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मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म) निदेश, 2024 – मसौदा

भारतीय रिज़र्व बैंक
वित्‍तीय बाजार विनियमन विभाग
9वीं मंजिल, केन्‍द्रीय कार्यालय (मुख्‍य भवन), फोर्ट
मुम्‍बई 400 001

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म) निदेश, 2024 – मसौदा

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (इसके बाद इसे ‘अधिनियम’ कहा गया है) की धारा 45यू के साथ पठित इसी अधिनियम की धारा 45डबल्यू के तहत प्रदत्‍त शक्तियों और इस संबंध में इसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, और दिनांक 05 अक्तूबर, 2018 के इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 का अधिक्रमण करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (इसके बाद इसे रिज़र्व बैंक कहा गया है) ने इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म का परिचालन करने वाली संस्‍थाओं को निम्‍नलिखित निदेश जारी किए हैं।

1. इन निदेशों का लघु शीर्षक, दायरा और प्रवर्तन

ए) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म) निदेश, 2024 कहा जाएगा।

बी) ये निदेश इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म (ईटीपी) का परिचालन करने वाली संस्‍थाओं को जारी किए जाते हैं जिन पर इन निदेशों के अंतर्गत यथापरिभाषित पात्र लिखतों में, लेनदेन किए जाते हैं।

सी) ये निदेश पात्र लिखतों में लेनदेन के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलरों द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों पर लागू नहीं होंगे, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली का संचालन करने वाला बैंक या प्राथमिक डीलर एकमात्र दर/मूल्य प्रदाता है और प्रणाली पर किए गए सभी लेनदेन में अनिवार्य रूप से एक पक्ष है;

बशर्ते कि:

  1. इन इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के संबंध में, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर रिज़र्व बैंक द्वारा अपेक्षित कोई भी रिपोर्ट, डेटा और/या जानकारी प्रदान करेंगे और/या किसी भी ट्रेड रिपोजटरी या रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को प्रारूप में और निर्धारित समय सीमा के भीतर, और बताई गई विधि और तरीके से लेनदेन की जानकारी रिपोर्ट करेंगे; और

  2. इस सामान्य छूट के बावजूद, रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि सार्वजनिक हित में या देश की वित्तीय प्रणाली को उसके लाभ के लिए विनियमित करने के लिए यह आवश्यक है, ऐसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम या इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के वर्ग को इन निदेशों की किसी या सभी शर्तों का अनुपालन करने या इन निर्देशों के तहत प्राधिकरण प्राप्त करने का निदेश दे सकता है।

स्पष्टीकरण: भारत में शाखा मोड के माध्यम से परिचालन करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में 'अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक' का अर्थ भारत में संचालित विदेशी बैंक की शाखा होगी।

डी) ये निदेश केवल यहां निर्दिष्ट सीमा तक ऑफशोर ईटीपी पर लागू होंगे।

ई) 'इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) दिशानिर्देश, 2018' के तहत दिया गया कोई भी प्राधिकरण या की गई कोई भी कार्रवाई इन निर्देशों के तहत की गई मानी जाएगी।

एफ) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

2. परिभाषाएं

ए) इन निदेशों के प्रयोजन से, यदि संदर्भ में अन्‍यथा अपेक्षाएं नहीं हों, तो

  1. ‘एल्‍गोरिथमिक ट्रेडिंग’ अथवा ‘एल्गो ट्रेडिंग’ का मतलब होगा स्‍वत: निष्‍पादित होने वाले लॉजिक का प्रयोग करते हुए किसी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा सृजित ट्रेड।

  2. ‘अनुमोदित’ का मतलब होगा प्राधिकृत करते समय प्राधिकारदायी प्रलेख पर अथवा प्राधिकार देने की शर्तों में बदलाव करते समय बाद में किसी समय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किया जाना।

  3. इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म (ईटीपी) का मतलब होगा मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज के अलावा कोई अन्‍य इलेक्‍ट्रॉनिक सिस्‍टम जिसके माध्‍यम से यहाँ यथापरिभाषित पात्र लिखतों में लेनदेन किया जाएगा।

  4. ‘पात्र लिखतों’ का मतलब होगा प्रतिभूतियां, मुद्रा बाजार की लिखतें, विदेशी मुद्रा लिखतें, डेरिवेटिव अथवा इसी प्रकार की अन्‍य लिखतें जिनका विनिदेश रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्‍याय III-डी की धारा 45डबल्यू के तहत दिया जाएगा।

  5. इन निदेशों में जब तक विषय अथवा संदर्भ के अनुसार अन्‍यथा अपेक्षित नहीं हो, ‘संस्‍था’ का मतलब कोई व्यक्ति, चाहे वह निवासी हो या अनिवासी, होगा और इसमें वह शामिल होगा।

  6. ‘ईटीपी ऑपरेटर’ का मतलब कोई भी संस्‍था होगा जिसे इन निदेशों के तहत रिज़र्व बैंक ने ईटीपी के परिचालन हेतु प्राधिकृत या पंजीकृत किया है।

  7. अनिवासी का मतलब विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 2(डबल्यू) में यथापरिभाषित ‘भारत से बाहर निवासी व्यक्ति’ होगा।

  8. ‘ऑफशोर ईटीपी’ का मतलब भारत में निगमित परिचालक द्वारा भारत से बाहर परिचालित ईटीपी होगा।

  9. ‘विदेशी मुद्रा’ का मतलब वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2(एन) के तहत निर्धारित किया गया है।

  10. ‘निवासी’ का मतलब विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 2(वी) में यथापरिभाषित ‘भारत में निवासी व्यक्ति’ होगा।

  11. ‘मान्‍यता प्राप्‍त एक्‍सचेन्‍ज’ का वह मतलब रहेगा जो प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 की धारा 2(एफ) में निर्धारित किया गया है।

3. सामान्य शर्तें

ए) रिज़र्व बैंक से पूर्व प्राधिकार या पंजीकरण प्राप्त किए बिना कोई भी संस्‍था, निवासी या अनिवासी, ईटीपी का परिचालन नहीं करेगी।

बी) पात्र लिखतों के संबंध में, रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत/पंजीकृत ईटीपी ऑपरेटर यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके प्लेटफॉर्म पर केवल रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित लिखतों में लेनदेन किया जाए।

सी) इन निदेशों के तहत प्राधिकरण/पंजीकरण की आवश्यकता वाले विद्यमान ईटीपी इन निदेशों के जारी होने की तारीख से तीन माह के भीतर प्राधिकरण/पंजीकरण प्राप्‍त करने के लिए आवेदन करेंगे। उक्‍त पैराग्राफ 3(ए) में निहित किसी भी तथ्‍य के बावजूद कोई भी विद्यमान ईटीपी ऑपरेटर अपने परिचालन तब तक जारी रख सकता है जब तक कि रिज़र्व बैंक को किए गए आवेदन का निपटान करते हुए प्राधिकरण/पंजीकरण प्रदान करने की स्‍वीकृति अथवा अस्‍वीकृति नहीं मिल जाती है।

4. ईटीपी का प्राधिकार देने के लिए पात्रता मानदंड

(1) ईटीपी ऑपरेटर का कार्य आरंभ करने अथवा ईटीपी ऑपरेशन जारी रखने के लिए ईटीपी ऑपरेटर के रूप में प्राधिकार चाहने वाली संस्‍था को निम्‍नलिखित मानदंड पूरे करने होंगे:

i) सामान्‍य मानदंड

  1. ऐसी संस्‍था भारत में निगमित कम्‍पनी होनी चाहिए।

  2. इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म ऑपरेटर के तौर पर प्राधिकार मांगने वाली संस्‍था में यदि कोई गैर-निवासी शेयरधारिता है तो उसे विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 सहित सभी अनुमेय कानूनों और विनियमों का पालन करना होगा।

  3. इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म के ऑपरेटर के तौर पर प्राधिकार चाहने वाली संस्‍था अथवा इसके प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक को वित्‍तीय बाजारों में ट्रेडिंग अवसंरचना ऑपरेट करने का कम-से-कम तीन साल का अनुभव अवश्‍य हो।

स्‍पष्‍टीकरण: ‘प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक’ का मतलब वही रहेगा जो कम्‍पनी अधिनियम, 2013 में निर्धारित किया गया है।

ii) वित्‍तीय मानदंड

  1. कोई संस्‍था जो इन निदेशों के तहत इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म ऑपरेटर के लिए प्राधिकार पाना चाहती हो उसे न्‍यूनतम रु.5 करोड़ (केवल पांच करोड़ रुपये) की निवल मालियत रखनी होगी और वह यहां बताई गई इस न्‍यूनतम निवल मालियत को हमेशा बरकरार रखेगी।

iii) प्रौ़द्योगिकीय मानदंड

कोई संस्‍था जो इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म ऑपरेटर के लिए प्राधिकार पाना चाहती हो उसे निम्‍नलखित न्‍यूनतम प्रौ़द्योगिकीय अपेक्षा पूरी करनी होगी:

  1. संस्था अतिप्रबल प्रौ़द्योगिकीय अवसंरचना लेगी और उसे बरकरार रखेगी जिसमें सिस्‍टम, डाटा और नेटवर्क के संदर्भ में उच्‍चस्‍तरीय विश्‍वसनीयता, उपलब्धता, मापक्रमता और सुरक्षा होनी चाहिए जो इसके परिचालनों का समर्थन कर सके और संबंधित जोखिमों का प्रबंधन कर सके।

  2. संस्था ऐसी क्षमता सुनिश्चित करे जो रीयल-टाइम आधार पर अथवा लगभग रीयल-टाइम आधार पर कारोबारी सूचना का प्रसार कर सके।

5. ईटीपी ऑपरेट करने के लिए प्राधिकार प्रदान करना और प्राधिकार को निरस्‍त करना

ए) इन निदेशों के तहत निर्धारित पात्रता मानदंडों को संतुष्‍ट करने वाली संस्‍थाओं द्वारा ईटीपी ऑपरेट करने के लिए प्राधिकार प्रदान करने के लिए अनुलग्‍नक-1 में दिए अनुसार निर्धारित प्ररूप में मुख्‍य महाप्रबन्‍धक, वित्‍तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, नौवीं मंज़िल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुम्‍बई – 400001 को आवेदन किया जाए।

बी) रिज़र्व बैंक द्वारा आवेदक से ऐसी कोई भी अतिरिक्‍त जानकारी मांगी जा सकती है अथवा कोई भी स्‍पष्‍टीकरण मांगा जा सकता है जो रिज़र्व बैंक सुसंगत समझे और आवेदक को ऐसी अतिरिक्‍त जानकारी और स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत करना ही होगा।

सी) इस आवेदन का निपटान करने के लिए रिज़र्व बैंक के अभिमत से जो भी अतिरिक्‍त जानकारी किसी अन्‍य विनियामक अथवा सरकार के विभागों/एजेन्सियों या किसी अन्‍य प्राधिकरण से प्राप्‍त करनी आवश्‍यक हो, रिज़र्व बैंक वह जानकारी भी लेगा।

डी) आवेदक पात्रता मानदंडों को पूरा करता है, इस तथ्‍य से संतुष्‍ट होने के बाद रिज़र्व बैंक इसमें निर्दिष्‍ट नियमों और शर्तों के अधीन ईटीपी ऑपरेट करने के लिए प्राधिकार प्रदान कर सकता है।

ई) ईटीपी परिचालन के लिए प्राधिकरण देने या अस्वीकार करने या ईटीपी संचालन शुरू करने या जारी रखने के लिए प्राधिकरण को रद्द करने का रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा।

एफ) किसी संस्‍था को ईटीपी परिचालन हेतु संस्‍था को प्रदत्‍त यह प्राधिकार हस्‍तांतरणीय नहीं है और यदि ईटीपी ऑपरेटर इन निदेशों के किसी प्रावधान या प्राधिकार के किसी अन्‍य नियम या विनियम या शर्त का उल्‍लंघन करता पाया जाता है तो रिज़र्व बैंक अतिरिक्‍त शर्तें लगा सकता है।

जी) संस्‍था को अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने का पर्याप्‍त अवसर देने के बाद ईटीपी ऑपरेट करने के लिए किसी संस्‍था को जारी किया गया प्राधिकार रिज़र्व बैंक द्वारा निरस्‍त किया जा सकता है, यदि रिज़र्व बैंक इस बात से सं‍तुष्‍ट हो कि:

  1. ईटीपी ऑपरेटर ने किसी सांविधिक प्रावधान या रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किसी अन्‍य नियम या विनियम या निदेश या आदेश या विनिदेश का उल्‍लंघन किया है; अथवा

  2. प्राधिकार प्रदान करते समय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्‍ट किसी भी शर्त या निबंधन का ईटीपी ऑपरेटर ने उल्‍लंघन किया है; अथवा

  3. प्रदत्‍त प्राधिकार को बरकरार रखना लोक हित अथवा देश की वित्‍तीय प्रणाली के प्रतिकूल है।

एच) मौजूदा ऑपरेटरों से प्राप्त आवेदन को अस्वीकार करने या रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकरण को रद्द करने की स्थिति में, संबंधित ईटीपी ऑपरेटर तत्काल प्रभाव से ईटीपी परिचालन बंद कर देगा, जब तक कि रिज़र्व बैंक ने ईटीपी परिचालन बंद करने हेतु लिखित रूप में कोई अन्य विशिष्ट तारीख का संकेत नहीं दिया हो।

आई) किसी ईटीपी ऑपरेटर का प्राधिकार पत्र निरस्‍त हो जाने के मामले में प्राधिकार-पत्र मूल रूप में रिज़र्व बैंक को अभ्‍यर्पित करना होगा।

6. ईटीपी स्थापित करने के लिए 'सैद्धांतिक' मंजूरी

ए) इन निर्देशों के तहत ईटीपी संचालित करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त करने की इच्छुक संस्थाएं प्राधिकरण के लिए आवेदन करने से पहले अनुबंध-2 में निर्धारित प्रारूप में इसे स्थापित करने के लिए रिज़र्व बैंक से 'सैद्धांतिक' अनुमोदन के लिए आवेदन कर सकती हैं।

बी) रिज़र्व बैंक आवेदक से कोई अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है या कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है जो रिज़र्व बैंक की राय में प्रासंगिक है और आवेदक ऐसी अतिरिक्त जानकारी और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेगा।

सी) रिज़र्व बैंक अन्य नियामकों या सरकारी विभागों/एजेंसियों या किसी अन्य प्राधिकरण से कोई अतिरिक्त जानकारी भी प्राप्त कर सकता है, जो रिज़र्व बैंक की राय में आवेदन के निपटान के लिए प्रासंगिक है।

डी) रिज़र्व बैंक किसी संस्था को 'सैद्धांतिक' अनुमोदन जारी कर सकता है यदि वह संतुष्ट है कि संस्था ने ऊपर पैराग्राफ 4 में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।

ई) ईटीपी स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी के लिए आवेदन को मंजूरी देने या अस्वीकार करने का रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा।

एफ) ईटीपी स्थापित करने के लिए किसी संस्था को दी गई 'सैद्धांतिक' मंजूरी हस्तांतरणीय नहीं होगी।

जी) 'सैद्धांतिक' अनुमोदन, जारी होने की तारीख से छह महीने की अवधि या रिजर्व बैंक द्वारा अनुमति दिए जाने वाले अन्य समय तक वैध होगा।

एच) 'सैद्धांतिक' अनुमोदन प्राप्त करने वाली संस्थाओं को 'सैद्धांतिक' अनुमोदन जारी होने की तारीख से छह महीने के भीतर ऊपर पैराग्राफ 4 में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा और इन निर्देशों में सभी शर्तों के अनुपालन का विवरण प्रस्तुत करते हुए, अनुबंध-1 में निर्धारित प्रारूप में प्राधिकरण प्रदान करने के लिए आवेदन जमा करना होगा।

आई) रिज़र्व बैंक किसी संस्था को जारी 'सैद्धांतिक' अनुमोदन वापस ले सकता है यदि सैद्धांतिक अनुमोदन जारी होने के बाद संस्था के बारे में कोई प्रतिकूल जानकारी उसके ध्यान में आती है या यदि वह संतुष्ट है कि संस्था को प्राधिकरण देना सार्वजनिक हित या देश की वित्तीय व्यवस्था के लिए हानिकारक होगा।

जे) रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'सैद्धांतिक' अनुमोदन इन निर्देशों के तहत ईटीपी के रूप में प्राधिकरण का आश्वासन नहीं होगा या भविष्य में बैंक द्वारा प्राधिकरण जारी करने के लिए कोई गारंटी प्रदान नहीं करेगा।

के) 'सैद्धांतिक' अनुमोदन वाली संस्थाएं रिज़र्व बैंक से ईटीपी संचालित करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त करने के बाद ही अपने प्लेटफॉर्म पर लेनदेन करने की अनुमति देंगी।

7. परिचालन फ्रेमवर्क

ईटीपी ऑपरेटर निम्‍नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन करेगा:

ए) अभिगम और सहभागिता: ईटीपी ऑपरेटर:

  1. उद्देश्‍यपरक, उचित और पारदर्शी सदस्‍यता मानदंड रखेगा;

  2. सभी सदस्‍यों की ऑन-बोर्डिंग के समय विधिवत सावधानी रखेगा और सदस्‍य के बारे में सभी संगत जानकारी रखेगा;

  3. लीगल एनटिटी आइडेन्‍टीफायर (एलईआई) और/अथवा स्‍थायी खाता संख्‍या (पीएएन) का प्रयोग करते हुए अपने सदस्‍यों की विशिष्‍ट पहचान करेगा;

  4. सदस्‍यता की ऑन-बोर्डिंग, निलम्‍बन और समापन, सदस्‍यों और ऑपरेटर की भूमिका और दायित्‍वों, नियमों और विनियमों के उल्‍लंघन के मामले में ईटीपी और प्रयोक्‍ताओं के लिए देयता फ्रेमवर्क, ईटीपी के प्रयोग पर अनुमेय प्रतिबंध अथवा अन्‍य अपेक्षाओं, आदेशों की प्रोसेसिंग और निष्‍पादन, जोखिम प्रबन्‍धन और नियंत्रण, लेकिन इतने तक ही सीमित नहीं, के बारे में भली प्रकार से प्रलेखबद्ध नियमावली और विनियम रखेगा;

  5. ट्रेड से पहले की जानकारी उपलब्‍ध जैसे नीलामी/प्रस्‍ताव कीमतें, संबद्ध मात्राएं, ट्रेडिंग अभिरुचि की गहराई, अथवा ऐसी ही अन्‍य जानकारी अपने सदस्‍यों को उचित और पक्षपात रहित आधार पर उपलब्‍ध कराएगा जो लेनदेन को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुरूप हो;

  6. ट्रेड-पश्‍चात जानकारी जैसे कीमत, मात्रा और लेनदेन का समय अथवा ऐसी ही अन्‍य जानकारी अपने सदस्‍यों को उचित और पक्षपात रहित आधार पर उपलब्‍ध कराएगा जो लेनदेन को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुरूप हो;

  7. यह सुनिश्चित करेगा कि इस परिपत्र के उक्‍त पैराग्राफ 7(1)(ए)(iv) में बताए गए सभी प्रलेख, नियम और विनियम सदस्‍यों को निर्बाध रूप से उपलब्‍ध हैं।

बी) जोखिम प्रबंन्‍धन

(i) ईटीपी ऑपरेटर सम्‍यक जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क रखेगा जिसमें उसके परिचालनों के सभी पहलुओं को कवर किया गया हो। इसमें यह सुनिश्‍चित किया जाएगा कि इसके परिचालनों से संबद्ध जोखिमों की पहचान उचित रूप से की जाती है और उनका विवेकपूर्वक प्रबंध किया जाता है।

(ii) ट्रेडिंग की सत्‍यनिष्‍ठा: ईटीपी ऑपरेटर

  1. अपने सदस्‍यों के लिए अभिगम नियंत्रण सुनिश्चित करेगा और इस प्‍लेटफॉर्म पर अप्राधिकृत अभिगम को रोकेगा;

  2. ईटीपी पर अनुचित पहुंच को रोकने के लिए अन्य वित्‍तीय सेवाओं या अवसंरचनओं को ईटीपी से अलग रखेगा;

  3. सुनिश्चित करेगा कि इस सिस्‍टम पर सभी सौदों को निरपवाद रूप से एक उचित, पक्षपात रहित और नियमानुसार तरीके से और स्‍थापित पद्धति के निपटाया जाता है;

  4. ऐसे लेनदेन को रोकेगा जो प्राधिकरण की शर्तों अथवा प्रचलित कानूनी या विनियामक अपेक्षाओं के अनुसरण में नहीं हैं।

(iii) एल्‍गोरिथमिक सिस्‍टम: एल्‍गोरिथमिक ट्रेडिंग सिस्‍टम (एल्‍गो सिस्‍टम) की सहायता से सहभागिता प्रदान/की सुविधा देने वाला ईटीपी ऑपरेटर:

  1. एल्‍गो सिस्‍टम की जांच और ऑन-बोर्डिंग के लिए एक फ्रेमवर्क स्‍थापित करेगा;

  2. यह सुनिश्‍चित करेगा कि ये सुविधाएं पारदर्शी और पक्षपात रहित तरीके से प्रदान की जाती हैं;

  3. यह सुनिश्चित करेगा कि एल्‍गो सिस्‍टम से पैदा हो सकने वाले जोखिमों की निगरानी और प्रबंधन के लिए उसके पास पर्याप्‍त और प्रभावी सिस्‍टम और नियंत्रण हैं।

(iv) त्रुटिपूर्ण लेनदेन जैसे सदस्‍यों द्वारा ऑफ मार्केट दामों या सौदों की संभावना, फैट-फिन्‍गर त्रुटियों, अनभिप्राय या अनियंत्रित ट्रेडिंग क्रियाकलापों आदि को कम करने के लिए ईटीपी ऑपरेटर समुचित नियंत्रण स्‍थापित करेगा।

(v) आकस्मिकताएं संभालना: ट्रेडिंग के निलम्‍बन/समापन अथवा आर्डरों/सौदों के निरस्‍त होने, अपने सिस्‍टम के त्रुटिपूर्ण ढंग से काम करने या सदस्‍यों द्वारा त्रुटिपूर्ण प्रयोग या किसी अन्‍य अनपेक्षित स्थिति जैसी आकस्मिक घटनाओं से निपटने के लिए ईटीपी ऑपरेटर पारदर्शी तरीके से नियमों और विनियमों को स्‍थापित करेगा। ऐसी आकस्मिकताओं को स्‍पष्‍ट तौर पर निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार निपटाया जाना चाहिए।

(vi) विवादों का निपटान: सदस्‍यों के बीच पैदा हो सकने वाले अथवा संभावित किसी भी विवाद का निपटान करने के लिए ईटीपी ऑपरेटर को व्‍यवस्‍था करनी होगी।

8. चौकसी: बाजार की सत्‍यनिष्‍ठा को बरकरार रखने और वास्‍तविक समय या कार्योत्तर आधार पर ट्रेडिंग क्रियाकलापों की निगरानी उचित और तथा व्‍यवस्थित सौदे सुनिश्चित करने के लिए ईटीपी ऑपरेटर प्रणालियों और नियंत्रणों को लागू करेगा।

9. पारदिर्शता: (1) ईटीपी ऑपरेटर

ए) संबंधित पक्षों अथवा समूह की एजेंसियों की सहभागिता के कारण यदि हितों में संघर्ष होता है, तो उसकी पहचान करेगा और इसके बारे में रिज़र्व बैंक को बताएगा; और

i. अपने सदस्‍यों के लिए उचित, विभेद रहित और पारदर्शी शुल्‍क संरचना को लागू करेगा।

10. परिचालनों की आउटसोर्सिंग: अपने परिचालनों/प्रौद्योगिकी/क्रियाकलापों की आंशिक अथवा पूरी तरह से आउटसोर्सिेग करने वाला ईटीपी ऑपरेटर सुनिश्चित करेगा कि:

ए) इस प्रकार के आउटसोर्सिंग संबंधों में निहित सभी जोखिमों के प्रबंधन के लिए इसके पास प्रभावी अभिशासन और जोखिम प्रबंधन व्‍यवस्‍था है।

बी) इस प्रकार की आउटसोर्सिंग व्‍यवस्‍था ऐसे ईटीपी ऑपरेटर को इन निदेशों अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किसी अन्‍य विनियम/निदेश/अनुदेश /गाइडलाइन के अनुपालन में कोई बाधा या अड़चन या हस्‍तक्षेप नहीं करते हैं।

सी) नीचे दिये गए पैराग्राफ 12 और 13 में बताए अनुसार डाटा संरक्षण, अभिगम, प्रयोग और रिपोर्टिंग से संबंधित सभी अपेक्षाओं का पालन किया जाता है, भले ही ईटीपी ऑपरेटर और इसकी आउटसोर्स की गई संस्‍था के बीच हुए करार गतावधिक या समाप्‍त हो गए हों।

11. प्रौद्योगिकी और सूचना सुरक्षा (आईएस)

ए) कारोबार की निरंतरता और आपदा के बाद बहाली: ईटीपी ऑपरेटर समुचित कारोबारी निरंतरता योजना (बीसीपी) स्‍थापित करेगा जिसमें इसके कारोबार की प्रकृति, परिमाण और जटिलता के अनुरूप आकस्मिकता और आपदा के बाद बहाली की व्‍यवस्‍था भी शामिल हैं, ताकि इसके परिचालन की निरंतरता और उपलब्‍धता सुनिश्चित हो सके।

बी) ईटीपी ऑपरेटर सुदृढ़ और पर्याप्त सूचना/डाटा सुरक्षा नियंत्रण और प्रक्रियाएं और अवसंरचनाएं स्‍थापित करेगा। यदि रिज़र्व बैंक या किसी अन्‍य विनियामक अथवा लोक प्राधिकरण ने समय-समय पर कोई सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और सूचना सुरक्षा (आईएस) मानदंड/गाइडलाइन निर्धारित की है तो यह अपने पर यथा लागू का अनुपालन करेगा।

सी) ईटीपी ऑपरेटर इंडियन कम्‍प्‍यूटर एमरजेन्‍सी रिस्‍पॉन्‍स टीम (सर्ट-इन) से पैनलबद्ध लेखापरीक्षकों से कम-से-कम साल में एक बार आईटी/आईएस ऑडिट कराएगा।

डी) इस परिपत्र के उक्‍त पैरा 11(सी) में निहित किसी भी बात के बावजूद रिज़र्व बैंक अपने विवेकानुसार इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्म का आईटी/आईएस ऑडिट रिज़र्व बैंक द्वारा चयनित किसी स्‍वतंत्र ऑडिटर(रों) से कराने का आदेश दे सकता है।

12. डाटा संरक्षण, अभिगम और प्रयोग

ए) ईटीपी पर क्रियाकलपाों से संबंधित सभी डाटा (इसके बाद इसे ईटीपी डाटा) कम-से-कम दस वर्ष के लिए ऐसे मीडिया पर रखा जाएगा जहां से इसे आसानी से पुन: प्राप्‍त किया जा सके। डाटा के भंडारण के लिए न्‍यूनतम अपेक्षा के प्रति किसी पूर्वाग्रह के बिना यदि भारतीय कानून अथवा विनियमों के तहत अपेक्षा के अनुसार रिज़र्व बैंक द्वारा या किसी अन्‍य प्राधिकरण द्वारा जांच के लिए डाटा मांगे जाने पर जांच पूरी हो जाने के बाद की तारीख से तीन साल तक डाटा रखा जाएगा।

बी) ईटीपी ऑपरेटर सभी ईटीपी डाटा की गोपनीयता और सुरक्षा को बनाए रखेगा। इस प्रकार के डाटा तक पहुंच पूरी तरह से ईटीपी ऑपरेटर के नियंत्रण में रहेगी।

13. रिपोर्टिंग अपेक्षाएं

ए) ईटीपी ऑपरेटर तिमाही के बाद महीने के 15वें दिन या उससे पहले अनुबंध-3 में निर्धारित प्रारूप में रिज़र्व बैंक को प्लेटफ़ॉर्म के कामकाज पर एक त्रैमासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। ईटीपी ऑपरेटर रिज़र्व बैंक द्वारा अपेक्षित प्रारूप में और निर्धारित समय सीमा के भीतर, और बताई गई विधि और तरीके से कोई अन्य रिपोर्ट, डेटा और/या जानकारी भी प्रदान करेगा।

बी) एक ईटीपी ऑपरेटर, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में, इन निर्देशों के अनुपालन की स्थिति और प्राधिकरण के अनुदान के समय या उसके बाद उनके लिए निर्धारित नियमों और शर्तों पर एक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को 15 अप्रैल से पहले प्रस्तुत करेगा।

सी) ईटीपी ऑपरेटर किसी भी ट्रेड रिपॉजिटरी अथवा रिपोट्रिंग प्‍लेटफार्म को संव्‍यवहार की जानकारी रिज़र्व बैंक द्वारा यथानिर्धारित तरीके और प्ररूप में रिपोर्ट करेगा।

डी) ईटीपी ऑपरेटर भारतीय कानून के तहत अपेक्षित किसी अन्‍य एजेंसी/प्राधिकरण को भी डाटा/जानकारी प्रदान करेगा।

ई) क्रियाकलापों में व्‍यवधान या बाजार के दुरुपयोग की किसी भी घटना की जानकारी ईटीपी ऑपरेटर द्वारा रिज़र्व बैंक को तत्काल दी जाती रहेगी।

14. परिचालनों का परिसमापन

ए) ईटीपी ऑपरेटर जिसके पास ईटीपी परिचालनों को आरंभ या करते रहने के लिए प्राधिकार पत्र है, वह अपने परिचालन को रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति से समाप्‍त कर सकता है और परिचालनों के परिसमापन के बारे में समय और तारीख के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित नियम और शर्तों का अनुपालन करेगा।

बी) अपने परिचालनों का समय से पहले समापन करने की स्थिति में, ईटीपी परिचालनों को आरंभ करने अथवा जारी रखने के लिए प्रदत्‍त प्राधिकार पत्र ईटीपी ऑपरेटर द्वारा रिज़र्व बैंक को मूल रूप से अभ्‍यर्पित कर दिया जाएगा।

15. ऑफशोर ईटीपी

ए) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत रुपया या रुपया ब्याज दर वाले पात्र व्युत्पन्नी लिखतों में गैर-निवासियों के साथ लेनदेन के लिए निवासियों को अपने प्लेटफ़ॉर्म तक पहुंच प्रदान करने के इच्छुक ऑफशोर ईटीपी के ऑपरेटर, अनुबंध-4 में दिए गए निर्धारित प्रारूप में पंजीकरण के लिए आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, 9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई - 400001 को प्रस्तुत करेंगे।

बी) ऑफशोर ईटीपी के संचालक जो रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकरण कराना चाहते हैं, उन्हें निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:

  1. ऑपरेटर ऐसे देश में निगमित है जो वित्तीय कार्रवाई कार्यबल का सदस्य है;

  2. ऑपरेटर या ऑफशोर ईटीपी पर लेनदेन को उस देश के वित्तीय बाजार नियामक द्वारा विनियमित किया जाता है जहां ऑपरेटर निगमित है या जहां लेनदेन किए गए हैं;

  3. वित्तीय बाजार नियामक जो ऑपरेटर या ऑफशोर ईटीपी पर लेनदेन को नियंत्रित करता है, वह भुगतान और बाजार अवसंरचना समिति या प्रतिभूति आयोगों के अंतरराष्ट्रीय संगठन का सदस्य है;

  4. ऑफशोर ईटीपी केवल निवासियों और गैर-निवासियों के बीच रुपया और/या रुपया ब्याज दरों से जुड़े पात्र व्युत्पन्नी लिखतों में लेनदेन की अनुमति देता है, जिसे रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत अनुमति दी है;

  5. ऑफशोर ईटीपी का ऑपरेटर निवासियों द्वारा किए गए लेनदेन के संबंध में, रिज़र्व बैंक को कोई भी डेटा और/या जानकारी प्रदान करने और/या लेनदेन की जानकारी किसी भी ट्रेड रिपोजिटरी या रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित प्रारूप में और समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट करने के लिए सहमत है;

  6. ऑफशोर ईटीपी का ऑपरेटर पंजीकरण के समय निर्धारित या बाद में आपसी सहमति के अनुसार रिज़र्व बैंक को कोई भी डेटा और/या जानकारी प्रदान करने के लिए सहमत है;

  7. ऑफशोर ईटीपी वर्ष में कम से कम एक बार अपने संबंधित राष्ट्रीय प्राधिकरणों द्वारा ऐसे ऑडिट करने के लिए प्रमाणित ऑडिटरों द्वारा आईटी/आईएस ऑडिट कराता है;

  8. ऑपरेटर किसी भी नियामक द्वारा उसके खिलाफ की गई किसी भी विनियामक कार्रवाई की रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को ऐसी कार्रवाई से एक महीने की अवधि के भीतर देने के लिए सहमत है; और

  9. ऑफशोर ईटीपी निवासियों के बीच लेनदेन की अनुमति नहीं देता है।

सी) रिज़र्व बैंक आवेदक से कोई अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है या कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है जो रिज़र्व बैंक की राय में प्रासंगिक है और आवेदक ऐसी अतिरिक्त जानकारी और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेगा।

डी) रिज़र्व बैंक अन्य विनियामकों या सरकारी विभागों/एजेंसियों या किसी अन्य प्राधिकरण से कोई अतिरिक्त जानकारी भी प्राप्त कर सकता है, जो रिज़र्व बैंक की राय में आवेदन के निपटान के लिए प्रासंगिक है।

ई) रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने के बाद कि आवेदक पात्रता मानदंडों को पूरा करता है, उसमें निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन ऑफशोर ईटीपी को पंजीकृत कर सकता है।

एफ) पंजीकरण के अनुरोध को स्वीकार करने या अस्वीकार करने या पंजीकरण रद्द करने का रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा।

जी) ऑफशोर ईटीपी संचालित करने के लिए किसी संस्था को दिया गया पंजीकरण हस्तांतरणीय नहीं है और यदि ऑफशोर ईटीपी का ऑपरेटर इन निर्देशों के लागू प्रावधानों या किसी अन्य नियम या विनियम या पंजीकरण की शर्तों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो रिज़र्व बैंक अतिरिक्त शर्तें लगा सकता है।

एच) रिजर्व बैंक किसी संस्था को ऑफशोर ईटीपी संचालित करने के लिए जारी किए गए पंजीकरण को, उसका पक्ष रखने के लिए उचित अवसर प्रदान करने के बाद, रद्द कर सकता है, यदि वह संतुष्ट है कि:

  1. ऑफशोर ईटीपी के ऑपरेटर ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वैधानिक प्रावधान या किसी नियम या विनियमन या निर्देश या आदेश या निर्देश का उल्लंघन किया है; या

  2. ऑफशोर ईटीपी के ऑपरेटर ने पंजीकरण के दौरान रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी भी नियम या शर्तों का उल्लंघन किया है; या

  3. पंजीकरण जारी रखना सार्वजनिक हित या भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए हानिकारक है।

आई) पंजीकरण रद्द होने की स्थिति में, ऑफशोर ईटीपी के ऑपरेटर को तत्काल प्रभाव से निवासियों के लिए लेनदेन की अनुमति देना बंद कर देना चाहिए, जब तक कि रिज़र्व बैंक ने ईटीपी संचालन को रोकने के लिए लिखित रूप में किसी अन्य विशिष्ट तारीख का संकेत नहीं दिया हो।

जे) ऑफशोर ईटीपी के पंजीकरण को रद्द करने की स्थिति में, मूल पंजीकरण पत्र रिज़र्व बैंक को अभ्यर्पित कर दिया जाएगा।

के) ऑफशोर ईटीपी का ऑपरेटर परिचालन समाप्ति की समय और तारीख के संबंध में रिज़र्व बैंक को पूर्व सूचना देकर निवासियों को अपनी सेवाएं देना बंद कर सकता है।

16. इन निदेशों के प्रावधानों से रियायत

ए) रिज़र्व बैंक इस तथ्‍य से संतुष्‍ट होने पर कि लोक अथवा देश की वित्‍तीय प्रणाली के हित में ऐसा करना अनिवार्य है, किसी भी ईटीपी ऑपरेटर अथवा ईटीपी ऑपरेटरों की किसी श्रेणी को या तो सामान्‍य तौर पर या किसी निश्चित अवधि के लिए, इसके द्वारा अधिरोपित किए जाने के लिए उचित और सही समझी गई शर्तों या निबंधनों के तहत इन निदेशों के किसी या सभी प्रावधानों से रियायत दे सकता है।

बी) बाजार के बुनियादी ढांचे की मजबूती, बाजार के जैविक विकास और अप्रमाणित प्रौद्योगिकी से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए या सार्वजनिक हित में या देश के लाभ के लिए देश की वित्तीय प्रणाली को विनियमित करने के लिए, ईटीपी के संचालन या ऑफशोर ईटीपी के पंजीकरण के लिए प्राधिकरण प्रदान करने में रिज़र्व बैंक चयनात्मक हो सकता है।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक

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