गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का भागीदारी फर्म में भागीदार नहीं बनना - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का भागीदारी फर्म में भागीदार नहीं बनना
भारिबैं/2010-11/453 30 मार्च 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का भागीदारी फर्म में भागीदार नहीं बनना भारतीय रिजर्व बैंक के ध्यान में यह आया है कि कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां बडे स्तर भागीदारी फर्म में निवेश / पूंजी अंशदान कर रही है. 2. भागीदारी फर्म के साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का अपने आप जुडने में शामिल जोखिम के मद्देनज़र यह निर्णय लिया गया है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का किसी भागीदारी फर्म में पूंजी अंशदान अथवा भागीदारी फर्म में भागीदान बनने को प्रतिबंधित किया जाए. मौजूदा भागीदारी के मामले में, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भागीदारी फर्म में शीघ्र निकासी करें. 3. 30 मार्च 2011 का संशोधित अधिसूचना संख्या: डीएनबीएस (पीडी)227/सीजीएम(युएस) 2011 तथा संख्या: डीएनबीएस (पीडी ) 228 /सीजीएम(युएस) 2011 की प्रतिलिपि गहन अनुपालन हेतु संलग्न है. भवदीया, (उमा सुब्रमणियम) संलग्न : यथोपरि. भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना संख्या. डीएनबीएस.(पीडी) 227/सीजीएम(यूएस) 30 मार्च 2011 भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना सं. डीएनबीएस.192/डीजी(वीएल) में अंतविष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियां स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 (जिन्हें इसके बाद निदेश कहा गया है) को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञ क द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- नया पैराग्राफ -19 क शामिल किया जाना उक्त निदेश के पैराग्राफ 19 के बाद निम्नलिखित पैराग्राफ 19 क को शामिल किया जाए. " गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का भागीदारी फर्म में भागीदार नहीं बनना " 19 क. (1) सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकर करने वाली कोई भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी भागीदारी फर्म में पूंजी अंशदान नहीं करेगी अथवा ऎसे फर्म में भागीदार नहीं बनेगी. (2) सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो पहले से ही भागीदारी फर्म में पूंजी अंशदान किया है अथवा भागीदारी फर्म का भागीदार है,वे भागीदारी फर्म से शीघ्र निकासी करें . ( उमा सुब्रमणिय) भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना संख्या. डीएनबीएस.(पीडी) 228/सीजीएम(यूएस) 30 मार्च 2011 भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना सं. डीएनबीएस.193/डीजी(वीएल) में अंतविष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियां न स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 (जिन्हें इसके बाद निदेश कहा गया है) को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञ क द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- नया पैराग्राफ -20 क शामिल किया जाना उक्त निदेश के पैराग्राफ 20 के बाद निम्नलिखित पैराग्राफ 20 क को शामिल किया जाए. " गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का भागीदारी फर्म में भागीदार नहीं बनना " 20 क. (1) कोई भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी भागीदारी फर्म में पूंजी अंशदान नहीं करेगी अथवा ऎसे फर्म में भागीदार नहीं बनेगी. (2) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो पहले से ही भागीदारी फर्म में पूंजी अंशदान किया है अथवा भागीदारी फर्म का भागीदार है,वे भागीदारी फर्म से शीघ्र निकासी करें . ( उमा सुब्रमणियम )
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