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राष्ट्रीय/क्षेत्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (एनईसीएस / आरईसीएस)- शेष शाखाओं में इस सुविधा को उपलब्ध कराना

आरबीआई/2012-13/303
डीपीएसएस सीओ ईपीपीडी सं.825/04.03.02/2012-13

21 नवंबर, 2012

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
एनईसीएसमें भागीदार सभी बैंक

महोदय,

राष्ट्रीय/क्षेत्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (एनईसीएस / आरईसीएस)- शेष शाखाओं में इस सुविधा को उपलब्ध कराना

अखिल भारतीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा की सुविधा प्रदान करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सितंबर 2008 में एनईसीएस का आरंभ किया गया था। यह अपेक्षा की गई थी कि बैंक अपनी सभी सीबीएस समर्थित शाखाओं को धीरे-धीरे एनईसीएस  के अंतर्गत ले आएंगे जिससे वे अपने सभी ग्राहकों को ईसीएस की सुविधाएं प्रदान कर पाएंगे। इसके पश्चात कुछ राज्यों में आरईसीएस की शुरुआत की गई थी ताकि एक केंद्रीकृत स्थान सेराज्य / राज्यों के समूह में स्थित सभी शाखाओं से ईसीएस भुगतान/प्राप्तियां संभव हो सकें।

2. जैसा कि आपको विदित है कि एनईएफटी और एनईसीएस दोनों ही अखिल भारतीय स्तर की सेवाएँ हैं जिनका केंद्रीकृत प्रसंस्करण मुंबई मेंहोता है और जो एसटीपी आधार परलेनदेनों के केंद्रीय प्रसंस्करण के लिए बैंकों के सीबीएस नेटवर्क परनिर्भर करती हैं। तथापि, यह देखा गया है कि एनईएफटी के तहत बैंक की शाखाओं की संख्या काफी बढ़ रही है,जबकिएनईसीएस के अंतर्गत आने वाली शाखाओं की संख्या में वृद्धि सीबीएस समर्थित शाखाओं की संख्या की तुलना में काफी कम है। इस बात को देखते हुए कि दोनों ही प्रणालियों में भाग लेने की अपेक्षाएँ एक समान हैं,एनईएफटी और एनईसीएस के अंतर्गत आने वाली शाखाओं की संख्या में इस अंतर के पीछे कोई वैध कारण प्रतीत नहीं होता है।

3. आरईसीएस और एनईसीएस के अंतर्गत अधिक से अधिक शाखाओं की व्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक,बैंकों को प्रोत्साहित करता रहा है। सभी बैंक शाखाओं के ग्राहकों कोआरईसीएस और एनईसीएस की सुविधा प्रदान करने के लिए भागीदार बैंकों को पुन: यह निर्देश दिया जा रहा है कि वे आरईसीएस और एनईसीएस के अंतर्गत अपनी सभी शाखाओं को लाने का प्रयास करें। ऐसी शाखाएँ जो सीबीएस समर्थित हैं और एनईएफ़टी में पहले से ही भाग ले रही हैं उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बैंकों को यह निर्देश दिया जाता है कि वे इस संबंध में एक समयबद्ध योजना बना कर कार्य करें और हमें सूचित करें।

4. इस संबंध में यदि बैंकों को कोई मार्गदर्शन चाहिए तो वे राष्ट्रीय समाशोधन कक्ष, नरीमन प्वाइंट, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, मुंबई, से संपर्क कर सकते हैं।

भवदीय

(चारुलता एस.कर)
महाप्रबंधक

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