01/2003-04

05-04-2004

सिक्कों को स्वीकृति

27.

आरबीआई /2006-07/ 349/ (एनई ) सं. 7488/08.07.18/2006-07

25-4-2007

छोटे मूल्यवर्ग के  बैंक नोटों और सिक्कों की स्वीकृति

28.

डीसीएम (एनई )स.1612 / 08.01.01/2009-10

03-09-09

नोट वापसी नियमावली, 2009 की अधिसूचना

29.

भारत सरकार गजट – सं.2529

20.12.2010

25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेने के लिए अधिसूचना

30.

डीसीएम(आयोजना)सं. 4459/10.03.03/2010-11

9.02.2011

25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना

31

डीसीएम (आरएमएमटी) सं. 1277/11.36.03/2010-11

24.08.2010

मुद्रा तिजोरी वाली शाखाओं द्वारा विनिमय सुविधा/ विनिमय सुविधाएं प्रदान करने की योजना

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