पंजीकरण प्रमाणपत्र और लाईसेंस में प्रकाशित अनुसार नाम – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक - आरबीआई - Reserve Bank of India
पंजीकरण प्रमाणपत्र और लाईसेंस में प्रकाशित अनुसार नाम – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
भारिबैं/2014-15/286 30 अक्तूबर 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, पंजीकरण प्रमाणपत्र और लाईसेंस में प्रकाशित अनुसार नाम – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक कृपया उक्त विषय पर 11 दिसंबर 1998 का परिपत्र सं.शबैंवि.सं. बीआर/11/16.51.00/98-99 तथा बाद में जारी 21 मई 2001 का परिपत्र सं.शबैंवि.केंका.बीआर.सं.538/16.51.00/2000-01 और 10 जनवरी 2005 का शबैंवि.(पीसीबी). परिपत्र सं. 34/16.51.00/2004-05 देखें, जिसके माध्यम से शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे अपने नाम को प्रदर्शित करते समय सहकारी समितियों के पंजीयक द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी लाईसेंस में प्रकाशित उनके पूरे नाम का ही प्रयोग करें। उक्त अनुदेशों को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अधीन जारी किया गया था। 2. फरवरी 2006 में हुई एसएसी बैठक में की गई चर्चा के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया था कि शहरी सहकारी बैंकों को उनके ब्रांड निर्माण के प्रयासों के भाग के रूप में संक्षिप्त/ संगृहीत नाम/ लोगो आदि के प्रयोग करने के लिए अनुमति दी जाए, अगर वे अपने बैंकिंग लाईसेंस में प्रकाशित नाम को सभी प्रचार एवं स्टेशनरी सामग्री में प्रयुक्त करना सुनिश्चित करते हैं। तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक के ध्यान में यह बात आई है कि कुछ शहरी सहकारी बैंक इस प्रणाली का कड़ाई से अनुपालन नहीं कर रहे हैं और वे उनके संक्षिप्त/ संगृहीत नाम के साथ अपना पूरा नाम का होना सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं या अपने पूरे नाम के लिए बहुत छोटे फॉन्ट का प्रयोग कर रहे हैं, फलस्वरूप उसे पढ़ने में समस्या आती है। ब्रांड निर्मित करने के प्रयासों की आड़ में आम जनता तक सही सूचना का प्रकटन प्रभावित न होना सुनिश्चित करने के लिए शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया गया है कि जहां पर भी संक्षिप्त/ संगृहीत नाम प्रयुक्त हो रहे हैं वहां पंजीकरण प्रमाणपत्र और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लाईसेंस में प्रकाशित पूरा नाम का प्रधान रूप में प्रयोग सुनिश्चित किया जाए। इसके अतिरिक्त, पूर्ण नाम के लिए प्रयुक्त फॉन्ट का आकार किसी भी कारणवश संक्षिप्त/ संगृहीत नाम के लिए प्रयुक्त फॉन्ट के आकार से छोटा न हो। 3. इन अनुदेशों को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अधीन जारी किया गया है और किसी प्रकार का उल्लंघन या उक्त के अनुपालन में चूक होने पर अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के अधीन जुर्माना लगाए जा सकते हैं। भवदीय (ए के बेरा) |