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मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश

आरबीआई/2009-10/45
संदर्भ सं एफएमडी एमएसआरजी. सं.37/02.08.003/2009-10

1 जुलाई 2009
आषाढ़ 09, 1931 (स)

अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी अनुसूचित बैंक, प्राथमिक डीलर
और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान

प्रिय महोदय,

वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश

जैसा कि आप जानते हैं, वाणिज्यिक पत्र (सीपी), एक वचन पत्र के रूप में जारी बिना प्रतिभूति का मुद्रा बाजार लिखत है जिसे वर्ष 1990 में भारत में प्रारंभ किया गया था ताकि उच्च रेटेड कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को अल्पकालिक उधार के अपने स्रोतों में विविधता लाने और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। सीपी जारी करने के लिए दिशा-निर्देश वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर, यथा संशोधित विभिन्न निदेशों द्वारा अभिशासित होते हैं।

इस विषय पर सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों/अनुदेशों/निदेशों को शामिल करते हुए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि यह मास्टर परिपत्र परिशिष्ट में सूचीबद्ध परिपत्रों में निहित सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों को समेकित और अद्यतन करता है, जहां तक वे सीपी जारी करने के लिए दिशानिर्देशों से संबंधित हैं। यह मास्टर परिपत्र आरबीआई की वेबसाइट पर /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर उपलब्ध है।

भवदीय,

(चंदन सिन्हा)
मुख्य महाप्रबंधक


मास्टर परिपत्र

वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करने के लिए दिशानिर्देश, 30 जून, 2009 तक यथा संशोधित

परिचय
सीपी कौन जारी कर सकता हैं
रेटिंग आवश्यकता
परिपक्वता
मूल्यवर्ग
सीपी की सीमाएं और जारी करने की राशि
आईपीए कौन हो सकता है
सीपी में निवेश
निर्गमन का मोड
डीमैटेरियलाइज्ड फार्म के लिए वरीयता
सीपी का भुगतान
स्टैंड-बाय सुविधा
जारी करने की प्रक्रिया
भूमिका एवं दायित्व
प्रलेखन प्रक्रिया
सीपी बाजार में डिफॉल्ट
कतिपय अन्य निदेश की अनुप्रयोज्यता
अनुसूची-I
अनुसूची II
अनुसूची III
अनुबंध I
अनुबंध II
परिशिष्ट

परिचय

वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक गैर-प्रतिभूति मुद्रा बाजार लिखत है जो एक वचन पत्र के रूप में जारी किया जाता है, सीपी को एक निजी तौर पर रखे जाने वाले लिखत के रूप में वर्ष 1990 में भारत में प्रारंभ किया गया था ताकि उच्च रेटेड कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को अल्पकालिक उधार के लिए अपने स्रोतों में विविधता लाने और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। इसके बाद, प्राथमिक डीलरों, सेटेलाइट डीलरों * और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थ को भी सीपी जारी करने की अनुमति प्रदान की गई ताकि वे अपने परिचालन के लिए अल्पकालिक निधियन आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। सीपी जारी करने संबंधी दिशा-निर्देश वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए समय-समय पर यथासंशोधित, विभिन्न निदेशों द्वारा अभिशासित होते हैं, सीपी जारी करने के संबंध में अभी तक जारी किए गए दिशानिर्देशों को, सभी संशोधनों को शामिल करते हुए सुलभ संदर्भ के लिए नीचे दिया गया हैं।

वाणिज्यिक पत्र (सीपी) कौन जारी कर सकता है

2. कॉरपोरेट, प्राथमिक डीलर (पीडी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एफआई) सीपी जारी करने के लिए पात्र हैं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित अंब्रेला सीमा के अंतर्गत अल्पकालिक संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई है।

3. एक कॉर्पोरेट सीपी जारी करने के लिए पात्र होगा, बशर्ते: (क) नवीनतम ऑडिट की गई बैलेंस शीट के अनुसार कंपनी की मूर्त निवल मालियत 4 करोड़ रुपये से कम नहीं हो; (ख) कंपनी को बैंक/बैंकों या अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा कार्यशील पूंजी सीमा स्वीकृत की गई हो; और (ग) वित्तपोषण करने वाले बैंक/बैंकों /संस्था/संस्थाओं द्वारा कंपनी के उधार खाते को मानक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया हो।

रेटिंग आवश्यकताएँ

4. सभी पात्र प्रतिभागियों को क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (क्रिसिल) या इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लिमिटेड (आईसीआरए) या क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च लिमिटेड (केयर) या फिच रेटिंग्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड या ऐसी अन्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर इस उद्देश्य के लिए विनिर्दिष्ट किया जाता है, से वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करनी होगी। न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग क्रिसिल की पी-2 या अन्य एजेंसियों द्वारा जारी ऐसी समकक्ष रेटिंग होगी। जारीकर्ता सीपी जारी करते समय यह सुनिश्चित करेंगे कि इस प्रकार प्राप्त रेटिंग अद्यतन है और समीक्षा के लिए नियत नहीं है।

परिपक्वता

5. सीपी, जारी करने की तारीख से न्यूनतम 7 दिनों और अधिकतम एक वर्ष के बीच की परिपक्वता अवधि के लिए जारी किया जा सकता है। सीपी की परिपक्वता की तारीख उस तारीख से अधिक नहीं होनी चाहिए जिस तक जारीकर्ता की क्रेडिट रेटिंग मान्य है।

मूल्यवर्ग

6. सीपी 5 लाख रुपये या उसके गुणकों के मूल्यवर्ग में जारी किया जा सकता है। एकल निवेशक द्वारा निवेश की गई राशि 5 लाख रुपये (अंकित मूल्य) से कम नहीं होनी चाहिए।

सीपी जारी करने की सीमाएं और राशि

7. सीपी को "स्टैंड अलोन" उत्पाद के रूप में जारी किया जा सकता है। जारीकर्ता के सीपी की कुल राशि उसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित सीमा या निर्दिष्ट रेटिंग के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा इंगित मात्रा, जो भी कम हो, के भीतर होनी चाहिए। हालांकि, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास सीपी सहित कंपनियों के वित्तपोषण के संसाधन पैटर्न को ध्यान में रखते हुए कार्यशील पूंजी की सीमा तय करने की सुविधा होगी।

8. एक एफआई आरबीआई द्वारा समग्र रूप से निर्धारित सीमा के भीतर सीपी जारी कर सकता है, अर्थात्, अन्य लिखतों के साथ सीपी जारी कर सकता है, जैसे, सावधि मुद्रा उधार, सावधि जमा, जमा प्रमाणपत्र और अंतर-कॉर्पोरेट जमा राशि जो लेखापरीक्षित बैलेंस शीट के अनुसार कंपनी के शुद्ध स्वामित्व वाली निधि के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

9. जारी किए जाने के लिए सीपी की प्रस्तावित कुल राशि उस तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर जुटाई जानी चाहिए जिस दिन जारीकर्ता अंशदान के लिए इश्यू को खोलता है। सीपी को एक ही तारीख पर या अलग-अलग तारीखों पर भागों में जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि बाद के मामले में, प्रत्येक सीपी की परिपक्वता तिथि समान होगी।

10. नवीनीकरण सहित सीपी के प्रत्येक इश्यू को एक नए इश्यू के रूप में माना जाना चाहिए।

जारीकर्ता और भुगतान एजेंट (आईपीए) के रूप में कार्य कौन कर सकता है

11. केवल एक अनुसूचित बैंक सीपी जारी करने के लिए आईपीए के रूप में कार्य कर सकता है।

सीपी में निवेश

12. सीपी व्यक्तियों, बैंकिंग कंपनियों, भारत में पंजीकृत या निगमित अन्य कॉर्पोरेट निकायों और अनिगमित निकायों, अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा जारी और धारित किया जा सकता है। तथापि, विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा उनके निवेश के लिए निर्धारित सीमा के अंदर होगा।

जारी करने का तरीका

13. सीपी को एक वचन पत्र (अनुसूची 1) के रूप में या सेबी द्वारा अनुमोदित और उसके साथ पंजीकृत किसी भी डिपॉजिटरी के माध्यम से डिमटेरियलाइज्ड रूप में जारी किया जा सकता है।

14. सीपी को जारीकर्ता द्वारा निर्धारित किए गए अनुसार अंकित मूल्य पर बट्टे पर जारी किया जाएगा।

15. किसी भी जारीकर्ता के पास सीपी का इश्यू अवलिखित या सह-स्वीकृत नहीं होना चाहिए।

अभौतिकीकरण (डिमटेरियलाइजेशन) को प्राथमिकता

16. जबकि जारीकर्ताओं और ग्राहकों दोनों के लिए सीपी को डिमटेरियलाइज्ड या भौतिक रूप में जारी करने / रखने का विकल्प उपलब्ध है, जारीकर्ताओं और ग्राहकों को निर्गम / होल्डिंग के डिमटेरियलाइज्ड रूप पर अनन्य निर्भरता को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तथापि, 30 जून 2001 से बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और पी.डी. को केवल डिमटेरियलाइज्ड रूप में ही नए निवेश करने होंगे और सीपी को धारित करना होगा।

सीपी का भुगतान

17. सीपी में प्रारंभिक निवेशक आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता के खाते में क्रॉस किए गए अकाउंट पेई चेक के माध्यम से सीपी के रियायती मूल्य का भुगतान करेगा। जब सीपी भौतिक रूप में रखा जाता है, तो सीपी की परिपक्वता पर, सीपी धारक आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता को भुगतान के लिए लिखत प्रस्तुत करेगा। हालांकि, जब सीपी डीमैट के रूप में होता है तो सीपी के धारक को इसे डिपॉजिटरी के माध्यम से भुनाना होगा और आईपीए से भुगतान प्राप्त करना होगा।

स्टैंड-बाय सुविधा

18. सीपी के एक 'स्टैंड अलोन' उत्पाद होने स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए सीपी जारीकर्ताओं को स्टैंड-बाय सुविधा प्रदान करना किसी भी तरह से बाध्यकारी नहीं होगा। हालांकि, बैंक और वित्तीय संस्थाओं के पास उनके वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर स्टैंड-बाय सहायता / क्रेडिट, बैक-स्टॉप सुविधा इत्यादि के माध्यम से क्रेडिट वृद्धि प्रदान करने की स्वतंत्रता होगी जो उनके बोर्डों के विशिष्ट अनुमोदन के साथ लागू विवेकपूर्ण मानदंडों के अधीन होगी।

19. कॉरपोरेट सहित गैर-बैंक संस्थाएं सीपी इश्यू करने हेतु क्रेडिट वृद्धि के लिए बिना शर्त और अपरिवर्तनीय गारंटी भी प्रदान कर सकती हैं, बशर्तें कि:

  1. जारीकर्ता सीपी जारी करने के लिए निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो;
  2. गारंटर की क्रेडिट रेटिंग एक अनुमोदित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा जारीकर्ता को दी गई रेटिंग की तुलना में कम से कम एक स्तर अधिक हो; और
  3. सीपी के लिए प्रस्ताव दस्तावेज में गारंटर कंपनी की निवल मालियत, उन कंपनियों के नामों का ब्यौरा जिन्हें गारंटर द्वारा समान गारंटी जारी की गई है, गारंटर कंपनी द्वारा दी गई गारंटी की सीमा और जिन शर्तों के अंतर्गत गारंटी का उपयोग किया जा सकता है, का ठीक से उल्लेख किया गया हो।

जारी करने की प्रक्रिया

20. प्रत्येक जारीकर्ता को सीपी जारी करने के लिए एक आईपीए नियुक्त करना होगा। जारीकर्ता को मानक बाजार प्रथाओं के अनुसार अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में संभावित निवेशकों को बताना होगा। निवेशक और जारीकर्ता के बीच सौदे की पुष्टि के आदान-प्रदान के बाद, जारीकर्ता कंपनी निवेशक को भौतिक प्रमाण पत्र जारी करेगी या डिपॉजिटरी के साथ निवेशक के खाते में सीपी को जमा करने की व्यवस्था करेगा। निवेशकों को इस आशय के आईपीए प्रमाण पत्र की एक प्रति दी जाएगी कि जारीकर्ता का आईपीए के साथ एक वैध समझौता है और सभी दस्तावेज सही हैं (अनुसूची III)।

भूमिका और जिम्मेदारियां

21. जारीकर्ता, जारीकर्ता और भुगतान एजेंट (आईपीए) और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (सीआरए) की भूमिका और दायित्व निम्नानुसार निर्धारित की गई हैं:

(ए) जारीकर्ता

सीपी जारी करने की प्रक्रियाओं के सरलीकरण के साथ, जारीकर्ताओं के पास अब अधिक लचीलापन होगा। हालांकि, जारीकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि सीपी जारी करने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाए।

(बी) जारीकर्ता और भुगतान एजेंट (आईपीए)

(i) आईपीए यह सुनिश्चित करेगा कि जारीकर्ता के पास आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग हो और सीपी जारी करने के माध्यम से जुटाई गई राशि सीआरए द्वारा निर्दिष्ट रेटिंग के लिए इंगित मात्रा या इसके निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित, इनमें से जो भी कम है, के अंदर हो।

(ii) आईपीए को जारीकर्ता द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों को सत्यापित करना होगा, जैसे, बोर्ड संकल्प की प्रति, प्राधिकृत निष्पादकों के हस्ताक्षर (जब सीपी भौतिक रूप में हो) और एक प्रमाण पत्र जारी करना होगा कि दस्तावेज सही हैं। आईपीए द्वारा यह भी प्रमाणित किया जाए कि उसका जारीकर्ता (अनुसूची III) के साथ एक वैध समझौता है।

(iii) आईपीए द्वारा सत्यापित मूल दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां आईपीए की अभिरक्षा में रखी जानी चाहिए।

(iv) जारी किए गए प्रत्येक सीपी की सूचना मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 को दी जानी चाहिए।

(v) जो आईपीए एनडीएस सदस्य हैं, उन्हें निर्गम के पूर्ण होने की तारीख से दो दिनों के अंदर एनडीएस प्लेटफॉर्म पर सीपी निर्गम के ब्यौरों की रिपोर्ट करनी चाहिए।

(vi) इसके अलावा, जब तक कि एनडीएस रिपोर्टिंग आरबीआई की संतुष्टि के अनुसार स्थिर नहीं हो जाती तब तक आईपीए के रूप में कार्य करने वाले सभी अनुसूचित बैंक, निर्गम के पूरा होने की तारीख से तीन दिनों के भीतर अनुसूची II के अनुसार विवरण शामिल करते हुए सीपी जारी करने के विवरण की रिपोर्ट करना जारी रखेंगे होंगे।

(सी) क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (सीआरए)

(i) पूंजी बाजार लिखतों की रेटिंग करने के लिए सीआरए हेतु सेबी द्वारा निर्धारित आचार संहिता सीपी रेटिंग के लिए उन पर (सीआरए) लागू होगी।

(ii) इसके अलावा, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के पास अब से जारीकर्ता की शक्तियों के बारे में अपनी धारणा के आधार पर रेटिंग की वैधता अवधि निर्धारित करने का विवेकाधिकार होगा। तदनुसार, रेटिंग के समय, सीआरए स्पष्ट रूप से उस तारीख को इंगित करेगा जब रेटिंग की समीक्षा की जानी अपेक्षित होगी।

(iii) हालांकि, सीआरए क्रेडिट रेटिंग की वैधता अवधि तय कर सकते हैं, लेकिन उन्हें नियमित अंतराल पर जारीकर्ताओं को सौंपी गई रेटिंग की तुलना में उनके ट्रैक रिकॉर्ड की बारीकी से निगरानी करनी होगी और अपने प्रकाशनों और वेबसाइट के माध्यम से रेटिंग में अपना संशोधन सार्वजनिक करना होगा।

प्रलेखन प्रक्रिया

22. फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईएमएमडीए) सीपी बाजार के परिचालन में लचीलेपन और सुचारू कामकाज के लिए आरबीआई के परामर्श से, प्रतिभागियों द्वारा पालन की जाने वाली किसी भी मानकीकृत प्रक्रिया और दस्तावेज को अंतरराष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ प्रथाओ के अनुरूप निर्धारित कर सकता है। जारीकर्ता/आईपीए इस संबंध में एफआईएमएमडीए द्वारा 5 जुलाई, 2001 को जारी विस्तृत दिशा-निर्देशों का संदर्भ ले सकते हैं।

23. इन दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जा सकता है और इसमें सीपी बाजार से संस्था को प्रतिबंधित करना भी शामिल हो सकता है।

सीपी बाजार में चूक (डिफ़ॉल्ट)

24. सीपी के मोचन में चूक की निगरानी करने के लिए आईपीए के रूप में कार्य करने वाले अनुसूचित बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे सीपी के पुनर्भुगतान में चूक होने पर उसकी सूचना पूर्ण ब्यौरों सहित अनुबंध में दिए गए प्रारूप में वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001, फैक्स: 022-22630981/22634824 पर तत्काल दें।

कतिपय अन्य निदेशों का लागू नहीं होगा

25. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा सार्वजनिक जमा स्वीकार (रिज़र्व बैंक) संबंधी निदेश, 1998 में निहित कोई भी निदेश किसी भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) पर लागू नहीं होगा, जब तक कि यह दिशा-निर्देश सीपी जारी करके जमा की स्वीकृति से संबंधित ना हो।

26. दिशानिर्देशों में प्रयुक्त कतिपय शब्दों की परिभाषाएं अनुलग्नक II में दी गई हैं।


परिशिष्ट
परिपत्रों की सूची

क्र सं संदर्भ सं. दिनांक विषय
1. आईईसीडी सं पीएमडी.15/87 (सीपी) - 89/90 3 जनवरी 1990 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करना
2. आईईसीडी पीएमडी.19/87 (सीपी) - 89/90 23 जनवरी 1990 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करना
3. आईईसीडी संर पीएमडी.28/87 (सीपी) - 89/90 24 अप्रैल 1990 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निर्देशों में संशोधन।
4. आईईसीडी संख्या.पीएमडी.1/08.15.01 /93- 94 2 जुलाई 1990 फैक्टरिंग सेवाओं के प्रावधान के लिए दिशानिर्देश
5. आईईसीडी सं पीएमडी.2/87 (सीपी)-90/91 7 जुलाई 1990 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - मौजूदा निर्गम का नवीकरण।
6. आईईसीडी पीएमडी.57/87 (सीपी) - 90/91 30 मई, 1991 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निदेशों में संशोधन।
7. आईईसीडी नं 16/पीएमडी/87 (सीपी) - 91/92 20 अगस्त 1991 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करना
8. आईईसीडी नं 39/पीएमडी/87 (सीपी) - 91/92 20 दिसंबर 1991 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निर्देशों में संशोधन।
9. आईईसीडी संख्या 49/सीसी एंड एमआईएस/87/91-92 7 फरवरी 1992 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करना - रिटर्न आदि प्रस्तुत करना।
10. आईईसीडी संख्या 63/08.15.01/91-92 13 मई 1992 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निदेशों में संशोधन।
11. आईईसीडी संख्या 34/08.15.01/92-93 19 मई 1993 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) – स्टाम्प ड्यूटी लागू करना
12. आईईसीडी संख्या 13/08.15.01/93-94 5 अक्टूबर 1993 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निदेशों में संशोधन।
13. आईईसीडी संख्या 17/08.15.01/93-94 18 अक्टूबर 1993 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निदेशों में संशोधन।
14. आईईसीडी संख्या 25/08.15.01/93-94 17 दिसम्बर 1993 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करना
15. आईईसीडी संख्या 19/08.15.01/94-95 20 अक्टूबर 1994 वाणिज्यिक पेपर - स्टैंड बाय व्यवस्था
16. आईईसीडी संख्या 28/08.15.01/95-96 20 जून 1996 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) –
17 आईईसीडी संख्या 3/08.15.01/96-97 25 जुलाई 1996 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) - निदेशों में संशोधन
18. आईईसीडी संख्या 14/08.15.01/96-97 5 नवंबर 1996 वाणिज्यिक पेपर
19. आईईसीडी संख्या 25/08.15.01/96-97 15 अप्रैल, 1997 वाणिज्यिक पेपर
20. आईईसीडी संख्या 14/08.15.01/97-98 27 अक्टूबर 1997 वाणिज्यिक पेपर
21. आईईसीडी संख्या 43/08.15.01/97-98 25 मई, 1998 वाणिज्यिक पेपर
22. एमपीडी.48/07.01.279/2000-01 6 जुलाई 2000 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
23. आईईसीडी सं 15/08.15.01/2000-01 30 अप्रैल, 2001 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
24. आईईसीडी सं.2/08.15.01/2001-02 23 जुलाई 2001 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
25. आईईसीडी सं.11/08.15.01/2002-03 12 नवम्बर 2002 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
26. आईईसीडी सं 19/08.15.01/2002-03 30 अप्रैल 2003 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
27 आईईसीडी सं / 08.15.01/2003-04 19 अगस्त 2003 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश – वाणिज्यिक पेपर बाजार में चूक
28 एमपीडी सं251/07.01.279/2004-05 1 जुलाई 2004 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
29 एमपीडी सं 258/07.01.279/2004-05 26 अक्टूबर 2004 वाणिज्यिक पेपर जारी करने के लिए दिशानिर्देश
30 एमपीडी सं261/07.01.279/2004-05 13 अप्रैल 2005 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) की रिपोर्टिंग एनडीएस प्लेटफॉर्म पर जारी करना

* सैटेलाइट .डीलरों की प्रणाली 1 जून, 2002 से बंद कर दी गई है

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