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अग्रिमों की निगरानी - बरती जाने वाली सावधानियां - शहरी सहकारी बैंक

आरबीआई/2007/137
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.13/13.05.000/2007-08

13 सितंबर 2007

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

 

महोदय/महोदया

अग्रिमों की निगरानी - बरती जाने वाली सावधानियां - शहरी सहकारी बैंक

कृपया उपर्युक्त विषय पर समय-समय पर जारी किए जाने वाले हमारे अनुदेश देखें जिन्हें ऋण और अग्रिमों का प्रबंधन पर 04 जुलाई 2007 मास्टर परिपत्र शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी).एमसी.सं.9 /13.05.000/2007-08 के पैरा 4 में समेकित किया गया है।

2. यद्यपि अग्रिमों की मंज़ूरी के बाद उनकी निगरानी से संबंधित बरती जाने वाली विभिन्न सावधानियां निर्धारित की गई हैं - यथा बैंकों को प्रभारित उधारकर्ताओं की आस्तियों का नियमित निरीक्षण, सहायताप्राप्त यूनिटों पर आवधिक दौरे, स्टाक़ लेखापरीक्षा आदि, फिर भी निधियों को अन्यत्र लगाने तथा बिक्री प्राप्तियों को उधार खातों में जमा न करने की घटनाएं लगातार प्रकाश में आ रही हैं और

पाया गया है कि वे धोखाधड़ी होने/खातों को अनर्जक आस्ति में परिवर्तित करने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं।

3. यह पाया गया है कि प्रदत्त ऋण सुविधाओं का इस्तेमाल कभी-कभार उससे भिन्न प्रयोजन के लिए किया गया है जिसके लिए उन्हें मंज़ूर किया गया था और उधार खातों से ऐसे पक्षकारों को भुगतान कर दिया गया है जिनका उधारकर्ता के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है। निधियों को अन्यत्र लगाने से कार्यशील पूंजी में भी ह्रास होता है जिसके कारण खाता अनर्जक आस्ति में परिवर्तित होता है। बैंक यह सुनिश्चित करें कि उधारकर्ताओं द्वारा ऋण सुविधाओं का इस्तेमाल उसी प्रयोजन के लिए किया जाए जिसके लिए उन्हें मंज़ूर किया गया है। इसलिए बैंकों के पास निधियों के अंत्य उपयोग की निगरानी करने की एक व्यवस्था होनी चाहिए। जब कभी उन्हें निधियों के अन्यत्र इस्तेमाल का पता चले उन्हें संबंधित उधारकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए तथा बैंक के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए।

4. इसलिए यह सूचित किया जाता है कि बैंक सुरक्षा के और कड़े उपाय करें, विशेष रूप से जहां खाते अनर्जक आस्तियों में परिवर्तित होने के लक्षण दिखने लगे हों। इस प्रकार के मामलों में बैंक उधारकर्ताओं के गोदामों के सतत निरीक्षणों के जरिए अपनी निगरानी प्रणाली को मजबूत करें और यह सुनिश्चित करें कि बिक्री प्राप्तियां बैंक में उधारकर्ता के खातों के माध्यम से की जाती हैं तथा दृष्टिबंधक के स्थान पर स्टॉक के रूप में गिरवी के लिए आग्रह किया जाता है।

5. इसके अलावा यह भी सूचित किया जाता है कि नकदी ऋण तथा अन्य ऋण खातों में दृष्टिबंधक के अंतर्गत जब कभी यह पाया जाए कि स्टॉक बिक गया है लेकिन उससे हुई प्राप्तियां ऋण खाते में जमा नहीं की गई हैं तो इस प्रकार की कार्रवाई को सामान्य तौर पर धोखाधड़ी माना जाना चाहिए। ऐसे मामलों में बैंक शेष स्टॉक को सुरक्षित करने के लिए तात्कालिक कदम उठाएं तथा अन्य अनिवार्य कार्रवाई भी करें ताकि उपलब्ध प्रतिभूति के मूल्य में आगे और गिरावट को रोका जा सके।

 

भवदीय

(एन.एस.विश्वनाथन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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