RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79152701

तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) प्रणाली की नई विशेषताएं

आरबीआई/2013-14/651
डीपीएसएस (सीओ) आरटीजीएस सं 2589/04.04.017/2013-14

20 जून 2014

आरटीजीएस के प्रतिभागियों के अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी

महोदया /महोदय

तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) प्रणाली की नई विशेषताएं

कृपया नई आरटीजीएस प्रणाली के शुभारंभ और "आरटीजीएस प्रणाली विनियमावली 2013" के प्रभावी होने के संबंध में 11 अक्टूबर 2013 के हमारे परिपत्र डीपीएसएस (सीओ) आरटीजीएस संख्या 801/04.04.017/2013-14 का संदर्भ लें। कृपया "आरटीजीएस प्रणाली विनियमावली 2013" का अध्याय 9 देखें जिसमें यह इंगित किया गया है कि आरटी जीएस प्रणाली की नई विशेषताओं (फीचर्स) को सदस्यों को समुचित सूचना के बाद लागू किया जाएगाI

2. नई आरटीजीएस प्रणाली सुचारु रूप से चल रही है और सुदृढ़ हो गई है। अतः यह निर्णय लिया गया है कि इस प्रणाली में 'हाइब्रिड' और ‘भविष्य मूल्य दिनांकित लेन-देन' (फ्यूचर वैल्यू डेटेड ट्रांजैक्शन) की विशेषताओं को दिनांक 14 जुलाई 2014 से सक्षम किया जाएI इन दोनों कार्यक्षमताओं का परिचालन संबंधी ब्योरा अनुबंध में दिया गया हैI

3. हाइब्रिड फीचर को हर 5 मिनट में ऑफ-सेटिंग करने के लिए व्यवस्थित किया जाएगा। सामान्य प्राथमिकता वाले लेन-देन ऑफसेटिंग मोड में अधिकतम दो प्रयासों में निपटाए जाएंगे अर्थात कोई लेन-देन "सामान्य" कतार में अधिकतम 10 मिनट तक रहेगा। यदि सामान्य प्राथमिकता वाले लेन-देन इस समय के भीतर ऑफसेटिंग मोड में निपटान होने में असमर्थ रहते हैं तो प्राथमिकता लेन-देन स्वचालित रूप से "तत्काल" में बदल जाएगा। पैरामीटर मान 10% पर सेट हो जाएगा। इसका मतलब है कि निपटान खाते में शेष राशि का 10%, ऑफसेटिंग मोड में निपटान के लिए ले लिया जाएगाI

4. भविष्य मूल्य दिनांकित लेन-देन मूल्य तिथि (वैल्यू डेट) पर लेन-देन के आरटीजीएस में निपटान हेतु 3 कार्य दिवस पूर्व ग्राहकों/प्रतिभागियों को आरटीजीएस आरंभकरने में सक्षम करेगाI

5. यह परिपत्र भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (वर्ष 2007 का अधिनियम 51) की धारा 10 (2) के तहत जारी किया गया है।

भवदीय

(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक : यथोक्त


अनुबंध

1. हाइब्रिड विशेषता

क) आरटीजीएस प्रणाली बड़ी मात्रा में भुगतान को संचालित करने के लिए प्रतिभागियों के निपटान खातों से चलनिधि की न्यूनतम राशि का उपयोग करने हेतु एक नए और विशिष्ट तरीके का प्रयोग करती हैI

ख) प्राथमिकता के दृष्टिकोण से, आरटीजीएस प्रणाली दो प्रकार के भुगतानों को संचालित करती है:

(i) तत्काल भुगतान
(ii) सामान्य भुगतान

ग) दोनों श्रेणियां समान आईएसओ20022 मानक पर लागू की गई हैं और समान नियम और विनियमावली साझा करती हैं। हालाँकि, तत्काल भुगतानों को जब भी वे आरटीजीएस में प्राप्त होते हैं भेजने वाले प्रतिभागी के निपटान खाते से उतनी ही चल-निधि का उपयोग करते हुए जितनी आवश्यकता होती है, शीघ्रातिशीघ्र संसाधित किया जाता है, सामान्य भुगतान का संसाधन अलग तरीके से, कुछ सख्त प्रसंस्करण नियमों का पालन करते हुए किया जाता है जो तत्काल भुगतान पर लागू नहीं होते हैं। यह नियम हैं:

  1. सामान्य भुगतानों का तुरंत निपटान नहीं किया जाता है, भले ही प्रेषक बैंक के निपटान खाते में पर्याप्त धनराशि हो;

  2. सामान्य भुगतानों का निपटान केवल आवधिक समय अंतरालों पर ही हो सकता है जो आरटीजीएस के सिस्टम पैरामीटर द्वारा केंद्रीय रूप से नियंत्रित होते हैं;

  3. अंतर्दिवसीय चल-निधि (आईडीएल) फंडिंग हेतु सीबीएस को अनुरोध करते समय उसकी गणना में आरटीजीएस लंबित सामान्य लेन-देन को ध्यान में नहीं रखता है;

  4. सामान्य भुगतानों का निपटान केवल तभी हो सकता है जब अनेक सहभागियों ने एकसाथ एक-दूसरे को सामान्य भुगतान भेजे हों। यदि छूट का पैरामीटर मान (केंद्र में) 0% सेट होता है तो ऐसे परिदृश्य में लेन-देन निपटान खाते से किसी भी राशि का उपयोग किए बिना लेन-देन का निपटान करने की खोज करेगा, अर्थात, निपटान पूरी तरह से ऑफसेटिंग (प्रतिसंतुलन) मोड पर होगा। यदि 1% की छूट का पेरामीटर सेट किया गया है तो उस परिदृश्य में लेन-देन निपटान खाते से राशि का 1% उपयोग कर निपटान करने का प्रयास करेगाI

  5. यदि सामान्य भुगतानों के निपटान की स्थिति संभव नहीं होती है, तो सिस्टम, पूर्व-परिभाषित टाइमआउट पैरामीटर के बाद स्वचालित रूप से उन्हें तत्काल भुगतान स्ट्रीम में संवर्धन (प्रोमोट) कर देगा। एक बार संवर्धन (प्रमोशन) हो जाने के बाद, लेन-देन को तत्काल भुगतान के निपटान संबंधी विनियमों के अनुसार संसाधित किया जाएगाI

  6. फोर्मेट के दृष्टिकोण से, वह फील्ड जो भुगतान को सामान्य या तत्काल के रूप में निर्दिष्ट करता है उसे इंस्ट्र पर्टी (आईएनएसटीआर पीआरटीवाई) कहते हैं और इसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:

    • नॉर्म (एनओआरएम) – सामान्य भुगतानों के लिए
    • हाई (एचआईजीएच) – तत्काल भुगतानों के लिए

प्रक्रिया प्रवाह (प्रोसेस फ्लो)

सामान्य भुगतानों के लिए आरटीजीएस में निम्नलिखित फ्लो होगा :

  1. एक नया सामान्य संदेश प्राप्त होता है, उसका वैधीकरण होता है और (यदि सफल होता है तो) फिर एंटर (इएनटीईआर) स्टेटस क्यू में रखा जाता हैI

  2. यह मद (आइटम) एंटर स्टेटस की स्थिति में तब तक रहेगी जब तक कि सामान्य स्ट्रीम के लिए पहली ग्रिडलॉक साइकिल नहीं चल जातीI साइकिल के पूरा होने के बाद, यह मद (आइटम) अपनी स्थिति को ‘कम्पलीट’ (यदि आइटम का निपटान हो जाता है) या ‘पेंडिंग’ (यदि आइटम ग्रिडलॉक समाधान में शामिल नहीं होता) में बदल लेता हैI

  3. अनुवर्ती ग्रिडलॉक साइकिल्स सिस्टम में पाए जाने वाले अन्य सामान्य भुगतानों को ध्यान में रखते हुए (हर 5 मिनट में) आइटम का निपटान करने का प्रयास करेंगी। यदि सामान्य भुगतान स्ट्रीम की ग्रिडलॉक रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया से समाधान हो जाता है तो संबंधित लेनदेन की स्थिति ‘कम्पलीट’ के रूप में अद्यतन हो जाती है और प्रेषक और प्राप्तकर्ता को संबंधित आउटपुट संदेश व्युत्पन्न हो जाते हैंI

  4. यदि सामान्य भुगतान के लिए टाइमआउट अवधि (10 मिनट) के भीतर कोई समाधान नहीं मिलता है तो इस मद (आइटम) को तत्काल स्ट्रीम (धारा) में संवर्धित किया जाता है। लेन-देन को सूचीबद्ध किए जाने पर और उस आइटम के ऑडिट ट्रेल में अंतिम प्रयोक्ता को बदलाव दिखता हैI

  5. एक बार लेन-देन को तत्काल में संवर्धित कर दिए जाने पर, यदि प्रेषक प्रतिभागी के पास आवश्यक चल- निधि नहीं होती है तो मद (आइटम) के ट्रांजेक्शन टाइप कोड (टीटीसी) के आधार पर अंतर्दिवसीय चलनिधि (आईडीएल) फंडिंग को लागू किया जाता है।

उदाहरण

निम्नलिखित तालिका दर्शाती है कि यह विशेषता (फीचर) कैसे काम करती है। टी1, टी2, टी3 आदि इंगित करते हैं कि लेन-देन बैंकों द्वारा प्रारंभ किया गया। लेन-देन प्रारंभ करने वाले बैंक को नामे (डेबिट) और लाभार्थी बैंक को जमा (क्रेडिट) किया गया है:

पंक्ति (कतार) में सामान्य लेन-देन आरंभकर्ता बैंक
(नामे)
प्राप्तकर्ता बैंक
(जमा)
राशि
टी 1 बी 5,00,000
टी 2 बी सी 4,80,000
टी 3 सी 4,60,000
टी 4 बी सी 1,00,000
टी 5 सी 1,10,000

उपर्युक्त तालिका यह बताती है कि इन लेन-देनों का ऑफ़-सेटिंग (प्रति संतुलन) मोड में निपटान कैसे किया जाता है जबकि बैंकों के निपटान खाते से किसी चल-निधि का उपयोग नहीं किया गया हो या जबकि निपटान खाते से किसी प्रतिशत राशि का उपयोग ऑफसेटिंग (प्रतिसंतुलन) मोड में लेनदेन को निपटाने के लिए किया गया हो। पैरामीटर मान यह बताता है कि चल-निधि (तरलता) के कितने प्रतिशत का उपयोग ऑफसेटिंग मोड में लेनदेन के निपटान के लिए किया जा सकता है (सामान्य प्राथमिकता वाले लेन-देन)।

उदाहरण पेरामीटर मान (वैल्यू) निपटान खाता निपटाए गए लेन-देन ए से चल-निधि का उपयोग हुआ बी से चल-निधि का उपयोग हुआ सी से चल-निधि का उपयोग हुआ
बैंक ए का बैलेंस बैंक बी का बैलेंस बैंक सी का बैलेंस
1 0% 10,00,000 10,00,000 10,00,000 0 0 0 0
2 5% 10,00,000 0 0 टी1, टी2, टी3 40,000 0 0
3 10% 10,00,000 10,00,000 10,00,000 टी1, टी2, टी3, टी4, टी5 0 80,000 0

उदाहरण 1 में पैरामीटर मान 0% पर सेट है यानी इन लेन-देन को निपटाने के लिए निपटान खाता में से कोई राशि उपयोग नहीं की जाएगी। इसलिए, उपर्युक्त में से कोई भी लेन-देन (टी1, टी2, टी3, टी4 और टी5) सूचीबद्ध नहीं है जिसका निपटान किया जाएगा क्योंकि समान मूल्य वाला कोई लेन-देन नहीं है जिससे ऑफसेट (निपटान) हो सके।

उदाहरण 2 में पैरामीटर मान (वैल्यू) 5% पर सेट है। निपटान खाते से अधिकतम राशि जिसका उपयोग किया जा सकता है वह 50,000 रुपये है (यानी 10,00,000 रुपये का 5%)। लेन-देन टी1, टी 2 और टी 3 का निपटान हो गया है। हालांकि निपटान खाते से अधिकतम 50,000 रुपये का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इन लेन-देन को निपटाने के लिए ए के निपटान खाते से उपयोग की गई वास्तविक राशि 40,000 है अर्थात रु. 40,000 का उपयोग रु. 14,40,000 की राशि के टी1, टी2 और टी3 लेन-देन को निपटाने के लिए किया गया। तथापि लेन-देन टी4 और टी5 का निपटारा नहीं किया जा सका क्योंकि इन लेन-देनों को निपटाने के लिए 50,000 रुपये से अधिक की चल-निधि की आवश्यकता थी।

उदाहरण 3 में पैरामीटर मान 10% पर सेट है। सामान्य प्राथमिकता वाले लेन-देन के निपटान के लिए निपटान खाते से अधिकतम राशि जिसका उपयोग किया जा सकता है, 1,00,000 रुपये है। इस मामले में, सभी सूचीबद्ध लेन-देन (टी1, टी2, टी3, टी4 और टी5) बी के निपटान खाते से 80,000 रुपये का उपयोग करके निपटाए गए हैंI

2. भविष्य मूल्य लेन-देन (फ्यूचर वैल्यू ट्रांजेक्शन)

1. यह सुविधा प्रतिभागियों को वे आरटीजीएस भुगतान भेजने की अनुमति प्रदान करेगी जो निपटान के लिए तुरंत प्रस्तुत नहीं किए गए हैं, लेकिन बाद की तारीख के हैं। यह विकल्प कुछ महत्वपूर्ण भुगतान दिवसों को अग्रिम रूप से सूचीबद्ध करने की सुविधा प्रदान करेगा।

2. आरटीजीएस उन्हें तुरंत निपटाने का प्रयास नहीं करेगा लेकिन संबंधित मूल्य तिथि (वैल्यू डेट) तक पहुंचने की प्रतीक्षा करेगा।

3. मूल्य तिथि (वैल्यू डेट) एक निश्चित समय-अवधि के भीतर होनी चाहिए जो कि एप्लिकेशन के सिस्टम पैरामीटर (3 कार्य दिवस) द्वारा नियंत्रित होती है। भावी मूल्य भुगतान भेजते समय प्रेषक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित मूल्य तिथि (वैल्यू डेट) वर्तमान आरटीजीएस कैलेंडर के अनुसार कार्य-दिवस की तिथि है। यदि मूल्य तिथि (वैल्यू डेट) गैर-कार्य दिवस पर निर्धारित हो जाती है, तो भुगतान तुरंत अस्वीकार कर दिया जाएगा।

4. भावी मूल्य दिनांकित लेन-देन को किसी भी समय, जब तक कि इसकी स्थिति ‘फ्यूचर’ की बनी रहती है, अयांत्रिक रूप से (मैन्युअली) निपटान/लेन-देन/निरस्त मेनू विकल्प से रद्द किया जा सकता है। (रद्द करने की प्रक्रिया के संचालन के लिए स्वीकृति की पुष्टि की आवश्यकता होती है।)

5. जब किसी एक प्रतिभागी को हटा दिया जाता है, तो उक्त प्रतिभागी द्वारा पहले से भेजे गए और आरटीजीएस में संचयित किसी भी भावी मूल्य भुगतान को स्वचालित रूप से रद्द कर दिया जाएगा। रद्दीकरण के बारे में प्रेषक को मानक सूचना संदेशों का उपयोग करके सूचित किया जाएगा।

6. यदि आरटीजीएस का कैलेंडर आरबीआई द्वारा संशोधित किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप सिस्टम में पहले से मौजूद कुछ भावी मूल्य भुगतानों की निपटान तिथि गैर-कार्यदिवस पर पड़ती है, तो संबंधित लेन-देन रद्द नहीं किए जाएंगे। ये आइटम सिस्टम में बने रहेंगे और उन्हें मूल निपटान तिथि (वैल्यू डेट) के बाद प्रथम कार्य दिवस पर निपटान प्रक्रिया में शामिल कर दिया जाएगा।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?