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राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा ( एनईसीएस ) – इष्टतम प्रयोग और विस्तार

भु.नि.प्र.वि. (ईपीपीडी) सं. - 2283 /04.01.04 / 2008-2009

जून 25, 2009

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
एन ई सी एस के सहभागी सभी बैंक

महोदय/महोदया,

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा ( एनईसीएस ) – इष्टतम प्रयोग और विस्तार

आपको ज्ञात ही है, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (एनईसीएस) की शुरुआत सितंबर 2008 में बार-बार आने वाले और थोक भुगतान लिखतों के केन्द्रीयकृत प्रसंस्करण लिए हुआ था। एनईसीएस मुंबई में केन्द्रीयकृत रूप से ईसीएस फाइलें प्रस्तुत करने की सुविधा देती है इस प्रकार फाइलों को बांटने के कार्य से बचते है और विभिन्न स्थानों पर डाटा प्रस्तुत करने के लिए स्थानीय – ईसीएस का प्रयोग होता है। सदस्य बैंकों के कोर बैंकिंग सोल्यूशन का प्रयोग करके आवक संव्यवहारों को केन्द्रीयकृत रूप से दर्ज करने के लिए एनईसीएस अखिल भारतीय व्यापकता उपलब्ध कराती है। अब तक 114 बैंको की 26000 से कुछ अधिक शाखाएं एनईसीएस में भाग ले रही हैं।

2, वर्तमान में एनईसीएस के लिए क्रेडिट उत्पाद उपलब्ध है और पिछले 9 माह के परिचालनों में प्रसंस्कृत हुए संव्यवहारों में क्रमिक वृद्धि दिखाई दी है । अकेले मई 2009 माह के दौरान ही 30 बिलियन रु. के लगभग 2 मिलियन संव्यवहार प्रसंस्कृत हुए हैँ। एनईसीएस से प्राप्त लाभों के मद्देनजर विभिन्न स्थानों पर स्थानीय – ईसीएस की आवश्यकता अवांछित हो गई है। तदनुसार मुंबई में स्थानीय – ईसीएस क्रेडिट को एनईसीएस क्रेडिट के साथ विलय कर दिया गया है।

3.बैंको को एनईसीएस में सहभाग लेने वाली शाखाओं की संख्या वढ़ानी चाहिए जिससे एनईसीएस की संभाव्यता और पहॅच का इष्टतम उपयोग किया जा सके। आदर्श स्थिति तब होगी जब सभी कोर बैंकिंग आधारित शाखाएं एनईसीएस की सहभागी हो। आरटीजीएस/ एनईएफटीकी प्रतिभागी शाखाओं की संख्या 55000 से अधिक है, बैंकों के पास एनईसीएस सुविधा वाली शाखाओं की संख्या ततकाल ही दोगुनी करने का अवसर है। इसके अलावा बैंको को एनईसीएस से मिलने वाले लाभों को और अधिक प्रयोक्ताओं तक पहुचाकर अपना सहभागिता स्तर भी बढ़ाना चाहिए ।

4. तदनुसार बैंको को सूचित किया जाता हैं कि निम्नलिखित बिंदुओं पर कार्रवाई शुरु करें :

क) सभी एनईएफटी वाली शाखाओं को न्यूनतम स्तर पर एनईसीएस में शामिल करें। लक्ष्य यह हो कि एनईसीएस आधारित सभी कोर बैंकिंग शाखाओं को शामिल किया जा सके।
ख) अपने कार्पोरेट ग्राहकों को एकल एनईसीएस फाइल बनाने के लिए शिक्षित एवं मार्गदर्शित करें जिससे एनईसीएस में सहभाग वाली गंतव्य शाखाओं के साथ सारे देश में खाते रखने वाले हिताधिकारियों को क्रेडिट मिल सके।
ग) सारे देश में  विभिन्न शाखाओं द्वारा उनके कार्पोरेट ग्राहकों की ओर से एनईसीएस फाइलों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रह करने की पद्धति बनाना । 
क) आवक एनईसीएस संव्यवहारो की देखरेख दक्ष रूप से करना । बैंक समाशोधन गृहों से प्राप्त आवक फाइलों के स्टेट-थ्रू-प्रोसेसिंग हेतु उचित इंटरफेस रखे।
ख) ग्राहकों के खातों में बिना विलंब के एनईसीएस क्रेडिट दें। क्रेडिट नहीं हुई मदें, यदि कोई हो, समाशोधन गृहों को निर्धारित समय सीमा के भीतर रिपोर्ट करें।
ग) प्रणाली पर बोझ बनने वाली एवं विलंब करने वाली प्रथाओं से बचें। प्रायोजक बैंक सुनिश्चित करें कि प्रयोक्ता संस्थाएं खाताबंद या इस प्रकार के खातों के कारण पहले वापस हो चुकी इनपुट फाइलों को शामिल नहीं करें। सेवा शाखाओं को भी आवक प्रसंस्करण के समय आवश्यक सावधानी रखनी चाहिए। ऐसी एनईसीएस-क्रेडिट फाइल को वापस करने में कोई तर्कसंगतता नहीं होगी जो अन्यथा स्थानीय-ईसीएस में विधिवत क्रेडिट हो चुकी हो।
घ) मुंबई में सेवा शाखा का बुनियादी ढांचा न केवल पर्याप्त टेलीफोन लाइनों, नेटवर्क कंप्यूटर आदि के आधार पर मजबूत बनाएं बल्कि शाखा को कोर बैंकिंग शाखा भी बनाएं, अन्य कोर बैंकिंग शाखाओं में भी ग्राहक खातों का परिचालन एवं इसी प्रकार की अन्य सुविधा दें। सेवा शाखा के पास राष्ट्रीय स्तर के उत्पादों ( एनईसीएस और एनईएफटी ) का परिचालन करने के लिए संख्या और गुणवत्ता दोनों के आधार पर पर्याप्त श्रमशक्ति होना चाहिए । केन्द्रीय ईसीएस और स्थानीय ईसीएस के एनईसीएस में सम्मिलित होने पर समग्र आवश्यक श्रमशक्ति का स्वत: ही युक्तिकरण हो जायेगा।
ड़) एनईसीएस-डेबिट के लिए तैयार रहे जिसके लिए बैंक की तरफ से केन्द्रीयकृत अधिदेश प्रबंधन प्रणाली चाहिए। बैंकों को स्वत: कोर बैंकिग इंटरफेस के साथ इलेक्ट्रॉनिक रूप से अधिदेश भंडारण और पुनर्रप्राप्ति के लिए कदम उठाने चाहिए।

5. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति-सूचना दें और इस संबंध में उठाए गये कदमों से हमे अवगत कराएं।

भवदीय,

(जी. पद्मनाभन )
मुख्य महाप्रबंधक

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