निदेशक मंडल पर मास्टर परिपत्र - शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) - आरबीआई - Reserve Bank of India
निदेशक मंडल पर मास्टर परिपत्र - शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी)
आरबीआई/2024-25/01 डीओआर.एचजीजी.जीओवी.सं.1/18.10.010/2024-25 1 अप्रैल 2024 प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया, निदेशक मंडल पर मास्टर परिपत्र - शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) कृपया उपर्युक्त विषय पर 1 जुलाई 2015 का हमारा मास्टर परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी (पीसीबी/आरसीबी).परि.सं.2/14.01.062/2015-16 (भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध) देखें। संलग्न मास्टर परिपत्र में अब तक जारी सभी अनुदेशों/ दिशानिर्देशों को समेकित और अद्यतन किया गया है। भवदीया (सेंटा जॉय) मुख्य महाप्रबंधक मास्टर परिपत्र - निदेशक मंडल - शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी)
मास्टर परिपत्र - निदेशक मंडल - शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी)
1.1 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी अथवा बैंक) अन्य के साथ-साथ बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बैंवि अधिनियम) और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (भारिबैं अधिनियम) के अंतर्गत निहित शक्तियों के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक अथवा आरबीआई) के विनियमन तथा पर्यवेक्षण में कार्य कर रहे हैं। 1.2 यूसीबी के बोर्ड में निदेशकों को जानकार और उच्च निष्ठा वाला व्यक्ति होना चाहिए। बोर्ड में व्यावसायिकता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को हमेशा कम से कम दो पेशेवर निदेशक, अर्थात् ऐसे व्यक्ति जिन्हें उपयुक्त बैंकिंग अनुभव (मध्यम/वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर) अथवा कानून, लेखा-शास्त्र अथवा वित्त के क्षेत्र में संबंधित व्यावसायिक योग्यता हो, रखने चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को अपने उप-विधि में उचित प्रावधान भी रखना चाहिए। तथापि, वेतन अर्जक बैंकों की सदस्यता की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए उनके मामले में इन अनुदेशों पर जोर नही दिया जाएगा। 1.3 आरबीआई के दिनांक 31 दिसंबर 2019 के परिपत्र विवि(पीसीबी).बीपीडी.परि.सं. 8/12.05.002/2019-20 में निहित दिशानिर्देशों के अनुसार यूसीबी (100 करोड़ रुपये से कम जमा राशि वाले और वेतन अर्जक बैंकों को छोड़कर) को अपनी उप-विधि में उपयुक्त संशोधन करके व्यावसायिक प्रबंधन को सुसाध्य बनाने और बैंकिंग-संबंधी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) का गठन करना भी आवश्यक है। 1.4 चूँकि निदेशकों (सहयोजित तथा नामित निदेशकों के अतिरिक्त) को सदस्यों में से निर्वाचित किया जाता है, इसलिए जो व्यक्ति एक सदस्य के रूप में भी प्रवेश के लिए पात्र नहीं हैं, वे यूसीबी के निदेशक नहीं बन सकते। विशेष रूप से, व्यक्तिगत हैसियत से अथवा किसी संस्था के स्वत्वधारी/साझीदार/ कर्मचारी/निदेशक की हैसियत से उधार देने, वित्तपोषण तथा निवेश गतिविधियों में शामिल व्यक्ति और नैतिक पतन सहित किसी प्रकार के दंडनीय अपराध में अभियोजित व्यक्ति मॉडल उप-विधि सं. 9 के खंड ख (ii) तथा/या संबंधित सहकारी समिति अधिनियम में निहित उपबंधों के अनुसार पात्र नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, यूसीबी में निदेशक बनने के लिए कुछ योग्यता/अर्हता/अयोग्यता मानदंड बैंवि अधिनियम और संबंधित सहकारी कानूनों में भी निर्धारित हैं। 1.5 निदेशक मंडलों के संबंध में श्री माधव दास की अध्यक्षता में बनी "शहरी सहकारी बैंकों पर समिति" द्वारा की गई और बैंकों द्वारा उन्हें अपनाए जाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा संस्तुत की गई सिफ़ारिशें अनुबंध 1 में दर्शाई गई हैं। 1.6 पर्यवेक्षी समीक्षाओं के दौरान यह देखा गया कि कुछ यूसीबी ने बोर्ड स्तर पर मानद पदनाम (लाभकारी या अन्यथा) बनाने/उपाधियाँ प्रदान करने की प्रथा को अपनाया है, जैसा कि अध्यक्ष एमेरिटस, समूह अध्यक्ष, आदि, जिन्हें लागू क़ानून अथवा विनियमन में मान्यता प्राप्त नहीं है। यद्यपि इन पदधारियों के लिए इस तरह के पद/उपाधियॉं सभी बोर्ड सामग्रियों तक पहुँच और बोर्ड/समितियों की बैठकों में भाग लेने के लिए कुछ विशेषाधिकारों/अधिकारों का संकेतक हो सकते हैं, ऐसे व्यक्तियों पर जवाबदेही या दायित्व प्रवर्तित करना कठिन हो सकता है। ऐसे पदों को हितों के टकराव के साथ-साथ सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में कानूनी रूप से गठित बोर्ड के प्रभावी और स्वतंत्र कामकाज में बाधा डालने वाले समानांतर या बिम्ब प्राधिकारी के निर्माण के रूप में देखा जा सकता है। अतः यूसीबी को निर्देश दिया जाता है कि वे बोर्ड स्तर पर कोई मानद पद/उपाधियाँ न बनाएं अथवा ऐसी उपाधियाँ प्रदान न करें जिनकी प्रकृति असांविधिक हों[1]। 2.1 शहरी सहकारी बैंक के निदेशक मंडल (बीओडी अथवा बोर्ड) को प्रथमतया सांविधिक प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए नीतियों के निरूपण को सुनिश्चित करना है। बोर्ड को बैंक के कामकाज पर समग्र पर्यवेक्षण और नियंत्रण भी रखना चाहिए, और दैनिक प्रशासन का कार्य प्रबंध निदेशक (एमडी) / मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पर छोड़ना चाहिए। 2.2 यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी सभी परिपत्र तथा नीतियों से संबंधित अन्य सामग्री बोर्ड के समक्ष रखी जाए। 2.3 यूसीबी के निदेशकों को अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित दिशानिर्देशों द्वारा मार्गदर्शित होना चाहिए[2]:
3.1 बोर्ड की लेखा-परीक्षा समिति 3.1.1 एक प्रबंधन उपकरण के रूप में आंतरिक लेखा-परीक्षा/निरीक्षण की प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने और बढ़ाने के लिए, बैंक के आंतरिक लेखा-परीक्षा/निरीक्षण तंत्र और अन्य अधिकारियों की निगरानी और निर्देश प्रदान करने के लिए बोर्ड स्तर पर एक शीर्ष लेखा-परीक्षा समिति का गठन किया जाना चाहिए। समिति में एक अध्यक्ष और तीन/चार निदेशक हो सकते हैं; ऐसे निदेशकों में से एक या अधिक सनदी लेखाकार (चार्टर्ड अकाउंटेंट) हों या प्रबंधन, वित्त या लेखाकर्म (अकाउंटेंसी) और लेखा-परीक्षा प्रणाली (ऑडिट सिस्टम) में अनुभव रखते हों। 3.1.2 बोर्ड की लेखा-परीक्षा समिति (एसीबी) को आरबीआई द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की समीक्षा करनी चाहिए और तिमाही अंतराल पर बोर्ड को एक नोट प्रस्तुत करना चाहिए। एसीबी के प्रमुख कर्तव्य/जिम्मेदारियाँ नीचे दी गई हैं:
3.2 बोर्ड की जोखिम प्रबंधन समिति जोखिम प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी बोर्ड की है। जोखिम प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर आवश्यक स्तर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, ₹5000 करोड़ या उससे अधिक (पिछले वर्ष 31 मार्च को) की आस्ति वाले यूसीबी को एक जोखिम प्रबंधन समिति (बोर्ड की) स्थापित करने के लिए कहा जाता है। जोखिम प्रबंधन समिति की सदस्यता, कार्य का दायरा और बैठक की आवृत्ति बोर्ड द्वारा तय की जाएगी। 4. समीक्षाओं का कैलेंडर - निदेशक मंडल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले मामले उपर्युक्त पैराग्राफ 2.3 में इस बात पर जोर दिया गया है कि निदेशकों द्वारा बैंक के कामकाज के महत्वपूर्ण पहलुओं की समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए। समीक्षाओं की एक उदाहरणात्मक सूची, जिस पर निदेशकों का ध्यान आकर्षित होना चाहिए, और साथ ही वह आवधिकता जिस पर इन्हें निदेशक मंडल के समक्ष रखा जाना चाहिए, अनुबंध 2 में दर्शायी गयी है। 5. निदेशक अथवा उनके रिश्तेदार जिस न्यास (ट्रस्ट) और संस्थान में पदधारी या हितबद्ध हैं, उनके लिए दान/चन्दा 5.1 30 अगस्त 2013 से, यूसीबी को उन ट्रस्टों और संस्थानों को, पिछले वर्ष के लिए बैंक के प्रकाशित लाभ के 1% की अनुमेय सीमा के भीतर भी, दान/चन्दा देने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जहां निदेशक और/या उनके रिश्तेदार किसी पद पर हैं या उनमें हितबद्ध हैं। 5.2 इस अनुच्छेद के प्रयोजन हेतु, एक व्यक्ति को दूसरे का रिश्तेदार माना जाएगा, यदि और केवल यदि,:- क) वे एक अविभाजित हिंदू परिवार के सदस्य हैं; या ख) वे पति और पत्नी हैं; अथवा ग) एक दूसरे से नीचे बताए गए तरीके से संबंधित है:
5.3 उक्त अनुच्छेद के प्रयोजन के लिए, 'हित' शब्द से तात्पर्य है - “वह न्यास जिसमें निदेशक/ निदेशकों के रिश्तेदार न्यासी के रूप में पदधारी हैं या लाभार्थी हैं या न्यास के कामकाज में किसी भी हैसियत से शामिल है, जिससे निदेशक(कों) की स्वाधीनता पर प्रभाव डालने की संभावना हो। 6. निदेशकों को फीस तथा भत्तों का भुगतान निदेशक मंडल की बैठकों के संचालन आदि पर सभी खर्चों को लाभ-हानि खाते की मद सं. 3, अर्थात "निदेशक और स्थानीय समिति के सदस्य - फीस और भत्ता", में दर्शाया जाए। इस प्रकार के खर्चों में निदेशकों तथा स्थानीय समिति के सदस्यों को वास्तव में भुगतान की गई और इस प्रकार की बैठकों में भाग लेने के लिए उनकी तरफ़ से खर्च की गई राशियां शामिल होंगी। निदेशक मंडल के संबंध में शहरी सहकारी बैंकों पर माधव दास समिति की सिफारिशें --------------------------------------------------------------------------- [पैरा 1.5 के अनुसार]
1. निदेशक मंडल में शाखा सदस्यों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना शाखाओं के सदस्यों को शहरी बैंकों की गतिविधियों के प्रबंधन में शामिल करने की दृष्टि से निदेशक मंडल में उनका प्रतिनिधित्व आवश्यक है। निदेशक मंडल में निदेशकों के चयन के प्रयोजन के लिए शाखाओं को निम्नलिखित श्रेणियों के अनुसार समूहबद्ध किया जा सकता है।
प्रतिनिधित्व शाखाओं की सदस्यता पर आधारित हो, न कि उनकी जमाराशियों या ऋण कारोबार पर। निदेशक मंडल में कुछ निश्चित सीटें विशेष रूप से केवल प्रधान कार्यालय के नगर को प्रदान किए जाने चाहिए और किसी समूह की प्रत्येक शाखा को क्रमिक रूप से प्रतिनिधित्व दिया जाए। 2. निदेशक के पद की अर्हता
3. मतदान के लिए सदस्य की योग्यता मुख्य रूप से निदेशक मंडल की सीटों पर कब्जा जमाने की दृष्टि से तथा इसके जरिए दक्षतापूर्ण प्रबंधन वाले शहरी बैंकों के निदेशक मंडलों को अस्थिर तथा अपदस्थ करने के उद्देश्य से साधारण सभा की बैठक के तुरंत पहले कुछ निहित स्वार्थों की पहल पर सामूहिक नामांकन की घटनाओं को रोकने के लिए प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक के सदस्यों को बैंक के प्रबंधन मंडल[3] के चुनाव में भाग लेने की अनुमति उनके सदस्यता प्राप्त करने की तारीख से 12 महीनों की न्यूनतम अवधि पूरी होने के बाद ही मिलनी चाहिए। 4. निदेशक मंडल में महिला प्रतिनिधि जिस क्षेत्र में केवल महिलाओं के लिए किसी शहरी बैंक के गठन के अवसर सीमित हैं, मौजूदा शहरी बैंक अपने प्रबंधक मंडलों में महिला सदस्यों को प्रतिनिधित्व दे सकते हैं और जहां आवश्यक हो, महिला सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक पृथक अनुभाग बना सकते हैं। निदेशक मंडलों में महिला शेयरधारकों के लिए कम से कम एक सीट आरक्षित रखी जाए। 5. निदेशक मंडल के सदस्यों के लिए विकास कार्यक्रम एक दक्ष नीति निर्माता एवं निर्णयन निकाय के रूप में स्वयं को विकसित करने के लिए निदेशक मंडल के सदस्यों के लिए नियमित कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इन कार्यक्रमों के अंतर्गत निदेशक मंडल के सदस्यों को अल्पकालिक अभिमुख पाठ्यक्रमों, कार्यशालाओं, सेमिनारों से परिचित करवाना और अन्य बैंकों का दौरा शामिल है। बैंक द्वारा स्वयं या शहरी बैंकों के संघों या संगठनों द्वारा तैयार किए गए उचित मैनुअल, निदेशकों को उप-विधियों के तहत उनके कार्यों से परिचित कराने का एक तरीका हो सकता है। राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक तथा क्रेडिट सोसायटी संघ तथा शहरी बैंकों के राज्य स्तरीय संघों या संगठनों के सहयोग से राष्ट्रीय सहकारी संघ को शहरी बैंकों के प्रबंधन मंडलों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने के इस अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य में स्वयं को लगाना चाहिए तथा इस प्रयोजन के लिए समन्वित कार्यक्रम की रूप-रेखा बनानी चाहिए। 6. निदेशक मंडल में मुख्य कार्यपालक का होना किसी शहरी बैंक के मुख्य कार्यपालक को अधिमानत: निदेशक मंडल का एक सदस्य होना चाहिए, अर्थात् उसे प्रबंध निदेशक होना चाहिए। 7. निदेशक मंडल में राज्य सरकार का नामित सदस्य जिस शहरी बैंक की शेयर पूंजी में राज्य की भागीदारी है ऐसे बैंकों के निदेशक मंडल में राज्य सरकार अपना प्रतिनिधि नामित कर सकता है। इस प्रकार के प्रतिनिधियों की संख्या निदेशकों की कुल संख्या के एक-तिहाई या तीन, इनमें से जो भी कम हो, से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा नामित निदेशकों को सहकारिता विभाग का अधिकारी होने के बजाय अधिमानत: सक्षम गैर-अधिकारी होना चाहिए। मास्टर परिपत्र - निदेशक मंडल - यूसीबी मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
[1] यूसीबी को ऐसे किसी भी मौजूदा पद/उपाधियॉं को 20 अप्रैल 2023 तक समाप्त करने का भी निर्देश दिया गया था। [2] यह दिशानिर्देश संबंधित क़ानूनों में उल्लिखित/निर्धारित निदेशक मंडल के निर्दिष्ट कर्तव्यों, जिम्मेदारियों, अधिकारों अथवा अदायित्वों को प्रतिस्थापित या अधिक्रमण करने के लिए नहीं हैं। [3] यह ध्यान दिया जाए कि इन सिफारिशों में प्रयुक्त शब्द "प्रबंधन मंडल" का अर्थ निदेशक मंडल है, न कि प्रबंधन मंडल, जैसा कि आरबीआई के 31 दिसंबर 2019 के परिपत्र विवि(पीसीबी).बीपीडी.परि.सं.8/12.05.002/2019-20 में संदर्भित है। |