मास्टर परिपत्र - वित्तीय संस्थाओं द्वारा निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंड- संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - वित्तीय संस्थाओं द्वारा निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंड- संशोधन
आरबीआई/2015-16/283 07 जनवरी 2016 अखिल भारतीय मीयादी ऋणदात्री तथा पुनर्वित्त महोदय/ महोदया, मास्टर परिपत्र - वित्तीय संस्थाओं द्वारा निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंड- संशोधन कृपया वित्तीय संस्थाओं द्वारा निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों पर 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र बैंविवि.सं.एफआईडी.एफआईसी.3/01.02.00/2015-16 का पैरा 2.5.3.4 (iii) देखें। 2. अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं पर लागू आस्ति वर्गीकरण मानदंडों को बैंकों के लिए लागू मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए स्थिति की समीक्षा की गई। तदनुसार, उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 2.5.3.4 (iii) को निम्नानुसार संशोधित किया गया है:-
भवदीय, (राजिंदर कुमार) 1अधिमानी शेयर बैंक-ऋणों से गौण हैं और इसलिए यह संभव है कि उधारकर्ता कंपनी बैंक ऋण की चुकौती के लिए तो पर्याप्त अधिशेष कमा रही है, किंतु अधिमानी शेयरों पर लाभांश अदा करने के लिए नहीं। इसके अतिरिक्त, उधारकर्ता संस्था को अधिमानी शेयरों पर लाभांश अदा न करने के कारण अधिमानी शेयरों के धारकों द्वारा दिवालियापन की कार्यवाही किए जाने का जोखिम नहीं है। अतएव, जहां अधिमानी शेयरों में निवेश अनर्जक आस्तियां बन जाते हैं, उस स्थिति में ऋणों का दर्जा घटाने की आवश्यकता नहीं है। तथापि, इसका उल्टा सही नहीं है। यदि कोई ऋण अनर्जक आस्ति बन जाता है, तो अधिमानी शेयरों में निवेश बैंक ऋणों से गौण होने के कारण निश्चित रूप से अनर्जक (एनपीए) बन जाएगा। |