मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-फैक्टर(रिज़र्व बैंक) निदेश- 2012 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-फैक्टर(रिज़र्व बैंक) निदेश- 2012
भारिबैं/2014-15/33 1 जुलाई 2014 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) महोदय, मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-फैक्टर(रिज़र्व बैंक) निदेश- 2012 जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। इस परिपत्र में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30 जून 2014 तक अद्यतन किए गए हैं, नीचे दिए जा रहे हैं। अद्यतन की गई अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। भवदीय, (के . के . वोहरा)
केन्द्र सरकार द्वारा 22 जनवरी 2012 को फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम 2011 को अधिसूचित किया गया। अधिनियम का उद्देश्य फैक्टर और फैक्टर्स में प्राप्त होने वाले कार्य को विनियमित करना तथा कार्य को प्राप्त करने वाली पार्टियों के अधिकार और दायित्व की रूप रेखा प्रस्तुत करना भी है। अधिनियम के तहत, बैंकों के अतिरिक्त फैक्टरिंग कंपनियां, सरकारी कंपनियां आदि (अधिनियम की धारा 5 में विनिर्दिष्ट अनुसार) को भारतीय रिज़र्व बैंक से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में पंजीकृत होना होगा तथा यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विवेकपूर्ण विनियमन के अधीन होंगी। उक्त के अनुसार, यह निर्णय लिया गया कि गैर बैंकिंगवित्तीय कंपनी की नयी श्रेणी बनाई जाए यथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-फैक्टर्स और उनके गहन अनुपालन के लिए अलग दिशानिदेश जारी किया जाए। 2. 1निदेशो का संक्षिप्त नाम तथा प्रयोग में लाना यह निदेश गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी – फैक्टर (रिजर्व बैंक) निदेश- 2012 से जाने जाएंगे। यह तत्काल प्रभाव से लागू होंगे तथा इन निदेश के प्रारंभ होने के संबंध में किसी भी संदर्भ के लिए दिशा निदेश की तारीख को संदर्भ के रूप में माना जाएगा। फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 की धारा 3 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष पंजीकृत प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी - फैक्टर पर यह निर्देशों का प्रावधान लागू होगा। (i) “अधिनियम” से अभिप्रेत है फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011; (ii) “बैंक” से अभिप्रेत है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 3 के तहत गठित भारतीय रिज़र्व बैंक; (iii) “गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर (एनबीएफसी-फैक्टर) “से अभिप्रेत है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45-झ के खण्ड(च) के तहत वर्णित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जिसका मूल कारोबार इन निदेश के पैराग्राफ 6 में वर्णित है तथा जिन्हें अधिनियम की धारा 3 के उप धारा (1) के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है; (iv) कंपनी से अभिप्रेत है कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 3 के तहत पंजीकृत कंपनी। (v) प्रयोग किया शब्द या अभिव्यक्ति किंतु यहाँ से परिभाषित नहीं किया गया है और अधिनियम में परिभाषित है उसके लिए अधिनियम में दिया गया अर्थ अभिप्रेत होगा। कोई अन्य शब्द या अभिव्यक्ति जो अधिनियम में परिभाषित नहीं है उसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में दिया गया अर्थ अभिप्रेत होगा । 5. पंजीकरण तथा उससे संबंधित प्रासंगिक बातें (i) अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों के तहत फैक्टरिंग कारोबार करने की इच्छुक2 प्रत्येक कंपनी को बैंक से एनबीएफसी-फैक्टर के रूप में पंजीकरण का प्रमाण पत्र (सीओआर) प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा। (ii) मौजूदा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो इन दिशानिदेश में निहित सभी शर्तों को पूरा करती हो, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर के रूप में वर्गीकरण परिवर्तन के लिए बैंक द्वारा जारी मूल पंजीकरण प्रमाण सहित इस अधिसूचना की तारीख से छ: माह के अंदर उस क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकती है जहां वह पंजीकृत है। उनके अनुरोध उनके सांविधिक लेखापरीक्षक से संपत्ति और आय पैटर्न को दर्शाता हुआ प्रमाण पत्र द्वारा समर्थित होना चाहिए; (iii) बैंक से गैर पंजीकृत संस्था फैक्टरिंग कारोबार कर सकती है यदि वह अधिनियम की धारा 5 में वर्णित संस्था हो तो; जैसे बैंक या पार्लियामेंट या राज्य विधानमंडल का अधिनियम के तहत गठित कोई कार्पोरेशन अथवा कंपनी अधिनियम 1956 की 617 के तहत वर्णित सरकारी कंपनी। (iv) नई कंपनी जिसे बैंक द्वारा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया हो, बैंक द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के छ: माह के अंदर कारोबार प्रारंभ करना होगा। i. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर के रूप में पंजीकरण की इच्छा रखने वाली प्रत्येक कंपनी को न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि ₹ 5 करोड रखना होगा। ii. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर के रूप में पंजीकरण की इच्छा रखने वाली मौजूदा कंपनियां किंतु ₹ 5 करोड न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि ₹ 5 के मानदण्ड को पूरा नहीं करती है, को इसके अनुपालन हेतु आवश्यक समय सीमा के लिए बैंक से संपर्क कर सकती है। (i) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर को यह सुनिश्चित करना होगा कि अपनी वित्तीय परिसंपत्तियों में फैक्टरिंग के कारोबार से अपनी कुल संपत्ति का न्यूनतम 75 प्रतिशत निर्माण करें और अपने फैक्टरिंग कारोबार से प्राप्त आय अपनी सकल आय का 75 प्रतिशत से कम न हो। (ii) फैक्टरिंग कारोबार करने वाली बैंक से पंजीकृत मौजूदा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कुल संपत्ति/ आय का 75 प्रतिशत से भी कम निर्माण करती हो, उन्हें इस अधिसूचना की तारीख से छ: माह के अंदर, फैक्टर कंपनी बने रहने अथवा पूर्ण रूप से इस कारोबार से बाहर निकलने का आशय पत्र तथा इस संबंध में रोड मैप बैंक को प्रस्तुत करना होगा। तथापि ऎसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उक्त 6(i) की आवश्यकता अनुसार परिसंपत्ति /आय की उगाही करनी होगी अथवा इस अधिसूचाना की तारीख से 2 वर्षों की समयावधि के अंदर फैक्टरिंग कारोबार बन्द करना होगा। उनके द्वारा आवश्यक परिसंपत्ति/आय प्रतिशत प्राप्त करने के बाद ही उन्हें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। 311 सितम्बर 2012 का बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.40/21.04.172/2012-13 का भी संदर्भ लें। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर, अधिनियम तथा समय समय पर अधिनियम के तहत निर्मित नियम और विनियमों के अनुसार फैक्टरिंग कारोबार करेंगे। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी – फैक्टर पर लोन कंपनी के अनुसार, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (गैर जमा स्वीकार करने या होल्डिंग) विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निदेश, 2007 या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमा स्वीकार या होल्डिंग) विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 जैसा भी मामला हो, का प्रावधान लागू होगा। पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लिए वर्तमान विनिर्दिष्ट के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को विवरणियों की प्रस्तुति की जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा विभाग (एफईडी) द्वारा फेमा,1999 के तहत फैक्टर्स को प्राधिकृत करता है। इसलिए, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर विदेशी मुद्रा में आयात / निर्यात का कारोबार की करने के लिए, फेमा 1999 के तहत विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए आवश्यक प्राधिकरण हेतु एफईडी के समक्ष आवेदन करना होगा और विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा निर्धारित सभी नियम और शर्तों और फेमा के तहत सभी संबंधित प्रावधानों और समय समय पर इसके अंतर्गत बनाये गए नियम, विनियम, अधिनियम, निदेश अथवा आदेश का अनुपालन करना होगा। i. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमा स्वीकार या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमा स्वीकार या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के पैरा 15 के अनुसार सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर कंपनी की स्थिति के संदर्भ में सांविधिक लेखा परीक्षकों का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के की आवश्यक हैं। यदि एफडीआई प्राप्त नहीं कर लिया गया है तो, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- फैक्टर के लिए, फैक्टरिंग अधिनियम की धारा 3 के तहत, ऎसे प्रमाणपत्र में प्रमाणपत्र धारण करने की आवशकता दर्शायेगी। प्रमाण पत्र फैक्टरिंग परिसंपत्ति और आय, अधिनियम के तहत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी –फैकर के रूप में वर्गीकृत होने के लिए निर्धारित सभी शर्तों का पूर्ण अनुपालन और न्यूनतम पूंजीकरण नियम का अनुपालन को भी दर्शायेगी। ii. अधिनियम के तहत इन निदेशों का गैर अनुपालन के लिए दंड का प्रावधान है। परिपत्र की सूची
1 23 जुलाई 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.297/फैक्टर/22.10.91/2012-13 201 अप्रैल 2014 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रभावी 01 अप्रैल 2014 से भारिबैं अधिनियम, 1934 की धारा 45झक के तहत एनबीएफआई गतिविधि करने की इच्छा रखने वाली कंपनी को पंजीकरण प्रमाण पत्र (सीओआर) से जारी करने से पूर्व एक वर्ष की अवधि के लिए भारिबैं द्वारा स्थगन में रखा जाए। फूट नोट: मूल परिपत्र/अधिसूचना में जब और जैसे परिवर्तन होगा मास्टर परिपत्र में संदर्भित कंपनी अधिनियम, 1956 में भी परिवर्तन होगा। 3इस परिपत्र में बैंक वित्त पर फैक्टरिंग कंपनी हेतु निदेश निहित है। |