गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) (आवास वित्त कंपनियों सहित) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) (आवास वित्त कंपनियों सहित) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश
भारिबैं/प.वि.कें.का/2024-25/120 जुलाई 15, 2024 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) (आवास वित्त कंपनियों सहित) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45के, 45एल और 45एम तथा राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी भारतीय रिज़र्व बैंक (एनबीएफसी में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन) निदेश, 2024 अनुबंध के रूप में संलग्न है। ये निदेश इस विषय पर पहले जारी किए गए निदेशों, अर्थात् 29 सितंबर 2016 के मास्टर निदेश - एनबीएफसी में धोखाधड़ी की निगरानी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 को अधिक्रमित करेंगे। भवदीय (रजनीश कुमार) संलग्न.: यथोक्त गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) (आवास वित्त कंपनियों सहित) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश (एमडी) भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से आश्वस्त होते हुए कि ऐसा करना जनहित में तथा बैंकिंग नीति के हित में आवश्यक और समीचीन है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45के, 45एल और 45एम तथा राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, आगे निर्दिष्ट निदेश जारी करता है। 1.1 संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (एनबीएफसी में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन) निदेश, 2024 कहा जाएगा। इन निदेशों के प्रावधान, जब तक अन्यथा ऐसी व्यवस्था न की गई हो, निम्नलिखित पर लागू होंगे: 1.2.1 अपर लेयर, मिडिल लेयर और बेस लेयर1 (500 करोड़ रुपये और उससे अधिक की आस्ति आकार वाली2) की सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां3 (आवास वित्त कंपनियों सहित)। 1.2.2 इन निदेशों के प्रयोजन के लिए इन एनबीएफसी को सामूहिक रूप से एतद्पश्चात ‘पात्र एनबीएफसी’ के रूप में संदर्भित किया जाएगा। ये निदेश, धोखाधड़ी की घटनाओं की रोकथाम, शीघ्र पहचान करने और विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और राष्ट्रीय आवास बैंक4 (एनएचबी) को समय पर रिपोर्ट करने तथा संबंधित या प्रासंगिक मामलों के लिए पात्र एनबीएफसी को एक ढांचा प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं। 2. धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के लिए पात्र एनबीएफसी में अभिशासन संरचना 2.1 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के बारे में बोर्ड5 द्वारा अनुमोदित नीति6 होगी जिसमें बोर्ड/बोर्ड समितियों और पात्र एनबीएफसी के वरिष्ठ प्रबंधन की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निर्धारित होंगी। नीति में नैसर्गिक न्याय7 के सिद्धांतों का अनुपालन समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने के उपाय भी शामिल किए जाएंगे, जिनमें कम से कम निम्नलिखित शामिल होंगे: 2.1.1 उन व्यक्तियों8, इकाईओं और उनके प्रवर्तकों/पूर्णकालिक और कार्यपालक निदेशकों को विस्तृत कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी करना जिनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की जांच की जा रही है9। एससीएन में उन लेन-देन/क्रियाओं/घटनाओं का पूरा ब्यौरा दिया जाएगा जिनके आधार पर इन निदेशों के तहत धोखाधड़ी की घोषणा और रिपोर्टिंग पर विचार किया जा रहा है। 2.1.2 जिन व्यक्तियों/इकाईओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उन्हें उक्त नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय प्रदान किया जाएगा, जो 21 दिनों से कम ना हो। 2.1.3 पात्र एनबीएफसी के पास कारण बताओ नोटिस जारी करने और ऐसे व्यक्तियों/इकाईओं को धोखाधड़ीपूर्ण घोषित करने से पहले उनके द्वारा दिए गए जवाबों/निवेदनों की जांच के लिए एक सुव्यवस्थित सिस्टम होगा। 2.1.4 व्यक्ति/इकाईओं को एक तर्कपूर्ण आदेश दिया जाएगा जिसमें खाते को धोखाधड़ी या अन्यथा घोषित/वर्गीकृत करने के बारे में पात्र एनबीएफसी के निर्णय की जानकारी दी जाएगी। ऐसे आदेशों में प्रासंगिक तथ्य/परिस्थितियां, एससीएन के खिलाफ प्रस्तुत किए गए अभिकथन और धोखाधड़ी या अन्यथा के रूप में वर्गीकरण के कारण शामिल होने चाहिए। 2.2 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति की समीक्षा बोर्ड द्वारा तीन साल में कम से कम एक बार, या अधिक बार, जैसा बोर्ड द्वारा निर्धारित हो, की जाएगी। 2.3 धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बोर्ड की विशेष समिति: पात्र एनबीएफसी को बोर्ड की एक समिति का गठन करना होगा जिसे 'धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बोर्ड की विशेष समिति' (एससीबीएमएफ) के रूप में जाना जाएगा, जिसमें बोर्ड के कम से कम तीन सदस्य होंगे, जिसमें मुख्य कार्यपालक अधिकारी10 और दो स्वतंत्र निदेशक शामिल होंगे। समिति का नेतृत्व स्वतंत्र निदेशकों में से एक करेगा। विनियामक उद्देश्यों11 के लिए मिडिल लेयर और बेस लेयर के रूप में वर्गीकृत पात्र एनबीएफसी के पास कम से कम तीन सदस्यों वाली कार्यपालक समिति (सीओई) का गठन करने का विकल्प होगा, जिनमें से कम से कम एक पूर्णकालिक निदेशक या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, जो इन निदेशों के तहत यथा अपेक्षित एससीबीएमएफ की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को निभाने के उद्देश्य से होगा। 2.3.1 एससीबीएमएफ पात्र एनबीएफसी में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन की प्रभावकारिता का जायज़ा रखेगा। 2.3.2 एससीबीएमएफ धोखाधड़ी के मामलों की समीक्षा और निगरानी करेगा, जिसमें मूल कारण विश्लेषण भी शामिल है, और आंतरिक नियंत्रण, जोखिम प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने और धोखाधड़ी की घटनाओं को कम करने के लिए शमन उपाय सुझाएगा। ऐसी समीक्षाओं की कवरेज12 और आवधिकता पात्र एनबीएफसी के बोर्ड द्वारा तय की जाएगी। 2.4 वरिष्ठ प्रबंधन पात्र एनबीएफसी के बोर्ड द्वारा अनुमोदित धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा। धोखाधड़ी की घटनाओं की आवधिक समीक्षा भी पात्र एनबीएफसी के वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा बोर्ड / बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) के समक्ष रखी जाएगी। 2.5 पात्र एनबीएफसी को एक पारदर्शी तंत्र स्थापित करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खातों में संभावित धोखाधड़ी के मामलों / संदिग्ध गतिविधियों पर मुखबिर (व्हिसल ब्लोअर) शिकायतों की जांच की जाती है और अपनी मुखबिर (व्हिसल ब्लोअर) नीति के तहत उचित रूप से निष्कर्ष निकाला जाए। 2.6 पात्र एनबीएफसी अपने समग्र जोखिम प्रबंधन कार्यों/विभाग में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन13 के संस्थानीकरण के लिए एक उपयुक्त संगठनात्मक संरचना स्थापित करेंगे। धोखाधड़ी की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए उपयुक्त वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार होगा। 2.7 पात्र एनबीएफसी को अपने वित्तीय विवरणों - खातों के नोट में वर्ष के लिए कंपनी में रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी से संबंधित राशि का खुलासा करना होगा। अध्याय III14 3.1 धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए शीघ्र चेतावनी संकेतों हेतु रूपरेखा 3.1.1 अपर और मिडिल लेयर की एनबीएफसी (एनबीएफसी - यूएल और एमएल) के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित समग्र धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के अंतर्गत शीघ्र चेतावनी संकेतों (ईडब्ल्यूएस) के लिए एक रूपरेखा होगी। 3.1.2 बोर्ड स्तर की समिति15 ईडब्ल्यूएस के लिए ढांचे की प्रभावकारिता का जायज़ा रखेगी। वरिष्ठ प्रबंधन एनबीएफसी - यूएल और एमएल के भीतर ईडब्ल्यूएस के लिए एक मजबूत ढांचे के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा। 3.1.3 एनबीएफसी - यूएल और एमएल को क्रेडिट सुविधाओं / ऋण खातों और अन्य वित्तीय लेनदेन की निगरानी के लिए उचित शीघ्र चेतावनी संकेतकों की पहचान करनी होगी। इन संकेतकों की प्रभावकारिता के लिए समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। एक या अधिक ईडब्ल्यूएस संकेतकों की उपस्थिति से उत्पन्न धोखाधड़ी गतिविधि का संदेह संभावित धोखाधड़ी के कोण से गहन जांच और निवारक उपायों की शुरुआत करने के लिए सतर्क / ट्रिगर करेगा। 3.1.4 ईडब्ल्यूएस ढांचा बोर्ड स्तरीय समिति के निदेशों के अनुसार उपयुक्त सत्यापन के अधीन होगा ताकि इसकी सत्यता, मजबूती और परिणामों की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। 3.2 ईडब्ल्यूएस फ्रेमवर्क में अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित का प्रावधान होगा: (i) एक मजबूत ईडब्ल्यूएस सिस्टम जो कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) या अन्य परिचालन प्रणालियों के साथ एकीकृत है; (ii) ईडब्ल्यूएस सिस्टम से ट्रिगर्स/अलर्ट पर समय पर निदानात्मक कार्रवाई की शुरुआत; और (iii) ऋण स्वीकृति और निगरानी प्रक्रियाओं, आंतरिक नियंत्रण और प्रणालियों की आवधिक समीक्षा। 3.3 ऋण सुविधाओं / ऋण खातों के लिए ईडबल्यूएस ढांचा 3.3.1 ईडब्ल्यूएस सिस्टम व्यापक होगी और इसमें मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों संकेतक शामिल होंगे, ताकि ढांचा मजबूत और प्रभावी हो सके। ईडब्ल्यूएस सिस्टम शामिल किए जाने वाले व्यापक संकेतक, उदाहरण के तौर पर खातों के लेन-देन संबंधी डेटा, उधारकर्ताओं के वित्तीय प्रदर्शन, बाजार की आसूचना, उधारकर्ताओं के आचरण आदि पर आधारित हो सकते हैं। 3.3.2 ईडब्ल्यूएस अलर्ट/ट्रिगर का उत्पन्न होना यह तय करेगा कि क्या खाते की संभावित धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जांच की आवश्यकता है। 3.4 अन्य वित्तीय/गैर-क्रेडिट संबंधी लेनदेन के लिए ईडबल्यूएस ढांचा16 3.4.1 एनबीएफसी - यूएल और एमएल अन्य वित्तीय/गैर-क्रेडिट संबंधी लेन-देन की निगरानी के लिए उपयुक्त संकेतकों की पहचान करके और उन्हें अपने ईडब्ल्यूएस सिस्टम में पैरामीटराइज़ करके अपने ईडब्ल्यूएस सिस्टम को विकसित/मजबूत करेंगे। एनबीएफसी - यूएल और एमएल ईडब्ल्यूएस सिस्टम की अखंडता और मजबूती को बढ़ाने, अन्य वित्तीय/गैर-क्रेडिट संबंधी लेन-देन की कुशलतापूर्वक निगरानी करने और धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए, ईडब्ल्यूएस सिस्टम को लगातार अपग्रेड करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, ईडब्ल्यूएस सिस्टम की प्रभावकारिता का समय-समय पर परीक्षण किया जाएगा। 3.4.2 ईडब्ल्यूएस सिस्टम का डिजाइन और विशिष्टताएँ मजबूत और लचीली होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिस्टम की अखंडता बनाए रखी गई है, ग्राहकों का व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा सुरक्षित हैं और संभावित धोखाधड़ी से बचाव / की पहचान के लिए लेनदेन की निगरानी वास्तविक समय17 के आधार पर होती है। एनबीएफसी - यूएल और एमएल लेनदेन / असामान्य गतिविधियों की निगरानी में सतर्क रहेंगे, विशेष रूप से गैर-केवाईसी अनुपालक और मनी म्यूल खातों आदि में, ताकि अनधिकृत / धोखाधड़ी वाले लेनदेन को नियंत्रित किया जा सके और बैंकिंग / वित्तीय चैनल के दुरुपयोग को रोका जा सके। 3.4.3 एनबीएफसी-यूएल और एमएल में समर्पित एमआईएस यूनिट या अन्य एनालिटिक्स सेटअप डिजिटल प्लेटफॉर्म/एप्लीकेशन के माध्यम से किए गए लेनदेन सहित वित्तीय लेनदेन की व्यापक निगरानी और विश्लेषण करेंगे, ताकि असामान्य पैटर्न और गतिविधियों की पहचान की जा सके जो धोखाधड़ी गतिविधियों की रोकथाम की दिशा में उचित उपाय शुरू करने के लिए एनबीएफसी-यूएल और एमएल को समय पर सचेत कर सकें। 3.5 एनबीएफसी - यूएल और एमएल को इन निदेशों के जारी होने की तिथि से छह महीने के भीतर लागू करना होगा अथवा अपने मौजूदा ईडब्ल्यूएस सिस्टम को उपयुक्त रूप से अपग्रेड करना होगा। 4. ऋण सुविधा / ऋण खाता / अन्य वित्तीय लेनदेन – धोखाधड़ी-पूर्ण गतिविधियों का संकेत पात्र एनबीएफसी को क्रेडिट सुविधा / ऋण खाता / अन्य वित्तीय लेनदेन में गतिविधियों की निगरानी करनी होगी और उन गतिविधियों के संबंध में सतर्क रहना होगा जो संभावित रूप से धोखाधड़ी-पूर्ण हो सकती हैं। 4.1 ऐसे मामले में जहां गलत कार्य या धोखाधड़ी गतिविधि का संदेह / संकेत हो, पात्र एनबीएफसी ऐसे खातों में आगे की जांच के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार बाह्य लेखा परीक्षा18 या आंतरिक लेखा परीक्षा का उपयोग करेंगे। 4.1.1 पात्र एनबीएफसी बाहरी लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के लिए एक नीति तैयार करेंगे, जिसमें लेखा परीक्षकों की विधिवत जांच, उनकी योग्यता और ट्रैक रिकॉर्ड जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, लेखा परीक्षकों के साथ अनुबंध करार में, अन्य बातों के साथ-साथ, लेखा परीक्षा पूरी करने की समयसीमा और बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर पात्र एनबीएफसी को लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने संबंधी उपयुक्त खंड शामिल होंगे। 4.1.2 उधारकर्ता के साथ ऋण समझौते में ऋणदाता(ओं) के कहने पर इस तरह की लेखा परीक्षा के संचालन के लिए खंड शामिल होंगे। ऐसे मामलों में जहां प्रस्तुत लेखा परीक्षा रिपोर्ट अनिर्णायक रहती है या उधारकर्ता द्वारा असहयोग के कारण देरी होती है, पात्र एनबीएफसी अपने रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री और ऐसे मामलों में अपनी स्वयं की आंतरिक जांच/मूल्यांकन के आधार पर खाते की स्थिति को धोखाधड़ी या अन्यथा के रूप में निष्कर्ष निकालेंगे।19 4.1.3 पात्र एनबीएफसी (एकल ऋण, बहु बैंकिंग व्यवस्था या संघ ऋण) यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत / घोषित करने से पहले नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों20 का सख्ती से पालन किया गया है। 4.1.4 यदि किसी खाते की पहचान किसी पात्र एनबीएफसी द्वारा धोखाधड़ी के रूप में की जाती है, तो अन्य समूह कंपनियों के उधार खाते, जिनमें एक या एक से अधिक प्रवर्तक/पूर्णकालिक निदेशक समान हैं, को भी इन निदेशों के तहत धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से संबंधित एनबीएफसी द्वारा जांच के दायरे में लिया जाएगा। 4.1.5 ऐसे मामलों में जहां कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) ने उधारकर्ता खाते से संबंधित जांच स्वयं संज्ञानमें लेते हुए शुरू की है, एनबीएफसी अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया का पालन करेंगे और पैरा 2.1 के तहत दी गई प्रक्रिया के अनुरूप कार्य करेंगे। 4.2 पेशेवरों सहित तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं से स्वतंत्र पुष्टि पात्र एनबीएफसी पूर्व-स्वीकृति मूल्यांकन और स्वीकृति के बाद की निगरानी के लिए विभिन्न तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं पर निर्भर रहती हैं। इसलिए, पात्र एनबीएफसी तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं के साथ अपने समझौतों में आवश्यक नियम और शर्तें शामिल कर सकती हैं ताकि उन स्थितियों में उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सके जहां उनकी ओर से इरादतन लापरवाही/कदाचार धोखाधड़ी का एक कारण पाया जाता है। 4.3.1 पात्र एनबीएफसी को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार सभी धोखाधड़ी मामलों में कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच समयबद्ध तरीके से शुरू कर पूरी करनी होगी। 4.3.2. सरकारी-एनबीएफसी21 को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच करनी होगी। सीवीसी के आदेश के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र में पात्र एनबीएफसी को 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक की राशि के सभी धोखाधड़ी के मामलों को सभी स्तरों के अधिकारियों/पूर्णकालिक निदेशकों (पूर्व अधिकारियों/पूर्व डब्ल्यूटीडी सहित) की भूमिका की जांच के लिए सीवीसी द्वारा गठित बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफएफ)22 को भेजना होगा। 4.3.3 पात्र एनबीएफसी के अति वरिष्ठ अधिकारियों (एमडी और सीईओ / कार्यपालक निदेशक / समकक्ष रैंक के अधिकारी)23 से जुड़े मामलों में, एसीबी उनकी जवाबदेही की जांच करेगी और इसे बोर्ड के समक्ष रखेगी। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र में लागू एनबीएफसी के मामले में, ऐसे मामलों को एबीबीएफएफ को भी भेजा जाएगा। 4.4.1 एनबीएफसी द्वारा धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और रिपोर्ट किए गए व्यक्ति/इकाइयाँ तथा ऐसी इकाईओं से संबद्ध संस्थाएं और व्यक्ति24 पर धोखाधड़ी की राशि/ समझौता समाधान के मामले में निपटान राशि के पूर्ण पुनर्भुगतान की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए आरबीआई द्वारा विनियमित वित्तीय संस्थाओं से धन जुटाने और/या अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाएगी। 4.4.2 ऐसे व्यक्तियों/इकाईओं को ऋण देना वाणिज्यिक निर्णय है, अतः ऋण देने वाली पात्र एनबीएफसी को उपरोक्त पैरा 4.4.1 में उल्लिखित अनिवार्य कूलिंग अवधि की समाप्ति के बाद ऋण सुविधाओं के लिए ऐसे अनुरोधों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का पूर्ण विवेकाधिकार होगा। 4.5 समाधान के अंतर्गत खातों के साथ संव्यवहार 4.5.1 यदि धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किसी इकाई का बाद में आईबीसी के तहत या आरबीआई के समाधान ढांचे25 के तहत समाधान किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप इकाई / व्यावसायिक उद्यम के प्रबंधन और नियंत्रण में बदलाव हुआ है, तो पात्र एनबीएफसी यह जांच करेगी कि क्या इकाई को तब भी धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया जाता रहेगा या आईबीसी या पूर्वोक्त विवेकपूर्ण ढांचे के तहत समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकरण हटाया जा सकता है। हालांकि, यह पूर्ववर्ती प्रवर्तकों/निदेशकों/व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को बाधित किए बिना होगा, जो इकाई / व्यावसायिक उद्यम के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रभारी और जिम्मेदार थे। 4.5.2 पैरा 4.4 में वर्णित दंडात्मक उपाय आईबीसी या पूर्वोक्त विवेकपूर्ण ढांचे के अंतर्गत समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद इकाईओं/व्यावसायिक उद्यमों पर लागू नहीं होंगे। 4.5.3 पैरा 4.4 में वर्णित दंडात्मक उपाय पूर्ववर्ती प्रवर्तकों/निदेशकों/व्यक्तियों पर लागू होते रहेंगे, जो इकाई/व्यावसायिक उद्यम के मामलों के प्रबंधन के प्रभारी और जिम्मेदार थे। 5. विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग 5.1 लागू कानूनों के अधीन, पात्र एनबीएफसी को धोखाधड़ी की घटनाओं की तुरंत उचित एलईए अर्थात राज्य पुलिस प्राधिकरणों आदि को रिपोर्ट करनी होगी। 5.2 पात्र एनबीएफसी को धोखाधड़ी की घटनाओं की सूचना एलईए को देने तथा एलईए की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित समन्वय हेतु उपयुक्त नोडल बिंदु/नामित अधिकारी स्थापित करना होगा। अध्याय VI26 6.1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके धोखाधड़ी निगरानी विवरणी (एफएमआर) के माध्यम से आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट करते समय एकरूपता और संगतता सुनिश्चित करने के लिए, एनबीएफसी निम्नलिखित में से किसी एक सबसे उपयुक्त श्रेणी का चयन करेंगे:
6.2 आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग की पद्धति 6.2.1 पात्र एनबीएफसी को प्रत्येक धोखाधड़ी के मामले में, इसमें शामिल राशि के निरपेक्ष, एफएमआर27 में घटना/खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किए जाने के तत्काल बाद28 किन्तु वर्गीकृत किए जाने की तिथि से 14 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना होगा। 6.2.2 भारतीय एनबीएफसी की विदेशी शाखाओं में धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट भी मेजबान देशों के प्रासंगिक कानूनों/नियमों के अनुसार संबंधित विदेशी एलईए को की जाएगी। 6.2.3 पात्र एनबीएफसी को अपने समूह की संस्थाओं29 में की गई धोखाधड़ी की रिपोर्ट आरबीआई को अलग से देनी होगी30, अगर ऐसी संस्थाएं किसी वित्तीय क्षेत्र विनियामक/पर्यवेक्षी प्राधिकरण द्वारा विनियमित/पर्यवेक्षित नहीं हैं। हालांकि, भारतीय एनबीएफसी की विदेशी वित्तीय समूह इकाई के मामले में, मूल एनबीएफसी को भी धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट आरबीआई को देनी होगी। धोखाधड़ी की घोषणा करने से पहले समूह की संस्थाओं को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा31। 6.2.4 पात्र एनबीएफसी को धोखाधड़ी के मामलों को आरबीआई को रिपोर्ट करने के लिए इन मास्टर निदेशों में निर्धारित समय-सीमा का पालन करना होगा32। पात्र एनबीएफसी को धोखाधड़ी के मामलों की पहचान करने और आरबीआई को रिपोर्ट करने में देरी के लिए कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। 6.2.5 धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते समय, पात्र एनबीएफसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो व्यक्ति/इकाइयाँ धोखाधड़ी में शामिल/संबद्ध नहीं हैं, उनके बारे में एफएमआर में रिपोर्ट नहीं की जाए। 6.2.6 पात्र एनबीएफसी, असाधारण परिस्थितियों में, एफएमआर वापस ले सकती हैं / एफएमआर से दोषियों के नाम हटा सकती हैं। हालांकि, रिपोर्ट वापस लेने/नाम हटाने का काम उचित कारण बताकर और कम से कम निदेशक रैंक के अधिकारी की मंजूरी से किया जाएगा। 6.3 आरबीआई को सूचित धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना 6.3.1 जिस भी मामले में निम्नलिखित कार्रवाइयां पूरी हो गई हों, पात्र एनबीएफसी को ‘क्लोजर मॉड्यूल’ का उपयोग करके धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना होगा:
6.3.2 एनबीएफसी को सीमित सांख्यिकीय/रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए, 25 लाख रुपये तक की राशि वाले उन धोखाधड़ी के मामलों को बंद करने की अनुमति है, जिनमें कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच की गई है और अनुशासनात्मक कार्रवाई, यदि कोई हो, की गई है और:
6.3.3 रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी के सभी बंद मामलों में, पात्र एनबीएफसी को लेखा परीक्षकों द्वारा जांच के लिए ऐसे मामलों का विवरण रखना होगा। 7.1 बड़े मूल्य के ऋण खातों के संबंध में स्वत्वाधिकार दस्तावेजों की विधिक लेखा परीक्षा जब तक ऋण पूरी तरह से चुका न दिया जाए, पात्र एनबीएफसी को ₹1 करोड़ और उससे अधिक की सभी ऋण सुविधाओं के संबंध में स्वत्व विलेख और अन्य संबंधित स्वत्वाधिकार दस्तावेजों को समय-समय पर विधिक लेखा परीक्षा और पुनः सत्यापन करना होगा। विधिक लेखा परीक्षा का दायरा और आवधिकता ऊपर खंड 2.1 में संदर्भित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार होंगे। 7.2 धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और अन्य ऋणदाताओं / आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को बेचे गए खातों के साथ संव्यवहार33 ऋण खाता/क्रेडिट सुविधा अन्य ऋणदाताओं/एआरसी को हस्तांतरित करने से पहले पात्र एनबीएफसी को धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जांच पूरी करनी होगी। ऐसे मामलों में जहां पात्र एनबीएफसी इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि खाते में धोखाधड़ी की गई है, उन्हें खातों को अन्य ऋणदाताओं/एआरसी34 को बेचने से पहले आरबीआई/एनएचबी35 को इसकी सूचना देनी होगी। 7.3.1 लेखा परीक्षा के दौरान, लेखा परीक्षकों को ऐसे मामले देखने को मिल सकते हैं, जहां खाते में लेनदेन या दस्तावेज़, खाते में धोखाधड़ी वाले लेनदेन का संकेत देते हों। ऐसी स्थिति में, लेखा परीक्षक को यह तुरंत वरिष्ठ प्रबंधन और यदि आवश्यक हो, तो उचित कार्रवाई के लिए पात्र एनबीएफसी के बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) के संज्ञान में लाना चाहिए। 7.3.2 पात्र एनबीएफसी आंतरिक लेखापरीक्षा में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम, पहचान, वर्गीकरण, निगरानी, रिपोर्टिंग, बंद करने और मामला वापस लेने में शामिल नियंत्रण और प्रक्रियाओं को कवर करेंगे, और साथ ही पात्र एनबीएफसी के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे में महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में देखी गई कमजोरियों को भी कवर करेंगे36। 7.4 धोखाधड़ी की ‘घटना की तिथि’, ‘पहचान की तिथि’ और ‘वर्गीकरण की तिथि’ – एफएमआर के तहत रिपोर्टिंग के उद्देश्य से 7.4.1 'घटना की तिथि’ वह तारीख है जब धन का वास्तविक दुर्विनियोजन होना शुरू हुआ है, या घटना घटित हुई है, जैसा कि लेखापरीक्षा या अन्य निष्कर्षों में साक्ष्य हैं/रिपोर्ट किया गया है। 7.4.2 एफएमआर में रिपोर्ट की जाने वाली ‘पहचान की तिथि’ वह वास्तविक तिथि है जब संबंधित शाखा / लेखा परीक्षा / विभाग, जो भी हो, में धोखाधड़ी सामने आई, न कि पात्र एनबीएफसी के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदन की तिथि। 7.4.3 ‘वर्गीकरण की तिथि’ वह तिथि है जब ऐसे वर्गीकरण के लिए सक्षम प्राधिकारी से उचित अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया हो तथा तर्कसंगत आदेश पारित कर दिया गया हो। अध्याय VIII37 8. चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के मामलों की रिपोर्टिंग 8.1 पात्र एनबीएफसी को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट (प्रयास किए गए मामलों सहित) की घटनाओं की सूचना38 धोखाधड़ी निगरानी समूह (एफएमजी), पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक को, घटना के तुरंत बाद (अधिकतम सात दिनों के भीतर) देनी होगी। 8.2 पात्र एनबीएफसी को ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके आरबीआई को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के संबंध में तिमाही विवरणी (आरबीआर) भी प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें तिमाही के दौरान घटित हुए ऐसे सभी मामले शामिल होंगे। इसे संबंधित तिमाही के अंत से 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना होगा। इन निदेशों के जारी होने के साथ ही, परिशिष्ट में सूचीबद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिपत्रों में निहित निदेश/दिशानिर्देश निरस्त हो गए हैं, क्योंकि उनकी विषय-वस्तु को मास्टर निदेशों में शामिल कर लिया गया है। इन परिपत्रों में निहित सभी निदेश/दिशानिर्देश इन निदेशों के अंतर्गत दिए गए हैं, ऐसा माना जाएगा। निरस्त किये गये परिपत्रों की सूची
1 कृपया 22 अक्टूबर 2021 के ‘स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर): एनबीएफसी के लिए संशोधित नियामक ढांचा’ पर रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देश देखें। 2 तत्काल पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के 31 मार्च को लेखापरीक्षित तुलन पत्र के अनुसार आस्ति का आकार। 3 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45 I(एफ) में परिभाषित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी। 4 आवास वित्त कम्पनियां हमेशा की तरह धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट एनएचबी को देंगी। 5 पात्र एनबीएफसी के निदेशक मंडल। 6 नीति में अन्य बातों के साथ-साथ धोखाधड़ी की रोकथाम, शीघ्र पता लगाने, जांच, कर्मचारियों की जवाबदेही, निगरानी, वसूली और रिपोर्टिंग के उपाय शामिल होंगे। 7 कृपया भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य तथा संबंधित मामलों में सिविल अपील संख्या 7300/2022 पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 मार्च 2023 के निर्णय का संदर्भ लें, जिसे विविध आवेदन संख्या 810/2023 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित दिनांक 12 मई 2023 के आदेश के साथ पढ़ें, जो विशेष रूप से नोटिस देने, व्यक्तियों/इकाईओं को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का अवसर देने तथा एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने के संबंध में है। रिट याचिका (एल) संख्या 20751/2023 में माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के दिनांक 7 अगस्त, 2023 के आदेश तथा विशेष सिविल आवेदन संख्या 12000/2021 तथा संबंधित मामलों में माननीय गुजरात उच्च न्यायालय के दिनांक 31 अगस्त 2023 के आदेशों का संदर्भ लिया जाएगा। 8 इसमें तृतीय पक्ष सेवा प्रदाता और पेशेवर जैसे आर्किटेक्ट, मूल्यांकनकर्ता, चार्टर्ड अकाउंटेंट, अधिवक्ता आदि शामिल हैं। 9 चूंकि गैर-पूर्णकालिक निदेशक (जैसे नामित निदेशक और स्वतंत्र निदेशक) सामान्यतः कंपनी के कारोबार के संचालन के लिए प्रभारी या कंपनी के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं, इसलिए पात्र एनबीएफसी इन निदेशों के अंतर्गत ऐसे निदेशकों के विरुद्ध कार्यवाही करने से पहले इस बात को ध्यान में रख सकती हैं। 10 जहां मुख्य कार्यपालक अधिकारी पूर्णकालिक निदेशक नहीं है, वहां प्रबंध निदेशक। 11 कृपया 22 अक्टूबर 2021 को ‘स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर): एनबीएफसी के लिए संशोधित नियामक ढांचा’ पर रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देश देखें। 12 कवरेज में अन्य बातों के अलावा धोखाधड़ी की श्रेणियां/प्रवृत्ति, धोखाधड़ी का उद्योग/क्षेत्रीय/भौगोलिक संकेन्द्रण, धोखाधड़ी का पता लगाने/वर्गीकरण में देरी तथा स्टाफ जवाबदेही की जांच/निष्कर्ष में देरी आदि शामिल हो सकते हैं। 13 अर्थात् रोकथाम, शीघ्र पहचान करना, जांच, कर्मचारियों की जवाबदेही, निगरानी, वसूली, विश्लेषण और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग आदि तथा बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अंतर्गत अन्य संबंधित पहलू। 14 अध्याय III के अंतर्गत निर्धारित निदेश केवल अपर और मिडिल लेयर की एनबीएफसी पर लागू होंगे। 15 अर्थात् जोखिम प्रबंधन समिति या समान कार्य करने वाली कोई अन्य समिति। 16 अर्थात् पैरा 3.3 के अंतर्गत शामिल लेनदेन के अलावा। 17 या संभावित धोखाधड़ी की रोकथाम/पहचान करने में ईडब्ल्यूएस प्रणाली के परिणाम की प्रभावशीलता से समझौता किए बिना न्यूनतम समय अंतराल के साथ। 18 लेखापरीक्षक जो प्रासंगिक क़ानूनों के अंतर्गत लेखापरीक्षा करने के लिए योग्य हों। 19 पात्र एनबीएफसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत / घोषित करने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का सख्ती से पालन किया जाए (कृपया पैरा 2.1 देखें)। 20 कृपया भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य तथा संबंधित मामलों में सिविल अपील संख्या 7300/2022 पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 मार्च 2023 के निर्णय का संदर्भ लें, जिसे विविध आवेदन संख्या 810/2023 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित दिनांक 12 मई 2023 के आदेश के साथ पढ़ें, जो विशेष रूप से नोटिस देने, व्यक्तियों/इकाईओं को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का अवसर देने तथा एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने के संबंध में है। रिट याचिका (एल) संख्या 20751/2023 में माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के दिनांक 7 अगस्त, 2023 के आदेश तथा विशेष सिविल आवेदन संख्या 12000/2021 तथा संबंधित मामलों में माननीय गुजरात उच्च न्यायालय के दिनांक 31 अगस्त 2023 के आदेशों का संदर्भ लिया जाएगा (कृपया उक्त पैरा 2.1 का संदर्भ लें)। 21 सीवीसी द्वारा जारी एबीबीएफएफ का संदर्भ लेने के लिए 15 सितंबर 2021 की मानक संचालन प्रक्रिया में सूचीबद्ध अनुसार। 22 कृपया समय-समय पर अद्यतन किए गए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा जारी सतर्कता मैनुअल, सीवीसी कार्यालय आदेश संख्या 02/01/22 दिनांक 06 जनवरी 2022 और सीवीसी कार्यालय आदेश संख्या 10/03/22 दिनांक 14 मार्च 2022 देखें। 23 ऐसे कार्यपालक बोर्ड/एसीबी/एससीबीएमएफ की बैठक में भाग नहीं लेंगे जिसमें उनकी जवाबदेही पर विचार किया जाना हो। 24 (क) यदि यह एक इकाई है, तो एक अन्य इकाई को इसके साथ संबद्ध माना जाएगा, यदि वह इकाई (i) कंपनी अधिनियम, 2013 के खंड 2 (87) के तहत परिभाषित एक सहायक कंपनी है या (ii) कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के खंड (6) के तहत एक 'संयुक्त उद्यम' या 'सहयोगी कंपनी' की परिभाषा के अंतर्गत आती है। 25 आरबीआई द्वारा जारी दिनांक 7 जून 2019 का ‘दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा’ (समय-समय पर संशोधित)। 26 अध्याय VI के तहत निर्धारित रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ एचएफ़सी पर लागू नहीं होती हैं। उन्हें एनएचबी द्वारा निर्धारित तरीके और विवरणी/प्रारूप में एनएचबी को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट करनी होगी। 27 एफएमआर का अद्यतन एफएमआर अपडेट एप्लीकेशन (एफयूए) के माध्यम से प्रदान किया जाएगा। 28 जैसा कि पैरा 7.4.3 के तहत परिभाषित किया गया है। 29 समूह संस्थाओं से तात्पर्य घरेलू और विदेशी सहायक कंपनियों, सम्बद्ध कंपनियों, संयुक्त उद्यमों आदि से है, जैसा कि लागू लेखांकन मानकों के तहत परिभाषित किया गया है, चाहे वे वित्तीय और गैर-वित्तीय सेवाओं में लगे हों। 30 हालाँकि, एफएमआर केवल ई-मेल (fmgconbfc@rbi.org.in) के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। 32 धोखाधड़ी की सूचना देने में देरी, तथा इसके परिणामस्वरूप अन्य एनबीएफसी को सचेत करने में देरी के परिणामस्वरूप अन्यत्र भी इसी प्रकार की धोखाधड़ी हो सकती है। 33 समय-समय पर अद्यतन किए गए मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 (संदर्भ: डीओआर.एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22 दिनांक 24 सितंबर 2021) का संदर्भ लें। 34 ऐसे मामलों में जहां खाते एआरसी को बेचे जाते हैं, पात्र एनबीएफसी को संबंधित एआरसी से समय-समय पर अपेक्षित जानकारी प्राप्त करके आरबीआई/एनएचबी को ऐसे खातों में बाद के घटनाक्रमों की रिपोर्ट करना जारी रखना होगा। 35 एचएफ़सी एनएचबी को रिपोर्ट करेंगे। 36 इसमें रिपोर्टिंग में देरी, गैर-रिपोर्टिंग, स्टाफ जवाबदेही परीक्षा का संचालन, विवेकपूर्ण प्रावधान आदि शामिल हैं। 37 अध्याय VIII के तहत निर्धारित रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ एचएफसी पर लागू नहीं होती हैं। उन्हें एनएचबी को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट की घटनाओं की रिपोर्ट एनएचबी द्वारा निर्धारित तरीके और विवरणी/प्रारूप में करनी होगी। 38 निर्धारित प्रारूप में 'बैंक डकैती, चोरी आदि पर रिपोर्ट (आरबीआर) ई-मेल के माध्यम से (fmgconbfc@rbi.org.in) पर |