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"गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008"

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भारिबैं/2008-09/193
गैबैंपवि.(नीप्रभा.) कं.परि.सं. 129/03.02.82/2008-09

23 सितंबर 2008

1. अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर)
2. अध्यक्ष, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान

प्रिय महोदय,

"गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008"

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-एमए के अंतर्गत गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों के लेखापरीक्षकों को 2 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.डीएफसी. 117/डीजी(एसपीटी)-98 के द्वारा निदेश जारी किये थे।

निदेशों को समेकित किया गया है और उत निदेश अर्थात गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 को अधिक्रमित करते हुए नए निदेश 18 सितंबर 2008 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) 201/ डीजी (वीएल)/2008 के द्वारा, सावधानीपूर्वक अनुपालन के लिए,जारी किए जाते हैं।

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 201/डीजी(वीएल)-2008 दिनांक 18 सितंबर 2008

भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे इसके बाद "बैंक" कहा गया है) इस बात को जनता के हित में एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की लेखा बहियों के उचित मूल्यांकन के प्रयोजन से आवश्यक समझकर, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-एमए की उपधारा (1ए) द्वारा प्रदत्त शतियों एवं इस संबंध में उसे समर्थ बनाने वाली सभी शतियों का प्रयोग करते और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 को अधिक्रमित करते हुए एतद्द्वारा प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के प्रत्येक लेखा परीक्षक को इसके आगे विनिर्दिष्ट निदेश देता है।

1. निदेश का संक्षिप्त शीर्षक, अनुप्रयोग और प्रारंभ

(1). इन निदेशों को "गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008" के रूप में जाना जाएगा।
(2). ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-आइ (एफ) में यथापरिभाषित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जिसे इसके बाद गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी कहा गया है, के प्रत्येक लेखापरीक्षक पर लागू होंगे।
(3). ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

2. लेखापरीक्षक अतिरित रिपोर्ट निदेशक बोर्ड को प्रस्तुत करें

कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 227 के अंतर्गत लेखापरीक्षक किसी भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लेखे की जांच करके, इन निदेशों के लागू होने के दिन से या उसके बाद के किसी भी वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर, रिपोर्ट देने के अलावा वे निम्नलिखित पैराग्राफ 3 एवं 4 में विनिर्दिष्ट मामलों पर कंपनी के निदेशक बोर्ड को अलग से रिपोर्ट देंगे।

3.मामले जिन्हें लेखापरीक्षक अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लेखाओं पर अपनी रिपोर्ट में लेखापरीक्षक निम्नलिखित मामलों पर विवरण शामिल करेंगे अर्थात-

(अ) सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में

I. क्या कंपनी गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के कारोबार में लगी है और क्या उसने इसके लिए बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र लिया है ।
II. यदि कंपनी के पास बैंक द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र है तो क्या लागू वित्तीय वर्ष के 31 मार्च को परिसंपत्ति/आय पैटर्न के अनुसार वह उसे रखने की पात्र है।

नोट: इस संबंध में जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बारे में जारी गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक), निदेश, 2007 के पैरा 15 एवं जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बारे में जारी गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक), निदेश, 2007 के पैरा 15 की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है।

III. बैंक द्वारा 6 दिसंबर 2006 के कंपनी परिपत्र सं. गैबैंपवि.नीतिप्रभा.कंपरि. सं.85/03.02.089/2006-07 में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को परिसंपत्ति वित्त कंपनी के रूप में वर्गीकृत करने लिए दिए गए मानक के अनुसार क्या लागू वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी का सही वर्गीकरण किया गया है जैसाकि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक), निदेश, 1998 में परिभाषित है।

(आ) जनता की जमाराशियां स्वीकार करनेवाली/
रखनेवाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के मामले में

ऊपर (अ) में उल्लिखित मामलों के अलावा लेखापरीक्षक निम्नलिखित मामलों पर अलग से एक विवरण शामिल करेगा, यथा :-

(i) क्या कंपनी द्वारा स्वीकार की गई जनता की जमाराशियाँ नीचे दर्शाए गए अन्य उधारों के साथ हैं, अर्थात्

(क) जनता से प्रतिभूति-रहित अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों के निर्गम द्वारा;
(ख) (किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी द्वारा) अपने शेयर धारकों से और
(ग) अन्य प्रकार की कोई जमाराशि जिसे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में दी गई ‘जनता की जमाराशि’ की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में दिए गए उपबंधों के अनुसार कंपनी के लिए स्वीकार्य सीमाओं के भीतर हैं;

(ii) क्या कंपनी द्वारा रखी गई जनता की जमाराशियां गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के उपबंधों के अंतर्गत अनुमत मात्रा से अधिक होने पर उन्हें इन निदेशों में बताए गए तरीके से नियमित किया गया है;

(iii) क्या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैराग्राफ 2(1)(ia), (vi) तथा (viii) में क्रमश: परिभाषित परिसंपत्ति वित्त कंपनी जिसकी पूंजी का अनुपात जोखिम परिसंपत्तियों की तुलना में 15% से कम है या किसी निवेश कंपनी या ऋण कंपनी किसी अनुमोदित रेटिंग एजेंसी से न्यूनतम रेटिंग प्राप्त किए बिना जनता से जमाराशियाँ स्वीकार कर रही है;

 (iv) उल्लिखित खंड (iii) में संदर्भित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की हरेक सावधि योजना जिसे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में सूचीबद्ध क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से किसी एक से रेटिंग मिली है -

(क) प्रभावी है; और
(ख) क्या वर्ष के दौरान किसी भी समय बकाया जमाराशियों का सकल योग ऐसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा से अधिक था;

(v) ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के मामले में जिसकी निवल स्वाधिकृत निधयाँ 25 लाख रुपए से अधिक किन्तु 200 लाख रुपए से कम हैं, क्या उसके द्वारा धारित जनता की जमाराशियाँ 17 जून 2008 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 199/मुमप्र(पीके)/2008 में अनुमत सीमा से अधिक थीं और क्या ऐसी कंपनी ने :

(क) उत अधिसूचना की तारीख को जमाराशियों के स्तर को रोक दिया था; या
(ख) जमाराशियों के स्तर को अधिसूचना के अनुसार संशोधित सीमा के स्तर तक घटा दिया था।

(vi) क्या कंपनी द्वारा अपने जमाकर्ताओं की जमाराशियों पर ब्याज और/ अथवा मूलधन देय होने के बाद ब्याज और/अथवा मूलधन की राशि के भुगतान में चूक हुई;

(vii) क्या कंपनी ने गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों में निर्दिष्ट किए गए अनुसार आय निर्धारण, लेखा मानकों, परिसंपत्ति वर्गीकरण, अशोध्य और संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधानीकरण और ऋण/निवेशों के संकेंद्रण से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन किया है;

(viii) क्या भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की गयी विवरणी में यथाघोषित पूंजी पर्याप्तता अनुपात, गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के अनुसार, सही निर्धारित किया गया है और क्या यह अनुपात उसमें निर्धारित जोखिम भारित परिसंपत्तियों की तुलना में न्यूनतम पूंजी के अनुपात का अनुपालन करता है;

(ix) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झख के अंतर्गत प्राप्त शतियों का प्रयोग करते हुए बैंक द्वारा निर्धारित चलनिधि अपेक्षाओं का क्या कंपनी ने अनुपालन किया है और किसी नामित बैंक में अनुमोदित प्रतिभूतियों को रखने की सूचना बैंक के संबंधित (क्षेत्रीय) कार्यालय को दी है जैसाकि 31 जुलाई 2003 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि.172/सीजीएम(ओपी)/ 2003 के अनुसार अपेक्षित है।

(x) क्या कंपनी ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि धस्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 की विवरणी एनबीएस-1 में विनिर्दिष्ट जमाराशियों से संबंधित विवरणी नियत अवधि के भीतर रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की है;

(xi) क्या कंपनी ने गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 में विनिर्दिष्ट विवेकपूर्ण मानदंडों पर नियत अवधि के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को छमाही विवरणी प्रस्तुत की है;

(xii) क्या कंपनी ने जमाराशियों की वसूली के लिए नई शाखाएं अथवा नए कार्यालय खोले जाने या मौजूदा शखाएं/कार्यालय बंद किए जाने या एजेंट/टों की नियुति के मामले में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि धस्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में अंतर्विष्ट अपेक्षाओं का अनुपालन किया है।

(इ) जनता की जमाराशियां स्वीकार न करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के मामले में

ऊपर (अ) में गिनाये गये पहलुओं के अलावा, लेखापरीक्षक निम्नलिखित विषयों पर एक विवरण शामिल करेगा, यथा:

(i) क्या निदेशक मंडल ने जनता की जमाराशि स्वीकार नहीं करने के लिए कोई संकल्प पारित किया है।
(ii) क्या कंपनी ने संबंधित अवधि/वर्ष के दौरान जनता की कोई जमाराशि स्वीकार की है; और
(iii)
क्या कंपनी ने गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के अनुसार आय निर्धारण, लेखा मानकों, परिसंपत्ति वर्गीकरण और अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों हेतु प्रावधान करने संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन किया है, जो कि उस पर लागू होते हैं।
(iv)
गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के पैरा 2(1)(xix) में यथापरिभाषित संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में -

(क) क्या एनबीएस-7 में बैंक को प्रस्तुत की गई विवरणी में प्रकट किया गया पूंजी पर्याप्तता अनुपात सही आकलित किया गया है और क्या यह अनुपात बैंक द्वारा जोखिम भारित परिसंपत्तियों की तुलना में न्यूनतम पूंजी अनुपात के विनिर्देशन का अनुपालन करता है;

(ख) क्या कंपनी ने पूंजी निधियों, जोखिम परिसपंत्तियों/जोखिमों तथा जोखिम परिसंपत्ति अनुपात (एनबीएस-7) का वार्षिक विवरण बैंक को विनिर्दिष्ट अवधि में प्रस्तुत किया है।

(ई) गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के कारोबार में लगी किन्तु कतिपय शर्तों के अंतर्गत जिन्हें पंजीकरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहींहै ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मामले में

ऊपर (अ) में गिनाये गये पहलुओं के अलावा, लेखापरीक्षक निम्नलिखित विषयों पर एक विवरण शामिल करेगा, यथा:

  • जहाँ कंपनी ने बैंक से खास सूचना प्राप्त की है कि उसे बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है, वहाँ क्या कंपनी बैंक द्वारा दी गई सूचना में विनिर्दिष्ट शर्तों का अनुपालन कर रही है।

4.प्रतिकूल या सशर्त विवरणों के लिए कारण बताए जाएं

जहाँ लेखापरीक्षक की रिपोर्ट में पैराग्राफ 3 की किसी मद के संबंध में प्रतिकूल या सशर्त विवरण हो, वहाँ रिपोर्ट में प्रतिकूल या सशर्त विवरण, जैसा भी मामला हो, के कारणों का भी उल्लेख होना चाहिए। जहाँ लेखापरीक्षक पैराग्राफ 3 की किसी मद के संबंध में अपनी राय देने में असमर्थ हो, वहाँ उसे ऐसे तथ्य, कारणों सहित रिपोर्ट में देने चाहिए।

5. रिज़र्व बैंक को अपवादात्मक रिपोट प्रस्तुत करना लेखापरीक्षक का दायित्व

(i) जहाँ किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के मामले में उल्लिखित पैराग्राफ 3 की मदों के बारे में प्रतिकूल या अपवादात्मक विवरण हो या लेखापरीक्षक की राय में कंपनी ने निम्नलिखित के संबंध में अनुपालन न किया हो:

(क) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) के अध्याय III के उपबंध; या
(ख) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि धस्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998; या
(ग) गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007
(घ) गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकरण या धारण) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007;

वहाँ लेखापरीक्षक का यह दायित्व होगा कि वह ऐसी कंपनी के संबंध में, जैसा भी मामला हो, प्रतिकूल या सशर्त विवरण और/ या अननुपालन के बारे में गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस (क्षेत्रीय) कार्यालय को (अपवादात्मक) रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसके अधिकार-क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि धस्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 की दूसरी अनुसूची के अनुसार, आता हो।

(ii) उल्लिखित उप पैराग्राफ I के अंतर्गत लेखापरीक्षक का कर्तव्य होगा कि वह उक्त उप पैराग्राफ I में अंकित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के उपबंधों, तथा निदेशों, मार्गदर्शी सिद्धांतों, अनुदेशों के उल्लंघनों के बारे में ही रिपोर्ट करे एवं उनमें से किए गए अनुपालनों का उल्लेख ऐसी रिपोर्ट में न करे।

6. निरसन एवं व्यावृत्ति

"गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998" इन निदेशों से निरसित हो जाएंगे।

इस निरसन के बावजूद,

(क) एतद्द्वारा निरसति निदेशों के तहत की गई कोई कार्रवाई, प्रारंभ मानी गई कोई कार्रवाई या प्रारंभ की गई कोई कार्रवाई उत निदेशों के उपबंधों से शासित/विनियमित होती रहेगी।

(ख) बैंक द्वारा जारी अन्य अधिसूचनाओं में जहाँ भी उत निरसित निदेश का संदर्भ है उसके संबंध में ये निदेश अर्थात "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008" का संदर्भ निरसन की तारीख से माना जाएगा।

(वी. लीलाधर)
उप गवर्नर

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