निदेशक मंडल द्वारा उच्च मूल्य के धोखाधड़ी की निगरानी - आरबीआई - Reserve Bank of India
निदेशक मंडल द्वारा उच्च मूल्य के धोखाधड़ी की निगरानी
भारिबैं/2014-15/393 7 जनवरी 2015 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, निदेशक मंडल द्वारा उच्च मूल्य के धोखाधड़ी की निगरानी कृपया 25 जुलाई 1994 का हमारा परिपत्र सं.शबैंवि.योजना(पीसीबी).सं.9/09.06.00/94-95 देखें जिसके माध्यम से सभी शहरी सहकारी बैंकों को बोर्ड स्तर पर शीर्ष स्तरीय लेखापरीक्षा समिति (एसीबी) स्थापित करने के लिए सूचित किया गया था। एसीबी में एक अध्यक्ष और तीन/ चार निदेशक शामिल होना आवश्यक है तथा उनमें से एक या उससे अधिक निदेशक सनदी लेखाकार या प्रबंधन, वित्त, लेखांकन और लेखापरीक्षा प्रणाली आदि में अनुभवी व्यक्ति होना अपेक्षित है। एसीबी को आंतरिक निरीक्षण, सांविधिक लेखापरीक्षा, अंतर शाखा/ अंतर बैंक खाते, बहियों का तुलन, हाऊसकीपिंग के प्रमुख क्षेत्र आदि के संदर्भ में चौकसी रखना है। समिति को धोखाधड़ी के संदर्भ में सुरक्षात्मक उपाय पर ध्यान केंद्रित करना और इस संदर्भ में अनुवर्ती कार्रवाई करना अपेक्षित है। 2. चूँकि धोखाधड़ी का पता लगाने में और विनियामक प्राधिकारियों और प्रवर्तन एजेंसियों को उसे सूचित करने आदि विभिन्न पहलुओं में देरी होना चिंता का विषय है, इसलिए उच्चतम स्तर पर धोखाधड़ी की निगरानी पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक प्रतीत हुआ है और यह सुझाव दिया गया है कि बोर्ड की एक उपसमिति का गठन किया जाए जो अनन्य रूप से धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी करेगी। धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी में बैंकों के बोर्ड के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित भूमिका नियत करने की भी आवश्यकता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि एक करोड या उससे अधिक राशि के धोखाधड़ी की निगरानी करने तथा अनुवर्ती कार्रवाई करने के लिए बैंक के बोर्ड द्वारा एक विशेष समिति का गठन किया जाए, जबकि सभी सामान्य मामलों की पुनरीक्षा आगे भी एसीबी द्वारा किया जाएगा। 3. बोर्ड के विशेष समिति की गठन एवं कार्यों के संदर्भ में व्यापक दिशानिर्देश निम्न अनुच्छेदों में दिए हैं। ए) विशेष समिति का गठन विशेष समिति में बोर्ड के पांच निदेशक होंगे जिनमें निम्न व्यक्ति शामिल होंगे। * शहरी सहकारी बैंकों के अध्यक्ष * एसीबी के दो सदस्य * बोर्ड के दो अन्य सदस्य बी) विशेष समिति के कार्य विशेष समिति का प्रमुख कार्य एक करोड या उससे अधिक राशि के सभी धोखाधड़ी की निगरानी होगी ताकि; * यदि किसी प्रकार की प्रणालीगत कमी है जिससे धोखाधड़ी रूपी अपराध सुसाध्य हुआ है तो उसे पहचानकर रोकने का उपाय * धोखाधड़ी को पहचानने में देरी तथा उसे बैंक के उच्च प्रबंधन और भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करने में हुई देरी का कारण जानना * केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो/ पुलिस जांच की निगरानी और वसूली की स्थिति और; * सभी प्रकार के धोखाधड़ी के मामलों में सभी स्तरों पर स्टाफ की जवाबदेही सुनिश्चित किया जाए और यदि आवश्यक है तो स्टाफ की ओर से कार्रवाई बिना समय गँवाए पूरी की जाए। * आंतरिक नियंत्रण को मज़बूत करते हुए धोखाधड़ी का न होना सुनिश्चित करने के लिए उपचारात्मक कार्रवाई की प्रभाविता की पुनरीक्षा की जाए। * धोखाधड़ी को रोकने के लिए आवश्यक उचित उपाय रखे जाए। सी) बैठक उभरे हुए मामलों की संख्या के आधार पर विशेष समिति की बैठक की आवधिकता के संदर्भ में निर्णय लिया जाए। फिर भी, रु 1 करोड़ या उससे अधिक राशि के धोखाधड़ी सामने आने पर समिति की बैठक आयोजित करते हुए पुनरीक्षा की जाए। डी) विशेष समिति के कार्यकलाप की समीक्षा बोर्ड के विशेष समिति के कार्यों को छमाही आधार पर पुनरीक्षित किया जाए और पुनरीक्षा के संदर्भ में सूचना निदेशक मंडल को प्रस्तुत किया जाए। उक्त निदेशों को तत्काल प्रभाव से कार्यान्वित किया जाए। इस ओर की गई कार्रवाई की सूचना हमें भी दी जाए। भवदीय (पी के अरोड़ा) |