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मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध (समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग) निदेश, 2022(दिनांक 15 अप्रैल,2024 को अद्यतित)

इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:

  • 2024-04-15
  • 2022-12-12

आरबीआई/2022-23/94
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या.20

दिसंबर 12, 2022
(दिनांक 15 अप्रैल,2024 को अद्यतित)

सभी श्रेणी - I प्राधिकृत डीलर बैंक

महोदया/महोदय,

मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध (समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग) निदेश, 2022

प्राधिकृत डीलर श्रेणी - I (एडी श्रेणी -1) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित फेमा, 1999 (1999 का 42वां अधिनियम) की धारा 47 की उपधारा (2) के खंड (एच) के तहत जारी समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न अनुबंध) विनियमन, 2000 दिनांक 3 मई 2000 (अधिसूचना सं. एफईएमए. 25/आरबी-2000 दिनांक 03 मई 2000) के विनियम 6 और 6 ए की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2 विनियमों की परिधि (के दायरे) के भीतर, रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 11 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है। ये निदेश प्राधिकृत डीलर श्रेणी-I बैंकों के लिए अपने ग्राहकों/घटकों द्वारा समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग की सुविधा के लिए तौर-तरीके निर्धारित करते हैं।

3. मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध (समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग) निदेश, 2022 इसके साथ संलग्न हैं। प्राधिकृत डीलर श्रेणी- I बैंक इन निदेशों की विषयवस्तु को अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों के ध्यान में ला सकते हैं।

4. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 के 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के तहत जारी किए गए हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत आवश्यक अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, के प्रति पूर्वाग्रह के बिना हैं।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


वित्तीय बाजार विनियमन विभाग

ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 21 दिनांक दिसंबर 12, 2022

मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध (समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग) निदेश, 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतदद्वारा निम्नलिखित निदेश जारी करता है।

1. लघु शीर्षक और शुरूआत

(i) ये निदेश मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध (समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग) निदेश, 2022 के रूप में संदर्भित किए जाएंगेI

(ii) ये निदेश दिसंबर 12, 2022 को लागू होंगे।

2. परिभाषाएं:

(i) बचाव (हेजिंग) - एक पहचान योग्य और मापनीय जोखिम को कम करने के लिए व्युत्पन्न लेनदेन करने की गतिविधि। इन दिशा-निर्देशों को जारी करने का प्रासंगिक जोखिम उद्देश्य कमोडिटी कीमत जोखिम और माल भाड़ा जोखिम हैं।

(ii) पात्र संस्थाएं- पात्र संस्थाएं से तात्पर्य व्यक्तियों से न होकर अनिवासियों से है।

(iii) कमोडिटी कीमत जोखिम के लिए प्रत्यक्ष एक्सपोजर – प्रत्यक्ष एक्सपोजर के रूप में कमोडिटी कीमत जोखिम से जुड़े संस्था को पात्र संस्था माना जाएगा यदि

(a) वह कमोडिटी खरीदता / बेचता (भारत या विदेश में) है, जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क के संदर्भ में तय किया जाता हो; या

(b) वह किसी उत्पाद को खरीदता / बेचता (भारत या विदेश में) हो जिसमें एक कमोडिटी भी शामिल हो और उत्पाद की कीमत कमोडिटी के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से जुड़ी हो।

(iv) कमोडिटी कीमत जोखिम के लिए अप्रत्यक्ष एक्सपोजर - अप्रत्यक्ष एक्सपोजर के रूप में कमोडिटी कीमत जोखिम से जुड़े संस्था को पात्र संस्था माना जाएगा यदि वह किसी उत्पाद को खरीदता / बेचता (भारत या विदेश में) हो जिसमें एक कमोडिटी भी शामिल हो और उत्पाद की कीमत कमोडिटी के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से नहीं जुड़ी हो।

(v) माल भाड़ा जोखिम के लिए एक्सपोजर – यदि कोई संस्था तेल रिफाइनिंग या शिपिंग के कारोबार में लगी हुई है तो उक्त संस्था को इसके तहत पात्र संस्था माना जाएगा।

(vi) बैंक (ओं) - बैंक (ओं) फेमा, 1999 की धारा 10 के तहत अधिकृत डीलर - श्रेणी I के रूप में लाइसेंस प्राप्त बैंकों को संदर्भित करता है।

(vii) ‘अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाएँ केंद्र’ का वही आशय होगा जो विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 की धारा 2(q) में निर्दिष्ट किया गया है।

3. पात्र कमोडिटी - जिन कमोडिटी वस्तुओं का कीमत जोखिम से बचाव किया जा सकता है वे हैं:

(i) कमोडिटी कीमत जोखिम के प्रत्यक्ष एक्सपोजर के मामले में: सभी वस्तुएं (रत्न और कीमती पत्थरों को छोड़कर)। सोने की कीमत जोखिम को केवल इन निदेशों के पैरा 5 (ii) में दिए गए प्रावधान के अनुसार हेज किया जा सकता है।

(ii) कमोडिटी कीमत जोखिम पर अप्रत्यक्ष एक्सपोजर के मामले में: एल्यूमिनियम, कॉपर, लीड, जिंक, निकेल और टिन। इन पात्र वस्तुओं की सूची की समीक्षा वार्षिक आधार पर की जाएगी।

4. अनुमत उत्पाद - अनुमत उत्पाद से तात्पर्य निम्नलिखित उत्पाद से है:

(i) जेनेरिक उत्पाद

(a) फ्यूचर्स और वायदा (फोरवार्ड्स)

(b) वेनिला विकल्प (क्रय विकल्प और विक्रय विकल्प)

(c) स्वैप

(ii) संरचित उत्पाद

(a) वे उत्पाद जो या तो नकदी लिखत हैं और एक या अधिक सामान्य उत्पादों के संयोजन हैं।

(b) वे उत्पाद जो दो या दो से अधिक सामान्य उत्पादों के संयोजन होते हैं।

5. कमोडिटी कीमत जोखिम से बचाव:

(i) पात्र संस्थाएँ जिनका किसी भी पात्र वस्तु के लिए कमोडिटी कीमत जोखिम में एक्सपोजर हो, वह अनुमत उत्पादों का उपयोग कर समुद्रपारीय बाजार में कमोडिटी कीमत जोखिम से बचाव कर सकती है।

(ii) पात्र संस्थाएँ जिनका सोने की कीमत जोखिम के प्रति एक्सपोजर है, वे ऐसे एक्सपोजर का बचाव केवल अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र (आईएफ़एससी) में कर सकती हैं, जो इस मास्टर निदेश में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन होगा। ।

6. माल भाड़ा जोखिम से बचाव: पात्र संस्थाएं जिनका एक्सपोजर माल भाड़ा जोखिम में है वे अपनी जोखिम को विदेशी बाजार में अनुमत उत्पादों के लिए जोखिम से बचाव कर सकती हैं।

7. अन्य परिचालन दिशानिर्देश:

(i) बैंक पात्र संस्थाओं को अनुमत उत्पादों का उपयोग करके समुद्रपारीय बाज़ार, आईएफ़एससी सहित, मे कमोडिटी कीमत जोखिम और माल भाड़ा जोखिम से बचाव की अनुमति दे सकते हैं और बैंक ऐसे लेनदेन के संबंध में भारत से बाहर विदेशी मुद्रा को भेज सकते हैं, जब वह खुद संतुष्ट हो जाए कि:

(a) इकाई का एक्सपोजर कमोडिटी कीमत जोखिम या माल भाड़ा जोखिम, अनुबंधित या अनुमानित रूप में हो।

(b) जोखिम से बचाव के लिए प्रस्तावित मात्रा और जोखिम की अवधि एक्सपोजर के अनुरूप होनी चाहिए।

(c) ओटीसी डेरिवेटिव के मामले में ओटीसी हेज लिए जाने संबंधी अपेक्षा को न्‍यायसंगत किया जाता है।

(d) हेजिंग के ऐसे मामलों में, जहां एक्‍सपोस की गई कमोडिटी वस्‍तु को छोड़कर अन्‍य किसी बेंचमार्क कीमत का प्रयोग किया जाता है तो ऐसे हेज लिए जाने की अपेक्षा को न्‍यायसंगत किया जाता है।

(e) ऐसी हेजिंग कंपनी के निदेशक मंडल या अन्‍य समतुल्‍य मंच द्वारा अनुमोदित नीति के अंतर्गत संस्‍था के प्रबंधन द्वारा की जाती है।

(f) संस्‍था के पास जोखिम प्रबंधन संबंधी आवश्‍यक नीतियां हों।

(g) संस्‍था को हेजिंग के संबंध में प्रयोग में लाए जाने वाले प्रस्तावित उत्‍पादों की उपयोगिता और संभावित जोखिमों की समुचित जानकारी हो।

ii. जहां तक ओटीसी संविदाओं का प्रश्‍न है, उन्‍हें ऐसे बैंकों या गैर-बैंक संस्‍थाओं द्वारा बुक किया जाना है जिन्‍हें ऐसे डेरिवेटिव उपलब्‍ध कराने हेतु संबंधित विनियामकों की अनुमति प्राप्‍त है। इस प्रयोजन हेतु स्‍वीकार्य अधिकार-क्षेत्रों की सूची फेडाई द्वारा विनिर्दिष्‍ट कराई जाएगी।

iii. संरचित उत्‍पादों के लिए अनुमति पात्र ऐसी संस्‍थाओं को दी जाए जो (क) मान्‍यता-प्राप्‍त देशी शेयर बाज़ारों पर सूचीबद्ध हों या (ख) ऐसी संस्‍थाओं की पूर्णत: स्‍वाधिकृत सहायक कंपनियां या (ग) असूचीबद्ध ऐसी कंपनियां, जिनकी निवल मालियत 200 करोड़ रुपये से अधिक हो, बशर्ते ऐसे उत्‍पाद का उपयोग इन निर्देशों के अंतर्गत यथापरिभाषित हेजिंग के प्रयोजन से किया जाए।

iv. कमोडिटी वस्‍तु कीमत जोखिम और भाड़े संबंधी जोखिम के प्रति एक्‍सपोज़र की हेजिंग से संबंधित सभी भुगतान/ प्राप्तियां इस प्रयोजन से बैंक में रखे जाने वाले विशेष खाते के माध्‍यम से भेजी/ प्राप्‍त की जाएंगी।

v. बैंक हेज संबंधी सभी लेनदेनों और संस्‍था द्वारा किए गए तत्‍संबंधी विप्रेषणों के पूरे ब्‍योरे अपने रिकॉर्ड में रखेंगे।

vi. बैंक संस्‍था के सांविधिक लेखापरीक्षकों से इस आशय का वार्षिक प्रमाणपत्र प्राप्‍त करेंगे कि हेज संबंधी लेनदेन और मार्जिन विप्रेषण संस्‍था के एक्‍सपोज़र के अनुरूप हैं। कमोडिटी वस्‍तु कीमत जोखिम और भाड़े संबंधी जोखिम के प्रति एक्‍पोज़र की हेजिंग के संबंध में संस्‍था की जोखिम प्रबंधन नीति तथा ऐसे एक्‍सपोज़रों की मात्रा के परिकलन की क्रियाविधि की उपयुक्‍तता के संबंध में भी सांविधिक लेखापरीक्षक टिप्‍पणी प्रस्‍तुत करेंगे।

vii. बैंक किसी अनियमितता या इन निर्देशों के दुरुपयोग के मामले में त्‍वरित सुधारात्‍मक कार्रवाई करेंगे। ऐसे सभी मामले की रिपोर्टिंग मुख्‍य महाप्रबंधक, वित्तीय बाज़ार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को की जानी चाहिए।

8. एवज़ी साख-पत्र (एसबीएलसी)/ गारंटियां – बैंकों को इस बात की अनुमति है कि वे अपने ग्राहकों द्वारा किए गए कमोडिटी बचाव लेनदेनों के लिए मार्जिन राशि का विप्रेषण करने के बदले में अपने ग्राहकों की ओर से एवज़ी साख-पत्र (एसबीएलसी) / गारंटिया जारी कर सकते हैं। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन एसबीएल / गारंटियों का ग्राहकों द्वारा नियत उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाए।

9. विदेशी विनिमय की प्राप्ति और प्रत्यावर्तन - इस निर्देश के तहत अनुमेय लेनदेनों के परिणाम से पात्र संस्थाओं को बकाया अथवा उपचित विदेशी विनिमय की प्राप्ति और प्रत्यावर्तन, विदेशी विनिमय प्रबंधन (प्राप्त, प्रत्यावर्तन और विदेशी विनिमय की सुपुर्दगी) विनियमन, 2015 के उपबंधों द्वारा निर्देशित होगा।

10. रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करना: बैंक ,तिमाही समाप्ति के अगले माह की 15 तारीख तक केंद्रीकृत सूचना प्रबंधन प्रणाली (सीआईएमएस) के माध्यम से मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को एक त्रैमासिक रिपोर्ट https://xbrl.rbi.org.in/orfsxbrl/ पर उपलब्ध एक्स्टेंसिबल बिजनेस रिपोर्टिंग लैंग्वेज (XBRL) के माध्यम से अनुलग्नक I में दिए गए प्रारूप में प्रस्तुत करेंगे। कोई लेन-देन नहीं होने की स्थिति में, बैंक द्वारा एक "शून्य" रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

11. निरसन

रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए निम्नलिखित परिपत्र इन निदेशों के प्रभावी होने की तिथि से निरस्त माने जाते हैं:

(i) समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग पर ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 19 दिनांक मार्च 12, 2018

(ii) समुद्रपारीय बाजारों में कमोडिटी कीमत जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग - संशोधन पर ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 16 दिनांक जनवरी 16, 2020

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