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मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (विनियमित संस्थाओं के लिए आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2023

आरबीआई/2022-2023/108

उशिसंवि. पीआरडी. सं.एस1228/13.01.019/2023-24                                    

29  दिसंबर, 2023

(1) सभी वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर) के अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / सीईओ  

(2) सभी एनबीएफसी के अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / सीईओ

(3) सभी गैर-बैंकिंग प्रणाली प्रतिभागियों के अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / सीईओ

(4) सभी साख सूचना कंपनियों के अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / सीईओ

महोदया / महोदय,

 

मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (विनियमित संस्थाओं के लिए आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विभिन्न मास्टर परिपत्रों में निहित अनुदेशों / दिशानिर्देशों (आंतरिक लोकपाल योजना 2018 - 3 सितंबर 2018 को बैंकों द्वारा कार्यान्वयन, 22 अक्तूबर 2019 की गैर-बैंक प्रणाली प्रतिभागियों के लिए आंतरिक लोकपाल योजना, 2019, 15 नवंबर 2021 को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति और दिनांक 6 अक्तूबर 2022 के भारतीय रिज़र्व बैंक (साख सूचना कंपनियां-आंतरिक लोकपाल) निदेश) के माध्यम से विभिन्न विनियमित संस्थाओं में आंतरिक लोकपाल तंत्र को संस्थागत रूप प्रदान किया है। विनियमित संस्थाओं की आंतरिक शिकायत निवारण प्रणाली को सुदृढ़ करने की दृष्टि से आंतरिक लोकपाल तंत्र की स्थापना की गई है।

 

2.         पूर्ववर्ती तीन भारतीय रिज़र्व बैंक लोकपाल योजनाओं के एकीकरण के साथ-साथ विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवा मानकों में सुधार लाने के उद्देश्य से रिज़र्व बैंक द्वारा आंतरिक लोकपाल योजनाओं की समीक्षा की गई। फ्रेमवर्क इस बात की पुष्टि करता है कि आंतरिक लोकपाल तंत्र को परिकल्पना के अनुसार कार्य करना चाहिए और आंतरिक लोकपाल को विनियमित संस्थाओं के भीतर उपभोक्ता शिकायत निवारण के लिए एक स्वतंत्र, शीर्ष स्तर के प्राधिकरण के रूप में तैनात किया जाएगा।

3.         तदनुसार, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल सपठित धारा 45एम, साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 11 की उप-धारा (1) और भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना लोक हित में आवश्यक और समीचीन है, एतद्वारा निदेश दिया जाता है कि मास्टर निदेश के खंड 4 में दर्शाए अनुसार सभी विनियमित संस्थाएं तत्काल प्रभाव से निदेश का अनुपालन करेंगी।

4.         विनियमित संस्थाओं को निम्नानुसार सूचित किया जाता है:

  1. पूर्ववर्ती आंतरिक लोकपाल योजनाओं / निदेशों के तहत विनियमित संस्था द्वारा नियुक्त आंतरिक लोकपाल अपने कार्यकाल की समाप्ति तक पद पर बने रहेंगे।
  2. जो विनियमित संस्थाएं वर्तमान में आंतरिक लोकपाल योजनाओं / निदेश के अंतर्गत नहीं हैं, वे आवश्यकतानुसार अपनी संस्था में आंतरिक लोकपाल की समय पर नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रावधानों के अनुसार अपनी पात्रता की बारीकी से निगरानी करें।
  3. विनियमित संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे आंतरिक लोकपाल / उप आंतरिक लोकपाल के संपर्क विवरण उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, प्रथम तल, अमर बिल्डिंग, सर पी एम रोड़, मुंबई 400001 को अग्रेषित करें (e-mail: iocepd@rbi.org.in) तथा यह भी सुनिश्चित करें कि जब भी कोई बदलाव हो तो उसे द्यतन किया जाए।

भवदीया,  

(नीना रोहित जैन)

मुख्य महाप्रबंधक 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (विनियमित संस्थाओं के लिए आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2023

बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल सपठित धारा 45एम, साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 11 की उप-धारा (1) और भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा  इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना लोक हित में आवश्यक है, एतद्वारा, निर्दिष्ट निदेश जारी करता है

 

ये निदेश एक विनियमित संस्था के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करने और ग्राहकों की शिकायतों की अस्वीकृति से पूर्व विनियमित संस्था के अंतर्गत एक शीर्ष स्तरीय प्राधिकारी द्वारा समीक्षा को सक्षम करके उनका उचित और त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं। ये निदेश बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), गैर-बैंक प्रणाली प्रतिभागियों (एनबीएसपी) और साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पूर्ववर्ती आंतरिक लोकपाल योजनाओं को एकीकृत और अद्यतन करते हैं।

 

अध्याय I

प्रारंभिक

1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ

(1) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2023 कहा जाएगा। 

(2) ये निदेश 29  दिसंबर, 2023 से प्रभावी होंगे और पूरे भारत पर लागू होंगे।

2. स्थगन

(1) यदि भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि सामान्यतया अथवा किसी विशेष विनियमित संस्था के मामले में इन निदेशों के किसी अथवा सभी प्रावधानों का परिचालन स्थगित रखना समीचीन है, तो वह एक आदेश द्वारा उक्त आदेश में उल्लिखित अवधि के लिए ऐसा कर सकता है। 

(2) भारतीय रिज़र्व बैंक एक आदेश द्वारा, समय-समय पर, पूर्वोक्त आदेशित किसी भी स्थगन अवधि को उस अवधि तक बढ़ा सकता है, जो वह उचित समझे।

3. परिभाषाएं

(1) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा न कहा गया हो, यहां दिए गए शब्दों का वही अर्थ होगा जो उन्हें नीचे दिया गया है:

  • “बैंक” का अर्थ बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5 में परिभाषित एक 'बैंकिंग कंपनी', 'संबंधित नया बैंक' और 'भारतीय स्टेट बैंक' से है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की दूसरी अनुसूची में शामिल हैं, लेकिन इसमें समाधान या समापन या निदेशों के तहत बैंक या रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य बैंक शामिल नहीं है;
  • बैंकिंग आउटलेटएक फिक्स्ड-पॉइंट सेवा वितरण इकाई है, जो बैंक के कर्मचारियों या उसके व्यवसाय प्रतिनिधि द्वारा संचालित होती है, जहां जमा स्वीकार करने, चेक के नकदीकरण / नकद निकासी या धन उधार देने की सेवाएं सप्ताह में कम से कम पांच दिन प्रति दिन न्यूनतम चार घंटे प्रदान की जाती हैं;
  •  "सक्षम प्राधिकारी" का अर्थ बैंकों के लिए ग्राहक सेवा के प्रभारी कार्यपालक निदेशक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिए कार्यपालक निदेशक / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी, गैर-बैंक प्रणाली प्रतिभागियों के लिए प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी और साख सूचना कंपनियों के लिए प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी है;
  • "शिकायत" का अर्थ है लिखित रूप में या अन्य तरीकों से प्राप्त अभ्यावेदन, जिसमें विनियमित संस्था की ओर से सेवा में कमी का आरोप लगाया गया हो और उस पर राहत मांगी गई हो;
  • “साख सूचना कंपनी (सीआईसी) का अर्थ है कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) में परिभाषित कंपनी और जिसे प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (2005 का 30) की धारा 5 की उप-धारा (2) के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
  • “सेवा में कमी” का अर्थ विनियमित संस्था से वैधानिक रुप से या अन्यथा प्रदान करने के लिए अपेक्षित किसी भी सेवा में कमी या अपर्याप्तता से है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहक को वित्तीय नुकसान या क्षति हो / नहीं हो सकती है;
  •  ‘’उप आंतरिक लोकपाल’’ से आशय है, इन निदेशों के खण्ड 6 के तहत अंतर्गत नियुक्त कोई भी व्यक्ति;
  •   "वित्तीय क्षेत्र विनियामक निकाय" का अर्थ है, वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं के लिए विनियामक निकाय और इसमें शामिल हैं:

(i) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत स्थापित भारतीय रिज़र्व बैंक;

(ii) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत स्थापित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड;

(iii) भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के तहत स्थापित भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण;

(iv) पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण;

  • आंतरिक लोकपाल’’ से आशय है, इस निदेशों के खण्ड 5 के तहत अंतर्गत नियुक्त कोई भी व्यक्ति;
  • ‘’गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी)’’ का अर्थ है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-आई (एफ) में परिभाषित और रिज़र्व बैंक में पंजीकृत एनबीएफसी; लेकिन इसमें एकल प्राथमिक डीलर, मूल निवेश कंपनी, इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण निधि   गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी -(आईडीएफ-एनबीएफसी), गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनीइंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी--आई एफसी), एनबीएफसी खाता समूहक, कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत एनबीएफसी, एनबीएफसी जो परिसमापन और/ या समापन, या भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के तहत है या और कोई एनबीएफसी जिसे रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट किया गया है, शामिल नहीं है;
  • "गैर-बैंक प्रणाली प्रतिभागी (एनबीएसपी)" का अर्थ भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 2 के तहत परिभाषित भुगतान प्रणाली में भाग लेने वाले बैंक के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से है, जिसमें 'प्रणाली प्रदाता'[1] भी शामिल है।
  • भुगतान प्रणाली का अर्थ है एक ऐसी प्रणाली जो भुगतानकर्ता और लाभार्थी के बीच भुगतान को प्रभावी बनाने में सक्षम बनाती है, जिसमें समाशोधन, भुगतान या निपटान सेवा या वे सभी शामिल हैं, लेकिन इसमें स्टॉक एक्सचेंज शामिल नहीं है;
  • ‘’विनियमित संस्था’’ से आशय, इन निदेशों के तहत परिभाषित बैंक या एनबीएफसी या एनबीएसपी या सीआईसी या रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट कोई अन्य संस्था है;
  • "संबंधित पक्ष" में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के उप-खंड 76 में परिभाषित संबंधित पक्ष और लागू लेखा मानकों के अनुसार संबंधित पक्ष शामिल होगा।

(2) अन्य सभी अभिव्यक्तियों का, जब तक कि यहां परिभाषित न किया गया हो, वही अर्थ होगा जो उन्हें बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006,  प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी विनियमन, 2006, या रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस), 2021 या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विनियमों, निदेशों और दिशानिर्देशों के अंतर्गत दिया गया है।

4. प्रयोज्यता

(1) ये निदेश निम्नलिखित पर लागू होंगे:

  • इन निदेशों के खंड 3(1)(क) के तहत परिभाषित बैंक और जिनके भारत में 10 या अधिक बैंकिंग आउटलेट हैं, चाहे ऐसा बैंक भारत में निगमित हो या भारत के बाहर;
  • इन निदेशों के खंड 3(1)(ञ) के तहत परिभाषित एनबीएफसी और आज की तारीख में निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करने वाली एनबीएफसी:

(i) 10 या अधिक शाखाओं वाली, जमाराशि स्वीकार करने वाली एनबीएफस (एनबीएफसी-डी);

(ii) 5,000 करोड़ और उससे अधिक की आस्ति आकार और सार्वजनिक ग्राहक इंटरफ़ेस वाली, जमाराशि स्वीकार न करने वाली एनबीएफसी (एनबीएफसी-एनडी);

  •  इन निदेशों के खंड 3(1)() में परिभाषित सभी एनबीएसपी जिनके पास 31 मार्च, 2023 या उसके   बाद एक करोड़ से अधिक पूर्वदत्त भुगतान लिखत बकाया हैं।  हालाँकि, यह योजना तब भी लागू रहेगी, भले ही बकाया पूर्वदत्त भुगतान लिखतों की संख्या बाद की  तारीख में सीमा से कम हो जाए;
  • खंड 3 (1) (ङ) के तहत परिभाषित सभी साख सूचना कंपनियां।

(2) कोई भी विनियमित संस्था जो इन निदेशों के जारी होने के बाद, खंड 4(1) के तहत निर्धारित सीमा तक पहुंच जाएगी, इन निदेशों के दायरे में आ जाएगी और इसलिए उसे सीमा तक पहुंचने के छह माह के भीतर एक आंतरिक लोकपाल ढांचा तैयार करना होगा।

(3) रिज़र्व बैंक, यदि वह लोक हित में संतुष्ट है, तो आदेश द्वारा, किसी भी विनियमित संस्था को आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निदेश दे सकता है और ये निदेश उस विनियमित संस्था पर लागू होंगे।

 

 

 

 

अध्याय II

आंतरिक लोकपाल कार्यालय

5. आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति

(1) विनियमित संस्था स्वयं इस बात से संतुष्ट होने के उपरांत आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति करेगी कि आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी की गई हैं:

  • आंतरिक लोकपाल, किसी अन्य बैंक / वित्तीय क्षेत्र नियामक निकाय / एनबीएसपी / एनबीएफसी / सीआईसी के महाप्रबंधक के समकक्ष रैंक में एक सेवानिवृत्त या सेवारत अधिकारी होगा, जिसके पास बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्त, विनियमन, पर्यवेक्षण, भुगतान और निपटान प्रणाली, साख सूचना या उपभोक्ता संरक्षण जैसे क्षेत्रों में काम करने का आवश्यक कौशल और न्यूनतम सात वर्ष का अनुभव होगा;
  • आंतरिक लोकपाल को विनियमित संस्था या विनियमित संस्था के संबंधित पक्षों द्वारा न तो पूर्व में नियोजित किया गया हो, न ही वर्तमान में नियोजित किया गया हो। 

(2) कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व आंतरिक लोकपाल की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(3) विनियमित संस्था आंतरिक लोकपाल की अनुपस्थिति के दौरान परिचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु प्राप्त शिकायतों की मात्रा के आधार पर एक से अधिक आंतरिक लोकपाल नियुक्त कर सकती है। अतिरिक्त आंतरिक लोकपाल नियुक्त करते समय, विनियमित संस्था विभिन्न प्रकार के मामलों से निपटने के लिए पदधारियों के अनुभव की विविधता की आवश्यकता पर विचार करेगी। ऐसे मामलों में, विनियमित संस्था प्रत्येक आंतरिक लोकपाल के क्षेत्राधिकार को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर सकती है।

6. उप आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति

(1) विनियमित संस्था प्राप्त शिकायतों की मात्रा के आधार पर एक या अधिक उप आंतरिक लोकपाल नियुक्त कर सकती है, जो शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निपटान में आंतरिक लोकपाल की सहायता करेंगे।

(2) उप आंतरिक लोकपाल या तो एक सेवानिवृत्त या सेवारत अधिकारी होगा, जो किसी अन्य बैंक / वित्तीय क्षेत्र नियामक निकाय / एनबीएसपी / एनबीएफसी / सीआईसी के उप महाप्रबंधक के पद से कम का नहीं होगा, जिसके पास बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्त, विनियमन, पर्यवेक्षण, भुगतान और निपटान प्रणाली, साख सूचना या उपभोक्ता संरक्षण जैसे क्षेत्रों में काम करने का आवश्यक कौशल और न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होगा।

(3) कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व उप आंतरिक लोकपाल की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(4) उप आंतरिक लोकपाल कार्यात्मक रूप से आंतरिक लोकपाल को रिपोर्ट करेगा, जो शिकायतों से निपटने के दौरान अंतिम प्राधिकारी/निर्णय लेने वाला प्राधिकारी होगा। आंतरिक लोकपाल की अस्थायी अनुपस्थिति में, 15 कार्य दिवस से अनधिक अवधि के लिए, उप आंतरिक लोकपाल अस्वीकृत शिकायतों की समीक्षा के सीमित उद्देश्य के लिए आंतरिक लोकपाल के रूप में कार्य कर सकता है। आंतरिक लोकपाल की 15 कार्य दिवस से अधिक की अस्थायी अनुपस्थिति के मामले में उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक (iocepd@rbi.org.in ) को पूर्व सूचना प्रदान की जाएगी, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ वैकल्पिक व्यवस्थाओं का विवरण दिया जाएगा। हालांकि, ऐसी अस्थायी अनुपस्थिति 30 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए।

7. आंतरिक लोकपाल /उप आंतरिक लोकपाल का कार्यकाल

(1) विनियमित संस्था में आंतरिक लोकपाल / उप आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति संविदात्मक प्रकृति की होती है। विनियमित संस्था में आंतरिक लोकपाल /उप आंतरिक लोकपाल का कार्यकाल निश्चित अवधि का होगा जो तीन वर्ष से कम तथा पाँच वर्ष से अधिक नहीं होगा।  

(2) आंतरिक लोकपाल /उप आंतरिक लोकपाल उसी विनियमित संस्था में पुनर्नियुक्ति या अवधि विस्तार के लिए पात्र नहीं होगा। आंतरिक लोकपाल/उप आंतरिक लोकपाल का कार्यकाल नियुक्ति पत्र में दर्शाया जाएगा।

(3) भारतीय रिज़र्व बैंक के स्पष्ट अनुमोदन के बिना अनुबंधित कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व आंतरिक लोकपाल/उप आंतरिक लोकपाल को हटाया नहीं जा सकता है। यदि विनियमित संस्था के नियंत्रण से बाहर के कारणों की वजह (जैसे मृत्यु, त्यागपत्र, अक्षमता, लाइलाज बीमारी, आदि) से रिक्ति उत्पन्न होने की स्थिति में विनियमित संस्था ऐसी रिक्ति की तिथि से 10 कार्य दिवस के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेगी। विनियमित संस्था रिक्ति की तिथि से तीन माह के भीतर इन निदेशों के खंड 5 और खंड 6 के तहत निर्दिष्ट पात्रता मानदंडों के अनुसार एक नया आंतरिक लोकपाल / उप आंतरिक लोकपाल नियुक्त करेगी और इन निदेशों के अध्याय V के खंड 15 के अनुसार नए आंतरिक लोकपाल / उप आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति की तिथि से 5 कार्य दिवस के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

(4) भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल कार्यालयों से संपर्क करते हुए, प्रधान नोडल अधिकारी या नोडल अधिकारी आंतरिक लोकपाल / उप आंतरिक लोकपाल के रूप में या इसके विपरीत क्रम में कार्य नहीं करेंगे, यहां तक कि किसी की अस्थायी अनुपस्थिति के दौरान भी नहीं।

(5) विनियमित संस्था यह सुनिश्चित करेगी कि आंतरिक लोकपाल का पद किसी भी समय खाली न रहे। विनियमित संस्था को पदस्थ आंतरिक लोकपाल के कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही रिक्ति को भरने के लिए नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि निवर्तमान आंतरिक लोकपाल और आगामी आंतरिक लोकपाल के पद छोड़ने के समय के बीच कम से कम एक माह का न्यूनतम ओवरलैप हो। विनियमित संस्था को पदस्थ आंतरिक लोकपाल का कार्यकाल समाप्त होने से कम से कम तीन माह पूर्व नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

8. प्रशासनिक निगरानी

(1) निदेशों के खंड 3 (1) (ग) के तहत परिभाषित अनुसार प्रशासनिक रूप से आंतरिक लोकपाल विनियमित संस्था के सक्षम प्राधिकारी को और कार्यात्मक रूप से विनियमित संस्था के बोर्ड को रिपोर्ट करेगा।

9. आंतरिक लोकपाल के कार्यालय का सचिवालय और लागत

(1) विनियमित संस्था अपने अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों को आंतरिक लोकपाल के कार्यालय में उतनी संख्या में नियुक्त करेगी जितनी आंतरिक लोकपाल के कार्यालयों के सुचारू कामकाज के लिए आवश्यक समझी जाए। आंतरिक लोकपाल के कार्यालय को सूचना प्रौद्योगिकी सहायता सहित अन्य सभी अपेक्षित कार्यालय संबंधी  आधारभूत संरचना उपलब्ध कराई जाएगी ताकि आंतरिक लोकपाल अपनी जिम्मेदारियों का प्रभावी ढंग से और कुशलतापूर्वक निर्वहन कर सके।

(2) विनियमित संस्था के बोर्ड की ग्राहक सेवा समिति/उपभोक्ता संरक्षण समिति, आंतरिक लोकपाल/उप आंतरिक लोकपाल को प्रदान की गई परिलब्धियों, सुविधाओं और लाभों की संरचना का निर्धारण करेगी, जो विनियमित संस्था के शिकायत निवारण तंत्र के शीर्ष पर रहने वाले व्यक्ति की महत्ता और स्थिति के साथ-साथ अपेक्षित विशेषज्ञता वाले अनुभवी व्यक्तियों को आकर्षित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त होनी चाहिए। आंतरिक लोकपाल/उप आंतरिक लोकपाल को प्रदान की जाने वाली ये परिलब्धियां, सुविधाएं और लाभ, एक बार निर्धारित होने के बाद, आंतरिक लोकपाल/उप आंतरिक लोकपाल के कार्यकाल के दौरान बदले नहीं जाएंगे।

(3) आंतरिक लोकपाल का कार्यालय मुख्यत: विनियमित संस्था के प्रधान कार्यालय या कॉर्पोरेट कार्यालय में रखा जाए।

 10. आंतरिक लेखा परीक्षा

 (1) विनियमित संस्था वार्षिक आधार पर इन निदेशों के कार्यान्वयन की आंतरिक लेखा परीक्षा करेगी। विनियमित संस्था की आंतरिक लेखा परीक्षा में अन्य बातों के साथ-साथ इन निदेशों के कार्यान्वयन और अनुपालन को शामिल किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं;

  • आंतरिक लोकापाल कार्यालय को उपलब्ध कराई गई आधारभूत सुविधाओं (स्थान, आईटी की आधारभूत सुविधाएं, मानव संसाधन, आदि) की पर्याप्तता और क्या यह शिकायतों की मात्रा  और शिकायत निवारण तंत्र के शीर्ष पर स्थित आंतरिक लोकपाल की स्थिति के अनुरूप है;
  • आंशिक या पूर्ण रूप से अस्वीकृत की गई शिकायतों को 20 दिन के भीतर आंतरिक लोकपाल के पास ऑटो-एस्कलैशन  का कार्यान्वयन और इन निदेशों में निर्दिष्ट विभिन्न समय-सीमाओं का अनुपालन;
  • शिकायतों के विश्लेषण, भारतीय रिज़र्व बैंक और विनियमित संस्था को प्रस्तुत रिपोर्टों, अस्वीकृत शिकायतों की समीक्षा और गुणवत्तापूर्ण निपटान के लिए आंतरिक लोकपाल द्वारा किए गए प्रयासों, शिकायतों के प्रकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विनियमित संस्था द्वारा प्रदान की गई सहायता और विनियमित संस्था में शिकायतों से निपटने में दृष्टिकोण की एकरूपता विकसित करने के साथ-साथ शिकायतों के निवारण के लिए आंतरिक लोकपाल को प्रदान की गई सहायता के संबंध में आंतरिक लोकपाल द्वारा की गई कार्रवाई;
  • इन निदेशों में उल्लिखित विभिन्न समयसीमाओं का पालन ।

(2) आंतरिक लेखा परीक्षा के दायरे में आंतरिक लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णयों की शुद्धता के किसी भी मूल्यांकन को शामिल नहीं किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अध्याय – III

भूमिका और जिम्मेदारियां

11. आंतरिक लोकपाल की भूमिका और जिम्मेदारियां

(1) आंतरिक लोकपाल शिकायतकर्ताओं या आम जनता से सीधे प्राप्त शिकायतों को संचालित नहीं करेंगे, बल्कि  उन शिकायतों को देखेंगे जिनकी जांच विनियमित संस्था द्वारा पहले की जा चुकी है, लेकिन विनियमित संस्था  द्वारा आंशिक या पूर्णत: अस्वीकार कर दिया गया है।

(2) निम्न प्रकार की शिकायतें इन निदेशों के दायरे से बाहर होंगी और आंतरिक लोकपाल द्वारा संचलित नहीं जाएंगी:

  • कॉर्पोरेट धोखाधड़ी, दुर्विनियोजन आदि से संबंधित शिकायतें, हालांकि यदि इनमें विनियमित संस्था की ओर से सेवा में कमी वैध शिकायतें होंगी;
  • संदर्भ जो सुझावों की प्रकृति के हों और विनियमित संस्था के वाणिज्यिक निर्णय। हालांकि, 'वाणिज्यिक निर्णयों' के अंतर्गत आने वाले मामलों में सेवा की कमी आंतरिक लोकपाल के लिए वैध शिकायतें होंगी। 
  • आंतरिक प्रशासन, मानव संसाधन, कर्मचारियों के वेतन और परिलब्धियों से संबंधित शिकायतें/संदर्भ;
  • ऐसी शिकायतें जो किसी अन्य मंच जैसे उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, न्यायालयों, आदि द्वारा पहले ही निर्णीत हैं या उनमें लंबित हैं।
  • विवाद जिनके लिए प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 18 के तहत समाधान प्रदान किया गया है।

विनियमित संस्था उपर्युक्त श्रेणियों (क) और (ख) के तहत सभी अस्वीकृत/आंशिक रूप से अस्वीकृत शिकायतों को आंतरिक लोकपाल को अग्रेषित करेगी। आंतरिक लोकपाल ऐसे मामलों में सेवा में अंतर्निहित कमी की जांच करेगा और यह विचार करेगा कि क्या इनमें से किसी भी शिकायत को विनियमित संस्था द्वारा तय किए गए अनुसार उपर्युक्त (क) और / या (ख) के तहत छूट दी जा सकती है।

(3) जो शिकायतें इन निदेशों के दायरे से बाहर हैं, उन्हें आंतरिक लोकपाल द्वारा विनियमित संस्था को तुरंत वापस भेज दिया जाएगा।

(4) आंतरिक लोकपाल उत्पाद/श्रेणी-वार, उपभोक्ता समूह-वार, भौगोलिक स्थिति-वार आदि के आधार पर शिकायतों के पैटर्न का विश्लेषण करेगा और समान/दोहराई जाने वाली प्रकृति की शिकायतों के मूल कारण और और विनियमित संस्था में नीति स्तर में बदलाव की आवश्यकता वाली शिकायतों के समाधान के लिए कार्रवाई करने के उपाय सुझाएगाआंतरिक लोकपाल विनियमित संस्था के पास उपलब्ध अभिलेख के आधार पर शिकायतों की जांच करेगा, जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए किसी भी दस्तावेज और आंतरिक लोकपाल के विशिष्ट प्रश्नों के लिए विनियमित संस्था द्वारा प्रस्तुत टिप्पणियां या स्पष्टीकरण शामिल हैं। आंतरिक लोकपाल विनियमित संस्था के माध्यम से शिकायतकर्ता से अतिरिक्त जानकारी और दस्तावेज मांग सकते हैं। सीआईसी के मामले में, आंतरिक लोकपाल सीआईसी के माध्यम से संबंधित साख संस्थान (सीआई) से अतिरिक्त जानकारी मांग सकते हैं। आंतरिक लोकपाल को प्रत्येक मामले में "तर्कसंगत निर्णय" दर्ज करना होगा ।

(5) आंतरिक लोकपाल विनियमित संस्था के संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर सकते हैं और विनियमित संस्था के पास उपलब्ध किसी भी अभिलेख/दस्तावेज़, जो शिकायत की जांच करने और निर्णय की समीक्षा करने के लिए आवश्यक हो, की मांग कर सकते हैं। विनियमित संस्था बिना किसी अनुचित देरी के शिकायतों के शीघ्र समाधान को सक्षम बनाने हेतु आंतरिक लोकपाल द्वारा मांगे गए सभी अभिलेख और दस्तावेज प्रस्तुत करेगी।

(6) आंतरिक लोकपाल, तिमाही आधार पर, विनियमित संस्था के विरुद्ध प्राप्त सभी शिकायतों के पैटर्न का विश्लेषण  उत्पाद-वार, श्रेणी-वार, उपभोक्ता समूह-वार, भौगोलिक स्थिति-वार आदि के आधार पर करेगा और यदि आवश्यक हो तो नीतिगत हस्तक्षेप हेतु विनियमित संस्था को इनपुट प्रदान करेगा।

 (7) आंतरिक लोकपाल कानूनी मामलों में किसी न्यायालय या मंच या प्राधिकरण के समक्ष विनियमित संस्था का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे।

(8) सुलह के मामलों में, जहां आंतरिक लोकपाल के निर्णय को शिकायतकर्ता द्वारा स्वीकार किया जाता है, शिकायतकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित, समझौते की शर्तों को दर्शाने वाला एक बयान अभिलेख में रखा जाएगा।

 

12. बोर्ड की निगरानी

(1) आंतरिक लोकपाल ग्राहक सेवा और संरक्षण का संचलन करने वाली बोर्ड की समिति को अपनी गतिविधियों की आवधिक रिपोर्ट (शिकायतों के विश्लेषण सहित) प्रस्तुत करेगा, जो मुख्यत: तिमाही अंतराल पर होगी, लेकिन छमाही अंतराल से कम नहीं। विनियमित संस्थाएं उन मामलों की चर्चा के लिए एक प्रणाली स्थापित करेंगी, जिनमें विनियमित संस्था, ग्राहक सेवा समिति/ विनियमित संस्था के बोर्ड की उपभोक्ता संरक्षण समिति द्वारा आंतरिक लोकपाल के निर्णय को अस्वीकार कर दिया गया है। आंतरिक लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णय की अस्वीकृति इन निदेशों के खंड 3(1)(ग) के तहत परिभाषित सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से की जाएगी।

(2) विनियमित संस्था के बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति इन निदेशों के खंड 11 (2) (क) में उल्लिखित मामलों को आंतरिक लोकपाल को भेज सकती है।

(3) ग्राहक सेवा और सुरक्षा का संचलन करने वाली, विनियमित संस्था के बोर्ड की समिति की बैठकों में आंतरिक लोकपाल को पदेन सदस्य या स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा।

 

 

 

 

अध्याय - IV

विनियमित संस्था के लिए प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश

13. आंतरिक लोकपाल द्वारा शिकायत निवारण की प्रक्रिया

(1) विनियमित संस्था ग्राहक सेवा और संरक्षण का संचलन करने वाली बोर्ड की समिति द्वारा अनुमोदित एक मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाएगी और एक पूर्णत: स्वचालित शिकायत प्रबंधन सॉफ्टवेयर स्थापित करेगी जिसमें विनियमित संस्था के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र द्वारा आंशिक या पूर्ण रूप से अस्वीकृत की गई सभी शिकायतों को प्राप्त होने के 20 दिन के भीतर अंतिम निर्णय के लिए आंतरिक लोकपाल के पास ऑटो-एस्कलेट कर दिया जाएगा ।

(2) आंतरिक लोकपाल और विनियमित संस्था यह सुनिश्चित करेंगे कि विनियमित संस्था द्वारा शिकायत प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन की अवधि के भीतर शिकायतकर्ता को अंतिम निर्णय के संबंध में सूचित किया जाए।

(3) विनियमित संस्था अपने शिकायत प्रबंधन सॉफ्टवेयर का रीड-ओनली एक्सेस प्रदान करेगी ताकि सभी शिकायतें आंतरिक लोकपाल के लिए सुलभ हों, जो देरी से एस्कलेट हुए मामलों के संबंध में विनियमित संस्था के संबंधित विभाग के साथ का फॉलोअप करेगा। आंतरिक लोकपाल को एस्कलेट की गयी शिकायतों पर उनके  निर्णयों को जोड़ने के लिए, विनियमित संस्था आंतरिक लोकपाल को अपने शिकायत प्रबंधन सॉफ्टवेयर में एक्सेस  भी प्रदान करेगी।

(4) आंतरिक लोकपाल को भारतीय रिज़र्व बैंक के शिकायत प्रबंधन सॉफ्टवेयर का रीड-ओनली एक्सेस भी उपलब्ध होगा ताकि आईओ : (अ) भारिबैंक लोकपाल द्वारा विनियमित संस्था को अग्रेषित किए गए मामलों, (ब) उन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल के निर्णयों, और (स) भारिबैंक लोकपाल योजना के तहत अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय, जहां लागू हो, को ट्रेक कर सके। आंतरिक लोकपाल के विनियमित संस्था में शामिल हो जाने के उपरांत, विनियमित संस्था रिज़र्व बैंक के उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग से आंतरिक लोकपाल के लिए रीड-ओनली एक्सेस की मांग करेगी।  

(5) विनियमित संस्था आंतरिक लोकपाल द्वारा मांगे गए सभी अभिलेख/दस्तावेज प्रस्तुत करेगी ताकि वह ग्राहकों की शिकायतों का शीघ्र निवारण/समाधान कर सके।

(6) आंतरिक लोकपाल का निर्णय विनियमित संस्था पर बाध्यकारी होगा, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां विनियमित संस्था ने नीचे उप-खंड (8) में बताए गए अनुसार ऐसे निर्णय से असहमत होने के लिए अनुमोदन प्राप्त किया है।

(7)  जहाँ आंतरिक लोकपाल शिकायत को अस्वीकार या आंशिक रूप से अस्वीकार करने के विनियमित संस्था के निर्णय को बरकरार रखता है, तो ग्राहक को दिए गए उत्तर में इस तथ्य का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि आंतरिक लोकपाल द्वारा शिकायत की जांच की गई है और और उत्तर में बताए गए कारणों से, विनियमित संस्था के निर्णय को बरकरार रखा गया है।

(8) जहाँ आंतरिक लोकपाल शिकायत को अस्वीकार या आंशिक रूप से अस्वीकार करने के विनियमित संस्था  के निर्णय को पलट देता है, तो विनियमित संस्था केवल इन निदेशों के खंड 3 (1) (ग) में परिभाषित सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से आंतरिक लोकपाल के निर्णय से असहमत हो सकती है। ऐसे मामलों में, शिकायतकर्ता को दिए जाने वाले उत्तर में इस तथ्य का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि आंतरिक लोकपाल द्वारा शिकायत की जांच की गई और विनियमित संस्था के निर्णय को शिकायतकर्ता के पक्ष में आंतरिक लोकपाल द्वारा खारिज कर दिया गया। तथापि, विनियमित संस्था ने सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से आंतरिक लोकपाल के निर्णय से असहमति व्यक्त की है। मामले पर आंतरिक लोकपाल के निर्णय की सूचना विनियमित संस्था को दिए जाने के 7 दिन के भीतर शिकायतकर्ता को इस तरह के निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इन निदेशों के खंड 12 (1) के तहत दर्शाए गए अनुसार बाद में बोर्ड की ग्राहक सेवा समिति या विनियमित संस्था के बोर्ड द्वारा ऐसे सभी मामलों की तिमाही आधार पर समीक्षा की जाएगी।

(9) आंतरिक लोकपाल द्वारा जांच के बाद भी पूर्ण या आंशिक रूप से अस्वीकार की गई शिकायतों के मामले में, विनियमित संस्था उत्तर के भाग के रूप में शिकायतकर्ता को अनिवार्य रूप से यह सूचित करेगी कि वह शिकायत (आरबी-आईओएस, 2021 के अंतर्गत शामिल नहीं होने वाली विनियमित संस्थाओं के विरुद्ध शिकायतों को छोड़कर) के निवारण हेतु पूर्ण विवरण के साथ भारिबैंक लोकपाल से संपर्क कर सकता है। विनियमित संस्था अपने उत्तर में केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र[2] के भौतिक पते के साथ-साथ ग्राहकों की शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने के लिए रिज़र्व बैंक के शिकायत प्रबंध प्रणाली पोर्टल के पते (https://cms.rbi.org.in) का उल्लेख भी करेगी।  

(10) भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल कार्यालय में प्राप्त शिकायतों से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करते समय, विनियमित संस्था द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल को प्रस्तुत की गई जानकारी में आंतरिक लोकपाल का निर्णय अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।

(11) ऐसे मामलों में जहां शिकायतकर्ता ने आंतरिक लोकपाल द्वारा शिकायत की जांच करने से पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल से संपर्क किया है, विनियमित संस्था को आंतरिक लोकपाल के विचार प्राप्त करने चाहिए और भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल को प्रस्तुत किए जाने वाले प्रस्तुतीकरण में आंतरिक लोकपाल के विचारों को शामिल करना चाहिए।

(12)शिकायतों के निपटान में एकरूपता विकसित करने के लिए विनियमित संस्था अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों/सम्मेलनों में आंतरिक लोकपाल द्वारा निपटाई गई शिकायतों के विश्लेषण का उपयोग अपने फ्रंटलाइन कर्मचारियों के बीच मूल कारणों, उपचारात्मक उपायों आदि सहित शिकायतों के पैटर्न के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए करेगी। जहां आवश्यक हो, ऐसे प्रशिक्षणों हेतु आंतरिक लोकपाल की सहायता ली जा सकती है।

(13) आईओ के कार्य-निष्पादन का आंकलन करते समय, लंबित मामलों के स्तर और शिकायतों के निवारण में विनियमित संस्था में एकरूपता विकसित करने की दिशा में आंतरिक लोकपाल द्वारा किए गए कार्यों के अलावा, विनियमित संस्था उन मामलों की संख्या का भी विश्लेषण करेगी जहां आंतरिक लोकपाल द्वारा दिए गए निर्णयों और बाद में भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल द्वारा दिए गए निर्णयों के बीच पर्याप्त अंतर है।

(14) संगठन (सभी शाखाओं और प्रशासनिक कार्यालयों) में आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति के संबंध में सूचना प्रदान करते समय विनियमित संस्था अपने कर्मचारियों के बीच इन निदेशों के संबंध में दिशानिर्देशों / अनुदेशों का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करेगी।

(15) विनियमित संस्था आंतरिक लोकपाल का संपर्क विवरण सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं कराएंगी क्योंकि आंतरिक लोकपाल सीधे ग्राहकों से प्राप्त शिकायतों को नहीं देखेंगें।

 

अध्याय - V

रिज़र्व बैंक द्वारा विनियामक और पर्यवेक्षी निगरानी

14. पर्यवेक्षी निगरानी

(1) ग्राहक सेवा और ग्राहक शिकायत निवारण से संबंधित क्षेत्र, साथ ही इन निदेशों का कार्यान्वयन, यदि विनियमित संस्था बैंक, एनबीएफसी और सीआईसी है तो रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग, और यदि विनियमित संस्था एनबीएसपी है, तो रिज़र्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग द्वारा किए गए जोखिम मूल्यांकन और पर्यवेक्षी समीक्षा का एक हिस्सा होगा।

(2) रिज़र्व बैंक का उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग उन मामलों की समीक्षा कर सकता है, जहां आंतरिक लोकपाल  के निर्णय को विनियमित संस्था द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है और पीड़ित शिकायतकर्ता विनियमित संस्था के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावशीलता का आकलन करने और उचित समझे जाने वाली सुधारात्मक कार्रवाई प्रारंभ करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के लोकपाल से संपर्क करता है।

 

15.  रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग

(1) विनियमित संस्था अनुबंध में दिए गए प्रारूपों के अनुसार त्रैमासिक और वार्षिक आधार पर उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, रिज़र्व बैंक को सूचना की आवधिक रिपोर्टिंग हेतु एक प्रणाली स्थापित करेगी। ये रिपोर्ट उस तिमाही/वर्ष के अगले माह के 10वें दिन या उससे पूर्व, जिसके लिए वह देय है, प्रस्तुत की जाएगी।

(2) विनियमित संस्था, आंतरिक लोकपाल या उप आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति के पाँच कार्य दिवस के भीतर इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति का विवरण निम्न प्रारूप में उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक (ईमेल: iocepd@rbi.org.in) को प्रेषित करेगी:

1.

आंतरिक लोकपाल / उप आंतरिक लोकपाल का नाम

2.

अंतिम धारित पदों/संगठन के नामों का विवरण

3.

नियुक्ति की तिथि

4.

अवधि (वर्षों में)

5.

संक्षिप्त पेशेवर प्रोफ़ाइल, जिसमें वित्तीय सेवाओं का पिछला अनुभव शामिल है, जो उन पर प्रकाश डालता हो जो उन्हें नियुक्ति के लिए पात्र बनाते हैं

6.

 संपर्क विवरण (टेलीफोन, ईमेल, पता)

 

 

 

 

अध्याय - VI

निरसन प्रावधान

16. मौजूदा योजनाओं का निरसन

(1) इन निदेशों के जारी होने के साथ, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आंतरिक लोकपाल योजना 2018 में निहित अनुदेश /दिशानिर्देश – 3 सितंबर 2018 को बैंकों द्वारा कार्यान्वयन, 22 अक्तूबर, 2019 की गैर-बैंक प्रणाली प्रतिभागियों के लिए आंतरिक लोकपाल योजना, 15 नवंबर, 2021 को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति और दिनांक 6 अक्तूबर 2022 के भारतीय रिज़र्व बैंक (साख सूचना कंपनियां-आंतरिक लोकपाल) निदेश निरस्त कर दिए गए।  

(2) इन निदेशों के प्रभावी होने से पूर्व उपखंड (1) में दिए गए निरसित परिपत्रों या अनुदेशों के अधीन की गई सभी नियुक्तियां इन निदेशों के अधीन की गई मानी जाएंगी।


[1] प्रणाली प्रदाता' का अर्थ है और इसमें एक ऐसा व्यक्ति शामिल है, जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 2 के तहत परिभाषित अधिकृत भुगतान प्रणाली का संचालन करता है।

[2] केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र (सीआरपीसी) भारतीय रिज़र्व बैंक, सेंट्रल विस्टा, सेक्टर 17, चंडीगढ़- 160 017

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