RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

110643232

शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) / राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) / केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश

भारिबैं/प.वि.कें.का/2024-25/119
प.वि.कें.का.एफ़एमजी.एसईसी.सं.6/23.04.001/2024-25

जुलाई 15, 2024

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
सभी राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी) और
केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी)

महोदया/महोदय,

शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) / राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) / केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश

कृपया संलग्न अनुलग्नक के रूप में बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 21 और धारा 35 ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (यूसीबी / एसटीसीबी / सीसीबी में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन) निदेश, 2024 देखें। ये निदेश इस विषय पर पहले जारी किए गए निदेशों, अर्थात् 1 जुलाई, 2015 के मास्टर परिपत्र - 'वर्गीकरण और रिपोर्टिंग' (डीसीबीआर.कें.का.बीपीडी.एमसी.सं.1 / 12.05.001/2015-16) को अधिक्रमित करेंगे।

भवदीय

(रजनीश कुमार)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न: यथोक्त


अनुलग्नक

शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) / राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) / केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश (एमडी)

विषय-वस्तु
परिचय
अध्याय I
1.1 संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
1.2 प्रयोज्यता
1.3. उद्देश्य
अध्याय II
2. धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के लिए यूसीबी/एसटीसीबी/सीसीबी में अभिशासन संरचना
अध्याय III
3. धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए प्रारंभिक चेतावनी संकेतों की रूपरेखा
अध्याय IV
4.1 ऋण सुविधा/ऋण खाता/अन्य बैंकिंग लेनदेन- धोखाधड़ी गतिविधियों का संकेत
4.2 पेशेवरों सहित तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं से स्वतंत्र पुष्टि
4.3 स्टाफ की जवाबदेही
4.4 दंडात्मक उपाय
4.5 समाधान के अंतर्गत खातों के साथ संव्यवहार
अध्याय V
5. विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग
अध्याय VI
6.1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग
6.2 आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग की पद्धति
6.3 आरबीआई को रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना
अध्याय VII
7. चेक संबंधी धोखाधड़ी - एलईए और आरबीआई/नाबार्ड को रिपोर्टिंग
अध्याय VIII
8. अन्य अनुदेश
8.1 बड़े मूल्य के ऋण खातों के संबंध में स्वत्वाधिकार दस्तावेजों की विधिक लेखा-परीक्षा
8.2 धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और अन्य उधारदाताओं / आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को बेचे गए खातों के साथ संव्यवहार
8.3 लेखा परीक्षकों की भूमिका
8.4 धोखाधड़ी की 'घटना की तिथि', 'पता लगाने की तिथि' और 'वर्गीकरण की तिथि' - एफएमआर के तहत रिपोर्टिंग के उद्देश्य से
अध्याय IX
9. चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूटपाट के मामलों की रिपोर्टिंग
अध्याय X
10. निरसन

परिचय

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 21 और धारा 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से आश्वस्त होते हुए कि ऐसा करना जनहित में तथा बैंकिंग नीति के हित में आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा निर्दिष्ट निदेश जारी करता है।

अध्याय I

1.1 संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ

इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (यूसीबी/एसटीसीबी/सीसीबी में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन) निदेश, 2024 कहा जाएगा।

1.2 प्रयोज्यता

इन निदेशों के प्रावधान, जब तक अन्यथा ऐसी व्यवस्था न की गई हो, सभी शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) और ग्रामीण सहकारी बैंकों यानी राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) पर लागू होंगे, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाइसेंस दिया गया है या अनुमति दी गई है। इन निदेशों के प्रयोजन के लिए ऐसे सहकारी बैंकों को सामूहिक रूप से 'सहकारी बैंक' कहा जाएगा।

1.3 उद्देश्य

ये निदेश सहकारी बैंकों को धोखाधड़ी की घटनाओं की रोकथाम, शीघ्र पहचान और विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और नाबार्ड1 को समय पर रिपोर्ट करने तथा आरबीआई द्वारा सूचना के प्रसार और उससे संबंधित या प्रासंगिक मामलों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।

अध्याय II

2. धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के लिए सहकारी बैंकों में अभिशासन संरचना

2.1 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर बोर्ड2 द्वारा अनुमोदित नीति3 होगी जिसमें बोर्ड/बोर्ड समितियों और सहकारी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन की भूमिका और जिम्मेदारियों को निरूपित किया जाएगा। नीति में समयबद्ध तरीके से नैसर्गिक न्याय4  के सिद्धांतों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उपायों को भी शामिल किया जाएगा, जिसमें कम से कम निम्नलिखित शामिल होंगे:

2.1.1 उन व्यक्तियों5, इकाईओं और उनके प्रवर्तकों/पूर्णकालिक और कार्यपालक निदेशकों को जिनके विरुद्ध धोखाधड़ी के आरोप की जांच की जा रही है, विस्तृत कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी करना6। कारण बताओ नोटिस में लेनदेनों/गतिविधियों/घटनाओं का पूरा विवरण प्रदान किया जाएगा, जिनके आधार पर इन निदेशों के अंतर्गत धोखाधड़ी की घोषणा और रिपोर्टिंग पर विचार किया जा रहा है।

2.1.2 जिन व्यक्तियों/इकाईओं को एससीएन जारी किया गया है, उन्हें एससीएन का जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिन का उचित समय प्रदान किया जाएगा।

2.1.3 सहकारी बैंकों के पास एससीएन जारी करने तथा ऐसे व्यक्तियों/इकाईओं को धोखाधड़ीपूर्ण घोषित करने से पहले उनके द्वारा दिए गए जवाबों/प्रस्तुतियों की जांच करने के लिए एक सुव्यवस्थित सिस्टम होगा।

2.1.4 सहकारी बैंकों द्वारा खाते को धोखाधड़ी या अन्यथा घोषित करने/वर्गीकृत करने के संबंध में लिए गए निर्णय से अवगत कराने के लिए एक तर्कपूर्ण आदेश व्यक्तियों/इकाईओं को दिया जाएगा। ऐसे आदेशों में प्रासंगिक तथ्य/परिस्थितियां, एससीएन के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए अभिकथन और धोखाधड़ी या अन्यथा के रूप में वर्गीकृत करने के कारण शामिल होने चाहिए।

2.2 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति की समीक्षा बोर्ड द्वारा तीन साल में कम से कम एक बार, या अधिक बार, जैसा बोर्ड द्वारा निर्धारित हो, के अनुसार की जाएगी।

2.3 धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बोर्ड की विशेष समिति:

2.3.1 सहकारी बैंक बोर्ड की एक समिति का गठन करेंगे, जिसे 'धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बोर्ड की विशेष समिति' (एससीबीएमएफ) के रूप में जाना जाएगा, जिसमें बोर्ड के कम से कम तीन सदस्य होंगे, जिसमें मुख्य कार्यपालक अधिकारी और दो निदेशक7 होंगे। समिति का नेतृत्व निदेशकों में से एक करेंगे। विनियामक उद्देश्यों8 के लिए टियर 1 और 2 के रूप में वर्गीकृत यूसीबी और 1000 करोड़9 रुपये से कम जमा वाले एसटीसीबी/सीसीबी के पास न्यूनतम तीन सदस्यों के साथ अधिकारियों की एक समिति (सीओई) गठित करने का विकल्प होगा, जिनमें से कम से कम एक मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा, जो इन निदेशों के तहत एससीबीएमएफ की भूमिका और उत्तरदायित्वों को निभाने के उद्देश्य से होगा।   

2.3.2 एससीबीएमएफ सहकारी बैंक में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन की प्रभावकारिता का जायज़ा रखेगा। एससीबीएमएफ मूल कारण विश्लेषण सहित धोखाधड़ी के मामलों की समीक्षा और निगरानी करेगा तथा आंतरिक नियंत्रणों, जोखिम प्रबंधन ढांचे को सुदृढ़ करने और धोखाधड़ियों की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए शमन उपायों का सुझाव देगा।ऐसी समीक्षाओं के कवरेज10 और आवधिकता का निर्णय सहकारी बैंक के बोर्ड द्वारा किया जाएगा।

2.4 वरिष्ठ प्रबंधन सहकारी बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी होगा। सहकारी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा धोखाधड़ी की घटनाओं की आवधिक समीक्षा भी बोर्ड / बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) के समक्ष रखी जाएगी।

2.5 सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए एक पारदर्शी तंत्र स्थापित करेंगे कि खातों में संभावित धोखाधड़ी के मामलों / संदिग्ध गतिविधियों पर मुखबिर (व्हिसल ब्लोअर) शिकायतों की जांच की जाए और अपनी मुखबिर (व्हिसल ब्लोअर) नीति के तहत उचित रूप से निष्कर्ष निकाला जाए।

2.6 सहकारी बैंक अपने समग्र जोखिम प्रबंधन कार्यों/विभागों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन11 के संस्थानीकरण के लिए एक उपयुक्त संगठनात्मक संरचना स्थापित करेंगे। धोखाधड़ी की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए उपयुक्त वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार होगा।

अध्याय III12

3.1 धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए प्रारंभिक चेतावनी संकेतों के लिए रूपरेखा

3.1.1 टियर 3 और 4 के रूप में वर्गीकृत यूसीबी और 1000 करोड़ रुपये से अधिक जमाराशि वाले एसटीसीबी/सीसीबी (अर्थात इस अध्याय के प्रयोजन के लिए लागू सहकारी बैंक) के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित समग्र धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के तहत प्रारंभिक चेतावनी संकेतों (ईडब्ल्यूएस) के लिए एक रूपरेखा होगी।

3.1.2 एक बोर्ड स्तरीय समिति13 ईडब्ल्यूएस के लिए ढांचे की प्रभावकारिता की देखरेख करेगी। वरिष्ठ प्रबंधन पात्र सहकारी बैंक के भीतर ईडब्ल्यूएस के लिए एक मजबूत ढांचे के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा।

3.1.3 पात्र सहकारी बैंक ऋण सुविधाओं/ऋण खातों और अन्य बैंकिंग लेन-देन की निगरानी के लिए उचित प्रारंभिक चेतावनी संकेतकों की पहचान करेंगे। इन संकेतकों की प्रभावकारिता के लिए समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। एक या अधिक ईडब्ल्यूएस संकेतकों की उपस्थिति से उत्पन्न धोखाधड़ी की गतिविधि का संदेह संभावित धोखाधड़ी के कोण से गहन जांच और निवारक उपाय शुरू करने के लिए सतर्क/ट्रिगर करेगा।

3.1.4 ईडब्ल्यूएस ढांचा बोर्ड स्तरीय समिति के निदेशों के अनुसार उपयुक्त सत्यापन के अधीन होगा ताकि इसकी सत्यनिष्ठा, मजबूती और परिणामों की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

3.2 ईडब्ल्यूएस फ्रेमवर्क में अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित प्रावधान होंगे:

(i) एक मजबूत ईडब्ल्यूएस सिस्टम जो कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) या अन्य परिचालन प्रणालियों के साथ एकीकृत है; (ii) ईडब्ल्यूएस सिस्टम से ट्रिगर्स/अलर्ट पर समय पर निदानात्मक कार्रवाई की शुरुआत; और (iii) ऋण स्वीकृति और निगरानी प्रक्रियाओं, आंतरिक नियंत्रण और प्रणालियों की आवधिक समीक्षा।

3.3 ऋण सुविधाओं / ऋण खातों के लिए ईडबल्यूएस ढांचा

3.3.1 ईडब्ल्यूएस सिस्टम व्यापक होगा और इसमें मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों संकेतक शामिल होंगे, ताकि ढांचा मजबूत और प्रभावी हो सके। ईडब्ल्यूएस सिस्टम द्वारा शामिल किए जाने वाले व्यापक संकेतक, उदाहरण के तौर पर खातों के लेन-देन संबंधी डेटा, उधारकर्ताओं के वित्तीय प्रदर्शन, बाजार आसूचना, उधारकर्ताओं के आचरण आदि पर आधारित हो सकते हैं।

3.3.2 ईडब्ल्यूएस अलर्ट/ट्रिगर का उत्पन्न होना यह तय करेगा कि क्या खाते की संभावित धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जांच की आवश्यकता है।

3.4 अन्य बैंकिंग/गैर-ऋण संबंधी लेनदेनों14 के लिए ईडब्ल्यूएस ढांचा

3.4.1 पात्र सहकारी बैंक अन्य बैंकिंग/गैर-क्रेडिट संबंधी लेन-देन की निगरानी के लिए उपयुक्त संकेतकों की पहचान करके और उन्हें अपने ईडब्ल्यूएस सिस्टम में पैरामीटराइज़ करके अपने ईडब्ल्यूएस सिस्टम को विकसित/मजबूत करेंगे। पात्र सहकारी बैंक ईडब्ल्यूएस सिस्टम की सत्यता और मजबूती को बढ़ाने, अन्य बैंकिंग/गैर-क्रेडिट संबंधित लेन-देन की कुशलतापूर्वक निगरानी करने और बैंकिंग चैनल के माध्यम से धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए ईडब्ल्यूएस सिस्टम को लगातार अपग्रेड करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, ईडब्ल्यूएस सिस्टम की प्रभावकारिता का समय-समय पर परीक्षण किया जाएगा।

3.4.2 ईडब्ल्यूएस सिस्टम का डिजाइन और विशिष्टताएँ मजबूत और लचीली होंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिस्टम की अखंडता बनी रहे, ग्राहकों के व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा सुरक्षित हों और संभावित धोखाधड़ी की रोकथाम/पहचान के लिए लेनदेन की निगरानी वास्तविक समय के आधार पर15 हो। पात्र सहकारी बैंक लेनदेन/असामान्य गतिविधियों, विशेष रूप से गैर-केवाईसी अनुपालक और मनी म्यूल  खातों आदि की निगरानी में सतर्क रहेंगे, ताकि अनधिकृत / धोखाधड़ी वाले लेनदेन को नियंत्रित किया जा सके और बैंकिंग / वित्तीय चैनल के दुरुपयोग को रोका जा सके।

3.4.3 पात्र सहकारी बैंकों में समर्पित एमआईएस इकाई या अन्य एनालिटिक्स सेटअप डिजिटल प्लेटफार्मों / एप्लिकेशन्स के माध्यम से किए गए लेनदेन सहित वित्तीय लेनदेन की व्यापक निगरानी और विश्लेषण करेगा, ताकि असामान्य पैटर्न और गतिविधियों की पहचान की जा सके जो धोखाधड़ी गतिविधियों की रोकथाम की दिशा में उचित उपाय शुरू करने के लिए पात्र सहकारी बैंकों को समय पर सतर्क कर सके।

3.5 पात्र सहकारी बैंकों को इन निदेशों के जारी होने की तिथि से छह महीने के भीतर लागू करना होगा अथवा अपने मौजूदा ईडब्ल्यूएस सिस्टम को उपयुक्त रूप से अपग्रेड करना होगा।

अध्याय IV

4. ऋण सुविधा / ऋण खाता / अन्य बैंकिंग लेनदेन - धोखाधड़ी गतिविधियों का संकेत

सहकारी बैंक ऋण सुविधा/ऋण खाता/अन्य बैंकिंग लेनदेन की गतिविधियों पर नजर रखेंगे तथा उन गतिविधियों के प्रति सतर्क रहेंगे जो संभावित रूप से धोखाधड़ीपूर्ण हो सकती हैं।

4.1 ऐसे मामलों में जहां गलत कार्य या धोखाधड़ी गतिविधि का संदेह/संकेत मिलता है, सहकारी बैंक ऐसे खातों में आगे की जांच के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार बाह्य लेखा परीक्षा16 या आंतरिक लेखा परीक्षा का उपयोग करेंगे।

4.1.1 सहकारी बैंक बाह्य लेखापरीक्षकों की नियुक्ति पर एक नीति तैयार करेंगे जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ समुचित सावधानी, सक्षमता और लेखा परीक्षकों के ट्रैक रिकॉर्ड जैसे पहलू शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, लेखापरीक्षकों के साथ अनुबंध करार में, अन्यबातोंकेसाथ-साथ, बोर्ड द्वारा यथा अनुमोदित विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर लेखा परीक्षा को पूरा करने और सहकारी बैंकों को लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय-सीमा के संबंध में उपयुक्त खण्ड निहित होंगे।

4.1.2 उधारकर्ता के साथ ऋण करार में ऋणदाता (ओं) के कहने पर ऐसी लेखा-परीक्षा करने के लिए खंड शामिल होंगे। ऐसे मामलों में जहां प्रस्तुत लेखापरीक्षा रिपोर्ट अनिर्णायक रहती है या उधारकर्ता द्वारा असहयोग के कारण विलंबित होती है, सहकारी बैंक खाते की स्थिति को धोखाधड़ी के रूप में या अन्यथा उनके रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री और ऐसे मामलों17 में अपनी आंतरिक जांच/मूल्यांकन के आधार पर निष्कर्ष निकालेंगे।

4.1.3 सहकारी बैंक (एकल ऋण, बहु-बैंकिंग व्यवस्था या संघीय ऋण) यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत / घोषित करने से पहले नैसर्गिक न्याय18 के सिद्धांतों का कड़ाई से पालन किया गया है।

4.1.4 यदि किसी सहकारी बैंक द्वारा किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में पहचाना जाता है, तो अन्य समूह कंपनियों के उधार खाते, जिनमें एक या एक से अधिक प्रवर्तक/पूर्णकालिक निदेशक समान हैं, को भी इन निदेशों के तहत धोखाधड़ी की दृष्टि से संबंधित सहकारी बैंकों द्वारा जांच के अधीन किया जाएगा।

4.1.5 ऐसे मामलों में जहां विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) ने उधारकर्ता खाते से संबंधित जांच स्वतः ही शुरू कर दी है, सहकारी बैंक अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार तथा पैरा 2.1 में दी गई प्रक्रिया के अनुरूप खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया का पालन करेंगे।

4.2 पेशेवरों सहित तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं से स्वतंत्र पुष्टि

सहकारी बैंक स्वीकृति-पूर्व मूल्यांकन और स्वीकृति-पश्च निगरानी के लिए विभिन्न तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं पर निर्भर रहते हैं। इसलिए, सहकारी बैंक तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं के साथ अपने करारों में आवश्यक नियम और शर्तें शामिल कर सकते हैं, ताकि उन स्थितियों में उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सके, जहाँ उनकी ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही/कदाचार के कारण धोखाधड़ी होती है।

4.3 स्टाफ की जवाबदेही

4.3.1 सहकारी बैंकों को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार सभी धोखाधड़ी मामलों में स्टाफ की जवाबदेही की जांच समयबद्ध तरीके से शुरू करनी होगी और पूरी करनी होगी।

4.3.2 सहकारी बैंकों के अति वरिष्ठ कार्यपालकों (एमडी एवं सीईओ/मुख्य कार्यपालक अधिकारी/समकक्ष रैंक के कार्यपालक)19 से जुड़े मामलों में, एसीबी उनकी जवाबदेही की जांच करेगी और इसे बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करेगी।  

4.4 दंडात्मक उपाय

4.4.1 सहकारी बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और रिपोर्ट किए गए व्यक्ति/इकाइयाँ तथा ऐसी इकाईओं से संबद्ध संस्थाएं और व्यक्तिऔं20 पर धोखाधड़ी की राशि/ समझौता समाधान के मामले में निपटान राशि के पूर्ण पुनर्भुगतान की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए आरबीआई द्वारा विनियमित वित्तीय इकाईओं से धन जुटाने और/या अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाएगी।

4.4.2 ऐसे व्यक्तियों/इकाईओं को ऋण देना वाणिज्यिक निर्णय है, अतः ऋण देने वाले सहकारी बैंकों को पैरा 4.4.1 में उल्लिखित अनिवार्य कूलिंग अवधि की समाप्ति के बाद ऋण सुविधाओं के लिए ऐसे अनुरोधों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का पूर्ण विवेकाधिकार होगा।  

4.5 समाधान के अंतर्गत खातों के साथ संव्यवहार

4.5.1 यदि धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किसी इकाई का बाद में आईबीसी के तहत या आरबीआई के समाधान ढांचे21 के तहत समाधान किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप इकाई / व्यावसायिक उद्यम के प्रबंधन और नियंत्रण में बदलाव हुआ है, तो सहकारी बैंक यह जांच करेगा कि क्या इकाई को तब भी धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया जाता रहेगा या आईबीसी या पूर्वोक्त विवेकपूर्ण ढांचे के तहत समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकरण हटाया जा सकता है। हालांकि, यह पूर्ववर्ती प्रवर्तकों/निदेशक(कों)/व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई को बाधित किए बिना होगा, जो इकाई / व्यावसायिक उद्यम के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रभारी और जिम्मेदार थे।

4.5.2 पैरा 4.4 में वर्णित दंडात्मक उपाय आईबीसी या पूर्वोक्त विवेकपूर्ण ढांचे के अंतर्गत समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद इकाईओं/व्यावसायिक उद्यमों पर लागू नहीं होंगे।

4.5.3 पैरा 4.4 में वर्णित दंडात्मक उपाय पूर्ववर्ती प्रमोटरों/निदेशकों/व्यक्तियों पर लागू होते रहेंगे, जो इकाई/व्यावसायिक उद्यम के मामलों के प्रबंधन के प्रभारी और जिम्मेदार थे।

अध्याय V

5. विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग

5.1 लागू कानूनों के अधीन, सहकारी बैंक धोखाधड़ी की घटनाओं को तुरंत उचित एलईए अर्थात राज्य पुलिस प्राधिकरणों आदि को रिपोर्ट करेंगे।

5.2 सहकारी बैंकों को धोखाधड़ी की घटनाओं की सूचना एलईए को देने तथा एलईए की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित समन्वय हेतु उपयुक्त नोडल बिंदु/नामित अधिकारी स्थापित करना होगा।

अध्याय VI22

6.1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग

ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके धोखाधड़ी निगरानी विवरणी (एफएमआर) के माध्यम से आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं को रिपोर्ट करते समय एकरूपता और संगतता सुनिश्चित करने के लिए, शहरी सहकारी बैंक निम्नलिखित में से किसी एक सबसे उपयुक्त श्रेणी का चयन करेंगे:

  1. धन का दुरुपयोग और आपराधिक न्यास-भंग;
  2. जाली दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी-पूर्ण नकदीकरण;
  3. लेखा पुस्तकों में हेर-फेर करना या अवास्तविक खातों के माध्यम से और संपत्ति का रूपांतरण करना;
  4. किसी व्यक्ति को धोखा देने के इरादे से तथ्यों को छिपाकर धोखाधड़ी करना और प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी करना;
  5. कोई झूठा दस्तावेज़/इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाकर धोखाधड़ी करने के इरादे से जालसाजी;
  6. धोखाधड़ी के इरादे से किसी भी लेखा, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, कागज, लेखन, मूल्यवान प्रतिभूति या खाते का मिथ्याकरण, विनाश, परिवर्तन, विकृत करना;
  7. अवैध परितोष के लिए धोखाधड़ीपूर्ण ऋण सुविधाएं प्रदान करना;
  8. धोखाधड़ी के कारण नकदी की कमी;
  9. विदेशी मुद्रा से जुड़े धोखाधड़ी वाले लेनदेन;
  10. शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी वाले इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग/डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन; तथा
  11. अन्य प्रकार की धोखाधड़ी गतिविधि जो उपर्युक्त में से किसी के अंतर्गत कवर नहीं हुई हो।

6.2 आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग की पद्धति

6.2.1 शहरी सहकारी बैंकों को प्रत्येक धोखाधड़ी के मामलों में, इसमें शामिल राशि के निरपेक्ष, एफएमआर23 को घटना/खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किए जाने के तत्काल बाद किन्तु वर्गीकृत किए जाने की तिथि24 से 14 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना होगा।

6.2.2 शहरी सहकारी बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों को आरबीआई को रिपोर्ट करने के लिए इन मास्टर निदेशों में निर्धारित समय-सीमा का पालन करना होगा25। शहरी सहकारी बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों की पहचान करने और आरबीआई को रिपोर्ट करने में देरी के लिए कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। 

6.2.3 धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते समय, शहरी सहकारी बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो व्यक्ति/इकाइयाँ धोखाधड़ी में शामिल/संबद्ध नहीं हैं, उनके बारे में एफएमआर में रिपोर्ट नहीं की जाए।

6.2.4 शहरी सहकारी बैंक, असाधारण परिस्थितियों में, एफएमआर वापस ले सकते हैं / एफएमआर से दोषियों के नाम हटा सकते हैं। हालांकि, रिपोर्ट वापस लेने/नाम हटाने का काम उचित कारण बताकर और कम से कम निदेशक रैंक के अधिकारी की मंजूरी से किया जाएगा।  

6.3 आरबीआई को रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना

6.3.1 जिस भी मामले में निम्नलिखित कार्रवाइयां पूरी हो गई हों, शहरी सहकारी बैंकों को ‘क्लोजर मॉड्यूल’ का उपयोग करके धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना होगा:

  1. एलईए/न्यायालय में लंबित धोखाधड़ी के मामलों का निपटारा कर दिया गया हो; और
  2. स्टाफ की जवाबदेही की जांच पूरी हो गई हो।

6.3.2 रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी के सभी बंद मामलों में, शहरी सहकारी बैंकों को लेखा परीक्षकों द्वारा जांच के लिए ऐसे मामलों का विवरण रखना होगा।  

अध्याय VII

7. चेक से संबंधित धोखाधड़ी – एलईए और आरबीआई/नाबार्ड को रिपोर्ट करना26

7.1 एकरूपता सुनिश्चित करने और दोहराव से बचने के लिए, जाली लिखतों के संबंध में धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग, जिसमें ट्रंकेटेड लिखतों के संबंध में भेजे गए नकली/जाली लिखतों सहित, भुगतान करने वाले बैंकर द्वारा की जाती रहेगी, प्रस्तुत करने वाले बैंकर द्वारा नहीं। ऐसे मामलों में प्रस्तुत करने वाला सहकारी बैंक, अंतर्निहित लिखतों को अदाकर्ता/भुगतान करने वाले सहकारी बैंक, जब भी मांगे, को तुरंत सौंप देगा, ताकि वह जांच और कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए एलईए को सूचित कर सकें और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग आरबीआई को कर सके।

7.2 हालांकि, ऐसे लिखत की प्रस्तुति के मामले में जो प्रामाणिक है, लेकिन भुगतान ऐसे व्यक्ति को किया गया है जो असली मालिक नहीं है; या जहां राशि वसूली से पहले जमा कर दी गई है और बाद में लिखत नकली/जाली पाया जाता है और भुगतान करने वाले सहकारी बैंक द्वारा वापस कर दिया जाता है, प्रस्तुत करने वाला सहकारी बैंक, जो धोखाधड़ी का शिकार हुआ या जिसको लिखत की वसूली से पहले राशि का भुगतान करने से नुकसान हुआ है, आरबीआई के पास धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करेगा और जांच एवं कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए एलईए को सूचित करेगा।

अध्याय VIII

8. अन्य अनुदेश

8.1 बड़े मूल्य के ऋण खातों के संबंध में स्वत्वाधिकार दस्तावेजों की विधिक लेखा परीक्षा

जब तक ऋण पूरी तरह से चुका न दिया जाए, सहकारी बैंक को ₹1 करोड़ और उससे अधिक की सभी ऋण सुविधाओं के संबंध में स्वत्व विलेख और अन्य संबंधित स्वत्वाधिकार दस्तावेजों को समय-समय पर विधिक लेखा परीक्षा और पुनः सत्यापन करना होगा। विधिक लेखा परीक्षा का दायरा और आवधिकता ऊपर खंड 2.1 में संदर्भित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार होंगे।

8.2 धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और अन्य ऋणदाताओं / आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को बेचे गए खातों के साथ संव्यवहार27

ऋण खाता/क्रेडिट सुविधा अन्य ऋणदाताओं/एआरसी को हस्तांतरित करने से पहले सहकारी बैंक को धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जांच पूरी करनी होगी। ऐसे मामलों में जहां सहकारी बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि खाते में धोखाधड़ी की गई है, उन्हें आस्ति को अन्य ऋणदाताओं/एआरसी28 को बेचने से पहले आरबीआई/नाबार्ड29 को इसकी सूचना देनी होगी।

8.3 लेखा परीक्षकों की भूमिका

8.3.1 लेखा परीक्षा के दौरान, लेखा परीक्षकों को ऐसे मामले देखने को मिल सकते हैं, जहां खाते में लेनदेन या दस्तावेज़, खाते में धोखाधड़ी वाले लेनदेन का संकेत देते हों। ऐसी स्थिति में, लेखा परीक्षक को यह तुरंत वरिष्ठ प्रबंधन और यदि आवश्यक हो, तो उचित कार्रवाई के लिए संबंधित सहकारी बैंक के बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) के संज्ञान में लाना चाहिए।

8.3.2 सहकारी बैंक आंतरिक लेखापरीक्षा में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम, पहचान, वर्गीकरण, निगरानी, ​​रिपोर्टिंग, बंद करने और मामला वापस लेने में शामिल नियंत्रण और प्रक्रियाओं को कवर करेंगे और साथ ही पात्र सहकारी बैंक के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे में महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में देखी गई कमजोरियों को भी कवर करेंगे30।  

8.4 धोखाधड़ी की ‘घटना की तिथि’, ‘पहचान की तिथि’ और ‘वर्गीकरण की तिथि’ – एफएमआर के तहत रिपोर्टिंग के उद्देश्य से

8.4.1 'घटना की तिथि' वह तिथि है जब धन का वास्तविक दुर्विनियोजन होना शुरू हुआ है, या घटना घटित हुई है, जैसा कि लेखापरीक्षा या अन्य निष्कर्षों में साक्ष्य हैं/रिपोर्ट किया गया है।

8.4.2 एफएमआर में रिपोर्ट की जाने वाली ‘पहचान की तिथि’ वह वास्तविक तिथि है जब संबंधित शाखा / लेखा परीक्षा / विभाग, जो भी हो, में धोखाधड़ी सामने आई, न कि सहकारी बैंक के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदन की तिथि।

8.4.3 ‘वर्गीकरण की तिथि’ वह तिथि है जब ऐसे वर्गीकरण के लिए सक्षम प्राधिकारी से उचित अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया हो तथा तर्कसंगत आदेश पारित कर दिया गया हो। 

अध्याय IX31

9. चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के मामलों की रिपोर्टिंग

9.1 सहकारी बैंक को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट (प्रयास किए गए मामलों सहित) की घटनाओं की सूचना32 धोखाधड़ी निगरानी समूह (एफएमजी), पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक को, घटना के तुरंत बाद (अधिकतम सात दिनों के भीतर) देनी होगी।

9.2 सहकारी बैंक को ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके आरबीआई को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के संबंध में तिमाही विवरणी (आरबीआर) भी प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें तिमाही के दौरान घटित हुए ऐसे सभी मामले शामिल होंगे। इसे संबंधित तिमाही के अंत से 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना होगा।  

अध्याय X

10. निरसन

इन निदेशों के जारी होने के साथ ही, परिशिष्ट में सूचीबद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिपत्रों में निहित निदेश/दिशानिर्देश निरस्त हो गए हैं, क्योंकि उनकी विषय-वस्तु को मास्टर निदेशों में शामिल कर लिया गया है। इन परिपत्रों में निहित सभी निदेश/दिशानिर्देश इन निदेशों के अंतर्गत दिए गए हैं, ऐसा माना जाएगा।  


परिशिष्ट

निरस्त किए गये परिपत्रों की सूची

क्र.सं. परिपत्र संख्या परिपत्र दिनांक विषय
1. DOS.CO.FMG.No.S402/23.14.019/2022-23 20-05-2022 यूसीबी द्वारा धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग को नए एक्सबीआरएल चरण II लाइव सेटअप में स्थानांतरित करना
2. DCBS.CO.OSS.No.443/18.00.024/2018-19 27-08-2018 एक्सबीआरएल पर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग - एफएमआर 1 प्रस्तुत करना, एफएमआर 2 को बंद करना और एफएमआर - 3 की शुरूआत
3. DCBS.CO.Cir.No.001/12.17.001/2015-16 19-05-2016 यूसीबी में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र में बदलाव

1 राज्य सहकारी बैंक/केंद्रीय सहकारी बैंक धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट अब तक की तरह नाबार्ड को देंगे।

2 सहकारी बैंक का निदेशक मंडल

3 इस नीति में अन्यबातोंकेसाथ-साथधोखाधड़ियों की रोकथाम, शीघ्र पहचान, जांच, स्टाफ की जवाबदेही, निगरानी, वसूली और सूचना देने के उपाय शामिल होंगे।

4 कृपया भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य तथा संबंधित मामलों में सिविल अपील संख्या 7300/2022 पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 मार्च, 2023 के निर्णय का संदर्भ लें, जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विविध आवेदन संख्या 810/2023 में पारित दिनांक 12 मई 2023 के आदेश के साथ पढ़ा जाए, जो विशेष रूप से नोटिस देने, व्यक्तियों/इकाईओं को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का अवसर देने तथा एक तर्कसंगत आदेश पारित करने के संबंध में है। रिट याचिका (एल) संख्या 20751/2023 में माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के दिनांक 7 अगस्त 2023 के आदेश तथा विशेष सिविल आवेदन संख्या 12000/2021 तथा संबंधित मामलों में माननीय गुजरात उच्च न्यायालय के दिनांक 31 अगस्त 2023 के आदेश का संदर्भ लिया जाएगा।

5 इसमें तृतीय पक्ष सेवा प्रदाता और पेशेवर जैसे वास्तुकार, मूल्यांकनकर्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट, अधिवक्ता आदि शामिल हैं।

6 चूंकि गैर-पूर्णकालिक निदेशक (जैसे नामिती निदेशक और स्वतंत्र निदेशक) सामान्यतया कंपनी के कारोबार संचालन के लिए कंपनी के प्रभारी या उसके प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं, सहकारी बैंक इन निदेशों के तहत ऐसे निदेशकों के खिलाफ कार्यवाही करने से पहले इस पर विचार कर सकते हैं।

7 अर्थात् उपयुक्त बैंकिंग अनुभव वाले निदेशक या विधि, लेखा या वित्त के क्षेत्र में प्रासंगिक पेशेवर योग्यता वाले निदेशक।

8 ‘संशोधित विनियामकीय ढांचा – विनियामकीय उद्देश्यों के लिए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) का वर्गीकरण’ परिपत्र संदर्भ विवि.आरईजी.सं.84/07.01.000/2022-23 दिनांक 01 दिसंबर 2022 के माध्यम से जारी किया गया।

9 राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों की जमाराशियों की गणना तत्काल पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष की 31 मार्च के लेखापरीक्षित तुलन-पत्र के अनुसार की जाएगी।

10 कवरेज में, अन्य बातों के साथ-साथ, धोखाधड़ियों की श्रेणियां/प्रवृत्तियां, धोखाधड़ियों का उद्योग/क्षेत्रीय/भौगोलिक केंद्रण, धोखाधड़ियों का पता लगाने/वर्गीकरण में विलंब और कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच/निष्कर्ष निकालने में विलंब आदि शामिल हो सकते हैं।

11 अर्थात बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के तहत रोकथाम, शीघ्र पहचान, जांच, कर्मचारियों की जवाबदेही, निगरानी, वसूली, विश्लेषण और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग आदि और अन्य संबंधित पहलू।

12 अध्याय III के अंतर्गत निदेश विनियामक उद्देश्यों के लिए टियर 3 और 4 के रूप में वर्गीकृत शहरी सहकारी बैंकों और केवल ₹1000 करोड़ से अधिक जमाराशि वाले एसटीसीबी/सीसीबी पर लागू होंगे।

13 अर्थात जोखिम प्रबंधन समिति या समान कार्य वाली कोई अन्य समिति।

14 अर्थात, पैरा 3.3 के तहत कवर किए गए लेनदेन के अलावा।

15 या संभावित धोखाधड़ी की रोकथाम/पता लगाने में ईडब्ल्यूएस सिस्टम के परिणाम की प्रभावशीलता से समझौता किए बिना न्यूनतम समय अंतराल के साथ।

16 लेखा परीक्षक जो प्रासंगिक संविधियों के तहत लेखा परीक्षा करने के लिए अर्हता प्राप्त हैं।

17 सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने/घोषित करने से पहले नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का कड़ाई से पालन किया जाता है (कृपया पूर्वोक्त पैरा 2.1 देखें)।

18 कृपया भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य तथा संबंधित मामलों में सिविल अपील संख्या 7300/2022 पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 मार्च 2023 के निर्णय का संदर्भ लें, जिसे विविध आवेदन संख्या 810/2023 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित दिनांक 12 मई 2023 के आदेश के साथ पढ़ें, जो विशेष रूप से नोटिस देने, व्यक्तियों/इकाईओं को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का अवसर देने तथा एक तर्कसंगत आदेश पारित करने के संबंध में है। रिट याचिका (एल) संख्या 20751/2023 में माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के दिनांक 7 अगस्त, 2023 के आदेश तथा विशेष सिविल आवेदन संख्या 12000/2021 तथा संबंधित मामलों में माननीय गुजरात उच्च न्यायालय के दिनांक 31 अगस्त 2023 के आदेशों का संदर्भ लिया जाएगा (कृपया उक्त पैरा 2.1 का संदर्भ लें)।

19 ऐसे कार्यपालक बोर्ड/एसीबी/एससीबीएमएफ की बैठक में भाग नहीं लेंगे जिसमें उनकी जवाबदेही पर विचार किया जाना है।  

20 (क) यदि यह एक इकाई है, तो एक अन्य इकाई को इसके साथ संबद्ध माना जाएगा, यदि वह इकाई (i) कंपनी अधिनियम, 2013 के खंड 2 (87) के तहत परिभाषित एक सहायक कंपनी है या (ii) कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के खंड (6) के तहत एक 'संयुक्त उद्यम' या 'सहयोगी कंपनी' की परिभाषा के अंतर्गत आती है।
(ख) एक नैसर्गिक व्यक्ति के मामले में, सभी इकाइयाँ जिनमें वह प्रवर्तक, या निदेशक, या इकाई के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रभारी और जिम्मेदार के रूप में संबद्ध है, संबद्ध मानी जाएगी।

21 आरबीआई द्वारा जारी दिनांक 7 जून 2019 का दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा (समय-समय पर संशोधित)।

22 अध्याय VI के अंतर्गत निर्धारित रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ सहकारी बैंकों पर लागू नहीं होती हैं। उन्हें नाबार्ड द्वारा निर्धारित तरीके और रिटर्न/प्रारूप में नाबार्ड को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट करनी होगी।

23 एफएमआर का अद्यतन एफएमआर अपडेट एप्लीकेशन (एफयूए) के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।

24 जैसा कि पैरा 8.4.3 के तहत परिभाषित किया गया है।

25 धोखाधड़ी की सूचना देने में देरी, तथा इसके परिणामस्वरूप अन्य यूसीबी को सचेत करने में देरी के परिणामस्वरूप अन्यत्र भी इसी प्रकार की धोखाधड़ी हो सकती है।

26 एसटीसीबी/सीसीबी के मामले में नाबार्ड को रिपोर्ट करना।

27 समय-समय पर अद्यतन किए गए मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 (संदर्भ: डीओआर.एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22 दिनांक 24 सितंबर 2021) का संदर्भ लें।

28 ऐसे मामलों में जहां खाते एआरसी को बेचे जाते हैं, पात्र सहकारी बैंक को संबंधित एआरसी से समय-समय पर अपेक्षित जानकारी प्राप्त करके आरबीआई/नाबार्ड को ऐसे खातों में बाद के घटनाक्रमों की रिपोर्ट करना जारी रखना होगा।

29 एसटीसीबी/सीसीबी नाबार्ड को रिपोर्ट करेंगे।

30 इसमें रिपोर्टिंग में देरी, गैर-रिपोर्टिंग, स्टाफ जवाबदेही परीक्षा का संचालन, विवेकपूर्ण प्रावधान आदि शामिल हैं।

31 अध्याय IX के तहत निर्धारित रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ एसटीसीबी/सीसीबी पर लागू नहीं होती हैं। उन्हें नाबार्ड को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट की घटनाओं की रिपोर्ट नाबार्ड द्वारा निर्धारित तरीके और विवरणी/प्रारूप में करनी होगी।

32 निर्धारित प्रारूप में 'बैंक डकैती, चोरी आदि पर रिपोर्ट (आरबीआर) ई-मेल के माध्यम से (fmgcoucb@rbi.org.in) पर।
प्रारूप आरबीआई की वेबसाइट (https://website.rbi.org.in/hi/web/rbi/home/regulatory-reporting/list-of-returns) पर उपलब्ध है।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?