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मास्टर परिपत्र - "गैर बैंकिंग वित्तीय(जमाराशि स्वीकार न करने वाली या धारण न करने वाली)कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक ) निदेश, 2007"

भारिबैं/2007-08/3
गैबैंपवि.(नी.प्रभा.) कंपरि.सं.98/03.02.001/2007-08

2 जुलाई, 2007

अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय(जमाराशि स्वीकार न करने वाली/धारणन करने वाली) कंपनियाँ

प्रिय महोदय

मास्टर परिपत्र - "गैर बैंकिंग वित्तीय(जमाराशि स्वीकार न करने वाली या धारण न करने वाली)कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक़) निदेश, 2007"

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (जमाराशि स्वीकार न करने वाली /धारण न करने वाली) के लिए यथा प्रयोज्य विवेपूर्ण मानदण्ड 22 फरवरी 2007 को अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 193 / डीजी(वीएल) -2007 के द्वारा जारी किए गए थे। 30 जून 2007 तक अद्यतन की गई उक्त अधिसूचना नीचे पुन: उद्धृत की जा रही है।

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर-1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400 005

अधिसूचना सं. डीएनबीएस.193/डीजी (वीएल)-2007 दिनांक 22 फरवरी, 2007

भारतीय रिज़र्व बैंक, जनता के हित में यह आवश्यक समझकर, और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से नीचे दिए गए विवेकपूर्ण मानदण्डों से संबधित निदेश जारी करना जरूरी है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इसकी ओर से प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा 31 जनवरी, 1998 की अधिसूचना सं. डीएफसी.119/डीजी (एसपीटी)/98 में दिए गए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश 1998 का अधिक्रमण करते हुए सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार/धारण न करनेवाली प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को इसके पश्चात निर्दिष्ट निदेश देता है।

संक्षिप्त नाम, निदेशों का प्रारंभ और उनकी प्रयोज्यता

1. (1) इन निदेशों को "गैर-बैकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार या धारण न करनेवाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007" के नाम से जाना जाएगा।

  1. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

(3) (i) इन निदेशों के प्रावधान, आगे खंड (ii), (iii) तथा (iv) में यथा उल्लिखित को छोड़कर, निम्नलिखित पर लागू होंगे
सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार/धारण न करनेवाली प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी।

(ii) इन निदेशों के पैराग्राफ 16 तथा 18 के प्रावधान निम्नलिखित पर लागू नहीं होंगे

(क) कोई ऋण कंपनी;
(ख) कोई निवेश कंपनी;
(ग) कोई परिसंपत्ति वित्त कंपनी;

जो संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमा राशि न लेनेवाली कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी नहीं है।

(iii) ये निदेश, निवेश कंपनी होने के नाते किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगे;

बशर्ते, वह

(क) अपने समूह/नियंत्रण/सहायक कंपनियों की प्रतिभूतियों में निवेश रखती हो और ऐसे धारण के बही मूल्य उसकी कुल परिसंपत्तियों के नब्बे प्रतिशत से कम न हो और वह ऐसी प्रतिभूतियों में क्रय-विक्रय न करती हो;
(ख) सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार/धारण न करती हो; तथा
(ग) संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमा राशि न लेनेवाली कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी नहीं है।

तथापि, ऐसी निवेश कंपनियों पर पैराग्राफ 16 एवं 18 के प्रावधान लागू होंगे जो संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमा राशि न लेनेवाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

(iv) पैराग्राफ 19 के प्रावधानों को छोड़कर, ये निदेश सरकारी कंपनी होने के नाते ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगे, जैसा कि कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 के अंतर्गत परिभाषित है और सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार/धारण नहीं करती है।

परिभाषा

2. (1) इन निदेशों के प्रयोजन के लिए, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो

  1. "विघटित मूल्य(break-up value)" का अर्थ है ईक्विटी पूंजी तथा आरक्षित निधि, जिसे अमूर्त परिसंपत्तियों एवं पुनर्मूल्यांकित आरक्षित निधि के रूप में घटाया गया है, व निवेशिती (इनवेस्टी) कंपनी के ईक्विटी शेयरों की संख्या से विभाजित किया गया है;
  2. "वहन लागत(carrying cost)" का अर्थ है परिसंपत्तियों ं का बही मूल्य और उस पर उपचित ब्याज किंतु जो प्राप्त न हुआ हो;
  3. "वर्तमान निवेश(current investment)" का अर्थ है ऐसा निवेश जिसे तुंत भुनाया जा सके और निवेश करने की तारीख से एक वर्ष से अधिक अवधि तक धारित न किए जाने के लिए हो;
  4. "संदिग्ध परिसंपत्तियों " का अर्थ है -
  5. (क) मीयादी ऋण, अथवा
    (ख) पट्टा परिसंपत्ति, अथवा
    (ग) किराया खरीद परिसंपत्ति, अथवा
    (घ) कोई अन्य परिसंपत्ति,

    जो 18 महीने से अधिक अवधि तक अवमानक परिसंपत्ति बनी रही हो;

  6. "अर्जन मूल्य" का अर्थ है ईक्विटी शेयरों का वह मूल्य जिसकी गणना करने के बाद करोत्तर लाभों के औसत तथा अधिमानी लाभांश को घटाते हुए तथा असाधारण एवं गैर-आवर्ती मदों को समायोजित करते हुए तत्काल पूर्ववर्ती तीन वर्षों के लिए की गई हो और उसे निवेशिती कंपनी के ईक्विटी शेयरों की संख्या से विभाजित किया गया हो तथा जिसे निम्नलिखित दर पर पूंजीकृत किया गया हो
  7. (क) प्रमुखत: विनिर्माण कंपनी के मामले में, आठ प्रतिशत
    (ख) प्रमुखत: व्यापार कंपनी के मामले में, दस प्रतिशत; और
    (ग) एनबीएफसी सहित किसी अन्य कंपनी के मामले में, बारह प्रतिशत;

    टिप्पणी :

    यदि निवेशिती कंपनी घाटे वाली कंपनी है तो अर्जन मूल्य शून्य पर लिया जाएगा;

  8. "उचित मूल्य" का अर्थ है अर्जन मूल्य और विघटित मूल्य का औसत;
  9. "संमिश्र ऋण(hybrid debt)" का अर्थ है ऐसा पूंजीगत लिखत जिसमें ईक्विटी तथा ऋण की कतिपय विशेषताएं हों;

(viii) ‘मूलभूत संरचना ऋण’ का अर्थ है एनबीएफसी द्वारा उधारकर्ता को दी गई ऐसी ऋण सुविधा जो मीयादी ऋण, परियोजना ऋणस्वरूप किसी परियोजना वित्त पैकेज के हिस्से के रूप में अर्जित किसी परियोजना कंपनी के बाण्ड/डिबेंचर/अधिमानी शेयर/ईक्विटी शेयर में अभिदान हो और अभिदान की यह रकम "अग्रिम के रूप में" हो अथवा निम्नलिखित गतिविधियों में संलग्न किसी उधारकर्ता कंपनी को दी गई किसी अन्य प्रकार की दीर्घावधि निधिक सुविधा हो

  • विकास कार्य अथवा
  • परिचालन एवं परिरक्षण, अथवा
  • विकास, परिचालन एवं परिरक्षण

ऐसी कोई मूलभूत संरचना सुविधा जो निम्नलिखित क्षेत्र की कोई परियोजना हो

क) सड़क, पथकर सड़क-सहित, पुल अथवा रेल प्रणाली;
ख) महामार्ग परियोजना जिसमें महामार्ग परियोजना की अभिन्न अंगवाली अन्य गतिविधियां भी शामिल हैं;
ग) बंदरगाह, हवाई अड्डा, अंतर्देशीय जलमार्ग अथवा अंतर्देशीय बंदरगाह;
घ) जल आपूर्ति परियोजना, सिंचाई परियोजना, जल शुद्धिकरण प्रणाली, सफाई एवं मलजल प्रणाली अथवा ठोस कचरा वस्तुओं के प्रबंधन की प्रणाली;
V) मूलभूत(basic) या सेल्यूलर दूरसंचार सेवाएं, साथ ही रेडियो पेजिंग, घरेलू उपग्रह सेवा (अर्थात दूरसंचार सेवा उपलब्ध कराने हेतु ऐसा उपग्रह जिसका स्वामित्व एवं परिचालन भारतीय कंपनी के पास हो), ट्रंकिंग का नेटवर्क, ब्राडबैंड नेटवर्क तथा इंटरनेट सेवाएं;

च) औद्योगिक क्षेत्र अथवा विशेष आर्थिक क्षेत्र;
छ) बिजली उत्पादन अथवा बिजली उत्पादन एवं वितरण;
ज) नई प्रेषण या वितरण लाइनों के नेटवर्क लगाकर बिजली का प्रेषण या वितरण;
झ) कृषि-प्रसंस्करण तथा कृषि निविष्टि आपूर्ति वाली परियोजनाओं से संबंधित निर्माण;
ञ) प्रसंस्कृत कृषि-उत्पाद, खराब हो जानेवाली वस्तुओं जैसे फल, सब्जी तथा फूल के परिरक्षण एवं भंडारण हेतु निर्माण, इसमें गुणवत्ता की जांच सुविधा भी शामिल है;

“) शिक्षा संस्थाओं एवं अस्पतालों का निमार्ण; और

") समान प्रकृति की कोई अन्य मूलभूत संरचना सुविधा

(ix) "हानि वाली परिसंपत्ति" का अर्थ है

(क) ऐसी परिसंपत्ति जिसे एनबीएफसी द्वारा अथवा उसके आंतरिक या बाह्य लेखा-परीक्षकों द्वारा अथवा एनबीएफसी के निरीक्षण के दौरान रिज़र्व बैंक द्वारा हानि वाली परिसंपत्ति के रूप में उस सीमा तक पहचाना गया है जिस सीमा तक एनबीएफसी द्वारा बट्टे खाते नहीं डाला गया है; और

(ख) ऐसी परिसंपत्ति जो प्रतिभूति मूल्य में या तो क्षरण के कारण अथवा प्रतिभूति की अनुपलब्धता अथवा उधारकर्ता के धोखाधड़ीपूर्ण कृत्य या चूक के कारण वसूल न हो पाने की संभावित खतरे से (विपरीत रूप से) प्रभावित हो;

(x) "दीर्घावधि निवेश" का अर्थ है वर्तमान निवेश से इतर निवेश;
(xi) "निवल परिसंपत्ति मूल्य" का अर्थ है किसी खास योजना के संबंध में संबंधित म्युचुअल फंड द्वारा घोषित अद्यतन निवल परिसंपत्ति मूल्य;
(xii) "निवल बही मूल्य" का अर्थ है :

(क) किराया खरीद परिसंपत्ति के मामले में, अतिदेयों तथा प्राप्य भावी किस्तों की कुल राशि, जिनमें से अपरिपक्व वित्त प्रभारों की रकम घटाई गई हो तथा इन निदेशों के पैराग्राफ 9(2)(i) के प्रावधानों के अनुसार आगे और घटाई गई हो;

(ख) पट्टाकृत परिसंपत्ति के मामले में, प्राप्य राशि के रूप में लेखाकृत पट्टे के अतिदेय किरायों के पूंजीकृत अंश की कुल रकम और पट्टे की परिसंपत्ति का मूल्यह्रासित बही मूल्य जिसे पट्टा समायोजन खाते की रकम में समायोजित किया गया है।

xiii.‘अनर्जक परिसंपत्ति’ (इन निदेशों में "एनपीए" नाम से संदर्भित) का अर्थ है

(क) ऐसी परिसंपत्ति जिस पर ब्याज छह या उससे अधिक महीने से अतिदेय हो;

(ख) अदत्त ब्याज-सहित ऐसा मीयादी ऋण, जिसकी किस्त छह या उससे अधिक महीने से बकाया हो अथवा जिस पर ब्याज की रकम छह या उससे अधिक महीने से अतिदेय हो;

(ग) ऐसा मांग अथवा सूचना ऋण, जो मांग या सूचना की तारीख से छह महीने या उससे अधिक समय से अतिदेय हो अथवा जिस पर ब्याज की रकम छह महीने या उससे अधिक अवधि से अतिदेय हो;

(घ) ऐसा बिल जो छह महीने या उससे अधिक अवधि से अतिदेय हो;

(V) अल्पावधि ऋण/अग्रिम के रूप में ‘अन्य चालू परिसंपत्तियां’ शीर्ष के अंतर्गत कर्ज से संबधित ब्याज अथवा प्राप्य राशि से होने वाली आय, जो छह महीने या उससे अधिक अवधि से अतिदेय हो;

(च) परिसंपत्तियों की बिक्री या दी गई सेवाओं के लिए अथवा किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति से संबंधित कोई बकाया, जो छह महीने या उससे अधिक अवधि से अतिदेय हो;

(छ) पट्टा किराया और किराया खरीद किस्त, जो 12 महीने या उससे अधिक अवधि से अतिदेय हो गई हो;

(ज) ऋणों, अग्रिमों और अन्य ऋण सुविधाओं के संबंध में (खरीदे और भुनाए गए बिलों-सहित), एक ही उधारकर्ता/लाभार्थी को उपलब्ध करायी गयी ऋण सुविधाओं (उपचित ब्याज-सहित) के अंतर्गत शेष बकाया राशि जब उक्त ऋण सुविधाओं में से कोई एक अनर्जक परिसंपत्ति बन जाए:

बशर्ते पट्टा और किराया खरीद लेनदेन के मामले में, एनबीएफसी ऐसे प्रत्येक खाते को उसकी वसूली स्थिति के आधार पर वर्गीकृत करें;

(xiv) "स्वाधिकृत निधि" से तात्पर्य है चुकता ईक्विटी पूंजी, अधिमानी शेयर जो अनिवार्यत: ईक्विटी में परिवर्तनीय हों, मुक्त आरक्षित निधियां, शेयर प्रीमियम खाते में शेष और पूंजीगत आरक्षित निधि जो परिसंपत्ति के बिक्री आगमों से होनेवाले अधिशेष को दर्शाती है, परिसंपत्ति के पुनर्मूल्यांकन द्वारा सृजित आरक्षित निधियों को छोड़कर, संचित हानि राशि, अमूर्त परिसंपत्तियों का बही मूल्य और आस्थगित राजस्व व्यय को यथा घटाकर, यदि कोई हो;

(xv) "मानक परिसंपत्ति" का अर्थ ऐसी परिसंपत्ति है जिसकी चुकौती या मूल रकम या ब्याज के भुगतान में कोई चूक न हुई हो और जिसमें किसी प्रकार की समस्या न हो और न ही उस कारोबार के सामान्य जोखिम से अधिक जोखिम हो;

(xvi) "अवमानक परिसंपत्ति" का अर्थ है

(क) ऐसी परिसंपत्ति जिसे अधिक-से-अधिक 18 महीने की अवधि के लिए अनर्जक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया हो;

(ख) ऐसी परिसंपत्ति जिसके ब्याज और/अथवा मूलधन से संबंधित करार की शर्तों का परिचालन शुरू होने के बाद पुन:सौदाकृत अथवा पुनर्निर्धारित अथवा पुनर्संरचनाकृत शर्तों के अंतर्गत संतोषजनक निष्पादन के एक वर्ष की समाप्ति तक पुन: सौदा किया गया हो अथवा शर्तें पुनर्निर्धारित अथवा शर्तों की पुनर्संरचना की गई हो

बशर्ते अवमानक परिसंपत्ति के रूप में मूलसंरचना ऋण का वर्गीकरण इन निदेशों के पैराग्राफ 20 के प्रावधानों के अनुसार होगा;

(xvii) "गौण ऋण" का अर्थ है पूर्णत: चुकता लिखत, जो गैर-जमानती होता है और अन्य ऋणदाता के दावों के अधीन होता है और प्रतिबंधित खण्डों से मुक्त होता है और धारक के अनुरोध पर अथवा एनबीएफसी के पर्यवेक्षी प्राधिकारी की सहमति के बिना विमोच्य नहीं होता है। ऐसे लिखत का बही मूल्य निम्नानुसार पुनर्भुनाई के अधीन होगा:

लिखतों की शेष परिपक्वता अवधि बट्टा दर

(क) एक वर्ष तक 100%
(ख) एक वर्ष से अधिक किंतु दो वर्ष तक 80%
(ग) दो वर्ष से अधिक किंतु तीन वर्ष तक 60%
(घ) तीन वर्ष से अधिक किंतु चार वर्ष तक 40%

(ड) चार वर्ष से अधिक किंतु पांच वर्ष तक 20%

ऐसी भुनाई का मूल्य टियर-I पूंजी के पचास प्रतिशत से अधिक न हो;

(xviii) "पर्याप्त हित" का अर्थ है किसी व्यक्ति अथवा उसके पति-पत्नी अथवा अवयस्क बच्चे द्वारा एकल या सामूहिक रूप से किसी कंपनी के शेयरों में लाभभोगी हित धारिता, जिस पर अदा की गई रकम कंपनी की चुकता पूंजी अथवा भागीदारी फर्म के सभी भागीदारों द्वारा अभिदत्त पूंजी के दस प्रतिशत से अधिक है;

(xix) ‘संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमा राशि न लेनेवाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी’ का अर्थ ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से है जो सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार/धारण नहीं करतीं तथा पिछले लेखापरीक्षित तुलनपत्र में दिखाए गए अनुसार जिसकी कुल परिसंपत्तियां 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक हैं।

(xx) "टियर-I पूंजी" का अर्थ ऐसी स्वाधिकृत निधि से है जिसमें से अन्य एनबीएफसी के शेयरों और शेयरों, डिबेंचरों, बाण्डों, बकाया ऋणों और अग्रिमों में, जिनमें किराया खरीद तथा किए गए पट्टा वित्तपोषण एवं सहायक कंपनियों तथा उसी समूह की कंपनियों में रखी जमाराशियां शामिल हैं, स्वाधिकृत निधि के दस प्रतिशत से अधिक निवेश, सकल रूप में, घटाया गया है

(xxi) "टियर -II पूंजी" में निम्नलिखित शामिल हैं

(क) उनसे इतर अधिमानी शेयर जो ईक्विटी में अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय है;
(ख) 55 प्रतिशत की भुनाई /घटी दर पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि;
(ग) सामान्य प्रावधान एवं उस सीमा तक हानि आरक्षित निधि जो किसी विशिष्ट परिसंपत्ति के मूल्य में वास्तविक कमी अथवा उसमें ज्ञातव्य संभावित हानि के कारण नहीं है और ये अप्रत्याशित हानि की पूर्ति के लिए जोखिम भारित परिसंपत्तियों के एक और एक चौथाई प्रतिशत की सीमा तक उपलब्ध रहती हैं;
(घ) संमिश्र (हाइब्रिड) ऋण पूंजी लिखत; और

(V) गौण ऋण

जिसकी सीमा सकल राशि, टियर-I पूंजी से अधिक न हो।

(2) इसमें प्रयुक्त अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्तियों, जो यहां परिभाषित नहीं हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) अथवा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार्यता (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में परिभाषित की गई है, का अर्थ वही होगा जो उक्त अधिनियम अथवा उक्त निदेशों में है। कोई अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्ति, जो उक्त अधिनियम या उक्त निदेशों में परिभाषित नहीं है, का वही अर्थ होगा जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में उनसे अभिप्रेत है।

आय निर्धारण

3. (1) आय निर्धारण मान्यताप्राप्त लेखा सिद्धांतों पर आधारित होगा।
(2) ब्याज/बट्टा-सहित आय अथवा एनपीए पर किसी अन्य प्रभार को गणना में तभी लिया जाएगा जब वह वास्तव में प्राप्त हो गया हो। ऐसी कोई भी आय जिसकी गणना परिसंपत्ति के अनर्जक बनने से पहले कर ली गई हो और वसूली न गई हो तो उसे उसमें से घटा दिया जाएगा।
(3) किराया खरीद परिसंपत्तियों के संबंध में, जहां किस्त 12 महीने से अधिक समय से अतिदेय है, आय के रूप में उनकी गणना तभी की जाएगी जब किराया प्रभार वास्तव में प्राप्त हो जाएं। ऐसी कोई भी आय जिसे परिसंपत्ति के अनर्जक बनने से पूर्व लाभ और हानि खाता में जमा के रूप में ले लिया गया है और जिसकी वसूली नहीं हुई है, उसे पलट (रिवर्स कर)दिया जाएगा।
(4) पट्टा वाली परिसंपत्तियों के संबंध में, जहां पट्टा किराया 12 महीने से अधिक समय तक अतिदेय हों, आय के रूप में उनकी गणना तभी की जाएगी जब पट्टा किराया वास्तव में प्राप्त हो गए हों। पट्टा किराया की वह निवल राशि जो परिसंपत्ति के गैर-निष्पादक होने से पूर्व लाभ और हानि खाते में ले ली गई है और जिसकी वसूली नहीं हुई है, पलट (रिवर्स कर) दी जाएगी।

स्पष्टीकरण

इस पैराग्राफ के प्रयोजन के लिए, ‘निवल पट्टा किराया’ का अर्थ है सकल पट्टा किराया जो लाभ-हानि खाते में नामे/जमा, पट्टा समायोजन खाते से समायोजित किया गया हो और कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की अनुसूची XIV के अंतर्गत लागू दर पर मूल्यह्रास के रूप में घटाया गया हो।

निवेशों से प्राप्त आय

4. (1) कंपनी निकायों के शेयरों और पारस्परिक निधियों की यूनिटों के लाभांश से होने वाली आय की गणना नकदी के आधार पर की जाएगी;

बशर्ते कंपनी निकाय द्वारा उसकी वार्षिक आम बैठक में इस प्रकार के लाभांश घोषित किए जाने पर कंपनी निकायों के शेयरों पर लाभांश से होने वाली आय की गणना उपचय के आधार पर की जाए और एनबीएफसी का भुगतान प्राप्त करने से संबंधित अधिकार स्थापित हो जाए।

(2) कंपनी निकायों के बाण्डों एवं डिबेंचरों तथा सरकारी प्रतिभूतियों/बाण्डें से होनेवाली आय की गणना उपचय के आधार पर की जाए:

बशर्ते इन लिखतों पर ब्याज दर पूर्व-निर्धारित हो और ब्याज का भुगतान नियमित रूप से हो रहा हो और वह बकाया न हो।

(3) कंपनी निकायों अथवा सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों की प्रतिभूतियों से होने वाली आय, ब्याज भुगतान और मूलधन की चुकौती जो केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा गारंटीकृत हो, उसकी गणना उपचय के आधार पर की जाए।

लेखांकन मानक

5. भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (इन निदेशों में "आइसीएआइ" नाम से उल्लिखित) द्वारा जारी लेखांकन मानक और मार्गदर्शी नोट का पालन उस सीमा तक किया जाएगा जहां तक वे इन निदेशों से बेमेल न हों।

निवेशों का लेखांकन

6. (1)(क) प्रत्येक एनबीएफसी का निदेशक मण्डल अपनी निवेश नीति तैयार करेगा और उसे कार्यान्वित करेगा;
(ख) इस निवेश नीति में कंपनी का मण्डल निवेश को चालू तथा दीर्घावधि निवेश में वर्गीकृत करने से संबंधित मानदण्ड का उल्लेख करेगा;
(ग) प्रत्येक निवेश करते समय प्रतिभूतियों में किए गए निवेशों को चालू एवं दीर्घावधि में वर्गीकृत किया जाएगा;
(घ) (i) तदर्थ आधार पर कोई अंतर-श्रेणी अंतरण नहीं किया जाएगा;

(ii) आवश्यक होने पर, मण्डल के अनुमोदन से अंतर-श्रेणी अंतरण प्रत्येक छमाही के प्रारंभ में ही पहली अप्रैल अथवा पहली अक्तूबर को किया जाएगा;

(iii) निवेश को चालू से दीर्घावधि एवं दीर्घावधि से चालू श्रेणी में बही मूल्य पर अथवा बाजार मूल्य पर जो भी कम हो, शेयरवार अंतरित किया जाएगा;

(iv) यदि कोई मूल्यह्रास है तो प्रत्येक शेयर में उसके लिए पूरा प्रावधान किया जाएगा और यदि कोई मूल्यवृद्धि होती है तो उसे नज़रअंदाज़ किया जाएगा;

(v) अंतर-श्रेणी अंतरण के समय, यहां तक कि एक ही श्रेणी के शेयरों के मामले में भी किसी शेयर का मूल्यह्रास अन्य शेयर की मूल्यवृद्धि के साथ समायोजित नहीं किया जाएगा,

(2) मूल्यांकन के उद्देश्य से, उद्धृत चालू निवेशों को निम्नलिखित श्रेणियों के समूह में रखा जाएगा, अर्थात्

(क) ईक्विटी शेयर,
(ख) अधिमानी शेयर,
(ग) डिबेंचर और बाण्ड,
(घ) खज़ाना बिलों सहित सरकारी प्रतिभूतियां,

(V) पारस्परिक निधियों की यूनिटें, और
(च) अन्य।

प्रत्येक श्रेणी हेतु उद्धृत चालू निवेश का मूल्यांकन लागत अथवा बाजार मूल्य, जो भी कम हो, पर किया जाएगा। इस प्रयोजन से, प्रत्येक श्रेणी का निवेश शेयर-वार देखा जाएगा और प्रत्येक श्रेणी के सभी निवेशों की लागत एवं बाजार मूल्य को एकीकृत किया जाएगा। यदि श्रेणी विशेष का सकल बाजार मूल्य उस श्रेणी की सकल लागत से कम है, तो निवल मूल्यह्रास के लिए प्रावधान किया जाएगा अथवा लाभ-हानि खाते में उसे प्रभारित किया जाएगा। यदि श्रेणी विशेष का सकल बाजार मूल्य उस श्रेणी की सकल लागत से अधिक है, तो निवल वृद्धि को नजरअंदाज किया जाएगा। एक श्रेणी के निवेश के मूल्यह्रास को अन्य श्रेणी की मूल्यवृद्धि के साथ समायोजित नहीं किया जाएगा।

(3) चालू निवेशों के रूप में अनुद्धृत ईक्विटी शेयरों का मूल्यांकन लागत अथवा अलग-अलग मूल्य, जो भी कम हो, पर किया जाएगा। तथापि, एनबीएफसी, आवश्यक समझने पर, शेयरों के अलग-अलग मूल्य के स्थान पर उचित मूल्य रख सकती हैं। जहां निवेश प्राप्त कंपनी के पिछले दो वर्ष के तुलनपत्र उपलब्ध नहीं हैं, वहां ऐसे शेयरों का मूल्यांकन एक रुपए मात्र पर किया जाएगा।
(4) चालू निवेशों की प्रकृति के अनुद्धृत अधिमानी शेयरों का मूल्यांकन लागत अथवा अंकित मूल्य, जो भी कम हो, पर किया जाएगा।
(5 अनुद्धृत सरकारी प्रतिभूतियों या सरकारी गारंटीकृत बाण्डों में निवेशों का मूल्यांकन वहन लागत पर किया जाएगा।
(6) पारस्परिक निधि की यूनिटों में चालू स्वरूप के अनुद्धृत निवेशों का मूल्यांकन पारस्परिक निधि द्वारा प्रत्येक विशिष्ट योजना के संबंध में घोषित निवल परिसंपत्ति मूल्य पर किया जाएगा।
(7) वाणिज्यिक पत्रों का मूल्यांकन वहन लागत पर किया जाएगा।
(8) दीर्घावधि निवेश का मूल्यांकन आइसीएआइ द्वारा जारी लेखा मानक द्वारा किया जाएगा।

टिप्पणी : आय निर्धारण और परिसंपत्ति वर्गीकरण के प्रयोजन से अनुद्धृत डिबेंचरों को मीयादी ऋण के रूप में अथवा अन्य ऋण सुविधाओं के रूप में माना जाएगा जो इस प्रकार के डिबेंचरों की अवधि पर निर्भर करेगा।

मांग/सूचना ऋण से संबंधित नीति की आवश्यकता

7. (1) मांग/सूचना ऋण दे रही/देने का इरादा रखने वाली प्रत्येक एनबीएफसी के निदेशक मण्डल को कंपनी के लिए एक नीति तैयार करनी होगी और उसे कार्यान्वित करना होगा;
(2) इस नीति में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित शर्तों का निर्धारण किया जाएगा:
(i) एक अंतिम तारीख जिसके भीतर मांग अथवा सूचना ऋण की चुकौती की मांग की जा सकेगी या सूचना भेजी जा सकेगी;
(ii) मांग अथवा सूचना ऋण की मंजूरी देते समय, यदि ऐसे ऋणों को वापस मांगने अथवा वापसी की सूचना देने हेतु अंतिम तारीख ऋण की मंजूरी की तारीख से एक वर्ष बाद की निर्धारित की गई है तो मंजूरी देने वाला अधिकारी लिखित रूप में उसके विशेष कारणों का उल्लेख करेगा;
(iii) ब्याज की दर जो ऐसे ऋणों पर देय होगी;
(iv) इन ऋणों पर यथानिर्धारित ब्याज या तो मासिक अथवा तिमाही अंतराल पर देय होगा;
(v) मांग अथवा सूचना ऋण मंजूर करते समय, यदि कोई ब्याज निर्धारित नहीं किया गया है अथवा यदि किसी अवधि के लिए ऋण स्थगन (मोरेटोरियम) किया गया है तो मंजूरी देने वाला अधिकारी उसके विशेष कारणों का उल्लेख करेगा;
(vi) ऋण के निष्पादन की समीक्षा हेतु एक अंतिम तारीख का निर्धारण,जो ऋण मंजूरी की तारीख से छह महीने से अधिक न हो;
(vii) इन मांग अथवा सूचना ऋणों को तब तक नवीकृत नहीं किया जाएगा जब तक आवधिक समीक्षा से यह पता न चले कि मंजूरी की शर्तों का संतोषजनक अनुपालन किया जा रहा है।

परिसंपत्ति वर्गीकरण

8. (1) प्रत्येक एनबीएफसी, स्पष्ट रूप से परिभाषित ऋण कमज़ोरियों (क्रेडिट वीकनेस) की डिग्री एवं वसूली हेतु संपार्श्विक जमानत पर निर्भरता की सीमा को ध्यान में रखते हुए, पट्टा/किराया खरीद परिसंपत्तियां, ऋण और अग्रिमों तथा किसी अन्य प्रकार के ऋण को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत करें, अर्थात् :

i) मानक परिसंपत्तियां,

ii) अवमानक परिसंपत्तियां,
iii) संदिग्ध परिसंपत्तियां, और
iv) हानि वाली परिसंपत्तियां।

(2) उपर्युक्त परिसंपत्तियें की श्रेणी, मात्र पुनर्निर्धारण किए जाने के कारण पदोन्नत नहीं की जाएगी, जब तक परिसंपत्तियां अनर्जक पदोन्नति के लिए अपेक्षित शर्तें पूरा नहीं करतीं ।

प्रावधानीकरण अपेक्षा

9. प्रत्येक एनबीएफसी, किसी खाते के अनर्जक होते जाने, उसके अनर्जक हो जाने के बीच लगने वाले समय, जमानत राशि की वसूली तथा उस समय में प्रभारित जमानती राशि के मूल्य में हुए क्षरण को ध्यान में रखकर अवमानक, संदिग्ध और हानि वाली परिसंपत्तियों के लिए निम्नानुसार प्रावधान करेंगी :

खरीदे और भुनाए गए बिलों-सहित ऋण, अग्रिम और अन्य ऋण सुविधाएं

(1) खरीदे और भुनाए गए बिलों-सहित ऋणों, अग्रिमों और अन्य ऋण सुविधाओं के संबंध में निम्नानुसार प्रावधान किया जाएगा:

(i) हानिवाली परिसंपत्तियां

समस्त परिसंपत्ति बट्टे खाते डाली जाएगी।यदि किसी कारण से परिसंपत्तियोंको बहियों में बने रहने दिया जाता है तो बकाया के लिए 100% प्रावधान किया जाए;

(ii) संदिग्ध परिसंपत्तियां

(क) अग्रिम के उस भाग के लिए 100 प्रतिशत प्रावधान किया जाएगा जो उस जमानत के वसूलीयोग्य मूल्य से पूरा नहीं होता है जिसका एनबीएफसी के पास वैध आश्रय है। वसूली योग्य मूल्य का आकलन वास्तविक आधार पर किया जाना है;

 

(ख) उपर्युक्त मद (क) के साथ-साथ, परिसंपत्ति के संदिग्ध बने रहने की अवधि को देखते हुए जमानती भाग के 20% से 50% तक के लिए (अर्थात् बकाया का आकलित वसूली योग्य मूल्य) निम्नलिखित आधार पर प्रावधान किया जाएगा:


जिस अवधि तक परिसंपत्ति को प्रावधान का प्रतिशत संदिग्ध माना गया

एक वर्ष तक 20
एक से तीन वर्ष तक 30
तीन वर्ष से अधिक 50
(iii) अवमानक परिसंपत्तियां कुल बकाया के 10% का सामान्य प्रावधान किया जाएगा।

पट्टा और किराया खरीद परिसंपत्तियां

(2) किराया खरीद और पट्टेवाली परिसंपत्तियों के संबंध में निम्नानुसार प्रावधान किया जाएगा:

किराया खरीद परिसंपत्तियां

(i) किराया खरीद परिसंपत्तियों के संबंध में, कुल बकाया (अतिदेय और भविष्य की किस्तों को मिलाकर) को निम्नानुसार घटाकर प्रावधान किया जाएगा :

(क) लाभ-हानि खाता में वित्त प्रभार जमा नहीं करके और अपरिपक्व वित्त प्रभार के रूप में आगे ले जा करके; तथा

(ख) विचाराधीन (प्रतिभूतिगत) परिसंपत्ति के ह्रासित मूल्य से ।

स्पष्टीकरण

इस पैराग्राफ के प्रयोजन के लिए,

  1. परिसंपत्ति के हासित मूल्य की गणना आनुमानिक (नोशनल) आधार पर परिसंपत्ति की मूल लागत में सीधे क्रम पद्धति (स्ट्रेट लाइन मेथड) से 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष मूल्यह्रास की दर से घटाकर की जाएगी; और
  2. पुरानी परिसंपत्तियों के मामले में, मूल लागत वह लागत होगी जो उस परिसंपत्ति को प्राप्त करने के लिए व्यय की गई वास्तविक लागत होगी।

किराया खरीद और पट्टाकृत परिसंपत्तियों हेतु अतिरिक्त प्रावधान

(ii) किराया खरीद और पट्टाकृत परिसंपत्तियों के मामले में, अतिरिक्त प्रावधान निम्नानुसार किया जाएगा:

(क) जहां किराया प्रभार अथवा पट्टा किराया 12 महीने तक अतिदेय हो

शून्य

(ख) जहां किराया प्रभार अथवा पट्टा किराया 12 महीने से अधिक किंतु 24 महीने तक अतिदेय हो

निवल बही मूल्य का 10 प्रतिशत

(ग) जहां किराया प्रभार अथवा पट्टा किराया 24 महीने से अधिक किंतु 36 महीने तक अतिदेय हो

निवल बही मूल्य का 40 प्रतिशत

(घ)जहां किराया प्रभार अथवा पट्टा किराया 36 महीने से अधिक किंतु 48 महीने तक अतिदेय हो

निवल बही मूल्य का 70 प्रतिशत

(V) जहां किराया प्रभार अथवा पट्टा किराया 48 महीने से अधिक समय से अतिदेय हो

निवल बही मूल्य का 100 प्रतिशत


(iii) किराया खरीद/पट्टाकृत परिसंपत्ति की अंतिम किस्त की नियत तारीख से 12 महीने का समय समाप्त हो जाने पर समस्त निवल बही मूल्य का पूरा प्रावधान किया जाएगा।

टिप्पणी :

1.किराया खरीद करार के अनुसरण में उधारकर्ता द्वारा एनबीएफसी में रखी गई जमानत राशि/मार्जिन राशि अथवा जमानती राशि को यदि करार के अंतर्गत समान मासिक किस्तें निर्धारित करते समय हिसाब में नहीं लिया गया है, तो उसे उक्त खण्ड (i) के अंतर्गत निर्धारित प्रावधान में से घटाया जाए। किराया खरीद करार के अनुसरण में उपलब्ध अन्य किसी भी जमानत राशि को उक्त खण्ड (ii) के अंतर्गत निर्धारित प्रावधान से ही घटाया जाएगा।

2.पट्टा करार के अनुसरण में उधारकर्ता द्वारा एनबीएफसी में जमानत के तौर पर रखी गई राशि तथा पट्टा करार के अनुसरण में उपलब्ध अन्य किसी जमानत का मूल्य, दोनों को उक्त खण्ड (ii) के अंतर्गत निर्धारित प्रावधान से ही घटाया जाएगा।

3.यह स्पष्ट किया जाता है कि एनपीए के लिए आय का निर्धारण और प्रावधानीकरण, विवेकपूर्ण मानदण्डों के दो अलग पहलू हैं और मानदंडों के अनुसार कुल बकायों के एनपीए पर प्रावधान करने की आवश्यकता है साथ ही संदर्भाधीन पट्टाकृत परिसंपत्ति के ह्रासित बही मूल्य का, पट्टा समायोजन खाते में शेषराशि को, यदि कोई हो, समायोजित करने के बाद, प्रावधान किया जाएगा। यह तथ्य कि एनपीए पर आय का निर्धारण नहीं किया गया है, प्रावधान न करने के कारण के रूप में नहीं माना जाएगा।

4.इन निदेशों के पैरा (2)(1)(xvi)(ख) में संदर्भित परिसंपत्ति जिसके लिए पुन: बातचीत (रिनिगोशिएट) की गई अथवा जिसे पुनर्निर्धारित किया गया, अवमानक परिसंपत्ति मानी जाएगी अथवा यह उसी श्रेणी में बनी रहेगी जिस श्रेणी में वह पुन: बातचीत अथवा पुनर्निर्धारण के पूर्व , जैसा भी मामला हो, संदिग्ध अथवा हानिवाली परिसंपत्ति के रूप में थी। ऐसी परिसंपत्तियों के लिए यथा लागू प्रावधान तब तक किया जाता रहेगा जब तक यह उन्नत श्रेणी में न बदल जाए।

5.पैरा 10 के उप पैरा (2) में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार एनबीएफसी द्वारा तुलनपत्र तैयार किया जाए।

6.1 अप्रैल, 2001 को या उसके बाद लिखे गए सभी वित्तीय पट्टों के लिए किराया खरीद परिसंपत्तियों पर लागू प्रावधान उन पर भी लागू होंगे।

तुलनपत्र में प्रकटीकरण

10. (1) प्रत्येक एनबीएफसी अपने तुलनपत्र में अलग से उपर्युक्त पैरा 9 के अनुसार किए गए प्रावधानों को आय अथवा परिसंपत्तियों के मूल्य से घटाए बिना प्रकट करेंगी।

2.प्रावधानों का उल्लेख विशेष रूप से निम्नलिखित पृथक खाता शीर्षकों के अंतर्गत किया जाएगा:

i.अशोध्य और संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान; तथा

ii.निवेशों में मूल्यह्रास हेतु किए गए प्रावधान।

  1. इन प्रावधानों को एनबीएफसी द्वारा धारित सामान्य प्रावधान एवं हानिगत आरक्षित निधि, यदि कोई हो, से समायोजित नहीं किया जाएगा।
  2. इन प्रावधानों को प्रत्येक वर्ष लाभ-हानि खाता में नामे डाला जाएगा। सामान्य प्रावधान एवं हानिगत आरक्षित निधि शीर्ष के अंतर्गत धारित अधिशेष प्रावधान, यदि कोई हो, के साथ उन्हें समायोजित किए बिना पुनरांकित किया जाए।

एनबीएफसी द्वारा लेखा-परीक्षा समिति का गठन

11. एनबीएफसी जिसकी परिसंपत्तियां पिछले लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार 50 करोड़ रुपए और उससे अधिक हैं, एक लेखा-परीक्षा समिति का गठन करेंगी जिसमें उसके निदेशक मण्डल के कम से कम तीन सदस्य होंगे।

स्पष्टीकरण 1 : कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 292-क के अंतर्गत की गई अपेक्षा के अनुसार गठित लेखा-परीक्षा समिति इस पैरा के प्रयोजनार्थ लेखा-परीक्षा समिति होगी।

स्पष्टीकरण 2: इस पैरा के अंतर्गत गठित लेखा-परीक्षा समिति को वही शक्तियां, कार्य एवं कर्तव्य प्राप्त होंगे, जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 292-क में दिए गए हैं।

लेखा वर्ष

12. प्रत्येक एनबीएफसी प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को अपना तुलनपत्र और लाभ-हानि लेखा तैयार करेगी। जब कभी कोई एनबीएफसी कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अपने तुलनपत्र की तारीख बढ़ाने का इरादा करती है, तो इसके लिए उसे कंपनी के रजिस्ट्रार के पास जाने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, उन मामलों में भी जिनमें बैंक तथा कंपनी रजिस्ट्रार ने समय बढ़ाने की मंजूरी दी है, एनबीएफसी वर्ष के 31 मार्च को एक प्रोफार्मा तुलनपत्र (बिना लेखा परीक्षित) और उक्त तारीख को देय सांविधिक विवरणियां बैंक को प्रस्तुत करेगी।

तुलनपत्र की अनुसूची

13. प्रत्येक एनबीएफसी, कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत निर्धारित अपने तुलनपत्र के साथ, संलग्नक में दी गई अनुसूची में ब्योरे संलग्न करेगी।

सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन

14. प्रत्येक एनबीएफसी सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन उसके सीएसजीएल खाते या उसके डिमैट खाते के जरिए कर सकती है —

बशर्ते कोई भी एनबीएफसी सरकारी प्रतिभूति में कोई लेनदेन किसी दलाल के जरिए भौतिक रूप में नहीं करेगी।

सांविधिक लेखापरीक्षक का प्रमाण पत्र बैंक को प्रस्तुत करना

15. प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह (कंपनी) गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था का कारोबार कर रही है जिसके लिए उसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झक के अंतर्गत जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र रखना आवश्यक है। सांविधिक लेखा परीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष की स्थिति के लिए प्राप्त कर गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को हर वर्ष 30 जून तक प्रस्तुत किया जाए जिसके अंतर्गत कंपनी i ा पंजीकरण है। ऐसे प्रमाणपत्र में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की परिसंपत्ति/आय के स्वरूप का उल्लेख भी होगा जिसके कारण कंपनी परिसंपत्ति वित्त कंपनी, निवेश कंपनी या ऋण कंपनी के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र हुई ।

पूंजी पर्याप्तता संबंधी अपेक्षा

16. (1) जमा राशि न लेने वाली संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रत्येक एनबीएफसी, 1 अप्रैल, 2007 से टियर -I और टियर II पूंजी पर आधारित न्यूनतम पूंजी अनुपात बनाए रखेगी, जो तुलनपत्र में उसकी सकल जोखिम भारित परिसंपत्तियों और तुलनपत्र से इतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य के दस प्रतिशत से कम नहीं होगा:

(2) टियर II पूंजी का जोड़, किसी भी समय, टियर I पूंजी के एक सौ प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

स्पष्टीकरण

तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के संबंध में

(1) इन निदेशों में, प्रतिशत भार के रूप में व्यक्त ऋण जोखिम की मात्रा तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के लिए है। अत:, परिसंपत्तियों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना के लिए प्रत्येक परिसंपत्ति/मद को संबंधित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा ताकि परिसंपत्तियों का जोखिम समायोजित मूल्य निकाला जा सके। न्यूनतम पूंजी अनुपात की गणना हेतु इस प्रकार आकलित जोखिम भार के सकल(aggregate) को हिसाब में लिया जाएगा। जोखिम भारित परिसंपत्ति की गणना निधि प्रदत्त(funded) मदों के भारित सकल के रूप में निम्नानुसार किया जाएगा:

भारित जोखिम परिसंपत्तियां- तुलनपत्र में दी गई मदों के संबंध में

 

प्रतिशत भार

(i) बैंकों में मीयादी जमा एवं उनके पास जमा प्रमाणपत्र-सहित नकदी और बैंक शेष

0

(ii) निवेश

 

(क) अनुमोदित प्रतिभूतियां

डनीचे (ग) के अलावा

0

(ख) सरकारी क्षेत्र के बैंकों के बांड

20

(ग) सरकारी वित्तीय संस्थाओं की मीयादी जमा/जमा प्रमाणपत्र/बांड

100

(घ) सभी कंपनियों के शेयर तथा सभी कंपनियों के डिबेंचर/बांड/ वाणिज्य पत्र एवं सभी म्युचुअल फंड की यूनिटें

100

(iii) चालू(current) परिसंपत्तियां

(क) किराए पर स्टॉक (निवल बही मूल्य)

100

(ख) अंतर-कंपनी ऋण/जमा

100

(ग) कंपनी ही द्वारा धारित जमाराशियों की पूरी जमानत पर ऋण और अग्रिम

0

(घ) स्टाफ को ऋण

0

(V) अन्य जमानती ऋण और अग्रिम जिन्हें अच्छा पाया गया है

100

(च) खरीदे/भुनाए गए बिल

100

(छ) अन्य (विनिर्दिष्ट करें)

100

(iv) अचल परिसंपत्तियां (मूल्यह्रास घटाने के बाद)

 

(क) पट्टे पर दी गई परिसंपत्तियां (निवल बही मूल्य)

100

(ख) परिसर

100

(ग) फर्नीचर और फिक्सचर

100

(v) अन्य परिसंपत्तियां

 

(क) स्रोत पर काटे गए आय कर (प्रावधान घटाकर)

0

(ख) अदा किया गया अग्रिम कर (प्रावधान घटाकर)

0

(ग) सरकारी प्रतिभूतियों पर देय (ड्यू) ब्याज

0

(घ) अन्य (स्पष्ट किया जाए)

100

टिप्पणी

(1) घटाने का कार्य केवल उन्हीं परिसंपत्तियों के संबंध में किया जाए जिनमें मूल्यह्रास अथवा अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान किए गए हों।

(2) निवल स्वाधिकृत निधि की गणना के लिए जिन परिसंपत्तियों को स्वाधिकृत निधि से घटाया गया है उस पर भार ‘शून्य’ होगा।

(3) जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता के समग्र निधिक जोखिम की गणना करते समय, ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ उधारकर्ता के खाते में कुल बकाया अग्रिमों से नकदी मार्जिन/प्रतिभूति जमा/जमानती राशि रूपी संपार्श्विक प्रतिभूति, जिसकी मुजरायी(ेाू द)ि के लिए अधिकार उपलब्ध है, का समायोजन कर सकती हैं।"

तुलनपत्र से इतर मदें

(2) इन निदेशों में, तुलनपत्र से इतर मदों से संबद्ध ऋण जोखिम(एक्सपोजर) की मात्रा को ऋण परिवर्तन कारक के प्रतिशत के रूप में दर्शाया गया है। अत:, तुलनपत्र से इतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना के लिए सबसे पहले प्रत्येक मद के अंकित मूल्य को उसके संगत परिवर्तन कारक (कन्वर्सन पैक्टर) से गुणा करना होगा। इसके सकल को न्यूनतम पूंजी अनुपात निकालने के लिए हिसाब में लिया जाएगा। इसे पुन: जोखिम भार 100 से गुणा किया जाएगा। तुलनपत्र से इतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना, गैर-निधिक मदों के ऋण परिवर्तन कारकों द्वारा निम्नानुसार की जाएगी-

मद का स्वरूप

ऋण(क्रेडिट)परिवर्तन कारक- प्रतिशत

(i) वित्तीय एवं अन्य गारंटियां

100

(ii) शेयर/डिबेंचर हामीदारी दायित्व

50

(iii) आंशिक-प्रदत्त शेयर/डिबेंचर

100

(iv) भुनाए/पुन: भुनाए गए बिल

100

(v) किए गए पट्टा करार जो निष्पादित होने हैं

100

(vi) अन्य आकस्मिक देयताएं (स्पष्ट किया जाए)

50

टिप्पणी : परिवर्तन कारक लागू करने से पहले नकदी मार्जिन/जमा राशियों को घटाया जाएगा।

एनबीएफसी के अपने शेयरों पर ऋण वर्जित

17. (1) कोई भी एनबीएफसी अपने शेयरों पर ऋण नहीं देगी।

(2) इन निदेशों के लागू होने की तारीख को किसी एनबीएफसी द्वारा उसके शेयरों पर दिए गए ऋण की बकाया राशि को चुकौती अनुसूची के अनुसार एनबीएफसी द्वारा वसूला जाएगा।

ऋण/निवेश का संकेंद्रण

18. (1) 1 अप्रैल, 2007 को और उस तारीख से संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशि न लेनेवाली कोई भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी

    (i) निम्नलिखित को ऋण नहीं देगी

(क) किसी एक उधारकर्ता को अपनी स्वाधिकृत निधि के पंद्रह प्रतिशत से अधिक; तथा
(ख) किसी एक उधारकर्ता समूह को अपनी स्वाधिकृत निधि के पचीस प्रतिशत से अधिक;

(ii) निम्नलिखित निवेश नहीं करेगी

(क) अन्य कंपनी के शेयरों में अपनी स्वाधिकृत निधि के पंद्रह प्रतिशत से अधिक; और
(ख) एक समूह की कंपनियों के शेयरों में अपनी स्वाधिकृत निधि के पचीस प्रतिशत से अधिक;

(iii) निम्नलिखित से अधिक ऋण नहीं देगी और निवेश नहीं करेगी (ऋण/निवेश मिलाकर):

(क) किसी एक पार्टी को अपनी स्वाधिकृत निधि के पचीस प्रतिशत से; और
(ख) किसी एक समूह की कंपनियों को अपनी स्वाधिकृत निधि के चालीस प्रतिशत से।

बशर्ते अन्य कंपनी के शेयरों में निवेश के संबंध में उक्त अधितम सीमा संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशि न लेनेवाली किसी एनबीएफसी पर उस सीमा तक लागू नहीं होगी जिस सीमा तक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, लिखित रूप में, विशेष रूप से बीमा कंपनी की ईक्विटी पूंजी में निवेश के संबंध में अनुमति दी गई हो।

बशर्ते यह और भी कि भारतीय रिज़र्व बेंक द्वारा परिसंपत्ति वित्त कंपनी के रूप में वर्गीकृत जमाराशि न लेनेवाली संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण कोई एनबीएफसी, आपवादिक परिस्थितियों में, किसी एक पार्टी या पार्टियों के एक समूह के लिए ऋण/निवेश संकेंद्रण के संबंध में उपर्युक्त अधिकतम सीमा को, अपने बोर्ड के अनुमोदन से, अपनी स्वाधिकृत निधि के 5 प्रतिशत तक पार कर सकती है।

बशर्ते यह और भी कि संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमा राशि न लेनेवाली कोई गैर-वित्तीय कंपनी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से, जो सार्वजनिक निधियां स्वीकार नहीं करती है, निर्धारित उच्चतम सीमा में आशोधन के लिए बैंक को आवेदन दे सकती है।

स्पष्टीकरण : इस परंतुक के प्रयोजन से ‘सार्वजनिक निधि’ में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सार्वजनिक जमाराशियों, वाणिज्य पत्रों, डिबेंचरों, अंतर-कंपनी जमाराशियों तथा बैंक वित्त के माध्यम से जुटाई गई निधियां शामिल होंगी।

(2) संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशि न लेनेवाली प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी एकल पार्टी/पार्टियों के एकल समूह के प्रति ऋण जोखिम के बारे में एक नीति तैयार करेगी।

टिप्पणी :

(1) उपर्युक्त सीमाओं के निर्धारण के लिए, तुलनपत्र से इतर एक्सपोजर को पैराग्राफ 16 में स्पष्ट किए गए परिवर्तन कारकों का इस्तेमाल करते हुए ऋण जोखिम में बदल दिया जाएगा।
(2) इस पैराग्राफ में विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए डिबेंचरों में किए गए निवेश को ऋण के रूप में माना जाएगा, न कि निवेश के रूप में।
(3) ऋण/निवेश से संबंधित ये अधिकतम सीमाएं स्वयं की एनबीएफसी समूह तथा अन्य उधारकर्ताओं/निवेशिती कंपनी के समूह पर लागू होगी।

पता, निदेशकों, लेखा परीक्षकों आदि के परिवर्तन
के संबंध में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना

19. सार्वजनिक जमा राशि स्वीकार/धारण न करनेवाली प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी निम्नलिखित में किसी प्रकार का परिवर्तन होने की सूचना एक माह के भीतर देगी

(क) पंजीकृत/कंपनी (कार्पोरेट) कार्यालय के डाक का पूरा पता, टेलीफोन नं. तथा फैक्स नंबर;
(ख) कंपनी के निदेशकों के नाम तथा आवासीय पते;
(ग) उसके प्रधान अधिकारियों के नाम एवं पदनाम;
(घ) कंपनी के लेखा परीक्षकों के नाम तथा उनके कार्यालय के पते;
(V) कंपनी की ओर हस्ताक्षर के लिए प्राधिकृत अधिकारियों के हस्ताक्षरों के नमूने।

यह सूचना वह भारतीय रिज़र्व बैंक के गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय को देगी, जैसा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 की द्वितीय अनुसूची में बताया गया है।

मूलभूत संरचना ऋण से संबंधित मानदण्ड

20. (1) प्रयोज्यता

  1. इन निदेशों के पैरा 2(1)(viii) में यथापरिभाषित ये मानदण्ड मूलभूत संरचना ऋण से संबंधित करार की शर्तों की पुनर्संरचना तथा/अथवा पुनर्निर्धारण और/अथवा पुन:सौदा (रिनिगोशिएट) करने के लिए लागू होगा, जो पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से मानक एवं अवमानक आस्तियों तथा ऋण के लिए जमानती है, जो शर्तों की पुनर्संरचना करने और/अथवा पुनर्निर्धारित करने और/अथवा पुन:सौदा करने के अधीन है।
  2. जहां परिसंपत्ति की जमानत आंशिक रूप से है, वहां वर्तमान मूल्य आधार पर और विवेकपूर्ण मानदण्डों के अनुसार प्रावधान करने के अलावा, ऋण की पुनर्संरचना तथा/अथवा पुनर्निर्धारण करने तथा/अथवा पुन: सौदा करते समय उपलब्ध जमानत में जितने की कमी है उतने का प्रावधान किया जाएगा।

(2) मूलभूत संरचना ऋण की शर्तों की पुनर्संरचना, पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा

एनबीएफसी, कंपनी के निदेशक मण्डल द्वारा निर्धारित नीतिगत ढांचे के अनुसार मूलभूत संरचना ऋण करार की शर्तों में निम्नलिखित चरणों के अंतर्गत पुनर्संरचना अथवा पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा एक बार से अधिक नहीं, कर:ं

(क) वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने से पहले;
(ख) वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद किंतु परिसंपत्ति को अवमानक के रूप में वर्गीकृत करने से पहले;
(ग) वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद और परिसंपत्ति को अवमानक के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया हो;

बशर्ते उपर्युक्त तीन चरणों में से प्रत्येक चरण में पुनर्संरचना अथवा पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा करने का पैकेज देने पर मूल और/अथवा ब्याज-सहित या रहित पुनर्संरचना और/अथवा पुनर्निर्धारण और/अथवा पुन:सौदा किया जा सकता है;

(3) पुनर्संरचनाकृत मानक ऋण का प्रतिपादन

उपर्युक्त पहले दो चरणों में से किसी एक चरण में केवल मूलधन की किस्तों का पुनर्निर्धारण अथवा पुनर्संरचना अथवा पुन:सौदा करने पर किसी मानक परिसंपत्ति को अवमानक श्रेणी में पुन: वर्गीकृत नहीं करना होगा, यदि कंपनी के निदेशक मण्डल द्वारा अथवा प्रारंभिक ऋण मंजूर करने वाले अधिकारी से एक दर्जा ऊपर के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मण्डल द्वारा निर्धारित नीति ढांचे के अंतर्गत परियोजना की पुन: जांच करने पर उसे संभाव्य पाया जाता है;

बशर्ते पहले के दो चरणों में से किसी एक चरण में ब्याज तत्व का पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा अथवा पुनर्संरचना किए जाने पर परिसंपत्ति को नीचे अवमानक श्रेणी में वर्गीकृत नहीं करना होगा लेकिन शर्त यह है कि बाद में यथानिर्दिष्ट ब्याज तत्व में समायोजन के प्रयोजन से छोड़ दी गई ब्याज की रकम को, यदि कोई हों, या तो बट्टे खाते डाला जाएगा या उसके लिए 100 प्रतिशत प्रावधान किया जाएगा।

(4) पुनर्संरचित अवमानक परिसंपत्ति का प्रतिपादन

मूलधन की किस्तों की पुनर्संरचना अथवा पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा किये जाने के मामले में अवमानक परिसंपत्ति एक वर्ष की समाप्ति तक उसी श्रेणी में बनी रहेगी और समायोजन के कारण छोड़ी गई ब्याज की रकम, यदि कोई हो, जिसमें पिछले बकाया ब्याज को बट्टे खाते डालने के रूप में समायोजन शामिल है, ब्याज तत्व में यथानिर्दिष्ट, बट्टे खाते डाला जाएगा अथवा उसके लिए 100 प्रतिशत का प्रावधान किया जाएगा।

(5) ब्याज का समायोजन

पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा अथवा पुनर्संरचना में ब्याज दर को जहाँ घटाना पड़े, वहाँ ब्याज समायोजन की गणना मूलभूत संरचना ऋण के लिए लागू ब्याज दर (उधारकर्ता पर लागू जोखिम रेटिंग हेतु यथा समायोजित) तथा घटाई गई दर के बीच के अंतर से की जाएगी और पुनर्संरचना, पुनर्निर्धारण अथवा पुन: सौदा प्रस्ताव में इस प्रकार से निर्धारित भावी ब्याज का वर्तमान सकल मूल्य (मूलभूत संरचना ऋण पर लागू वर्तमान दर पर भुनाया गया, जोखिम संवर्धन हेतु समायोजित) निकाला जाएगा।

(6) निधिक ब्याज

एनपीए के संबंध में ब्याज के निधीयन के मामले में, जहां निधिक ब्याज को आय के रूप में निर्धारित किया जाता है, निधिक ब्याज का पूरा प्रावधान किया जाएगा।

(7) आय निर्धारण मानदण्ड

मूलभूत संरचना ऋण के संबंध में आय निर्धारण प्रक्रिया इन निदेशों के पैरा 3 के प्रावधानों द्वारा संचालित होगी;

(8) धारित प्रावधानों का प्रतिपादन

एनबीएफसी द्वारा अनर्जक मूलभूत संरचना ऋण के लिए किए गए प्रावधानो को, जिसे इसके ऊपर के उप पैरा (3) के अनुसार ‘मानक’ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, बनाए रखना तब तक जारी रहेगा जब तक ऋण की पूरी वसूली न हो जाए।

(9) पुनर्संरचनाकृत अवमानक मूलभूत संरचना ऋण के उन्नयन हेतु पात्रता

अवमानक परिसंपत्ति, जिसका पुनर्निर्धारण और/अथवा पुन: सौदा और/अथवा पुनर्संरचना की जानी है, चाहे वह मूलधन की किस्तों अथवा ब्याज के संबध में हो, चाहे जो तरीका हो, का पुनर्संरचना और/अथवा पुनर्निर्धारण और/अथवा पुन:सौदा की शर्तों के अंतर्गत संतोषजनक निष्पादन के एक वर्ष की समाप्ति से पहले मानक श्रेणी में उन्नयन नहीं किया जाएगा।

(10) कर्ज को ईक्विटी में परिवर्तित करना

जहां ब्याज के रूप में देय रकम ईक्विटी अथवा अन्य लिखत में परिवर्तित की जाती है और फलस्वरूप आय का निर्धारण किया जाता है, वहां इस प्रकार से निर्धारित आय की रकम का पूरा प्रावधान ऐसे आय निर्धारण के प्रभाव को समाप्त करने हेतु किया जाएगा;

बशर्ते कोई प्रावधान किये जाने की अपेक्षा ही न होगी, यदि ब्याज का परिवर्तन उस ईक्विटी में हो जिसकी दर उद्धृत है;

बशर्ते यह भी कि ऐसे मामलों में, ब्याज आय का निर्धारण परिवर्तन की तारीख को, ईक्विटी के बाजार मूल्य पर हो सकता है, जो ईक्विटी में परिवर्तित ब्याज की रकम से अधिक नहीं होगा।

(11) कर्ज को डिबेंचर में परिवर्तित करना

जहां एनपीए के संबंध में मूलधन और/अथवा ब्याज की रकम को डिबेंचर में परिवर्तित किया जाता है, वहां ऐसे डिबेंचरों को एनपीए माना जाएगा, प्रारंभ से ही, उसी परिसंपत्ति वर्गीकरण में जो ऋण के लिए परिवर्तन से पहले लागू था और मानदण्डों के अनुसार प्रावधान किया जाएगा।

(12) मूलभूत संरचना ऋण और निवेश की एक्सपोजर सीमा में वृद्धि

संपूर्ण की प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण एनबीएफसी इन निदेशों के पैरा 18 के प्रावधान के अनुसार ऋण/निवेश मानदंडों के केंद्रीकरण को एक पार्टी के लिए 5 प्रतिशत और पार्टियों के एक समूह के लिए 10 प्रतिशत की सीमा तक पार कर सकती है, यदि अतिरिक्त एक्सपोजर मूलभूत संरचना ऋण और/अथवा निवेश के कारण हो।

(13) एएए रेटिंग वाले प्रतिभूतिकृत पेपर में निवेश के लिए जोखिम भार

मूलभूत संरचना सुविधा से संबंधित "एएए" रेटिंग वाले प्रतिभूतिकृत पेपर में निवेश पर पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए 50 प्रतिशत जोखिम भार लगाया जाएगा जिसके लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी

  1. मूलभूत संरचना सुविधा से आय /नकदी पैदा होती है, जो प्रतिभूतिकृत पेपर की सर्विसिंग/चुकौती सुनिश्चित करती है;
  2. अनुमोदित ऋण साख एजेंसियों में से किसी एक द्वारा दी गई रेटिंग चालू और वैध है।
  3. स्पष्टीकरण :

    जिस रेटिंग पर भरोसा किया गया है वह मौजूदा और वैध समझी जानी चाहिए, यदि रेटिंग निर्गम के खुलने की तारीख से एक महीने से अधिक समय की नहीं है, और रेटिंग एजेंसी से रेटिंग का औचित्य निर्गम खुलने की तारीख से एक वर्ष से अधिक का नहीं है, और रेटिंग पत्र तथा रेटिंग औचित्य दोनों प्रस्ताव दस्तावेज का हिस्सा हों।

  4. द्वितीयक बाजार अभिग्रहण के मामले में निर्गम में, ‘एएए’ रेटिंग लागू है और संबंधित रेटिंग ऐजेंसी द्वारा प्रकाशित मासिक बुलेटिन से उसकी पुष्टि की जाती है।

(iv) प्रतिभूतिकृत पेपर एक अर्जक परिसंपत्ति है।

छूट

21. भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि किसी कठिनाई को टालने अथवा किसी अन्य उचित एवं पर्याप्त कारण से ऐसा आवश्यक समझता है, तो वह किसी एनबीएफसी अथवा एनबीएफसी की श्रेणी को इन निदेशों के सभी अथवा किसी प्रावधान के अनुपालन के लिए और समय प्रदान कर सकता है अथवा या तो सामान्य रूप से या किसी विशिष्ट अवधि के लिए छूट दे सकता है, जो उन शर्तों के अधीन होगा जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक उन पर लगाए।

व्याख्या

22. इन निदेशों के प्रावधानों को लागू करने के प्रयोजन से, भारतीय रिज़र्व बैंक यदि आवश्यक समझता है, तो इसमें शामिल किसी भी मामले के बारे में आवश्यक स्पष्टीकरण जारी कर सकता है और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इन निदेशों के किसी प्रावधान की दी गई व्याख्या अंतिम होगी और सभी संबंधित पक्षों पर बाध्यकारी होगी।

निरसन और छूट

23. (1) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 इन निदेशों द्वारा निरसित माना जाएगा।

(2) ऐसे निरसन के होते हुए भी, उप-खंड (1) में निदेशों के अंतर्गत जारी कोई परिपत्र, अनुदेश, आदेश एनबीएफसी उसी प्रकार से लागू रहेंगे जैसे वे ऐसे निरसन से पहले ऐसी कंपनियों पर लागू होते थे।

(वी. लीलाधर)
उप गवर्नर


संलग्नक

जमा न स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के तुलन-पत्र की अनुसूची
(गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक)

निदेश, 2007 के पैरा 13 के अनुसार अपेक्षित)

(लाख रुपए में)

 

ब्योरे

 
 

देयताएं पक्ष

 

1

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा लिए गए ऋण और अग्रिम जिनमें इन पर उपचित पर न चुकाया गया ब्याज शामिल है

(क) डिबेंचर : जमानती

: गैर-जमानती

(जनता की जमाराशि* की परिभाषा से बाहर)

(ख) आस्थगित ऋण

(ग) मीयादी ऋण

(घ) अंतर-कंपनी ऋण और उधार

(".) वाणिज्यिक पत्र

(च) अन्य ऋण (उनका स्वरूप बताएं)

* कृपया नीचे का नोट 1 देखें

बकाया राशि

अतिदेय राशि


 

परिसंपत्तियां पक्ष

 
   

बकाया राशि

(2)

प्राप्य बिलों-सहित ऋणों और अग्रिमों का अलग-अलग विवरण डनीचे (4) में शामिल के अलावा-

(क) जमानती

(ख) गैर-जमानती

 

(3)

एएफसी गतिविधियों के लिए गणना की जानेवाली पट्टेवाली परिसंपत्तियों तथा किराये पर स्टाक और अन्य परिसंपत्तियों का अलग-अलग विवरण

(i) विविध देनदारों के अंतर्गत पट्टा किराया समेत पट्टा परिसंपत्तियां

(क) वित्तीय पट्टे

(ख) परिचालन पट्टे

(ii) विविध देनदारों के अंतर्गत किराया प्रभार समेत किराए पर स्टाक

(क) किराए पर परिसंपत्तियां

(ख) पुन:धारित परिसंपत्तियां

(iii) एएफसी गतिविधियों के लिए गणना किए जानेवाले अन्य ऋण

(क) ऐसे ऋण जिनमें परिसंपत्तियां पुन:

धारित की गईं

(ख) उपर्युक्त (क) के अतिरिक्त

ऋण

 

(4)

निवेशों का अलग-अलग ब्योरा

चालू निवेश

1. उद्धृत (कोटेड)

(i) शेयर : (क) ईक्विटी

(ख) अधिमान

  1. डिबेंचर और बांड
  2. म्युचुअल फंडों की यूनिटें
  3. सरकारी प्रतिभूतियां
  4. अन्य (कृपया निर्दिष्ट करें।)

2. अनुद्धृत (अनकोटेड)

(i) शेयर : (क) ईक्विटी

(ख) अधिमान

(ii) डिबेंचर और बांड

  1. म्यूचुअल फंडों की यूनिटें
  2. सरकारी प्रतिभूतियां

(v) अन्य (कृपया निर्दिष्ट करें।)

 
 

दीर्घावधि निवेश

1. उद्धृत (कोटेड):

(i) शेयर : (क) ईक्विटी

(ख) अधिमान

(ii) डिबेंचर और बांड

  1. म्यूचुअल फंडों की यूनिटें
  2. सरकारी प्रतिभूतियां
  3. अन्य (कृपया निर्दिष्ट करें।)

2. अनुद्धृत (अनकोटेड)

(i) शेयर : (क) ईक्विटी

(ख) अधिमान

(ii) डिबेंचर और बांड

  1. म्यूचुअल फंडों की यूनिटें
  2. सरकारी प्रतिभूतियां
  3. अन्य (कृपया निर्दिष्ट करें।)
  

(5)

उपर्युक्त (2) एवं (3) में वित्तपोषित परिसंपत्तियों का उधारकर्ता समूहवार वर्गीकरण :

कृपया नीचे का नोट 2 देखें

 
 

श्रेणी

राशि - प्रावधानों को घटाकर

   

जमानती

गैर-जमानती

कुल

 

1. संबंधित पक्ष **

     
 

(क) सहायक कंपनियां

     
 

(ख) उसी समूह की कंपनियां

     
 

(ग) अन्य संबंधित पक्ष

     
 

2. संबंधित पक्ष के अलावा अन्य

     

कुल

6.

शेयरों और प्रतिभूतियों (उद्धृत और अनुद्धृत दोनों) में किए गए समस्त निवेशों (चालू और दीर्घावधि) का निवेशक समूहवार वर्गीकरण

कृपया नीचे का नोट 3 देखें

 
 

श्रेणी

बाजार मूल्य/अलग-अलग या उचित मूल्य या निवल परिसंपत्ति मूल्य

बही मूल्य (प्रावधान घटाकर)

 

1. संबंधित पक्ष **

   
 

(क) सहायक कंपनियां

   
 

(ख) उसी समूह की कंपनियां

   
 

(ग) अन्य संबंधित पक्ष

   
 

2. संबंधित पक्ष के अलावा अन्य

   
 

कुल

   

** आइसीएआइ के लेखा मानक के अनुसार (कृपया नोट 3 देखें)

7. अन्य जानकारी

ब्योरा

राशि

(i) सकल अनर्जक परिसंपत्तियां

 

(क) संबंधित पक्ष

 

(ख) संबंधित पक्ष के अलावा अन्य

 

(ii) निवल अनर्जक परिसंपत्तियां

 

(क) संबंधित पक्ष

 

(ख) संबंधित पक्ष के अलावा अन्य

 

(iii) ऋण की संतुष्टि में / की पूर्ति हेतु अधिगृहीत परिसंपत्तियां

 

नोट :

1.गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशियां स्वीकार्यता (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 2(1)(xii) में यथापरिभाषित। 2.गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमा राशि स्वीकरण या धारण न करनेवाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 में यथा निर्धारित प्रावधान मानदंड लागू होंगे। 3.निवेश तथा अन्य परिसंपत्तियों के साथ-साथ ऋण की संतुष्टि में /की पूर्ति हेतु अधिगृहीत अन्य परिसंपत्तियों के मूल्यांकन-सहित सभी पर आइसीएआइ द्वारा जारी सभी लेखा मानक और निर्देश नोट लागू होंगे। फिर भी, उद्धृत निवेशों के संबंध में बाजार मूल्यों और अनुद्धृत निवेशों के अलग-अलग/उचित मूल्य/निवल परिसंपत्ति मूल्यों का खुलासा किया जाना चाहिए, भले ही उपर्युक्त (4) में इन्हें दीर्घावधि या चालू के रूप में वर्गीकृत किया गया हो।

 

 

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