एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार संचालित करने के लिए मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान - आरबीआई - Reserve Bank of India
एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार संचालित करने के लिए मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान
RBI/2012-13/102 2 जुलाई 2012 सभी एजेंसी बैंक महोदय / महोदया एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार संचालित करने के लिए मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान भारतीय रिज़र्व बैंक समय समय पर बैंकों को देय एजेंसी कमीशन पर विभिन्न अनुदेश जारी करता रहा है। इन अनुदेशों को दिनांक 1 जुलाई 2011 के हमारे मास्टर परिपत्र भारिबैं/2011-12/97 (सबैंलेवि.सलेप्र.सं.एच.3/31.12. 010/2011-12) में सूचित किया गया था। संशोधित परिपत्र की एक प्रतिलिपि संलग्न है। आप हमारी वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर भी उपर्युक्त परिपत्र प्राप्त कर सकते हैं। 2. कृपया प्राप्ति सूचना दें। भवदीय (बी. के. मिश्रा) अनु: यथोक्त एजेंसी कमीशन के संबंध में मास्टर परिपत्र 1. सरकारी लेनदेन हेतु बैंकों को देय एजेंसी कमीशन भारतीय रिजर्व बैंक केंद्र और राज्य सरकारों के सामान्य बैंकिंग कारोबार को, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 के अंतर्गत, अपने स्वयं के कार्यालयों के माध्यम से और आपसी समझौते से नियुक्त एजेंसी बैंकों के कार्यालयों के माध्यम से चलाता है । भारतीय रिजर्व बैंक, एजेंसी बैंकों द्वारा किए जाने वाले सरकारी कारोबार के लिए, उन्हें एजेंसी कमीशन (जिसे टर्नओवर कमीशन भी कहा जाता है) का भुगतान करता है। एजेंसी बैंक समझौते के पैरा 5 के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक अपने द्वारा निर्धारित दर पर एजेंसी कमीशन भुगतान करता है। इस संबंध मे समीक्षा की गई और यह निर्णय लिया गया है कि संशोधित एजेंसी कमीशन दर की संरचना निम्नानुसार होगी : -
2. इस संदर्भ में, यह नोट करें कि उपरोक्त टेबल में ‘प्राप्तियां – ई - मोड लेनदेन’ जोकि क्रम संख्या 1 (ii) के सामने दर्शाए गए हैं, वे लेनदेन हैं जोकि धनप्रेषक के बैंक खाते से, इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से, निधि के प्रेषण के रूप में है और वे सभी लेनदेन है जिसमें नकद / लिखतों की भौतिक प्राप्ति शामिल नहीं है । 3. संशोधित दरें 01 जुलाई, 2012 से प्रभावी होगी। 2. लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना, 1968 तथा वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, 2004 (एससीएसएस) के लिए एजेंसी कमीशन पीपीएफ और एससीएसएस का कार्य करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एजेंसी कमीशन के भुगतान के मुद्दे की, भारत सरकार से परामर्श कर जांच की गई और यह निर्णय लिया गया कि पीपीएफ और एससीएसएस के अंतर्गत संचालित लेनदेनों के लिए बैंकों को पारिश्रमिक के भुगतान के लिए एक ही चैनल का अनुसरण किया जाएं। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक पीपीएफ और एससीएसएस से संबंधित लेनदेनों के लिए निम्नलिखित दरों पर एजेंसी कमीशन का 1 जुलाई 2012 से भुगतान करेगा: क) प्राप्तियाँ: (i) भौतिक मोड - ₹ 50/- प्रति लेनदेन भारत सरकार पीपीएफ और एससीएसएस का प्रबंधन करने हेतु पारिश्रमिक के भुगतान को बंद कर देगी। 3. एजेन्सी कमीशन के लिए पात्र सरकारी लेनदेन [आरबीआई /2004/305(डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-2625-2658/31.12.010(सी)/2004-05) दिनांक 17 दिसंबर 2004] निम्नलिखित लेनदेन एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होंगे:
वित्तिय संस्थाओं और बैंकों इत्यादि से सीधे उगाहे गये राज्य सरकारों के अल्पावधि/दीर्घावधि ऋण एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं हैं क्योंकि ये लेनदेन सामान्य बैंकिंग कारोबार की प्रकृति के नहीं माने जाते हैं। लोक ऋण के प्रबंध के लिए एजेंट के रुप में कार्य करने हेतु रिज़र्व बैंक एजेंसी बैंकों को यथा सहमत दर पर अलग से पारिश्रमिक अदा करता है। मंत्रालयों/विभागों इत्यादि की ओर से बैंकों द्वारा खोले गये ऋण पत्र (एल/सी) से होने वाले लेनदेन एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होंगे। हालांकि एजेंसी बैंकों में से कुछ से प्राप्त संदर्भों के संदर्भ में एजेंसी कमीशन के लिए एक पात्र मद के रूप में बैंकों द्वारा स्टांप शुल्क के संग्रहण के मुद्दे की हमारे द्वारा जांच की गई और यह निर्णय लिया गया है कि एजेंसी बैंको द्वारा स्टांप शुल्क के संग्रह को एजेंसी कमीशन की पात्रता हेतु, सरकारी लेनदेन के रूप में, निम्नानुसार पात्र माना जाएं : i) जब भी एजेंसी बैंक भौतिक मोड या ई - मोड के माध्यम से (चालान आधारित) स्टांप शुल्क संग्रह करते है , वे एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र हैं बशर्ते कि एजेंसी बैंक स्टांप शुल्क संग्रह करने के लिए जनता से कोई शुल्क या राज्य सरकार से पारिश्रमिक प्राप्त नही करते है । ii) जहां कि फ्रैंकिंग गतिविधि का संबंध है, अगर एजेंसी बैंक को फ्रैंकिंग विक्रेता के रूप में राज्य सरकार द्वारा काम दिया गया है और यह जनता से दस्तावेजों की फ्रैंकिंग के लिए स्टांप शुल्क जमा करती है तो यह एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होंगे चूंकि राज्य सरकार फ्रैंकिंग विक्रेता के रूप में एजेंसी बैंक को कमीशन दे रही है । हालांकि एजेंसी बैंक जो फ्रैंकिंग विक्रेता द्वारा भौतिक या ई - मोड में चालान के माध्यम से स्टांप शुल्क राजकोष में जमा करने के लिए प्राप्त करती है तो यह स्टांप ड्यूटी का, उपरोक्त मद संख्या (i) के अंतर्गत, एक नियमित भुगतान होगा और एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होगा । सभी एजेंसी बैंक टर्नओवर कमीशन (टीओसी) का दावा करते समय यह प्रमाणित करें कि अपात्र लेनदेनों पर टीओसी का दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। 4. एजेंसी बैंकों के माध्यम से राज्य सरकार के आयकर/ अन्य प्रत्यक्ष कर और व्यवसाय कर/अन्य कर स्वीकार करने हेतु योजना [आरबीआई /2004-05/344(डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-3568-3601/42.01.001/2004-05)दिनांक 13 जनवरी 2005] एजेंसी बैंक, जो अपनी स्वयं की कर देयताएं अपनी स्वयं की शाखाओं के माध्यम से, अथवा जहां कहीं उनकी स्वयं की प्राधिकृत शाखाएं नहीं है, वहां भारतीय स्टेट बैंक की प्राधिकृत शाखाओं के माध्यम से अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के माध्यम से अदा कर रहे हैं, उन्हें इनका स्क्रौल में अलग से उल्लेख करना चाहिए। ऐसे लेनदेन एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं होंगे। बैंकों को एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करते समय इस आशय का एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना चाहिए, कि उनके द्वारा चुकाई गई, उनकी स्वयं की कर देयताएं (स्त्रोत पर काटे गए कर [टीडीएस], कार्पोरेशन कर, इत्यादि) इसमें शामिल नहीं हैं। 5. एजेंसी कमीशन पर टी डी एस की कटौती केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि रिज़र्व बैंक द्वारा, अपने एजेंटो को भुगतान या क्रेडिट किए गए , एजेंसी कमीशन की राशि पर, कर की कटौती करने की आवश्यकता नहीं होगी। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने, अपने दिनांक 14 मार्च 2011 के ज्ञापन एफ सं. 275/20/2011- आईटी(बी) के द्वारा पुन: स्पष्ट किया है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के सामान्य बैंकिंग कार्य करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, एजेंसी बैंकों को भुगतान किए गए या क्रेडिट किए गए टर्नओवर कमीशन पर, आरबीआई को टैक्स कटौती करना वांछनीय नही है । तथापि, संबंधित बैंकों को प्राप्त होने पर, एजेंसी कमीशन की राशि कर-योग्य होगी, क्योंकि वह बैंक की आय का ही भाग है। 6. एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार संचालित करना – एजेंसी कमीशन का भुगतान – बैंकों द्वारा एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करने के लिए फार्मेट एजेंसी बैंकों द्वारा (भारतीय स्टेट बैंक के अतिरिक्त) एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करने के लिए एक फार्मेट तैयार किया गया है। इसके अलावा राहत बांड/बचत बांड के संबंध में ब्याज और/अथवा मोचन मूल्य अदा करने के संबंध में, एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करने के लिए भी, एक अलग फार्मेट तैयार किया गया है। एजेंसी बैंकों को एजेंसी कमीशन के लिए अपना दावा निर्धारित फार्मेट में प्रस्तुत करना आवश्यक है। [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-754/31.12.010(सी)/2005-06 दिनांक 30 अगस्त 2005] भारतीय स्टेट बैंक अपना दावा दिनांक 6 जून 2006 के परिपत्र द्वारा यथा संशोधित दिनांक 30 अगस्त 2005 के हमारे पत्र डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-754/31.12.010(सी)/ 2005-06 में निर्धारित फार्मेट में प्रस्तुत करेगा। 7. एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावे-सामान्य अनियमितताएं – गलत दावों के लिए दण्डात्मक ब्याज लगाना कुछ एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावों का हमारे द्वारा अकस्मात सत्यापन करने पर पाई गई सामान्य अनियमितताओं के बारे में, एजेंसी बैंकों को सूचित किया गया था। बैंकों से यह अपेक्षा है कि वे एजेंसी कमीशन के लिए दावे प्रस्तुत करते समय उचित सावधानी बरतें और यह सुनिश्चित करें कि वे बिल्कुल ठीक हैं। गलत दावों से बचने की दृष्टि से, उन्हें अपने दावे, आंतरिक/समवर्ती लेखा परीक्षक से प्रमाणित करवा लेना चाहिए। एजेंसी बैंकों को, एजेंसी कमीशन के निपटाए गए, गलत दावों के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित बैंक दर +2% की दर पर दण्ड ब्याज अदा करना होगा। 8. विशेष जमा योजना पर एजेंसी कमीशन एस डी एस –1975 के अंतर्गत लेनदेन 'पेंशन को छोडकर अन्य भुगतानों' के समान, एजेंसी कमीशन के लिए योग्य हैं। इस प्रकार, एजेंसी बैंक, ऐसे लेनदेनों पर प्रति 100 रुपये के टर्नओवर के लिए 5.5 पैसे की दर पर, एजेंसी कमीशन के लिए 1 जुलाई 2012 से पात्र है। चूंकि इस योजना के अंतर्गत अब नई जमाराशियां स्वीकार नहीं की जाती है, अतः एसडीएस-1975 के अंतर्गत वर्तमान में निम्नलिखित लेनदेन होंगे- क) निधि से अनिवार्य आहरणों के लिए जब भी कभी अनुरोध प्राप्त होता है, उसकी अनुमति प्रदान करना; 9. पेंशन लेनदेनों पर एजेंसी कमीशन एजेंसी बैंक, पेंशन लेनदेन के लिए, ₹ 65/- प्रति लेन देन की दर से, 01 जुलाई 2012 से, एजेंसी कमीशन का दावा करने के लिए, केवल तभी पात्र होंगे, जब उनके द्वारा पेंशन के संवितरण का संपूर्ण कार्य, जिसमे पेंशन गणना का कार्य भी शामिल है ,किया जाएगा। यदि पेंशन संवितरण से संबंधित कार्य, संबंधित सरकारी विभाग/कोषागार द्वारा किया गया हो और बैंकों द्वारा केवल उन्हें सरकारी खाते से एकल नामे द्वारा पेंशनरों के खातों में जमा करना आवश्यक हो, तो ऐसे लेनदेन को 'पेंशन भुगतान के अलावा भुगतान' के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा और वे 1 जुलाई 2012 से प्रति 100/- रुपए टर्नओवर पर 5.5 पैसे की दर से एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र होंगे। 10. एजेंसी कमीशन दावों मे अनियमित बढ़ोतरी एजेंसी बैंकों के लिए सुनिश्चित करना आवश्यक है कि एजेंसी कमीशन का दावा निर्धारित प्रारूप में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय / केंद्रीय लेखा अनुभाग नागपुर को सही रूप में प्रस्तुत किया जाएं। इसके अलावा शाखाओं द्वारा किए गए दावों में निहित जानकारी आंतरिक / समवर्ती लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित होना चाहिए ताकि गलत दावे से बचा जा सके । हालांकि हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों ने हमें सूचित किया है कि एजेंसी बैंकों ने कुछ बड़ी राशि के गलत / त्रुटिपूर्ण दावें अपने आंतरिक / समवर्ती लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत प्रमाणित कर प्रस्तुत किए है। इस तरह के आंतरिक / समवर्ती लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित गलत दावे, त्रैमासिक दावा करने की इस आवश्यक वांछनीयता को अर्थहीन बना देंगे। इसे ध्यान में रखते हुए एजेंसी बैंकों से अनुरोध है कि अपनी शाखाओं को चेतावनी जारी करें कि वे हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाने वाले दावों का सही होना सुनिश्चित करें । 11. एजेंसी कमीशन के दावे बाहरी लेखापरीक्षक द्वारा सत्यापित होने चाहिए निर्देशों के बावजूद, हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों में एजेंसी बैंकों से गलत / अधिक दावे प्राप्त हो रहे है। अतः निर्णय लिया गया कि आगे से एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावें भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत करने से पहले, बाहरी ऑडिटर (चार्टर्ड एकाउंटेंट्स) द्वारा लेखापरीक्षित और प्रमाणित होने आवश्यक है । जहां बाहरी लेखा परीक्षक, समवर्ती/ सांविधिक लेखा परीक्षक भी है, ऐसे मामले में दावा समवर्ती/ सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है। तदनुसार, एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्तुत किए जा रहे सभी एजेंसी कमीशन के दावें बाहरी ऑडिटर (चार्टर्ड एकाउंटेंट) द्वारा विधिवत प्रमाणित होने चाहिए। हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावा, इस प्रमाण पत्र के साथ किया जाना चाहिए कि दावा बाहरी लेखा परीक्षक (चार्टर्ड एकाउंटेंट) द्वारा लेखा परीक्षित किया गया है और सही पाया गया है । ऐसे बाहरी लेखापरीक्षक के प्रमाणपत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख हो कि : (ए) आरबीआई को प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावे में दी गई ‘प्राप्तियां’ और ‘पेंशन भुगतान लेनदेन’ और ‘ पेंशन के अतिरिक्त भुगतानो’ के लिए एजेंसी कमीशन, एजेंसी बैंक की संबद्ध शाखा/ओं द्वारा अनुरक्षित रिकार्ड के साथ मिलान हो रहा है ; और (बी) वाल्यूम(नंबर) आधारित लेनदेन यथा ‘प्राप्तियां’ और ‘ पेंशन भुगतान लेनदेन ’ के संबंध में किए गए एजेंसी कमीशन के दावें एक बार ही किए गए है और इन्हें ‘ पेंशन के अतिरिक्त भुगतानों’ के संबंध में वेल्यू आधारित लेनदेन का हिसाब करते समय शामिल नही किया गया है। इस के अलावा, एजेंसी बैंकों को सुनिश्चित करना है कि एजेंसी बैंक के आंतरिक निरीक्षक/ लेखा परीक्षक, निरीक्षण / लेखा परीक्षा के दौरान, उनकी शाखाओं द्वारा प्रस्तुत दावों की सही होने की पुष्टि करेंगे । मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
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