मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या निवेश करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या निवेश करना
भारिबैं/2015-16/24 1 जुलाई 2015 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या निवेश करना जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। उक्त विषय पर 30 जून 2015 तक जारी दिशा निर्देश पुन: नीचे दिए जा रहे हैं। अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in. पर भी उपलब्ध है। भवदीय, (सी डी श्रीनिवासन) 1. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में निवेश - गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभा, भारतीय रिजर्व बैंक से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि 07 जुलाई 2004 का विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति अंतरण या जारी करना) (संशोधित) विनियमावली 2004 का संदर्भ लें, जिसके अनुसार भारतीय पार्टी से यह अपेक्षित है कि भारत के बाहर की वित्तीय सेवाओं में संलग्न किसी विदेशी संस्था में निवेश करने के से पूर्व भारत तथा विदेशी दोनो के संबंधित विनियामक प्राधिकारियों से अनुमति लें | इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (ड्ब्ल्युओएस) में प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में 1 जुलाई 2013 को जारी मास्टर परिपत्र के अनुसार विदेश में किसी गतिविधियों में निवेश करने वाली वित्तीय क्षेत्र में विनियमित संस्थानों से अपेक्षित है कि वे उक्त विनियम का पालन करें| ऎसे उदाहरण मिलें हैं जिसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक से विनियामक अनुमति लिए बिना विदेश में निवेश किया है | गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विनियामक अनुमति लिए बिना ऎसे निवेश करना फेमा 2004 अधिनियम का उल्लंघन है तथा इसके लिए दण्डात्मक प्रावधान है| इस संबंध में इस बात पर जोर दिया जाता है कि विदेश में निवेश के इच्छुक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां ऎसे निवेश करने से पूर्व गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय से “अनापत्ति प्रमाण पत्र” अवश्य प्राप्त करें जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी पंजीकृत हो | इस संबंध में किए जाने वाले आवेदन पत्रों में विदेशी कंपनी /संस्था द्वारा अभिप्रेत गतिविधियों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए| गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां यह भी नोट करें कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम में जिन गतिविधियों को अनुमोदित नहीं किया गया है, उनमें लगी विदेशी कंपनियों /संस्थाओं में उन्हें फेमा के तहत प्रत्यक्ष निवेश करने की अनुमति नहीं है| 2. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (गैबैंविकं द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम / प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या निवेश करना) निदेश 2011 2.1. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखा /सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलने या निवेश के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति लेनी होगी. 1. भारतीय रिजर्व बैंक से लिखित पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना कोई गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी विदेश में सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/प्रतिनिधि कार्यालय खोलने या किसी विदेशी संस्था में निवेश नहीं कर सकता. अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के आवेदन को इन निदेश के अधीन विचार किया जाएगा| 2. विदेश में शाखाएं खोलने या संयुक्त उद्यम/ पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में निवेश करने के लिए विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा जारी निदेशों के अतिरिक्त यह निदेश होंगे| 3. भारतीय रिजर्व बैंक से पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमा राशि स्वीकार तथा नहीं स्वीकार करने वाली दोनों) के लिए विदेश में सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय के लिए या निवेश हेतु अनुमति प्राप्त करने के लिए निर्धारित सामान्य तथा विशिष्ठ शर्तें निम्नलिखित है| (ए) गैर वित्तीय सेवाएं क्षेत्र में निवेश की अनुमति नहीं है| (बी) फेमा (एफईएमए) के तहत गतिविधियों में प्रत्यक्ष निवेश प्रतिबंधित है या सेक्टोरल निधियों की अनुमति नहीं है। (सी) केवल मात्र उन संस्थाओं में निवेश की अनुमति है जिसके कोर गतिविधियों का विनियमन मेजबान (होस्ट) अधिकार क्षेत्र के वित्तीय क्षेत्र विनियामक द्वारा किया जाता हो। (डी) समग्र विदेशी निवेश निवल स्वाधिक निधियों के 100% से अधिक नहीं होनी चाहिए। किसी एक विदेशी संस्था में, उसकी निचली सहायक कंपनियों सहित, ईक्विटी या निधि आधारित प्रतिबद्धता निवेश के माध्यम से निवेश, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के स्वामित्व निधि का 15% से अधिक नहीं होना चाहिए। (ई) विदेशी निवेश में बहु स्तरित, क्रास क्षेत्राधिकार संरचना शामिल नहीं होना चाहिए तथा अधिक से अधिक केवल मात्र एक मध्यवर्ती धारक संस्था को अनुमति दी जाएगी । (एफ) (i) विदेश में सहायक कंपनी में निवेश करने के बाद, जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का सीआरएआर, गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार तथा धारण करने वाली) कंपनी, विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007, समय समय पर यथा संशोधित, के नियमानुसार जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू से कम नहीं होना चाहिए है। (ii) विदेश में सहायक कंपनी में निवेश करने के बाद, प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का सीआरएआर, गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार तथा धारण करने वाली) कंपनी, विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007, समय समय पर यथा संशोधित, के नियमानुसार जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू से कम नहीं होना चाहिए है। (iii) विदेश में सहायक कंपनी में निवेश करने के बाद, जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को छोडकर) का सीआरएआर, समय समय पर संशोधित या 10% से कम नहीं होना चाहिए। (जी) भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के धारा 45 झक में निर्धारित स्पष्टिकरण के अनुरूप गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को प्रस्तावित विदेशी सहायक कंपनी/ विदेश में निवेश करने के बाद आवश्यक निवल स्वाधिक निधियों का स्तर बरकरार रखना होगा । (एच) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का निवल अनर्जक आस्तियां निवल अग्रिम के 5% से अधिक नहीं होना चाहिए। (आई) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को पिछले तीन वर्षो में लाभ अर्जित किया होना चाहिए तथा इस अवधि के दौरान उनका कार्य निष्पादन संतोषजनक होना चाहिए। (जे) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को समय समय पर जारी फेमा 1999 विनियम का अनुपालन करना होगा। (के) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का विनियामक अनुपालन तथा सार्वजनिक जमाराशि स्वीकर करने की सेवा संतोषजनक होना चाहिए। (एल) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) नियम का पालन करना होगा । (एम) विदेश में विशेष प्रयोजन संस्था (एसपीवी) की स्थापना या विदेश में अधिग्रहण को विदेशी संस्था में निवेश के प्रतिशत के आधार पर विदेश में सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम में निवेश / विदेश में निवेश माना जाएगा; (एन) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को सांविधिक लेखा परीक्षक से वार्षिक प्रमाण पत्र, जिसमें यह प्रमाणित किया जाए कि विदेश में निवेश के लिए इस दिशानिर्देश के तहत निर्धारित सभी नियम का पूर्ण अनुपालन इसके द्वारा किया गया है, को क्षेत्रीय कार्यालय के गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग में प्रस्तुत करना होगा, जहां वह पंजीकृत है। (ओ) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को एक संलग्न तिमाही विवरणी क्षेत्रीय कार्यालय गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को तथा सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को भी प्रस्तुत करना होगा । (पी) यदि बैंक के संज्ञान में कोई प्रतिकूल बात आती है तो स्वीकृत अनुमति को वापस ले लिया जाएगा। विदेश में निवेश हेतु सभी स्वीकृतियां इस नियम के अधीन है। सामान्य नीति के अनुसार, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को विदेश में शाखा खोलने की अनुमति नहीं है। तथापि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जिन्होंने वित्तीय कारोबार गतिविधियों के लिए पहले से ही विदेश में शाखा (शाखाएं) खोल रखी है उन्हें संशोधित दिशानिर्देश के अनुपालन के आधार पर, यथा लागू, परिचालन जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है। (बी) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में सहायक कंपनी खोलना गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में सहायक कंपनी खोलने के मामले में उक्त निर्धारित सभी नियम लागू होंगें। बैंक द्वारा जारी किया अनापत्ति प्रमाण पत्र विदेशी नियामकों अनुमोदन प्रक्रिया से स्वतंत्र है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित निर्धारित शर्तें है जो कि सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू है। ए. विदेश में सहायक कंपनी खोलने के मामले में, मूल गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को ऎसे सहायक कंपनी के बदले विस्तारित अंतर्निहित या गारेंटी सुनिश्चित करने की अनुमति नहीं है। बी. विदेशी सहायक कंपनी का भारत में किसी भी संस्थान से चुकौती आश्वासन पत्र के अनुरोध की अनुमति नहीं है। सी. यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रस्तावित विदेशी संस्था में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की देनदारी इसके ईक्विटी या सहायक कंपनी के निधि आधारित प्रतिबद्धता तक प्रतिबंधित है। डी. विदेश में स्थापित की जाने वाली सहायक कंपनी शेल (Shell) कंपनी नहीं होगी जैसे “कंपनी का गठन किया गया है किंतु परिसंपत्ति या परिचालन के दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं है”. तथापि वित्तीय सलाहकार तथा परामर्श सेवाएं का कारोबार करने वाली ऎसी कंपनी जिसमें महत्त्वपूर्ण परिसंपत्ति नहीं है, उन्हें शेल (Shell) कंपनी के रूप में नहीं माना जाएगा। ई. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा विदेश में स्थापित की वाली सहायक कंपनी का प्रयोग भारत में भारतीय परिचालन के लिए परिसंपत्ति बनाने के लिए संसाधन बनाने वाले संस्थान के रूप में प्रयोग नहीं किया जाए। एफ. प्रावधानों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए, मूल गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को विदेश में स्थापित सहायक कंपनी से उनके द्वारा किये जाने वाले कारोबार संबंधि आवधिक रिपोर्ट/ लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्राप्त करना होगा तथा उसे रिजर्व बैंक तथा बैंक के निरीक्षक अधिकारियों को उपलब्ध करना होगा। जी. यदि सहायक कंपनी द्वारा कोई कारोबार नहीं किया जा रहा है या रिपोर्ट की प्राप्ति नहीं हो रही है तब विदेश में सहायक कंपनी के स्थापना के लिए दिए गये अनुमति की समीक्षा किया /वापस लिया जा सकता है। एच. किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को विदेश में सहायक कंपनी स्थापित करने की अनुमति इस शर्त पर दी जाएगी कि सहायक कंपनी अपने तुलन पत्र में यह प्रकट करें कि प्रस्तावित विदेशी संस्था में मूल संस्था का देनदारी अपने इक्विटी या फंड को सीमित किया जाएगा जो कि सहायक कंपनी के लिए आधारित प्रतिबद्धता के अधीन होगा। आई. विदेशी सहायक कंपनी के सभी परिचालन मेजबान देश के विनियामक क्षेत्र के अधीन होगा। सहायक कंपनी के अतिरिक्त विदेश में निवेश पर भी वही दिशा निर्देश लागू होंगे जो सहायक कंपनी के लिए लागू है. (डी) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में प्रतिनिधि कार्यालय खोलना संपर्क कार्य हेतु प्रतिनिधि कार्यालय विदेश में खोला जा सकता है. यह बाजार स्टडी तथा अनुसंधान कार्य कर सकते है किंतु किसी भी प्रकार से निधियों का परव्यय कारोबार शामिल न हो, क्योंकि यह मेजबान देश के विनियमन के अधीन होता है. जैसा कि ऎसे कार्यालय संपर्क कार्य के अतिरिक्त किसी और कार्य में शामिल नहीं होंगे अत: ऋण व्यापार की सीमा को नहीं बढाया जा सकता. मूल गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी से विदेशी प्रतिनिधि कार्यालय द्वारा उनके कारोबार संबंधी आवधिक रिपोर्ट प्राप्त करनी होगी. यदि प्रतिनिधि कार्यालय द्वारा कोई कारोबार नहीं किया जाता है या रिपोर्ट की प्राप्ति नहीं होती है उनको कार्य के लिए प्रदान किया गया अनुमति की समीक्षा/ रद्द की जा सकती है. 3. नीति की समीक्षा अनुभव लाभ के आधार पर किया जाएगा. 4. इन निदेशो का उल्लंघन भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के तहत दण्डनीय है.
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