मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश
भा.रि.बैं/2010-11/84 1 जुलाई 2010 सभी अनुसूचित बैंकों/ प्राथमिक व्यापारियों और महोदय मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश जैसा कि आप जानते हैं, वाणिज्यिक पत्र, वचन पत्र के रूप में जारी की जानेवाली एक गैर-जमानती मुद्रा बाज़ार लिखत है जिसे भारत में 1990 में पहली बार जारी किया गया । इसे जारी करने का उद्देश्य यह है कि उच्च दर्जे के कार्पोरेट उधारकर्ता अपने अल्पावधि उधारों के स्रोतों का विवधीकरण कर सकें और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत मुहैया कराया जा सके । वर्तमान में वाणिज्यिक पत्र जारी करने के दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गये, समय-समय पर यथा संशोधित, विभिन्न निर्देशों द्वारा शासित होते हैं । 2. इस विषय पर सभी वर्तमान दिशानिर्देशों/अनुदेशों/निदेशों को समाहित करते हुये एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है । यह उल्लेखनीय है कि यह मास्टर परिपत्र परिशिष्ट में सूचीबद्ध परिपत्रों में निहित सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों को उस हद तक समेकित व अद्यतन करता है, जिस हद तक इन परिपत्रों का संबंध वाणिज्यिक पत्र जारी करने के दिशानिर्देशों से है । इस मास्टर परिपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर उपलब्ध कराया गया है। भवदीय |