RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79046422

धोखाधड़ियां - वर्गीकरण और सूचना देना

भा.रि.बैं.163 /2005
संदर्भ.डीबीएस.एफआरएमसी. बीसी सं.1 /23.04.001/2005-06

9 सितंबर 2005

मुख्य कार्यपालक
सभी वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) तथा वित्तीय संस्थाएं
मबेदय

धोखाधड़ियां - वर्गीकरण और सूचना देना

कृपया आप 7 अगस्त 2004 का हमारा पत्र डीबीएस.एफआरएमसी.बीसी. सं.2/23.04.001/2004-2005 देखें जिसके साथ धोखाधड़ियां-वर्गीकरण और सूचना देने से संबंधित मास्टर परिपत्र भेजा गया था । उपर्युक्त मास्टर परिपत्र में बाद में जारी सभी अनुदेशों को समाहित कर उसे अद्यतन करने के बाद आपको भेजा जा रहा है। यह मास्टर परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है ।

2. कृपया प्राप्ति सूचना दें ।

भवदीय

 

(के.वी. सुब्बाराव)

मुख्य मबप्रबंधक


1. परिचय

1.1 बैंकों में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और डकैती / लस्र्टमार व ी होने वाली घटनाएं चिंता का विषय हैं। जहां धोखाधड़ी को रोकने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्वयं बैंकों की है, भारतीय रिजर्व बैंक समय- समय पर बैंकों को धोखाधडी प्रवण प्रमुख क्षेत्रों तथा उन्हें रोकने के लिए आवश्यक रक्षोपायों की जानकारी देता रहा है । भारतीय रिजर्व बैंक सुकल्पित स्वरूप की ऐसी धोखाधड़ियों के ब्यौरे भी बैंकों को देता रहा है जिसकी सूचना पहले नहीं दी गई है ताकि बैंक उपयुक्त प्रक्रियाओं और आंतरिक नियंत्रणों द्वारा आवश्यक रक्षोपाय प्रारंभ कर सकें । बैंकों को बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं तथा उनसे संबंधित पार्टियों की जानकारी भी दी जा रही है ताकि उनसे व्यवहार करते समय बैंक सावधान रह सकें । इस सतत प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि बैंक धोखाधड़ियों से संबंधित पूरी जानकारी और उनके द्वारा की गई अनुवर्ती कारवाई से रिज़र्व बैंक को अवगत कराएं। अत:,बैंक धोखाधड़ियों के संबंध में सूचना देने के लिए निम्नलिखित पैराग्राफों में निर्दिष्ट की गई सूचना प्रणाली अपनाएं ।

1.2 यह देखा गया है कि प्राय: धोखाधडॅी हो जाने के काफी समय बाद बैंकों को उसकी जानकारी मिलती है । बहुत बार धोखाधडॅी संबंधी रिपोर्टे रिजर्व बैंक को काफी देरी से प्रस्तुत की जाती हैं और वह भी अपेक्षित जानकारी के बिना। कुछ अवसरों पर तो भारतीय रिजर्व बैंक को बडॅी राशियों से संबंधित धोखाधडिॅयों की जानकारी प्रेस रिपार्टों के माध्यम से ही प्राप्त होती है । अत: बैंकों को चाहिए कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि सूचना - प्रणाली को उपयुक्त रूप से कारगर बनाया गया है ताकि धोखाधडिॅयों से संबंधित सूचना अविलंब दी जा सके । बैंकों को चाहिए कि वे रिजर्व बैंक को सूचना देने में होने वाली देरी के संबंध में स्टाफ को जवाबदेह बनाएं ।

1.3 धोखाधड़ियों से संबंधित सूचना देर से देने और उसके बाद बेईमान उधारकर्ताओं की कार्य-प्रणाली के संबंध में अन्य बैंकों को सतर्क करने और उनके विरुद्ध चेतावनी सूचनाएं जारी करने में देरी होने से इसी प्रकार की धोखाधड़ियां किसी अन्य स्थान पर भी हो सकती हैं । अत: बैंकों को चाहिए कि वे रिजर्व बैंक को धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने के लिए इस परिपत्र में निर्धारित समय सीमा का कड़ॉई से पालन करें अन्यथा उनके विरुद्ध बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 47 (ए) के अंतर्गत निर्दिष्ट दंडॉत्मक कारवाई की जाएगी ।

1.4 इस बीच ’ फ्राड्स रिपोर्टिंग एण्ड मॉनिटरिंग सिस्टम ’संबंधी एक साफ्टवेअर तैयार किया गया है और बैंकों को 4 जून 2003 के हमारे परिपत्र डीबीएस एफजीवी (एफ) 1836 / 23.04.001 / 2002-03 द्वारा सूचित किया गया है कि वे 30 जून 2003 को समाप्त तिमाही से विवरणियां और आंकड़े साफ्ट और हाड़ कॉपी में बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग , भारतीय रिजर्व बैंव , केंद्रीय कार्यालय के साथ-साथ बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के संबद्ध क्षेत्रीय कार्यालय को भेजना प्रारंभ करें जिसके क्षेत्राधिकार में बैंक का प्रधान कार्यालय अवलस्थत है ।

1.5 बैंकों को चाहिए कि वे महाप्रबंधक स्तर के किसी पदाधिकारी को विशेष रूप से इस बात के लिए नामित करें जो इस परिपत्र में दी गई सभी विवरणियों को प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होंगे ।

2. धोखाधड़ियों का वर्गीकरण

2.1 धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने में एकरूपता लाने के लिए धोखाधड़ियों को भारतीय दंड संहिता के उपबंधों के आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है :

(क) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग ।

(ख) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिये कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन ।

(ग) पुरस्कृत करने अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गयी अनधिकृत ऋण सुविधाएं ।

(घ) लापरवाही और नकदी की कमी ।

(ङ) छ ल और ज़ालसाजी ।

(च) विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताएं ।

(छ ) अन्य किसी प्रकार की धोखाधड़ी, जो उक्त किसी विशिष्ट शीर्ष के अंतर्गत

शामिल न बे ।

2.2 ऊपर मद (घ और च ) में उल्लिखित ॅ‘लापरवाही और नकदी की कमी’ तथा ‘विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताओं’ के मामलों को तभी धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए यदि छ ल करने/धोखा देने के इरादों का संदेह बे/इरादा साबित बे गया बे। नकदी संबंधी कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा उसी दिन 1,000 रुपए तक हुई नकदी की कमी के ऐसे मामलों को धोखाधड़ी के रूप में सूचित न किया जाए जबं धोखाधड़ी का कोई संदेह न बे। तथापि 1,000 रुपए से अधिक की नकद राशि की कमी के मामलों तथा प्रबंध-तंत्र/निरीक्षण अधिकारी द्वारा पाए गए मामलों को, चाहे उनकी राशि कितनी भी बे, धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए ।

2.3 एकरूपता सुनिश्चित करने तथा दोहरेपन से बचने के लिए परक्राम्य लिखतों से संबंधित धोखाधड़ियों की सूचना अदाकर्ता बैंकर द्वारा ही दी जाए , वसूली बैंकर द्वारा नहीं ।

2.4 विदेश व्यापार शाखाओं/कार्यालयों वाले बैंकों (विदेशी बैंकाें से इतर) को चाहिए कि वे ऐसी शाखाओं/कार्यालयाें में बेने वाली सभी धोखाधड़ियों की सूचना नीचे पैरा 3 में दिए गए फॉर्मेट और प्रक्रिया के अनुसार रिज़र्व बैंक को भी दें ।

2.5 चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूटमार के मामलों की सूचना धोखाधड़ी के रूप में न दी जाए । ऐसे सभी मामले पैरा 7 में दिए गए ब्यौरे के अनुसार अलग से सूचित किए जाए ।

3.धोखाधड़ियों की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को देना

3.1 एक लाख रुपए तथा उससे अधिक की राशि वाली धोखाधड़ियां

3.1.1एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों के ऐसे मामलों की धोखाधड़ी रिपोर्टें प्रस्तुत की जाए जो बैंकों को गलत बयानी, विश्वास भंग, लेखा बहियों में हेर-फेर, चेकों, ड्राफ्टों तथा विनिमय बिलों जैसे लिखतों के कपटपूर्ण नकदीकरण, बैंक को प्रभारित प्रतिभूतियों पर अनधिकृत रूप से कार्य करने में, अधिकार के दुरुपयोग, गबन, निधियों के दुर्विनियोजन, संपत्ति के परिवर्तन, छ ल, कमी, अनियमितताओं आदि के माध्यम से हुए हों।

3.1.2 धोखाधड़ी की रिपोर्टें ऐसे मामलों में भी प्रस्तुत की जाएं जबं केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने स्वयं ही आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी बे और/अथवा जबं रिज़र्व बैंक ने निदेश दिया बे कि उन्हें धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए ।

3.1.3 जबं कहीं जानकारी उपलब्ध बे, वबं बैंक अपनी अनुषंगियों, सबयक संस्थाओं/संयुक्त उद्यमों में हुई धोखाधड़ियों की भी सूचना दें । तथापि, ऐसी धोखाधड़ियों को बकाया धोखाधड़ियों तथा नीचे पैरा 4 में उल्लिखित तिमाही प्रगति रिपोर्टों में शामिल न किया जाए ।

3.1.4 धोखाधड़ी रिपोर्टें एफएमआर-1 में दिए गए फॉर्मेंट में सॉफ्ट और हाड़ कॉपी में धोखाधड़ी का पता चलने के तीन सप्ताह के भीतर रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग केंद्रीय कार्यालय तथा उसके उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाएं जिसके क्षेत्राधिकार में बैंक का प्रधान कार्यालय आता है ।

3.2 बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा की गई धोखाधड़ियां

3.2.1 यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में धोखाधड़ियां बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा, जिनमें कंपनियां, भागीदारी फर्में/स्वाम्य प्रतिष्ठान और/अथवा उनके निदेशक/भागीदार शामिल हैं, निम्नलिखित सहित विभिन्न तरीकों से की जाती हैं :

(i)लिखतों की कपटपूर्ण भुनाई अथवा समाशोधन में काइट फ्लाइंग ।

(ii) बैंक की जानकारी के बिना गिरवी रखे गए स्टॉक को कपटपूर्ण ढंग से हटाना/दृष्टिबंधक रखे गए स्टॉक को बेचना/स्टॉक विवरण में स्टॉकों का मूल्य बढ़ाकर दर्शाना तथा अतिरिक्त बैंक वित्त का आहरण ।

(iii) उधारकर्ता इकाइयों के बाहर निधियों का अपयोजन, उधारकर्ताओं, उनके भागीदारों आदि के स्तर पर रुचि का अभाव अथवा आपराधिक उपेक्षा तथा प्रबंधन में चूक के कारण इकाई का रुग्ण बेना और बैंक कर्मियों के स्तर पर उधार खातों में बेने वाले परिचालनों पर प्रभावी पर्यवेक्षण में कमी के कारण अग्रिमों की वसूली में कठिनाई बेना ।

3.2.2 लाख रुपये और उससे अधिक की राशि के उधार खातों में धोखाधड़ियों के संबंध में एफएमआर-1 के भाग ’बी’ के तहत यथा निर्धारित अतिरिक्त जानकारी भी प्रस्तुत की जाए।

3.3 100 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियां

3.3.1 सौ लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों के संबंध में उपर्युक्त पैराग्राफ-3.1 तथा 3.2 में दी गई अपेक्षाओं के अलावा बैंकों को चाहिए कि धोखाधड़ियों की रिपोर्ट, ऐसी धोखाधड़ियां बैंक के प्रधान कार्यालय के ध्यान में आने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर प्रभारी मुख्य मबप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय को संबोधित अ.शा. पत्र द्वारा करें । पत्र में धोखाधड़ी के संक्षिप्त विवरण जैसे कि धोखाधड़ी की राशि, धोखाधड़ी का स्वरूप, संक्षेप में आपराधिक कार्य-प्रणाली, शाखा/कार्यालय का नाम, धोखाधड़ी में शामिल पार्टियों के नाम (यदि वे स्वामित्व/भागीदारी के प्रतिष्ठान या निजी लिमिटेड कंपनियां हैं, तो मालिकों,भागीदारों तथा निदेशकों के नाम) शामिल अधिकारियों के नाम, तथा पुलिस / सीबीआई के पास शिकायत दर्ज़ किए जाने के बारे में विवरण दिए जाएं ।जिस शाखा में धोखाधड़ी हुई हैं वह बैंक शाखा जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करती है, अर्द्धशासकीय पत्र की प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी पफ्ष्ठांकित की जाए ।

3.4 धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी मामले

धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी ऐसे मामले, जहां धोखाधड़ी होगई होती तो सौ लाख रुपए से अधिक हानि होना संभव थी तो ऐसी धोखाधड़ियां उनकी आपराधिक कार्य प्रणाली तथा उनका पता कैसा लगाया गया, इसके बारे में उल्लेख करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, बैकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय को रिपोर्ट की जानी चाहिए । ऐसे मामले रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानेवाली अन्य विवरणियों में शामिल नहीं किए जाने चाहिए ।

4. तिमाही विवरणियां

4.1 धोखाधड़ियों के बकाया मामलों पर रिपोर्ट

4.1.1 बैंकों को चाहिए कि वे एफएमआर-2 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ियों के बकाया मामलों की तिमाही रिपोर्ट की एक-एक प्रति संबंधित तिमाही की समालप्त के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक के वेंद्रीय कार्यालय तथा उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें, जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत बैंक का प्रधान कार्यालय कार्यरत है। जानकारी सॉफ्ट तथा हाड़ कॉपी, दोनों रूप में दी जाए।जिन बैंकों के पास तिमाही की समालप्त पर धोखाधड़ियों के कोई बकाया मामले न हों, वे शून्य रिपोर्ट प्रस्तुत करें ।

4.1.2 रिपोर्ट के भाग-ए में तिमाही के अंतमें धोखाधड़ियों के बकाया मामले शामिल किए जाते हैं । रिपोर्ट के भाग बी तथा सी में तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों के क्रमश: श्रेणी-वार तथा अपराधी-वार विवरण दिए जाते हैं । भाग बी तथा सी में दर्शाए अनुसार तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ियों के मामलों की कुल संख्या तथा राशि रिपोर्ट के भाग-ए के कालम सं.4 तथा 5 के कुल जोड़ से मेल खानी चाहिए ।

4.1.3 उपर्युक्त रिपोर्ट के भाग के रूप में बैंक इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि तिमाही के दौरान एफएमआर-1 में रिज़ॅर्व बैंक को रिपोर्ट किए गए एक लाख रुपए तथा उससे अधिक के सभी व्यलक्तगत धोखाधड़ी के मामले भी बैंक के बोड़ के समक्ष रखे गए हैं तथा एफएमआर-2 के भाग ए (कालम 4 तथा 5) एवं भाग बी तथा सी में शामिल किए गए हैं ।

4.1.4 धोखाधड़ी वे मामले बंद करना - बैंक धोखाधड़ी के ऐसे बंद किए गए मामलों के ब्यौरे तथा उन्हें बंद किए जाने के कारण, जिनमें आगे कोई कार्रवाई के जानी अपेक्षित नहीं है, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के केंद्रीय कार्यालय तथा बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को सूचित करेंगे। तिमाही के दौरान बंद किए गए धोखाधड़ी संबंधी मामलों की सूचना एफएमआर घ्घ् तिमाही विवरणी में दी जानी चाहिए ।

बैंक ऐसे ही मामलों को बंद किए गए मामलों के रूप में सूचित करें जिनमें नीचे लिखे अनुसार कार्रवाई पूरी हो गई हो :

क) सीबीआई/पुलिस/न्यायालय में विचाराधीन धोखा धड़ी संबंधी जिन मामलों का अंतिम

निपटान हो गया हो।

ख) स्टाफ के उत्तरदायित्व पक्ष की जांच पूरी हो गई हो।

ग) धोखाधड़ी की राशि वसूल हो गई हो अथवा बट्टे खाते लिख दी गई हो।

घ) जहाँ भी लागू हो वहाँ बीमा संबंधी दावे का निपटान हो गया हो।

ङ) बैंक ने कार्य प्रणाली तथा कार्यविधि की समीक्षा कर ली हो, कारक घटकों का पता लगा

लिया हो तथा कमियों को दुरुस्त कर लिया गया हो तथा इस तथ्य को उपयुक्त

प्राधिकारी (बोड़/बोड़ की लेखा-परीक्षा समिति) ने प्रमाणित कर दिया हो।

बैंक लंबित मामलों के अंतिम निपटान के लिए, विशेष कर ऐसे मामलों में जहाँ स्टाफ से संबंधित कार्रवाई पूरी हो गई हो, सीबीआई के साथ गंभीरता से अनुवर्ती कार्रवाई करें इसी प्रकार, धोखाधड़ी के मामलों के अंतिम निपटान के लिए पुलिस प्राधिकारियों/न्यायालय के साथ भी गंभीरतापूर्वक अनुवर्ती कार्रवाई करें।

4.2 धोखाधड़ियों के संबंध में प्रगति रिपोर्ट

4.1.1 बैंकों को चाहिए कि वे एक लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों पर मामले-वार तिमाही प्रगति रिपोर्टे एफएमआर-3 में दिए गए फार्मेट में संबंधित तिमाही की समालप्त के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय को तथा बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय लस्थत है ।

4.1.2 जिन धोखाधड़ियों के मामले में तिमाही के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई हो , ऐसे मामलों की एक सूची शाखा का नाम तथा सूचना देने की तारीख के संक्षिप्त विवरण सहित एफएमआर-3 के भाग बी में प्रस्तुत करें ।

4.1.3 जिन बैंकों में एक लाख रुपये और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों का कोई भी मामला बकाया नहीं है वे शून्य रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

5. बोड़ को रिपोर्ट प्रस्तुत करना

5.1 धोखाधड़ियों की रिपोर्ट

5.1.1 बैंक यह सुनिश्चित करें कि एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियों का पता लगने के तुरंत बाद उनके बोर्डों को सूचित किया जाता है ।
5.1.2 ऐसी रिपोर्टों में अन्य बातों के साथ-साथ संबंधित शाखा अधिकारियों तथा नियंत्रक प्राधिकारियों के स्तर पर हुई चूकों का उल्लेख किया जाए तथा धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई प्रारंभ किए जाने के लिए विचार किया जाए ।

 

5.2 धोखाधड़ियों की तिमाही समीक्षा

4.1.1 मार्च, जून तथा सितंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए धोखाधड़ियों से संबंधित जानकारी संबंधित तिमाही के अगले माह के दौरान निदेशक बोड़ / कार्यपालक समिति/ स्थानीय परामर्शी बोड़ के समक्ष प्रस्तुत की जाए, भले ही, रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित समीक्षा कैलेंडर के अनुसार इन्हें बोड़ / प्रबंध समिति के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक हो अथवा न हो ।

4.1.2 इनके साथ अनुपूरक सामग्री होनी चाहिए, जिसमें सांलख्यकीय सूचना और प्रत्येक धोखाधड़ियों के ब्यौरों का विश्लेषण किया गया हो ताकि बोड़ / समिति / स्थानीय परामर्शी मंडल के पास धोखाधड़ियों के दंडात्मक और निवारक पहलुओं के संबंध में कारगर रूप से योगदान देने के लिए पर्याप्त सामग्री हो ।

4.1.3 दिसंबर को समाप्त वर्ष के लिए नीचे निर्धारित किए अनुसार वार्षिक समीक्षा के मेनिज़र दिसंबर को समाप्त तिमाही के लिए अलग से समीक्षा आवश्यक नहीं है ।

4.1.4 सभी भारतीय वाणिलज्यक बैंकों के मामले में एक करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि की सभी धोखाधड़ियों की निगरानी और समीक्षा बोड़ की विशिष्ट समिति द्वारा की जानी चाहिए। मामलों की संख्या को देखते हुए इस विशिष्ट समिति की बैठकों आवधिकता तय की जा सकती है। तथापि, जब कभी भी एक करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि की धोखाधड़ी उजागर हो, यह समिति बैठक करके उसकी समीक्षा करे ।

4.3 धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा

4.1.1 बैंकाें को चाहिए कि वे धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा करें तथा निदेशक बोड़ / स्थानीय परामर्शी बोड़ के समक्ष जानकारी देने के लिए नोट प्रस्तुत करें । दिसंबर को समाप्त वर्ष के लिए समीक्षाएं अगले वर्ष के मार्च की समालप्त के पहले बोड़ के समक्ष प्रस्तुत की जाएं । ऐसे समीक्षा नोट भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजने की आवश्यकता नहीं है । इन्हें रिज़र्व बैंक के निरीक्षण अधिकारियों के सत्यापन के लिए संभालकर रखा जाए ।

4.1.2 ऐसी समीक्षा करते समय ध्यान में रखे जाने वाले प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित मुे िशामिल किये जाएं :

(क) क्या एकबार धोखाधड़ी हो जाने पर कम से कम समय में उस का पता लगाने के लिए बैंक में विद्यमान प्रणाली पर्याप्त है ?

(ख) क्या धोखाधड़ियों की स्टाफ की दृष्टि से जांच की जाती है और जहां कहीं आवश्यक है, वहां सरकारी क्षेत्र के बैंकों के मामले में आगे कार्रवाई के लिए मामले सतर्कता कक्ष को सूचित किये जाते हैं ?

(ग) क्या जहां कहीं उपयुक्त पाया गया वहां जिम्मेदार पाये गये व्यलक्तयों के लिए निवारक सजा दी गई ?

(घ) क्या धोखाधड़ियां प्रणालियों और क्रियाविधियों का पालन करने में शिथिलता के कारण हुईं और यदि ऐसा हो तो क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कारगर कार्रवाई की गयी कि संबंधित स्टाफ् द्वारा प्रणालियों और क्रियाविधियों का पूरी सावधानी से पालन किया जाता है।

(ङ) क्या धोखाधड़ियों के बारे में, यथास्थिति, स्थानीय पुलिस या सीबीआई को इस संबंध में भारत सरकार द्वारा सरकारी क्षेत्र के बैंकों को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जांच-पड़ताल के लिए सूचना दी गई है।

5.3.3 वार्षिक समीक्षाओं में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित ब्यौरे भी शामिल होने चाहिए:

(क) वर्ष के दौरान पता लगायी गई कुल धोखाधड़ियां तथा पिछ ले दो वर्ष की तुलना में उनमें फ्ंसी हुई राशि।

(ख) पैरा 2.1 में दी गई विभिन्न श्रेणियों के अनुसार धोखाधड़ियों का विश्लेषण तथा बकाया धाखाधड़ियों पर तिमाही रिपोर्ट में उल्लिखित विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों का भी विश्लेषण (एफ्एमआर-2 के अनुसार)।

(ग) वर्ष के दौरान रिपोर्ट की गई मुख्य-मुख्य धोखाधड़ियों की वर्तमान स्थिति सहित उनकी आपराधिक कार्य-प्रणाली।

(घ) एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों का ब्यौरे-वार विश्लेषण।

(ङ) वर्ष के दौरान धोखाधड़ियों के कारण बैंक को हुई अनुमानित हानि, वसूल हुई राशि तथा किए गए प्रावधान।

(च) जहां स्टाफ् शामिल है,ऐसे मामलों की संख्या (राशि सहित) एवं उनके खिलाफ् की गई कार्रवाई।

(छ ) क्षेत्र-वार / अंचल-वार/राज्य-वार धोखाधड़ियों का विश्लेषण तथा फ्ंसी हुई राशि।

(ज)धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने में लगा समय (धोखाधड़ी होने के तीन महीने, छ ह महीने, एक वर्ष के भीतर पता लगाये गये मामलों की संख्या)।

(झ) सीबीआई/पुलिस को रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों की स्थिति।

(ञ) धोखाधड़ी के ऐसे मामलों की संख्या जिनमें बैंक द्वारा अंतिम कार्रवाई हो गयी है और मामले निपटा दिए गए हैं।

(ट) धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी करने/उन्हें न्यूनतम रखने के लिए बैंक द्वारा वर्ष के दौरान किये गये निवारक/दण्डात्मक उपाय।

6. पुलिस/सीबीआई को धोखाधड़ियों की सूचना देने हेतु दिशा-निर्देश:

6.1 निजी क्षेत्र के बैंकों को अवैध तुष्टीकरण के लिए बैंक द्वारा दी गयी अनधिकृत ऋण सुविधाएँ, लापरवाही और नकदी कम हो जाने, छ ल, जालसाजी आदि जैसी धोखाधड़ियों के संबंध में राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचित करने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए:

(क) धोखाधड़ियों/गबन के मामलों पर कार्रवाई करते हुए बैंकों को, मात्र संबंधित राशि के शीघ्र वसूल करने के लिए ही प्रवफ्त्त नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें लोक-हित से और यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रेरित होना चाहिए कि दोषी व्यक्ति दण्डित हुए बिना नहीं छ ूटें।

(ख) अत: सामान्य नियमानुसार निम्नलिखित मामले अनिवार्यत: राज्य पुलिस के पास भेजे जाने चाहिए:

(व) बाहरी व्यक्तियों द्वारा स्वयं तथा/या बैंक के स्टाफ् / अधिकारियों की सांठगांठ से बैंक में एक लाख रुपये या उससे अधिक की राशि के धोखाधड़ी के मामले।

(वव) बैंक के कर्मचारियों द्वारा किये गये धोखाधड़ी के मामले, जिनमें 10,000 रुपये से अधिक की बैंक निधियां शामिल हों।

6.2 सरकारी क्षेत्र के बैंक, एक करोड़ रुपये या उससे अधिक की धोखाधड़ी के मामले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को तथा 1 करोड़ रुपये से कम राशि के मामले स्थानीय पुलिस को नीचे लिखे अनुसार रिपोर्ट करें:

  • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को संदर्भित किए जाने वाले मामले

    (क) 1 करोड़ रुपए तथा 5 करोड़ रुपये तक के मामले

    • जहाँ प्रथम दृष्ट्या स्टाफ की संलिप्तता स्पष्ट हो - वेंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (भ्रष्टाचार निरोधी शाखा)
    • जहाँ प्रथम दृष्ट्या स्टाफ की संलिप्तता स्पष्ट न हो - केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (आर्थिक अपराध स्कंध)

    (ख) 5 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक के सभी मामले - संबंधित केंद्रों के बैंकिंग प्रतिभूति तथा धोखाधड़ी कक्ष, जो कि बड़ी बैंक धोखाधड़ियों के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरों के आर्थिक अपराध स्कंध का विशेषज्ञता प्राप्त कक्ष है ।

    स्थानीय पुलिस को संदर्भित किए जानेवाले मामले

    1 करोड़ रुपये से कम के मामले - स्थानीय पुलिस

    उपर्युक्त के अतिरिक्त, मुख्य सतर्कता अधिकारी, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक के परामर्श से 1 करोड़ रुपये से कम राशि वाला मामला कोई अथवा ऐसा कोई मामला जिसे मौद्रिक सीमा में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता हो, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को संदर्भित कर सकता है, यदि मुख्य सतर्कता अधिकारी के मत में मामला गंभीर प्रकृति का हो तथा/अथवा उसव ा अंतर-राज्यीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय विस्तार हों ।

    7. बैंक में चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूटमार होने की सूचना देना

    7.1 बैंकों को चाहिए कि वे बैंक में लूटमारी, डकैती, चोरी तथा सेंधमारी की घटनाओं की रिपोर्ट, उनके होने पर तत्काल फ्ैक्स/तार ई-मेल द्वारा निम्नलिखित प्रधिकारियों को देने की व्यवस्था करें। इस रिपोर्ट में घटना की कार्यप्रणाली के विवरण तथा अन्य सूचना एफ्एमआर-4 के कालम 1 से 10 में दी गई सूचनानुसार होनी चाहिए।

    (क) भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई।

    (ख) भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग का संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय

    जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय स्थित है।

    (ग) भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग का संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय

    जिसके अधिकार क्षेत्र में वह प्रभावित शाखा स्थित है।

    (घ) सुरक्षा परामर्शदाता, केंद्रीय सुरक्षा कक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय

    भवन, मुंबई - 400 001.

    (ङ) वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग(बैंकिंग प्रभाग),भारत सरकार, नई दिल्ली।

    7.2 बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को जिसके अधिकार क्षेत्र में बैंक का प्रधान कार्यालय स्थित है, तिमाही से संबंधित सभी मामलों को शामिल करते हुए एफ्एमआर-4 में दिए गए फ्ार्मेट में तिमाही समेकित विवरण भी प्रस्तुत करना चाहिए। यह संबंधित तिमाही की समाप्ति से 15 दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

    7.3 जिन बैंकों में तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए जाने हेतु चोरी,सेंधमारी,डकैती तथा/या लूटमारी की कोई घटनाएं नहीं हुई हैं, वे शून्य रिपोर्ट प्रस्तुत करें।


    एफएमआर - 1

    बैंकों में वास्तविक अथवा संदिग्ध धोखाधडिॅयों के संबंध में रिपोर्ट

    (देखें पैराग्राफ 3)

    भाग क : धोखाधड़ी संबंधी रिपोर्ट

    1

    बैंक का नाम

     
         

    2

    धोखाधड़ी संख्या 1

     
         

    3

    शाखा का ब्यौरा 2 -

     
           
     

    (क)

    शाखा का नाम

     
           
     

    (ख)

    शाखा का प्रकार

     
           
     

    (ग)

    स्थान

     
           
     

    (घ)

    ज़िला

     
           
     

    (र्ड़)

    राज्य

     
         

    4

    मुख्य पार्टी / खाते का नाम 3

     
           

    5

    (क)

    वह परिचालन क्षेत्र जिसमें धोखाधड़ी हुई है 4

     
           
     

    (ख)

    क्या धोखाधड़ी उधार खाते में हुई

    हां / नहीं

           

    6

    (क)

    धोखाधड़ॅी का स्वरूप 5

     
           
     

    (ख)

    क्या धोखाधड़ी में कंप्यूटर का प्रयोग किया गया ?

     
           
     

    (ग)

    यदि हां -

     
         

    7

    धोखाधड़ी की कुल राशि 6 (लाख रुपयों में)

     

     

    8

    (क)

    धोखाधड़ी होने की तारीख 7

     
           
     

    (ख)

    पता लगने की तारीख 8

     
           
     

    (ग)

    धोखाधड़ीका पता लगने में हुए विलंब , यदि कोई हो, के कारण

     
           
     

    (घ)

    भारिबैं को सूचित करने की तारीख 9

     
           
     

    (ड़)

    भारिबैं को धोखाधड़ी की सूचना देने में हुई देरी, यदि कोई हो, के कारण

     
           

    9

    (क)

    संक्षिप्त इतिहास

     
           

    (ख)

    कार्यप्रणाली

           

    10

    यह धोखाधड़ी निम्नलिखित में से किसने की -

     
           
     

    (क)

    स्टाफ

    हां / नहीं

           
     

    (ख)

    ग्राहक

    हां / नहीं

           
     

    (ग)

    बाहर के लोग

    हां / नहीं

           

    11

    (क)

    क्या नियंत्रक कार्यालय (क्षेत्रीय / आंचलिक) शाखा द्वारा प्रस्तुत नियंत्रक विवरणियों की संवीक्षा से धोखाधड़ी का पता लगा सका ?

    हां / नहीं

           
     

    (ख)

    क्या सूचना प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ?

    हां / नहीं

           

    12

    (क)

    क्या शाखा (शाखाओं) में पहली बार यह धोखाधड़ी होने की तारीख और उसका पता चलने के बीच की अवधि के दौरान आंतरिक निरीक्षण / लेखा-परीक्षा (समवर्ती लेखा-परीक्षा सहित) की गई थी ।

    हां / नहीं

           
     

    (ख)

    यदि हां, तो ऐसे निरीक्षण / लेखा-परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी का पता क्यों नहीं चला ?

     
           
     

    (ग)

    ऐसे निरीक्षण / लेखा-परीक्षा में धोखाधड़ी का पता न लगा सकने पर क्या कार्रवाई की गई ?

     
           

    13

    की गई / प्रस्तावित कार्रवाई -

     
           
     

    (क)

    पुलिस / सीबीआई में शिकायत -

     
       

    (व) क्या पुलिस / सीबीआई के पास कोई शिकायत दर्ज़ कराई गई है ?

     
           
       

    (वव) यदि हां, तो सीबीआई / पुलिस कार्यालय / शाखा का नाम -

     
           
       

    (1) मामला सूचित करने की तारीख

     
           
       

    (2) मामले की वर्तमान लस्थति

     
           
       

    (3) पुलिस / सीबीआई जांच पूरी होने की तारीख

     
           
       

    (4) पुलिस / सीबीआई द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीख

     
           
       

    (ववव) यदि पुलिस / सीबीआई में रिपोर्ट नहीं की गई तो उसके कारण

     
           
     

    (ख)

    ऋण वसूली प्राधिकरण / न्यायालय में वसूली संबंधी वाद -

     
           
       

    (व) वाद दायर करने की तारीख

     
           
       

    (वव) वर्तमान लस्थति

     
           
     

    (ग)

    बीमा संबंधी दावा -

     
           
       

    (व) क्या किसी बीमा कंपनी में कोई दावा दाखिल किया गया है

    हां / नहीं

           
       

    (वव) यदि नहीं, तो उसके कारण

     
           
     

    (घ)

    स्टाफ संबंधी कार्रवाई का ब्यौरा -

     
           
       

    (व) क्या कोई आंतरिक अन्वेषण किया गया है / प्रस्तावित है ?

     
           
       

    (वव) यदि हां, जांच पूरी होने की तारीख

     
           
       

    (ववव) क्या कोई विभागीय जांच की गई है / प्रस्तावित है ?

     
           
       

    (वख्) यदि हां, तो नीचे दिए गए फॉर्मेट के अनुसार ब्यौरा दें :

     
           
       

    (ख्) यदि नहीं, तो उसके कारण

     
           

     

     

     

    सं.

    नाम

    पदनाम

    क्या निलंबित किया गया / निलंबन की तारीख

    आरोप-पत्र जारी करने की तारीख

    आंतरिक जांच शुरू करने की तारीख

    जांच पूरी होने की तारीख

    अंतिम आदेश जारी करने की तारीख

    दिया गया दंड

    अभियोजन / सज़ा / रिहाई, आदि का ब्यौरा

                       
     

    (ड़)

    ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उठाये गए / प्रस्तावित कदम

     
           

    14

    (क)

    वसूल की गई कुल राशि -

     
           
       

    (व) संबंधित पार्टी / पार्टियों से वसूल की गई राशि

     
           
       

    (वव) बीमा से

     
           
       

    (ववव) अन्य स्रोतों से

     
           
     

    (ख)

    बैंक को हुए नुकसान की मात्रा

     
           
     

    (ग)

    रखा गया प्रावधान

     
           
     

    (घ)

    बट्टे खाते लिखी गई राशि

     
           

    15

     

    भारिबैं के विचारार्थ सुझाव

     

     

    भाग ख : उधार खातों में धोखाधड़ी संबंधी अतिरिक्त जानकारी

    (इस भाग को 5 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि के सभी उधार खातों मे हुई धोखाधड़ियों के संबंध में भरा जाए )

    क्र. सं.

    पार्टी का प्रकार

    पार्टी / खाते का नाम

    पार्टी का पता

           

    उधार खाते का ब्यौरा

    पार्टी क्र.सं.

    पार्टी / खाते का नाम

    उधार खाता क्र.संख्या

    खाते का स्वरूप

    मंजूरी की तारीख

    स्वीकृत सीमा

    बकाया शेष

                 

    उधारखाते के निदेशक / स्वामी का नाम और पता

    पार्टी / खाते का नाम

    पार्टी क्र.सं.

    निदेशक / स्वामी का नाम

    पता

           

    सहायक संस्था

    पार्टी / खाते का नाम

    सहायक संस्था क्र.

    सहायक संस्था का नाम

    पता

           

    सहायक संस्था के निदेशक / स्वामी

    सहायक संस्था का नाम

    क्रम संख्या

    निदेशक का नाम

    पता

           

    धोखाधड़ी रिपोर्ट (एफएमआर-1) संकलित करने के अनुदेश :

    1

    धोखाधड़ी संख्या : इसे कंप्यूटरीकरण और प्रति संदर्भ संबंधी सुविधा प्रदान करने को मेनिज़र रखते हुए प्रारंभ किया गया है । संख्या अल्फान्यूमेरिक फील्ड होगी जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे : चार अक्षर (बैंक का नाम दर्शाने के लिए), वर्ष के लिए दो अंक (02, 03 आदि), तिमाही के लिए दो अंक (जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 01, आदि) और अंतिम चार अंक, तिमाही में सूचित की गई धोखाधड़ी के लिए विशिष्ट कूटांक होंगे ।

       

    2

    शाखा का नाम : यदि धोखाधड़ी एक से अधिक शाखा से संबंधित हो तो केवल किसी एक ऐसी शाखा का नाम दर्शाएं जहां पर धोखाधड़ियों में शामिल राशि सबसे अधिक हो और / अथवा जो मुख्यत: धोखाधड़ी के संबंध में मुख्य रूप से अनुवर्ती कार्रवाई कर रही हो । अन्य शाखाओं के नाम मद सं.8 के सामने संक्षिप्त इतिहास / कार्यप्रणाली में दर्शाए जाएं ।

       

    3

    पार्टी का नाम : धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए सुस्पष्ट नाम दिया जाए । उधार खातों में होने वाली धोखाधड़ियों के मामले में, उधारकर्ता का नाम दिया जाए। कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ियों के मामले में, धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए कर्मचारी / कर्मचारियों का / के नाम / नामों को प्रयोग में लाया जा सकता है । जहां धोखाधड़ी हो गई है, जैसे कि समाशोधन खाते / अंतर-शाखा में, और धोखाधड़ी में शामिल किसी कर्मचारी विशेष को तत्समय पहचान पाना संभव न हो तो उसे केवल "समाशोधन / अंतर-शाखा खाते में धोखाधड़ी " के रूप में ही मान लिया जाए ।

       

    4

    वह परिचालन क्षेत्र जहां धोखाधड़ी हुई है : विवरण एफएमआर-2 (भाग क) के कॉलम 1 में दिए गए संबद्ध क्षेत्र दर्शाएं यथा डनकदी; जमा (बचत / चालू / मीयादी ); अनिवासी खाते; अग्रिम (नकद ऋण / मीयादी ऋण / बिल / अन्य); विदेशी मुद्रा लेन-देन; अंतर-शाखा खाते; चेक /मांग ड्राफ्ट, आदि; समाशोधन, आदि, खाते; तुलन-पत्र से इतर (साख पत्र / गारंटी / सह-स्वीकृति, अन्य ऋण ; अन्य ।

       

    5

    धोखाधड़ी का स्वरूप : निम्नलिखित में से उस संबद्ध श्रेणी की संख्या चुनें जो धोखाधड़ी के स्वरूप का उत्तम वर्णन करती हो : (1) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग, (2) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिए कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन, (3) पुरस्कार स्वरूप अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गई अनधिकृत ऋण सुविधाएं । (4) लापरवाही और नकदी में कमी (5) छ ल और जालसाज्ॉॅी (6) विदेशी मुद्रा संबंधी लेन-देनों में अनियमितताएं (7) अन्य ।

       

    6

    धोखाधड़ी की कुल राशि : सभी स्थानों पर राशि को दशमलव मे दो अंकों तक लाख रुपए में दर्शाया जाए ।

       

    7

    धोखाधड़ी होने की तारीख : यदि धोखाधड़ी होने की सही तारीख़ को बता पाना कठिन हो (उदाहरण के रूप में, यदि चोरियां किसी अवधि के दौरान हुई हों, अथवा यदि उधारकर्ता का विशिष्ट व्यवहार, जो बाद में गलत पाया गया हो, की वास्तविक तारीख सुनिश्चित करना संभव न हो) तो कोई ऐसी नोशनल तारीख दर्शाई जाए जो किसी व्यलक्त द्वारा की गई धोखाधड़ी की सबसे अधिक संभाव्य तारीखॅ हो सकती हो (उदाहरणार्थ वर्ष 2002 में हुई किसी धोखाधड़ी के लिए 1 जनवरी, 2002) । विशिष्ट ब्यौरा, जैसे कि वह अवधि, जिसमें धोखाधड़ी की गई, इतिहास / कार्यप्रणाली में दिया जाए ।

       

    8

    पता लगने की तारीख़ :यदि वास्तविक तारीख़ का पता न हो (जैसे कि निरीक्षण / लेखा-परीक्षा के दौरान पाई गई धोखाधड़ी के मामले में अथवा धोखाधड़ी का ऐसा मामला जो रिज़र्व बैंक के निर्देशों पर सूचित किया गया हो), तो ऐसी नोशनल तारीख़ दर्शाई जाए जिस दिन धोखाधड़ॅी होने का पता चला हो ।

       

    9

    भारिबैं को सूचित करने की तारीख़ : सूचित करने की तारीख़ एक समान रूप से वह तारीख़ होनी चाहिए जो फॉर्म एफएमआर-1 में भारिबैं को भेजी गई धोखाधड़ी की विस्तफ्त रिपोर्ट में दी गई हो न कि किसी फैक्स अथवा अ.शा.पत्र की कोई ऐसी तारीख़ जो इस रिपोर्ट से पहले भेजा गया हो ।


    एफएमआर - 2

    बकाया धोखाधड़ियों से संबंधित तिमाही रिपोर्ट

    (पैरा 4.1 के अनुसार)

    बैंक का नाम : ____________________________

    __________________को समाप्त तिमाही के लिए रिपोर्ट

    (माह / वर्ष )

    देशी / विदेशी

    (राशि लाख रुपयों में)

    संवर्ग

    पिछ ली तिमाही की समालप्त पर बकाया मामलों की लस्थति

    विद्यमान तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए नए मामले

    विद्यमान तिमाही के दौरान बंद किए गए मामले

    तिमाही की समालप्त पर बकाया मामले

    वसूली गई कुल राशि

    इस तिमाही के अंत में बकाया मामलों के लिए किया गया प्रावधान

    विद्यमान तिमाही

    के दौरान वसूली

    गई राशि

    विद्यमान तिमाही के दौरान बट्टे खाते डाली गई राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    (2+4+6)

    बशि

    (3+5-7)

    राशि

    राशि

    राशि

    राशि

    1

    2

    3

    4

    5

    6

    7

    8

    9

    10

    11

    12

    13

    नकदी

                           

    जमाराशियां -

    1. बचत
    2. चालू
    3. मीयादी
                           

    अनिवासी खाते

                           

    अग्रिम -

    1. नकदी ऋण
    2. मीयादी ऋण
    3. बिल
    4. अन्य
                           

    विदेशी मुद्रा लेन-देन

                           

    अंतर-शाखा खाते

                           

    चेक / मांग ड्राफ्ट, आदि

                           

    समाशोधन, आदि खाते

                           

    तुलन-पत्र से इतर -

    1. साख-पत्र
    2. गारंटी
    3. सह-स्वीकृति
    4. अन्य
                           

    अन्य

                           

    कुल

                           

    नोट : वे भारतीय बैंक जिनके विदेश में कार्यालय / शाखाएं हैं, उनके उपर्युक्त आंव ड़े देशी लस्थति से संबंधित रहेंगे । उनकी विदेशी शाखाओं / कार्यालयों से संबंधित आंकड़े इसी उपर्युक्त फार्मेट में एक अलग शीट पर दर्शाए जाएं।

    भाग-ख : -तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों का श्रेणी-वार वर्गीकरण

    बैंक का नाम : --------------------------------------------

    श्रेणी

    दुर्विनियोजन तथा आपराधिक विश्वासघात

    धोखे से नकदीकरण/ लेखा-बाहियों में हेराफेरी तथा संपत्ति का परिवर्तन

    गैर-कानूनी परितुष्टि के लिए अनधिकृत ऋण सुविधा देना

    लापरवाही तथा नकदी कम बे जाना

    धोखेबाज़ी तथा जालसाज़ी

    विदेशी मुद्रा लेनदेनों में अनियमितताएं

    अन्य

    कुल

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    एक लाख रुपए से कम

                                   

    एक लाख रुपए और उससे अधिक किन्तु 100 लाख रुपए से कम

                                   

    100 लाख रुपए और उससे अधिक

                                   

    कुल

                                   

    भाग -ग : - तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों का अपराधी-वार वर्गीकरण

    बैंक का नाम :---------------------------------------------

    श्रेणी

    स्टाफ

    ग्राहक

    बाहरी व्यक्ति

    स्टाफ तथा ग्राहक

    स्टाफ तथा बाहरी व्यक्ति

    ग्राहक तथा बाहरी व्यक्ति

    स्टाफ, ग्राहक तथा बाहरी व्यक्ति

    कुल

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    सं.

    राशि

    एक लाख रुपए से कम

                                   

    एक लाख रुपए और उससे अधिक किन्तु 100 लाख रुपए से कम

                                   

    100 लाख रुपए और उससे अधिक

                                   

    कुल

                                   

    नोट : 1. उपर्युक्त श्रेणी-वार वर्गीकरण मुख्यत: भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों पर आधारित है ।

    2. सभी राशियां लाख रुपयों में दो दशमलव अंकों तक दर्शाई जाएं ।

    प्रमाणपत्र

    प्रमाणित किया जाता है कि पिछ ॅली तिमाही के दौरान रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की गई एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियां बैंक के बोड़ को भी रिपोर्ट की गई हैं तथा उपर्युक्त भाग क (कॉलम 4 तथा 5) एवं भाग ख तथा ग में शामिल की गई हैं ।

     

    हस्ताक्षर:

    नाम तथा पदनाम:

     

    स्थान:

    दिनांक:


    एफएमआर-3

    बड़ी धोखाधड़ियों संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट

    (पैराग्राफ 4.2 के अनुसार)

    बैंक का नाम:

    . . को समाप्त तिमाही के लिए विवरण

    (माह, वर्ष)

    भाग-क: संक्षिप्त सूचना

     

    संख्या

    धोखाधड़ी की राशि

    (लाख रुपयों में)

    1. बकाया मामले

       

    1. मामले, जिनमें कोई प्रगति नहीं हुई है (नीचे भाग-ख में दिए
    2. हुए फार्मेट के अनुसार मामले-वार ब्यौरे प्रस्तुत करें )

       

  • मामले जिनमें प्रगति हुई है (नीचे भाग-ग में दिए हुए फार्मेट के
  • अनुसार मामले-वार ब्यौरे प्रस्तुत करें)

       

    भाग-ख: जिन मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है उनके ब्यौरे

    सं.

    शाखा का नाम

    धोखाधड़ी सं.

    पार्टी/खाते का नाम

    राशि

    (लाख रुपयों में)

             
             
             
             
             
             
             
             

    भाग-ग: प्रगति के मामले-वार ब्यौरे

    पार्टी/खाते का नाम : . .

    शाखा/कार्यालय का नाम : . .

    धोखाधड़ी की राशि : . .

    (लाख रुपयों में)

    धोखाधड़ी सं. : . .

    1.

    प्रथम बार सूचना देने की तारीख

     

    2.

    (क) ऋण वसूली प्राधिकरण/न्यायालय में वसूली वाद

    दायर करने की तारीख

     
     

    (ख) वर्तमान स्थिति

     

    3.

    गत तिमाही के अंत तक की गई वसूलियां

    (लाख रुपयों में)

     

    4.

    तिमाही के दौरान की गयी वसूलियां

    (लाख रुपयों में)

     
     

    (क) संबंधित पार्टी/पार्टियों से

     
     

    (ख) बीमा से

     
     

    (ग) अन्य स्रोतों से

     

    5.

    कुल वसूलियां (3+4) (लाख रुपयों में)

     

    6.

    बैंक को हुई बनि (लाख रुपयों में)

     

    7.

    किए गए प्रावधान (लाख रुपयों में)

     

    8.

    बट्टे-खाते डाली गई राशि (लाख रुपयों में)

     

    9.

    (क) पुलिस/सीबीआई को मामला रिपोर्ट किए

    जाने की तारीख

     
     

    (ख) पुलिस/सीबीआई जांच पूरी बेने की तारीख

     
     

    (ग) पुलिस/सीबीआई द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किए

    जाने की तारीख

     

    10. स्टाफ पर की गई कार्रवाई के ब्यौरे

    सं.

    नाम

    पदनाम

    क्या निलंबन किया गया/ निलंबन की तारीख

    आरोप-पत्र जारी करने की तारीख

    आंतरिक जांच प्रारंभ होनेकी तारीख

    जांच पूरी बेने की तारीख

    अंतिम आदेश जारी करने की तारीख

    दिया गया दंड

    अभियो-

    जन/सज़ा/ दोषमुलक्त आदि के ब्यौरे

                       
                       
                       
                       
                       

     

    11.

    अन्य घटनाक्रम

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    12.

    क्या तिमाही के दौरान मामला बंद किया गया

    बं/नहीं

    13.

    मामला बंद करने की तारीख

     

    एफएमआर-4

    डकैतियां/लूटमार/चोरी/सेंधमारी की रिपोर्ट

    (पैराग्राफ 7 के अनुसार)

    बैंक का नाम:----------------------------------------------------

    . . को समाप्त तिमाही के लिए रिपोर्ट

    (माह, वर्ष)

    शाखा का नाम

    पता

    जिला

    राज्य

    शाखा का प्रकार 10

    जोखिम वर्गीकरण 11

    क्या शाखा में मुद्रा तिजोरी है ?

    मामले का प्रकार 12

    घटना की तारीख तथा समय

    धोखाधड़ी की राशि

    (लाख रुपयों में)

    वसूली गई राशि

    (लाख रुपयों में)

    निपटाया गया बीमा-दावा

    (लाख रुपयों में)

    गिरफ्तारी

    स्टाफ

    लुटेरे

    1

    2

    3

    4

    5

    6

    7

    8

    9

    10

    11

    12

    13

    14

                               

     

     

     

    मारे गए

    घायल

    अभियुक्त

    अदा किया गया मुआवज़ा

    की गई कार्रवाई

    अपराध सं. तथा पुलिस स्टेशन का नाम, जबं अपराध दर्ज किया गया

    टिप्पणी

    स्टाफ

    लुटेरे

    अन्य

    स्टाफ

    अन्य

    स्टाफ

    लुटेरे

    स्टाफ

    अन्य

    15

    16

    17

    18

    19

    20

    21

    22

    23

    24

    25

    26

                           

     

     

    10 ग्रामीण/अर्ध-शहरी/शहरी/मबनगरीय

    11 उच्च/सामान्य/निम्न

    12 डकैती/लूटमार/चोरी/सेंधमारी

  • RbiTtsCommonUtility

    प्ले हो रहा है
    सुनें

    संबंधित एसेट

    आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

    RbiSocialMediaUtility

    आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

    Scan Your QR code to Install our app

    RbiWasItHelpfulUtility

    क्या यह पेज उपयोगी था?