"धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002- उसके अंतर्गत अधिसूचित नियमावली के अनुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के दायित्व" - आरबीआई - Reserve Bank of India
"धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002- उसके अंतर्गत अधिसूचित नियमावली के अनुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के दायित्व"
भारिबैं/2009-10/220 13 नवंबर 2009 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ प्रिय महोदय, "धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002- उसके अंतर्गत अधिसूचित कृपया उल्लिखित विषय पर 1 जुलाई 2009 का मास्टर परिपत्र सं. 152 देखें। सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित) को सूचित किया जाता है कि वे उक्त परिपत्र में निम्नवत किए गए संशोधनों पर ध्यान दें: अभिलेखों(रेकार्ड) की परिरक्षण अवधि 2. सरकार द्वारा अधिसूचित होने पर धनशोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 (2009 का 21) 1 जून 2009 से लागू हो गया है। धनशोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 की धारा 12 की उपधारा 2 (aध) के अनुसार धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (aध) में वर्णित रेकार्ड ग्राहक एवं बैंकिंग कंपनी के बीच हुए लेनदेन की तारीख से 10 वर्ष तक अभिरक्षित किए जाएंगे तथा उक्त अधिनियम की धारा 12 की उपधारा 2(b) के अनुसार धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (c) में वर्णित रेकार्ड ग्राहक एवं बैंकिंग कंपनी के बीच लेनदेन समाप्त होने की तारीख से 10 वर्ष तक अभिरक्षित किए जाएंगे। 3. तदनुसार 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र सं. 152 के पैराग्राफ 4 में संशोधन करते हुए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित) को सूचित किया जाता है कि वे धनशोधन निवारण [लेनदेनों के स्वरूप तथा मूल्य (राशि) के रेकार्ड का अनुरक्षण, सूचना प्रस्तुत करने की प्रक्रिया, तरीका एवं प्रस्तुतीकरण के समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं एवं मध्यस्थों के ग्राहकों की पहचान का सत्यापन एवं रेकार्डं अनुरक्षण) नियमावली, 2005 (PMLA Rules) के नियम 3 में उल्लिखित, घरेलू एवं अतर्राष्ट्रीय दोनों ही प्रकार के, लेनदेन जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित) एवं ग्राहकों के बीच हुए हों, के सभी आवश्यक रेकार्ड लेनदेन की तारीख से न्यूनतम दस वर्ष के लिए रखें जिससे व्यक्तिगत लेनदेनों (शामिल राशि एवं करेंसी के स्वरूप, यदि काई हें) के रेकार्ड को पुनर्संरचित (रिकंस्ट्रक्शन) किया जा सके और आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा चलाने में, यदि आवश्यक हो तो, इन्हें साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। 4. तथापि, खाता खोलने के समय ग्राहक की पहचान एवं उसके पते से संबंधित रेकार्ड (उदाहरणार्थ- पासपोर्ट, पहचानपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, उपभोक्ता बिल, आदि) एवं कारोबारी संबंधों के दौरान के रेकार्ड, जैसाकि 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र के पैरा 4 में उल्लिखित है, को उक्त नियमावली के नियम 10 की अपेक्षानुसार ऐसे संबंधों की समाप्ति से दस वर्षों तक अनुरक्षित किए जाएंगे। भवदीय (ए. एन. राव) |