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मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- कारपोरेट गवर्नेंस (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015

भारिबैं/2015-16/12
गैबैंविवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.053/03.10.0119/2015-16

1 जुलाई 2015

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी)

महोदय/महोदया,

मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- कारपोरेट गवर्नेंस (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015

सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2015 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में सूचीबद्ध अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं, मास्टर परिपत्र में समेकित एवं अद्यतन कर दिये गये हैं। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (/en/web/rbi). पर भी उपलब्ध है।

भवदीय,

(सी डी श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक


विषय सूची

क्रम विवरण
1 संक्षित्प्त शीर्षक तथा निदेशों का प्रारंभ
2 निदेशों का विस्तार
3 बोर्ड समिति का गठन
4 उचित और पर्याप्त मापदंड
5 प्रकटीकरण तथा पारदर्शिता
6 सांविधिक लेखा परीक्षा फर्म के भागीदारों का रोटेशन
7 आंतरिक दिशानिदेश बनाया जाना

भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग विनियमन विभाग
केन्द्रीय कार्यालय, सेंटर 1, विश्व व्यापार केन्द्र
कफ परेड, कोलाबा, मुंबई 400 005

अधिसूचना सं: गैबैंविवि. 019/मुमप्र (सीडीएस)-2015

10 अप्रैल 2015

भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से कार्पोरेट गवर्नेंस से संबंधित निदेश को जारी करना आवश्यक है जैसा नीचे विनिर्दिष्ट किया गया है, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45ठ, 45ड तथा 45ठक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद द्वारा इसके आगे निम्नलिखित निदेश विनिर्दिष्ट करता है:

1. संक्षित्प्त शीर्षक तथा निदेशों का प्रारंभ

  1. इन निदेशों को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी कार्पोरेट गवर्नेंस (रिज़र्व बैंक) निदेश 2015 के नाम से जाना जाएगा।

  2. यह निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

2. निदेशों का विस्तार

  1. अपनी अंतिम लेखा परीक्षित तुलन पत्र के अनुसार रू 500 करोड़ तथा उससे अधिक परिसंपत्ति आकार वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी-एन डी-एसआई) तथा जमा राशि स्वीकार करने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-डी) पर लागू होगा, जिसे इसके बाद एनबीएफसी कहा जाएगा।

  2. कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 2011 में विनिर्दिष्ट प्रणालीगत महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर इन निदेशों के प्रावधान लागू नहीं होंगे।

3. बोर्ड समिति का गठन

(1) लेखा परीक्षा समिति

  1. सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को लेखा परीक्षा समिति का गठन करना होगा जिसमें उनके निदेशक मंडल से कम से कम तीन सदस्यों हो।

स्पष्टीकरण I : गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा गठित लेखा परीक्षा समिति कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 177 के तहत इस पैराग्राफ के प्रयोजनों के लिए लेखा परीक्षा समिति के अनुरूप होगा।

स्पष्टीकरण II : इस पैराग्राफ के तहत गठित लेखा परीक्षा समिति के पास भी वही शक्ति, कार्य और दायित्व होंगे जो कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 177 में विनिर्दिष्ट किया गया है।

  1. लेखा परीक्षा समिति को यह सुनिश्चित करना होगा कि एनबीएफसी द्वारा सामना की जाने वाली परिचालनगत एक्सपोजर की पहचान करने के लिए दो वर्षों में कम से कम एक बार आंतरिक प्रणाली और प्रक्रिया का सोचना प्रणाली लेखा परीक्षा करना होगा।

(2) नामिति समिति

सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को प्रस्तावित/मौजूदा निदेशकों का “ उचित और पर्याप्त” स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक नामिति समिति का गठन करना होगा।

स्पष्टीकरण I : इस पैराग्राफ के तहत गठित नामिति समिति के पास वही सभी शक्तियां, कार्य और दायित्व होंगे जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 178 में विनिर्दिष्ट है।

(3) एक्सपोजर प्रबंध समिति

एकीकृत एक्सपोजर का प्रबंधन के लिए सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को आस्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) समिति के साथ साथ एक्सपोजर प्रबंधन समिति का गठन करना होगा।

4. उचित और पर्याप्त मापदंड

(1) सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को

  1. यह सुनिश्कित करना होगा कि निदेशकों की नियुक्ति के स्मय उचित और पर्याप्त मापदंड सुनिश्चित करने के लिए नियमित आधार पर नीति बनाकर निदेशक मंडल के समक्ष अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करना होगा। उचित और पर्याप्त मापदंड नीति के संबंध में दिशानिदेश अनुलग्नक -1 में विनिर्दिष्ट किया गया है;

  2. निदेशको से संबंधित अतिरिक्त सूचना के लिए निदेशकों से घोषण पत्र तथा वचन पत्र लिया जाए। यह घोषणा पत्र तथा वचन पत्र अनुलग्नक -2 में विनिर्दिष्ट प्रारूप के अनुसार होगा;

  3. निदेशकों से हस्ताक्षरित प्रतीज्ञापत्र दस्तावेज प्राप्त किया जाए जो अनुलग्नक -3 में विनिर्दिष्ट प्रारूप के अनुसार हो;

  4. निदेशकों के परिवर्तन के संबंध में तिमाही रिपोर्ट तथा निदेशकों के चयन में उचित और पर्याप्त मानदंड का अनुपालन किया गया है इस आशय का प्रमाण पत्र प्रबंध निदेश से भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करना होगा। प्रत्येक समाप्त तिमाही के 15 दिनों के अंदर विवरणियां भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्राप्त हो जानी चाहिए। 31 मार्च को समाप्त तिमाही से संबंध में प्रस्तुत की जाने वाली विवरणियां लेखा परीक्षा द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए।

बशर्ते कि बैंक “ यदि यह जन साधारण के हित में और पर्यापत हो तो”, किसी भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का उसकी परिसंपत्ति आकार को ध्यान में रखे बिना, ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के निदेशकों का उचित और पर्याप्त मानदंड की जांच करने का अधिकार रखता है।

5. प्रकटीकरण तथा पारदर्शिता

(1) सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को नियमित अंतराल में इस संबंध में बोर्ड द्वारा निर्धारित फार्मेट में निम्नलिखित को निदेश मंडल के समक्ष प्रस्तुत करना होगा:

  1. एनबीएफसी द्वारा अपनाई जाने वाली उन्नत एक्सपोजर प्रबंधन प्रणाली तथा एक्सपोजर प्रबंधन नीति और कार्यनीति के संबंध में प्रगति;

  2. कार्पोरेट गवर्नेंस मानक जैसे विभिन्न समितियों का गठन, उनकी भूमिका और कार्य, बैठक की आवधिकता तथा कार्यक्षेत्र व्याप्ति (कवरेज़) का अनुपालन और कार्यों की समीक्षा की पुष्टि प्रस्तुत करनी होगी।

(2) सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को 31 मार्च 2015 से अपने वार्षिक वित्तीय विवरणी में निमंलिखित को भी प्रकट करना होगा:

  1. अन्य वित्तीय विनियामक सेक्टर से प्राप्त किसी भी नाम का पंजीकरण/लाइसेंस/ प्राधिकृत;

  2. क्रेडिट रेटिंग ऐजेंसियों द्वारा प्रदान की गई रेटिंग तथा वर्ष के दौरान रेटिंग में परिवर्तन;

  3. किसी विनियामक द्वारा लगाया गया दंड, यदि कोई हो तो;

  4. संयुक्त उपक्रम तथा विदेशी सहायक कंपनियों के संबंध में क्षेत्र, परिचालन का देश संबंधी सूचना, और

  5. आस्ति-देयता प्रोफाइल, मूल कंपनी के उत्पादों के वित्तपोषण का विस्तार, एनपीए और एनपीए का परिचालन, सभी तुलन पत्र एक्सपोजर का ब्योरा, प्रतिभूतिकरण/कार्यभार लेनदेन के रूप में भी उनके द्वारा जारी संरचित उत्पाद और अनुबंध 4 में विनिर्दिष्ट अन्य प्रकटीकरण

6. सांविधिक लेखा परीक्षा फर्म के भागीदारों का रोटेशन

सभी प्रयोज्य एनबीएफसी को लेखा परीक्षा करने वाली चार्टर्स एकाउंटेंट फर्म के भागीदारों का प्रत्येक तीन पर रोटेशन करना चाहिए ताकि एक ही पार्टनर कंपनी का तीन वर्ष से अधिक समय के लिए लगातार लेखा परीक्षा न कर सके। ततहापि यदि एनबीएफसी चाहे तो रोटेटेड पार्टनर को तीन वर्ष के अंतराल के बाद एनबीएफसी का लेखा परीक्षा करने के लिए पात्र हो जायेंगे। एनबीएफसी लेखा परीक्षा फर्म के नियुक्ति पत्र में तदनुसार समुचित नियम को शामिल करें तथा इसका अनुपालन किया जाए।

7. आंतरिक दिशानिदेश बनाया जाना

सभी प्रयोज्य एनबीएफसी उक्त दिशानिदेश में निहित तथ्यों की अवहेलना किए बगैर दिशानिदेश के दायरे को बढाने के लिए अपने निदेश मंड के अनुमोदन से कार्पोरेट गवर्नेंस पर आंतरिक दिशानिदेश बनाये और अपने विभिन्न स्टेकधारकों के सूचनार्थ इसे अपने कंपनी के वेबसाइट, यदि कोई हो तो, में प्रदर्शित करें।

(सी डी श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

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